Pani ki Kahani Class 8 Summary ,
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Pani ki Kahani Class 8 Summary
पानी की कहानी कक्षा 8
Note –
“पानी की कहानी ” पाठ के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें । YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
“पानी की कहानी” पाठ के लेखक रामचंद्र तिवारी हैं। लेखक ने पानी की बूंद का मानवीकरण किया है। पानी की बूंद के जन्म से लेकर उसके पूरे जीवन चक्र की कहानी लेखक इस पाठ के माध्यम से हमें समझाते हैं।
लेखक कहते हैं कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनी ये छोटी सी पानी की बूँद अपने जीवन में कितना लम्बा सफर तय करती हैं। सबसे पहले अत्यधिक गर्मी के कारण समुद्र से भाप बनकर उड़ जाती है फिर ठंडा होने पर बादलों का रूप ले लेती है। और अत्यधिक घने काले बादल बरस कर दोबारा से पानी के रूप में धरती पर आ जाते हैं।
फिर कुछ पानी मनुष्य , पेड़ पौधों तथा अन्य जीव जंतुओं दवारा उपयोग किया जाता है तो कुछ पानी नदी , नालों में बह कर फिर से समुद्र में जा मिलता है। और इस तरह पानी का जीवन चक्र अविरल चलता ही रहता है। बस यही बात लेखक इस पाठ के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं।
पानी की कहानी पाठ का सारांश
Pani ki Kahani Class 8 Summary
कहानी की शुरुआत में लेखक ने बताया हैं कि बेर की झाड़ी से मोती-सी चमकती पानी की एक बूँद उनके हाथ में आ गई और उनकी दृष्टि उस बूँद पर पड़ते ही वह रुक गई। लेखक कहते हैं कि थोड़ी देर बाद उनकी हथेली से सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी । ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि पानी की वह बूँद दो भागों में बँट गई हैं और अब वो दोनों ही हिल – हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रही हैं। लेखक को ऐसा लगा मानो जैसे वो बोल रही हों।
लेखक ने यहां पर पानी की बूंदों का मानवीकरण किया है। उसके बाद लेखक उन बूंदों से बातें करने लगते हैं। ओस की बूँद अपने बारे में बताती है कि वह लेखक की हथेली पर बेर के पेड़ से आई है। वह लेखक को यह भी बताती हैं कि बेर के पेड़ की जड़ों के रोएँ उस जैसी असंख्य छोटी-छोटी बूंदों को धरती से खींच लेते हैं और फिर उनका उपयोग कर उन्हें बाहर फेंक देते हैं।
पानी की बूंद बेर के पेड़ से अत्यधिक नाराज थी। वह कहती हैं कि इस पेड़ को इतना बड़ा करने के लिए मेरी जैसी असंख्य बूंदों ने अपनी कुर्बानी दी हैं। लेखक उसकी बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे ।
उसके बाद बूँद , बेर के पेड़ की जड़ों द्वारा पानी को खींचा जाना और उनका प्रयोग अपना खाना बनाने के लिए करना और अंत में पेड़ के पत्तों के छोटे-छोटे छिद्रों से बाहर निकल आने की अपनी कहानी लेखक को बताती हैं। और साथ में यह भी बताती है कि सूरज के ढल जाने के कारण अब वह भाप बनकर उड़ नहीं सकती। इसीलिए वह सूरज के आने का इंतजार कर रही है।
लेखक उसे आशवासन देते हैं कि अब वह उनकी हथेली पर बिल्कुल सुरक्षित हैं। इसके बाद पानी की वह छोटी सी बूँद लेखक को अपनी उत्पत्ति की कहानी बताती हैं।
बूँद कहती हैं कि जब हमारे पूरे ब्रह्मांड में उथल-पुथल हो रही थी। अनेक नये ग्रह और उपग्रह बन रहे थे यानि ब्रह्मांड की रचना हो रही थी , तब मेरे दो पूर्वज हद्रजन (हाइट्रोजन और ऑक्सीजन गैस) सूर्यमंडल में आग के रूप में मौजूद थे।और सूर्यमंडल लगातार अपने निश्चित मार्ग पर चक्कर काटता रहता था।
लेकिन एक दिन अचानक ब्रह्मांड में ही बहुत दूर , सूर्य से लाखों गुना बड़ा एक प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। यह पिंड बड़ी तेज़ी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। उसकी आकर्षण शक्ति से हमारा सूर्य भी काँप रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह सूर्य से टकरा जाएगा।
मगर वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही दूसरी दिशा की ओर निकल गया । परंतु उसकी भीषण आकषर्ण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर कई छोटे टुकड़ों में बंट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।
लेखक ने बूँद से प्रश्न किया कि अगर पृथ्वी आग का गोला थी तो , तुम पानी कैसे बनी ? बूँद ने जबाब दिया । अरबों वर्षों में धीरे-धीरे पृथ्वी ठंडी होती चली गई और मेरे पूर्वजों ने आपस में रासायनिक क्रिया कर मुझे पैदा किया।
पैदा होते समय मैं भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती थी। फिर धीरे धीरे ठोस ब़र्फ में बदल गई । फिर लाखों वर्षों बाद सूर्य की किरणें पड़ने और गर्म जल धारा से मिलने के कारण मैं पानी में परिवर्तित समुद्र में पहुंच गई।
बूँद कहती हैं कि नमक से भरे समुद्र में बहुत ही अनोखा नजारा था।वहाँ एक से एक अनोखे जीव भरे पड़े थे। जैसे रेंगने वाले घोंघे , जालीदार मछलियाँ , कई-कई मन भारी कछुवे और हाथों वाली मछलियाँ आदि।और समुद्र की अधिक गहराई में जगंल , छोटे ठिंगने व मोटे पत्ते वाले पेड़ भी उगे थे। वहाँ पर पहाडिय़ाँ , गुफायें और घाटियाँ भी थी। जहाँ आलसी और अँधे अनेक जीव रहते थे।
बूँद लेखक को आगे बताती है कि समुद्र के अन्दर से बाहर आना भी आसान काम नहीं था। उसने समुद्र से बाहर आने के लिए कई कोशिशें की। कभी चट्टानों में घुसकर बाहर निकलने की कोशिश की तो , कभी धरती के अंदर ही अंदर किसी सुरक्षित जगह से बाहर निकलने की कोशिश। ऐसी तमाम कोशिशों के बाद अंततः ज्वालामुखी के निकट पहुंच गई।
ज्वालामुखी की गर्मी के कारण वह फिर से भाप में परिवर्तित हो आसमान में उड़ चली। फिर बादल रूप में परिवर्तित होकर दोबारा बरस कर जमीन में आ गिरी। जमीन में आने के पश्चात नदी के रूप में बहने लगी। तभी एक नगर के पास एक नल द्वारा उसे खींच लिया गया।
महीनों तक नलों में धूमने के बाद एक दिन नल के टूटे हिस्से से बाहर निकल आयी और बेर के पेड़ के पास अटक गयी। अब सुबह होने तक का इंतजार कर रही है ताकि वह दोबारा भाप बन सके। और सूर्योदय होते ही ओस की बूँद धीरे-धीरे घटी और देखते-देखते ही लेखक की हथेली से गायब हो गई।
पानी की कहानी कक्षा 8 के प्रश्न उत्तर
Pani ki Kahani Class 8 Question Answers
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1.
लेखक को ओंस की बूँद कहाँ मिली ?
उत्तर –
ओंस की बूँद सुबह काम पर जाते समय बेर के पेड़ से लेखक की हथेली पर आ गिरी।
प्रश्न 2.
ओंस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?
उत्तर-
ओंस की बूँद बेर के पेड़ से बहुत नाराज थी। वह लेखक को बताती हैं कि सभी पेड़ों की जड़ों के रोएँ बहुत निर्दयी होते हैं। वे जबरदस्ती उनको पृथ्वी से खींच लेते हैं फिर उनका पूरा उपयोग कर उनको बाहर फेंक देते है।
इस कारण कई बूँदें नष्ट हो जाती हैं और कुछ अपना रूप खो देती हैं। यह सब लेखक को बताते हुए ओंस की बून्द क्रोध और घृणा से काँप जाती हैं।
प्रश्न 3.
हाइट्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज / पुरखा क्यों कहा?
उत्तर-
अरबों वर्ष पहले “हाइड्रोजन” और “ऑक्सीजन’ की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप पानी की उत्पत्ति हुई थी। ओस की बून्द लेखक को कहती है कि मेरी उत्पत्ति की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ने अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व खो दिया है। इसीलिए वह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज/ पुरखा कहती है।
प्रश्न 4.
“पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?
उत्तर-
“पानी की कहानी” के आधार पर पानी का जन्म अरबों वर्ष पहले ‘हाइड्रोजन’ और ‘ऑक्सीजन’ की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप हुआ। और तब से लेकर आज तक पानी की जीवन यात्रा बहुत कठिन रही है।
उसने भाप के रूप में जन्म लिया। फिर लाखों वर्षों तक ठोस बर्फ का रूप धारण किया। सूर्य की गर्मी और गर्म जल धारा के सम्पर्क में आने पर अपना रूप बदला और तरल पानी का रूप ले लिया।
और फिर समुद्र में पहुंच गई। समुद्र में पहुंच कर समुद्र की विचित्र दुनिया का भरपूर मजा लिया। फिर उसके बाद समुद्र से बाहर निकलने की कोशिश शुरू कर दी है। अनेक कोशिशों के बाद ज्वालामुखी के संपर्क में आने से भाप बनकर फिर आसमान में पहुंच गई।
घने बादलों के साथ बरस कर पुनः धरती पर आ गई। धरती पर नदी के रूप में बहते हुए एक नल के अंदर पहुंच गई। सौभाग्य से नल एक जगह टूटा हुआ था तो , उस टूटे हुए नल से जैसे-तैसे बाहर आकर एक बेर के पेड़ पर अटक गई और फिर सूरज की रोशनी पाकर फिर से भाप में परिवर्तित होकर आसमान में वापस पहुंच गई।
प्रश्न 5.
कहानी के अंत और आरम्भ के हिस्से को स्वयं पढ़ कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?
उत्तर-
ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए सूर्य के निकलने की प्रतीक्षा कर रही थी ताकि वह सूर्य की गर्मी से पुन: भाप में परिवर्तित होकर वापस आसमान में पहुंच जाये।
Pani ki Kahani Class 8
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