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नर्सरी एक्ट , उत्तराखंड
Nursery Act ,Uttarakhand
उत्तराखंड राज्य नर्सरी एक्ट लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया हैं।इस नर्सरी एक्ट के तहत अब नर्सरी संचालक किसी भी ग्राहक को घटिया किस्म के पौधे नहीं बेच सकेंगे।अगर उन्होंने ऐसा किया था तो उद्यान विभाग उन पर 50 हजार रूपये तक का जुर्माना लगा सकता हैं। या उन्हें छह माह की जेल भी हो सकती हैं।
अप्रैल 2020 में देहरादून में कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें नर्सरी एक्ट के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी। और मई 2020 में कैबिनेट की दूसरी बैठक में राज्य में नर्सरी एक्ट लागू करने की मंजूरी दे दी गई।
इसके साथ ही अब उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश के नर्सरी एक्ट से भी छुटकारा मिल गया है। एक्ट में सभी सरकारी और निजी क्षेत्र की नर्सरियों को दायरे में लाया गया है। अभी तक उद्यान विभाग की नर्सरियां इससे बाहर थीं।
नर्सरी एक्ट को लागू करने की मंजूरी के बाद उद्यान निदेशालय की ओर से सभी जिला उद्यान कार्यालयों को नर्सरी एक्ट का शासनादेश भेज दिया गया है।
क्यों लागू किया गया उत्तराखंड में नर्सरी एक्ट
केंद्र व राज्य की सरकारों ने प्रदेशों के सभी किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसी लक्ष्य के तहत सरकार हर संभव प्रयास कर रही हैं कि किसानों की आय लगातार बढे। यह कदम भी इसी दिशा में उठाया गया हैं।
राज्य में सरकारी और निजी नर्सरी से किसान अनेक प्रकार के फलों के पौधे खरीदते रहते हैं।जिनमें सबसे ज्यादा सेब , अमरूद , नाशपाती , अखरोट , खुमानी , अनार , आड़ू के पौधे प्रमुख हैं। सर्दियों के मौसम में सेब के पौधे लगाए जाते हैं।
कई साल तक उन पौधों के ऊपर मेहनत की जाती हैं। उसके बाद जब पौधा फल देने लायक होता है। तो कई बार उन पौधों पर फल ही नहीं आते हैं। जिससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
इसीलिए राज्य के करीब 10 लाख किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में “उत्तराखंड फल पौधशाला विनियमन विधेयक (नर्सरी एक्ट)” को लागू कर दिया गया है।
नर्सरी एक्ट लगने के बाद किसान जिस भी नर्सरी से पौधे खरीदेंगे।वहाँ के नर्सरी मालिकों को उसकी उन्नत किस्म व गुणवत्ता की गारंटी उन्हें देनी होगी। इसके बाद भी अगर खरीदे गए पौधों पर फल नहीं लगते हैं तो इस एक्ट में नर्सरी मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।प्रदेश की सभी सरकारी और प्राइवेट नर्सरियों में तैयार होने वाले पौधों के लिए एक्ट में कड़े नियम बनाए गए हैं।
नर्सरी एक्ट के महत्वपूर्ण बिंदु
इसके लिए सरकारी व निजी क्षेत्र की सभी नर्सरियों को उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम यानी नर्सरी एक्ट के दायरे में लाया गया है।
- नर्सरियों को बढ़ावा देने के लिए मानकों को सरल किया गया हैं। अब पहाड़ में पांच नाली (एक हेक्टेयर) भूमि में भी नर्सरी स्थापित हो सकेगी।नर्सरी एक्ट के तहत नर्सरी खोलने के लिए दशमलव 0.20 हेक्टेयर भूमि होना जरूरी है।
- नर्सरी में फल के पौधों की प्रजाति में कोई दूसरी प्रजाति के पौधों का मिश्रण नहीं होना चाहिए।
- नर्सरी में पौधों पर अगर कीटाणु या अन्य हानिकारक पदार्थों से पौधे उगाए गए तो संबंधित नर्सरी मालिक के खिलाफ उद्यान अधिकारी करवाई कर सकते हैं।इसके साथ ही भारी जुर्माना भी लगा सकते हैं।
- इस एक्ट से किसानों को काफी हद तक बागवानी करने में फायदा होगा।
- बाहरी राज्यों से आने वाले पौधों की भी होगी जांच होगी।बाहरी राज्यों से आपूर्ति होने वाले फलदार पौधे की गुणवत्ता परखने और जांच के लिए एक्ट में कड़ा प्रावधान किया गया है।
- नर्सरी मालिकों को फलदार पौधों की गुणवत्ता की गारंटी ग्राहक को देनी होगी।
- पौधों के फल न देने पर भी नर्सरी मालिकों को छह माह की कैद , 50 हजार जुर्माना भी हो सकता हैं।
- प्रदेश में किसानों को घटिया फलदार पौधे बेचने में भी अब नर्सरी संचालकों को जेल जाना पड़ेगा।
- पौध तैयार करने , बिक्री , पैकिंग , पौधशाला प्रबंधन की जांच निरीक्षक अधिकारी समय समय पर करेंगे।
- हर साल संचालकों को नर्सरी का नवीनीकरण करवाना अनिवार्य होगा।
- इसके साथ ही पौधों के आयात-निर्यात , नई खोज का पेटेंट , उत्पादन , प्रबंधन समेत तमाम जानकारी का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा।
- इस एक्ट के तहत नर्सरी स्वामी से लेकर कार्मिकों तक सभी की हर स्तर पर जवाबदेही तय की गई है।एक्ट का पालन न करने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
नर्सरी एक्ट में नर्सरी खोलने के लिए अनिवार्य शर्त
उत्तराखंड नर्सरी एक्ट में जवाबदेही हर स्तर पर तय की गई है।नर्सरी में पौधा तैयार करने से लेकर वितरण तक। नर्सरी में तैयार होने वाली पौधों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी नर्सरी मालिक के साथ ही जिला उद्यान विभाग के कर्मचारी के हाथों में होगी।
नर्सरी बनाने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है।एक हेक्टेयर से अधिक की नर्सरी को पौधशाला प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र देना होगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में नर्सरी बनाने के लिए एक हेक्टेयर और मैदानी क्षेत्रों में दो हेक्टेयर निजी भूमि आवश्यक हैं या नर्सरी बनने वाली जमीन पर 30 वर्ष के लिए लीज पट्टा अनिवार्य है।
प्रदेश में कुल नर्सरी
वर्तमान में उत्तराखंड में कुल 243 नर्सरियां हैं ।जिनमें सरकारी क्षेत्र की 93 व निजी क्षेत्र की 150 से अधिक नर्सरियां है।अकेले उधम सिंह नगर जिले में 3 सरकारी और 16 निजी नर्सरी हैं।यह एक्ट सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह की नर्सरियां पर लगेगा।
नर्सरी एक्ट से फायदा (Benefits of Nursery Act Uttarakhand)
- किसानों की आय दोगुनी होगी ।
- अब किसानों को खराब गुणवत्ता के पौधे नहीं मिलेंगे।जिससे उन्हें किसी प्रकार की भी हानि होने की संभावनाएं कम हो जाएंगी और जिससे आर्थिक नुकसान भी कम उठाना पड़ेगा।
- नर्सरियां भी उत्तम गुणवत्ता के पौधे तैयार करेंगी।जिससे अच्छी गुणवत्ता के फल लोगों को मिल सकेंगे।
- नर्सरी एक्ट से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नर्सरी मालिकों की मनमानी से किसानों को निजात मिलेगी।
- उत्तराखंड राज्य का अब अपना नर्सरी एक्ट होगा।
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