Paragraph Writing , Definition And Examples Of Paragraph Writing , अनुच्छेद-लेखन क्या हैं , अनुच्छेद-लेखन की परिभाषा , विशेषता , महत्व उदाहरण सहित
Paragraph Writing
Anuchchhed Lekhan
अनुच्छेद लेखन
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Paragraph Writing : अनुच्छेद लेखन किसी विषय का संक्षेप किन्तु स्पष्ट वर्णन करना अनुच्छेद लेखन कहलाता है। अनुच्छेद में एक ही विषय को संक्षिप्त रूप में लिखा जाता है। विषय से परे अनुच्छेद में कुछ भी नहीं लिखा जाता है।
अनुच्छेद अपने आप में एक स्वतन्त्र और पूर्ण रचना है। इसे निबंध का छोटा रूप मान सकते हैं या इसे लघु निबंध भी कहा जा सकता है। अंग्रेजी में इसे Paragraph Writing कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में किसी विषय या दृश्य या घटना पर अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और छोटे-छोटे वाक्यों के समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।
अनुच्छेद लेखन में विषय से संबंधित चीजों का वर्णन बिलकुल सटीक , संतुलित तथा पूर्ण होना चाहिए। अनुच्छेद लेखन में विषय को अनावश्यक विस्तार नही देना चाहिए। अनुच्छेद लेखन में विषय से संबंधित व विषय के सकारात्मक पक्ष को ही लिखना चाहिए। इसमें सभी वाक्य एक-दूसरे से जुड़े होने चाहिए ।
अनुच्छेद लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
- अनुच्छेद लेखन में संकेत-बिंदु या रूपरेखा अवश्य बनानी चाहिए।
- विषय से बाहर कुछ भी नहीं लिखना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन में अनावश्यक विस्तार से बचें।
- संकेत बिंदुों को ध्यान में रख कर ही लिखना चाहिए।
- अनुच्छेद लिखने की भाषा शैली सरल , सहज , सजीव , प्रभावशाली व पठनीय होनी चाहिए।
- छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग बहुत अच्छा होता है।
- विराम चिन्ह , कोमा आदि का ध्यान रखना चाहिए।
- शब्द सीमा 100 से 120 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करें।
- अनुच्छेद-लेखन में विषय से संबंधित विचारों को क्रमवार तरीके से रखा जाता है। ताकि उसे पूर्णता दी जा सके। विषय से हट कर किसी भी बात का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन में मुख्य विचार अन्त में अवश्य लिखा जाता है।
- अनुच्छेद लेखन में कहावतें , मुहावरों , सूक्ति , कवितायें आदि का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- कुछ अंग्रेजी शब्दों जैसे इंटरनेट , टेलीविजन , कंप्यूटर , फोन आदि का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
अनुच्छेद लेखन के उदाहरण
(Examples Of Paragraph Writing )
उदाहरण 1.
स्कूल में वार्षिकोत्सव
रुपरेखा –
हर्षोल्लास का विषय , वार्षिकोत्सव की तैयारियां , छात्रों को प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर।
यूं तो हर स्कूल में समय-समय पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लेकिन वार्षिकोत्सव का इंतजार तो शायद हर बच्चे को रहता है। विद्यालय में वार्षिकोत्सव सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत ही हर्षोल्लास का दिन होता है।
वार्षिकोत्सव का दिन लगभग सभी स्कूलों में निश्चित रहता है। और सभी स्कूलों में वार्षिकोत्सव को बड़े ही धूमधाम व भव्य तरीके से मनाया जाता है। इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। शिक्षक और छात्र -छात्राएं इस आयोजन को सफल बनाने में जुट जाते हैं। कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जाती है।
इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों , प्रदर्शनी , खेलकूद प्रतियोगिताओं के आयोजन की तैयारियां भी की जाती हैं। वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि सहित सभी मेहमानों को निमंत्रण भेजे जाते हैं। प्रतिभावान छात्रों को इस दिन पुरस्कृत भी किया जाता है। वार्षिकोत्सव जैसे कार्यक्रम छात्रों के प्रतिभा के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होते है।
उदाहरण 2 .
यदि परीक्षा ना होती तो। ……
रुपरेखा
परीक्षाएं ना होने पर आनंद ही आनंद , परीक्षा विद्यार्थियों के ज्ञान की सूचक नहीं , अभिभावकों को राहत , परीक्षा से बचना असंभव।
परीक्षाएं विद्यार्थीयों की नाक में दम कर देती हैं। साल भर चलने वाली परीक्षाओं कभी यूनिट टेस्ट , कभी छमाई और कभी वार्षिक परीक्षाएं , छात्रों को चैन से जीने नहीं देती। कितना अच्छा होता यदि परीक्षा ही ना होती।
हम छात्रों के सिर पर किसी भी परीक्षा का बोझ ना होता तो , हमारे जीवन में आनंद ही आनंद होता। परीक्षाओं को व्यर्थ में ही इतना अधिक महत्व दिया जाता है। क्योंकि साल भर की पढ़ाई का मूल्यांकन दो-तीन घंटे के एक पेपर से कैसे हो सकता है। परीक्षा को विद्यार्थियों के ज्ञान की सूचक तो कतई नहीं माना जा सकता हैं।
बच्चों की पढ़ाई के पीछे मां बाप की नींद ,चैन सब हराम हो जाती है।वो अपनी मेहनत की सारी कमाई ट्यूशन , कोचिंग आदि में खर्च कर डालते हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था में छात्रों का मूल्यांकन उसकी प्रतिभा के आधार पर नहीं बल्कि परीक्षा में मिले नंबरों के आधार पर ही किया जाता है। इसीलिए परीक्षाओं से बचना तो असंभव लगता है।
उदाहरण 3 .
यदि मैं डॉक्टर होता। …..
रुपरेखा –
रोगियों का उचित इलाज , पैसा लक्ष्य नहीं , गांव में सेवा कार्य , शिविरों का आयोजन , जनसेवा का भाव।
हमारे जीवन में डॉक्टरों का बहुत बड़ा महत्व है। डॉक्टर हमारे समाज का सबसे बड़ा सेवक व भगवान का दूसरा रूप माना जाता है।यदि मैं डॉक्टर होता तो , सबसे पहले अपना अस्पताल दूर दूरदराज के किसी गांव में खोलता , जहां पर कोई भी डॉक्टर रोगियों का इलाज करने नहीं पहुंच पाता हैं।
मैं रोगियों का अच्छे से अच्छा इलाज करने की कोशिश करता ।बाजार में आने वाली नई नई दवाएं और उपकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त करता रहता। ताकि मैं भी अपने रोगियों को बेहतर सेवा दे सकूं। सभी रोगियों का इलाज अपने ज्ञान , अनुभव और कुशलता के बल पर करता।
हर महीने अलग-अलग गांवों में मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाता। जब मरीज हमारे शिविरों से भले चंगे हो कर अपने घर जाते तो , मुझे अपार खुशी होती और मेरा डॉक्टरी की पढ़ाई सफल हो जाती।
Examples Of Paragraph Writing
उदाहरण 4 .
अगर मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता। …..
रुपरेखा
पढ़ाई की उचित व्यवस्था , बच्चों को प्रोत्साहन , प्रधानाचार्य के रूप में एक आदर्श स्थापित करना।
अगर मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता तो , अपने स्कूल को शहर का सबसे अच्छा स्कूल बनाने की कोशिश करता। विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान देने के लिए मैं कुशल , विद्वान व मेहनती अध्यापकों की नियुक्ति करता। मैं मानता हूं कि पुस्तकें विद्यार्थियों के जीवन में प्रेरणा स्रोत बन सकती हैं।
इसीलिए पुस्तकालय में बच्चों की आवश्यकता के हिसाब से सभी पत्र पत्रिकाएं , किताबें रखवाता। स्कूल में मुख्य विषयों के अलावा संगीत , चित्रकला , खेल आदि में भी विशेष ध्यान देता । ताकि विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास हो सके।
मैं अपने विद्यालय पर समय समय पर प्रतियोगिताओं जैसे वाद विवाद , निबंध , भाषण , नृत्य , कवि सम्मेलन का भी आयोजन करता। ताकि बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता। हर विद्यार्थी के अंदर अनुशासन , दयालुता , उदारता , दूसरे की मदद करने की भावना का विकास करता ताकि वो देश के अच्छे नागरिक बन सकें।
उदाहरण 5.
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
रूपरेखा
निरंतर अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र , निरंतर अभ्यास करने से ही जीवन में पूर्णता पाई जा सकती है , हर क्षेत्र में अभ्यास का महत्व।
निरंतर अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र हैं। प्राचीन काल से ही मनुष्य ने सतत परिश्रम व अभ्यास करके ही अपने विकास का मार्ग प्रशस्त किया हैं। महाकवि कालिदास से कौन परिचित नहीं है। बचपन में उन्हें लोग महामूर्ख कह कर पुकारते थे।
आज भी किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए कालिदास शब्द का प्रयोग किया जाता है। लेकिन आज कालिदास अपने लगातार अभ्यास के कारण ही भारत ही नहीं वरन दुनिया के महान विद्वानों में से एक गिने जाते हैं।
मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु है। इसीलिए वह हर रोज नयी नयी चीजों की खोज करता रहता है। लेकिन वह एक दिन में सफल नहीं होता हैं।इसके लिए मनुष्य को हर रोज प्रयत्न करना पड़ता है।आपने देखा होगा कि खिलाड़ी , नृत्य व संगीत , शिक्षा , व्यापार आदि से जुड़े लोग हर रोज अभ्यास करते हैं ताकि वो अपने क्षेत्र विशेष में प्रवीण हो सकें।
यानि सरल शब्दों में कहें तो लगातार प्रयास व अभ्यास से एक महामूर्ख व्यक्ति भी एक समय बाद किसी क्षेत्र विशेष में प्रवीण हो जाता है। इसीलिए कहा गया है कि करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
Examples Of Paragraph Writing
उदाहरण 6.
सत्संगति का प्रभाव
रूपरेखा
सत्संगति का अर्थ , सत्संगति ले से लाभ , विद्यार्थी जीवन में सत्संगति का महत्व।
सत्संगति का अर्थ है अच्छी संगति यानी ऐसे व्यक्ति जो आचार व्यवहार से विनम्र , चरित्र से साफ सुथरे , सत्य वचन व परहित करने वाले होते हैं। ऐसे लोगों की संगति में रहना या साथ रहने को सत्संगति कहा जाता है। संगति अच्छी हो या बुरी दोनों ही मनुष्य के जीवन में गहरा प्रभाव डालती है। और हर व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के साथ की आवश्यकता अवश्य होती है।
अगर हम अच्छे लोगों के संपर्क में रहते हैं तो हम अच्छी बातों व आदतों को ग्रहण करते हैं। सत्संगति से हमारे दिल में सच्चाई , उदारता व परोपकार की भावना और वाणी में मधुरता आती है। सत्संगति मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। और अच्छे लोगों की संगत में रहने से व्यक्ति अपने सभी बुरे कर्म को छोड़ देता है।
हर व्यक्ति का विद्यार्थी जीवन उसके संपूर्ण जीवन की आधारशिला होती है। इसीलिए छात्रों को इस वक्त अच्छी संगति में रहना चाहिए। अच्छे सहपाठियों के साथ रहने से उनके अंदर सद्गुणों का विकास होगा , जिससे वो भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक व सफल व्यक्ति बन सकेंगें।
उदाहरण 7.
प्रकृति और इंसान
रुपरेखा
प्रकृति ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना , प्रकृति पर मानव की निर्भरता , प्राकृतिक असंतुलन।
प्रकृति ईश्वर की बनाई हुई सर्वश्रेष्ठ रचना है जिससे ईश्वर अपने सर्वश्रेष्ठ कलाकार होने का एहसास हमें हर वक्त कराता रहता है। इंसान ने भले ही कितनी नई चीजों का आविष्कार व निर्माण कर दिया हो ।लेकिन वह ईश्वर की बनाई इस रचना की बराबरी तो कभी कर ही नहीं सकता। इंसान तो उस दाता की बनायी हुई कलाकृतियों की नकल भर करता है।
विशाल महासागर , झर झर बहते झरने , खूबसूरती व सुगंध बिखेरते फूल , सूर्योदय व सूर्यास्त का मनभावन दृश्य , काली रात में चमकते सितारे अपने आप एक अद्भुत छटा ही बिखेर देते हैं। यह पूरी प्रकृति उस दाता ने हम इंसानों को उपहार में दी है जो हर वक्त हमारी सहायता करने के लिए तत्पर रहती हैं। हमारी सभी मूलभूत आवश्यकताओं को बिना किसी स्वार्थ के पूरा करती हैं।
प्रकृति ने इस धरती में रहने वाले हर प्राणी को मां बनकर पाला।लेकिन हम इस कदर स्वार्थी हो गए कि, हम उसके परोपकार को भूल कर उसे ही उजाड़ने में तुले हुए हैं। जिस कारण इस धरती में पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ गया है।
वैसे तो प्रकृति हर वक्त हमारे द्वारा किए गए अत्याचारों को चुपचाप सहती है। लेकिन कभी-कभी वह अपना गुस्सा बाढ़ , भूकंप , अकाल के रूप में दिखा देती है। अगर हमें उसके गुस्से से बचना है हमें इसे बचाना ही होगा , फिर से पेड़ों को लगाकर इस धरती को हरा-भरा करना ही होगा।
उदाहरण 8 .
पर्यावरण और हम
रुपरेखा
पर्यावरण क्या हैं , पर्यावरणीय असंतुलन का कारण , पर्यावरण की सुरक्षा
परि + आवरण = पर्यावरण , यानि हमारे चारों ओर के वो सभी जैविक और अजैविक तत्व जिनसे मिलकर यह धरती बनी है।जैसे जीव-जंतु , पेड़-पौधे ,कीड़े पतंग , परिंदे , पशु , पर्वत ,पहाड़ , नदी , झरने , हवा आदि । ये सब हमारे पर्यावरण में अपनी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।और ये इंसान को अनेक चीजें निरन्तर , बिना स्वार्थ के ही प्रदान करते हैं।
बदले में हमने अपने क्रियाकलापों से अपने पर्यावरण को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है।जिससे पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया हैं।
पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा इंसान से ही है।क्योंकि विकास की अंधी दौड़ , रोज रोज बनते कंक्रीट के जंगल (मकान , नवनिर्मित शहर) , अंधाधुंध पेड़ों की कटाई , कम होते खेत खलियान , बढ़ता प्रदूषण , उद्योग धंधे , कल कारखानों व फैक्ट्रियों से निकलता हुआ जहरीला धुआं ,प्लास्टिक व उससे बने हुए सामान आदि पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं
पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से आज हमें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऋतु चक्र में आए परिवर्तन तथा अनेक असाध्य रोगों का जन्म और न जाने कितनी ही समस्याओं पर्यावरणीय असंतुलन का ही नतीजा है।
पर्यावरण की सुरक्षा हमारी अपनी ही सुरक्षा हैं।इसीलिए अँधाधुंध पेड़ों की कटाई करने से बचना होगा , नए पौधों को रोपित कर उनकी देखभाल करनी होगी ।प्लास्टिक से बनी चीजें का उपयोग कम से कम करना , बिजली और पानी को बचाना अति आवश्यक है।
रासायनिक खादों का प्रयोग कम करना व विलुप्त होते पेड़-पौधे , जीव-जंतु , कीट पतंगों व परिंदों की प्रजातियों को संरक्षित करना होगा। तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकता हैं।
उदाहरण 9 .
कोरोना एक महामारी
रुपरेखा
कोरोना वायरस , कोरोना के लक्षण , कोरोना से बचाव
कोरोना को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक महामारी घोषित किया।आज कोई भी देश कोरोना के प्रभाव से अछूता नहीं हैं।इस बीमारी की शुरुवात दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई । इसीलिए इसे COVID-19 (यानि Corona Virus Disease -19 ) का नाम दिया गया हैं ।
वायरस का आकार मानव के बाल से भी लगभग 900 गुना छोटा हैं। लेकिन इसका प्रभाव बड़ा ही शक्तिशाली है।कोरोना का संक्रमण मानव के जरिये मानव को होता हैं इसीलिए ये तेजी से दुनियाभर के लोगों में फ़ैल रहा है।
कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए एक नया नवेला वायरस हैं। इसके संक्रमण के शुरुवात में जुकाम , खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है।यह वायरस इंसान के फेफड़ों में सीधा असर करता है।इस बीमारी से बचने के लिए अभी दुनिया में किसी के पास कोई टीका , दवा या वैक्सीन नहीं है।इसीलिए इस बीमारी में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
अगर आप संक्रमित लोगों के आसपास ना जाए , भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें , समारोहों या सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखें , तो आप इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
उदाहरण 10 .
कोरोना में लॉकडाउन
रुपरेखा
लॉकडाउन क्या है , लॉकडाउन की जरूरत , लॉकडाउन से लाभ।
कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से हो रहा है।कोई दवा या वैक्सीन ना होने के कारण इस वायरस से बचाव का तरीका सिर्फ सोशल डिस्टेंसिग यानी सामाजिक दूरी ही माना गया । इसीलिए मानव जाति को बचाने के लिए भारत (25 मार्च 2020 ) सहित दुनिया के कई देशों ने संपूर्ण लॉकडाउन यानी पूर्ण तालाबंदी की घोषणा की।लॉकडाउन व्यवस्था को किसी भी देश में भयंकर आपदा या महामारी के वक्त लागू किया जाता हैं। ताकि लोगों की जान बचायी जा सके।
लॉकडाउन में बाजार , शॉपिंग मॉल , स्कूल , कॉलेज , दफ्तर , सार्वजनिक स्थान , सभी धार्मिक स्थल , शादी-ब्याह जैसे सार्वजनिक कार्यक्रम सभी को बंद कर दिया जाता हैं। सिर्फ आवश्यक सेवाओं जैसे दूध , सब्जी , अनाज और दवाइयों की दुकानों को ही खोला जाता हैं । ताकि लोगों की मूलभूत आवश्यकतायें पूरी हो सके।
लॉकडाउन अपनाने का मुख्य कारण लोगों का एक दूसरे से मिलना जुलना या बाहर आना जाना कम हो सके। बाजारों , शॉपिंग मॉलों , सामाजिक कार्यक्रमों , सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ इकट्ठा ना हो , लोग अपने घरों में रहे। जिससे वो सुरक्षित रह सके। और कोरोना के संक्रमण के खतरे से बचें रहें।और इस लॉकडाउन का फायदा प्रकृति व इंसान दोनों को मिला।
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