Holi Festival Poem in Hindi :
Holi Festival Poem in Hindi
होली की कविताएं
हमारा देश विभिन्न धर्मों व पर्वों का देश है।जहां पर सभी धर्मों के पर्वों को समान रूप से और बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।होली भी उन्हीं प्रमुख त्योहारों में से एक है।यह त्यौहार चीर बंधन के साथ शुरू हो जाता है। और फाल्गुन माह की पूर्णिमा तक मनाया जाता है।
होली का त्यौहार हमें प्रकृति से जोड़ता है।वही भगवान के प्रति हमारी आस्था और विश्वास को मजबूत करता है।यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं।और सारे आपसी भेदभाव भुलाकर एक दूसरे के गले मिलते हैं।गुजिया और मिठाइयों का आदान प्रदान किया जाता है। “बुरा ना मानो होली है।” कहते हुए लोग खूब मौज मस्ती कहते हैं।
होली के उपलक्ष्य पर हम भी कुछ कविताएं आप लोगों के लिए लेकर आए हैं।
होली की कविताएं
देखो ब्रिज में फिर से होली आई , राधा संग होली खेल रहे कन्हाई।
ले अबीर गुलाल संग रुकमणी के , गोपियों की टोली आई।
देखो ब्रिज में फिर से होली आई।
मस्ती में झूम रही हैं गैय्या , मस्ती में झूम रहे हैं ग्वाले बाले।
रूप धरकर कई , सबके संग रास रचा रहे हैं कन्हाई ।
देखो ब्रिज में फिर से होली आई।
खेलने को होली , धरती ने भी किया है फिर से श्रृंगार।
फूल खिलाकर आंचल में अपने , उसने ले ली हैं अंगड़ाई।
देखो ब्रिज में फिर से होली आई।
बृज की हवाओं में भी छाई है , आज अजब सी मदहोशी।
सबको अपने प्रेम रंग में , रंग रहे हैं कन्हाई।
देखो ब्रिज में फिर से होली आई ।
फाल्गुन का महीना आया , होली का त्यौहार भी संग अपने लाया।
सबके चेहरे पर छाई है खुशगवारी , क्या नर क्या नारी।
देखो ब्रिज में फिर से होली आई।
Happy Holi
बाग बगीचे फिर महकने लगे हैं , फूलों की खुशबू से।
आम के पेड़ फिर लदने लगे हैं , बौरों और भौरों से।
धरती फिर सजने लगी है , धानी चुनर ओढ़ के।
मन फिर खिलने लगा है , होली के आने से।
ठंडी बयार फिर बहने लगी है , फाल्गुन के आने से।
मस्तानी होकर कोयल फिर गाने लगी है , पेड़ों की डाली से।
शिशिर ऋतु जाने को है , ग्रीष्म ऋतु के आने से।
दिल फिर बहकने लगा है , होली के आने से।
रसोईयाँ फिर महक उठी है , भीनी भीनी खुशबू से।
भर गए हैं थाल , गुजिया पापड़ और मिठाइयों से।
सज गयी हैं गिलासें , शरबत और ठंडाई से।
मदहोशी फिर छाने लगी है , होली के आने से।
हर गली हर मोहल्ले में रौनक है , हुलियारों से।
प्रकृति भी गुंजायमान है , ढोल मंजीरों की आवाजों से।
हर कोई रंगीन हुआ जाता है , बच्चों की पिचकारी से।
हवा में फिर घुला गया है रंग , होली के आने से।
Happy Holi
आई होली तो मन , फूल सा खिल गया।
एक बार दिल फिर , बसंत सा हो गया।
देख टेसू डाली डाली पर , सकल जहान मनभावन हो गया।
आने से ऋतु बसंत की , सतरंगी धरती का दामन हो गया।
Happy Holi
फिर आया है फागुन झूम कर , बसंत ऋतु के साथ।
तन मन दोनों खिल उठे हैं , ले अबीर गुजिया दोनों हाथ।
Happy Holi
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
फाल्गुन का मास ही रंग रंगीला है।
चली ठंडी ठंडी मस्त पवन पुरवाई है।
धरती ने फिर धानी चुनर लहराई है।.
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
मधुर गीतों से घर-घर गूंजा है।
हवा में घुला रंग लाल पीला हैं।
गिले-शिकवे भूलकर मिलन की बारी आई है।
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
आज हमने मिलकर होलिका जलाई है।
एक बार फिर सच ने झूठ पर विजय पाई है।
आस्था का रंग फिर से भारी है।
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
ब्रज में कान्हा ने रास लीला रचाई है।
राधा संग गोपिया मतवारी हैं।
बरसाने में भी गजब की मस्ती छाई है।
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
खेतों में सरसों फिर से लहराई है।
टेसू के फूलों की खुशबू हर जगह छाई है।
मन ने फिर पिया मिलन की आस जगाई है।
होली आई है .. आई है .. होली आई है।
Happy Holi
खुबसूरत सी इस दुनिया में , रंग रंगीला त्यौहार हैं होली।
भूल सारे गम फागुन की मस्ती में , डूब जाने का त्यौहार है होली।
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