Motivational Thoughts Hindi :बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें

बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें।Motivational Thoughts Hindi

बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें।

(Motivational Thoughts Hindi)

Motivational Thoughts Hindi , नीरजा मोहल्ले की एक सीधी साधी सुशील ,पढ़ाई-लिखाई में हमेशा अव्वल रहने वाली एक होनहार लड़की।अभी अभी तो उसने अपने जीवन के 18वे साल में प्रवेश किया।और कॉलेज जाना शुरू ही किया था।उसको पढ़ने लिखने का बहुत शौक था इसलिए वह पढ़ लिखकर आत्मनिर्भर बनना चाहती थी।तीन बहनों व दो भाइयों में सबसे बड़ी होने के कारण बारहवीं की परीक्षा देने के बाद से ही उस पर शादी का दबाव पडने लगा। मगर वह और आगे पढ़ना चाहती थी।

Motivational Thought Hindi

लेकिन मां-बाप उसकी शादी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते थे।इसीलिए उन्होंने उसकी शादी उसकी मर्जी के बगैर तय कर दी।नतीजन नीरजा ने शादी के दो दिन पहले ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने मुझे अंदर तक हिला दिया और यह पोस्ट लिखने को प्रेरित किया।आज मैं यह सोचने को विवश हूँ कि आखिर हम अपनी बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त क्यों नहीं रखते है ।

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यह तो सिर्फ एक नीरजा की कहानी है। हमारे समाज में ऐसी कई नीरजायें हैं।जो हर रोज घर परिवार व रिश्तेदारों की तरफ से शादी का दबाव झेलती हैं।और अंत में या तो शादी कर लेती हैं ,या आत्महत्या कर लेती हैं ,या घर से भाग जाती है।आखिर लड़कियों के ऊपर शादी का इतना दबाव क्यों बनाया जाता है कि वह इस तरह के कदम उठाने को मजबूर हो जाती है ?

माता -पिता पर समाज का दबाव (Motivational Thoughts Hindi)

“अरे आपकी बेटी तो काफी सयानी हो गई।अब आप इसकी शादी ब्याह के बारे में सोचना शुरु कर दीजिए।अगर अभी से आप सोचेंगे तो दो-तीन साल में शादी हो ही जाएगी।क्योंकि अच्छा घर परिवार ढूंढने में इतना टाइम तो लग ही जाता है “।

यह बात लगभग हर बेटी के मां बाप को बेटी के सोलह या सत्रह साल की उम्र के होने के बाद ही सुनने को मिल जाता है।तब शायद लड़की इंटरमीडिएट में ही होती है।और फिर मां-बाप को लड़की की मर्जी व उसके सपनों के बारे में सोचने के बजाय “लोग क्या कहेंगे” का डर सताने लगता है।नतीजन लड़का ढूंढना व लड़की पर शादी का दबाव बनाना शुरू हो जाता है।कुछ लोग तो लड़की से ह़ी पूछने लग जाते कि “अब शादी कब कर रही हो”।

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लड़की की शादी व दहेज माँ बाप की चिंता का कारण 

शायद हर लड़की को अपने जीवन में कम से कम एक बार तो इस सवाल का सामना करना ही पड़ता हैं।हमारे समाज में लड़की के पैदा होते ही मां बाप उसके विवाह से संबंधित योजनाओं को बनाने लग जाते हैं।कई बार तो लड़की के नामकरण के बाद से ही लड़की की शादी में होने वाले खर्चे का हिसाब किताब लगा कर उसके लिए पैसे जमा करने संबंधी योजनाओं को शुरू कर दिया जाता है।जैसे जैसे लड़की बड़ी होती जाती है।वैसे-वैसे मां बाप की चिंता भी बढ़ जाती है।

अभियान वर ढूंढने का (Motivational Thoughts Hindi)

कई माँयें तो अपने घरेलू बजट में से हर महीने कुछ पैसे बचाकर लड़कियों के लिए गहने आदि खरीदने लग जाती है।ताकि शादी के वक्त उन पर ज्यादा दबाव ना रहे।जैसे-जैसे लड़की अठारहवे साल (18) में प्रवेश करती है।घरवालों की चिंताएं शुरू हो जाती है।फिर शुरू हो जाता है अभियान लड़का ढूंढने का

सजना है मुझे जरा अपने लिए (Motivational thoughts in Hindi)

नातेदार,रिश्तेदार,बिरादरी से लेकर सारे आधुनिक हथियार जैसे सोशल मीडिया तक सब को खंगाला जाता है।बिना लड़की की मर्जी जाने कि वह क्या करना चाहती हैं ?किसी को भी यह जानने में कोई दिलचस्पी नहीं होती कि वह शादी करना भी चाहती है या नहीं  या आगे की पढ़ाई करना चाहती हैं।

बीस या इक्कीस (20-21) साल की होने पर तो रिश्तेदार,पड़ोसी सब मां-बाप को याद दिलाने लग जाते हैं कि अब उनकी लड़की बड़ी हो गई है।घरवालों से ज्यादा चिंता बाहर वालों को होने लगती हैं।हर वक्त लड़की के मां बाप को याद दिलाते रहते हैं कि आप बेटी के मां बाप हो।इसलिए आपको अपनी बेटी के लिए जल्दी से जल्दी लड़का ढूंढ कर उसके हाथ पीले कर देनी चाहिए।

उनका कहना होता है कि “आप समय पर उसकी शादी करोगे,समय पर दूसरे घर जाएगी और वहां की जिम्मेदारियों को समझेगी क्यूकि छोटी उम्र में एडजस्ट करना आसान होता हैं”। हर किसी के जुबान पर एक ही बात हो ती है कि जल्दी से बेटी की शादी करो और जिम्मेदारी से मुक्त हो जाओ।जैसे तो बेटी का कन्यादान ना करके पिंड दान ही करना हो

उस वक्त तो ऐसा लगता है कि मानो सारी जिम्मेदारी पड़ोसी या रिश्तेदार ही निभाने वाले हैं।यह तो हैं शहरों की बातें।गांव में तो हाल और भी बुरा हैं। वहां तो आज भी लड़कियों की शादी 16 या 17 साल की उम्र के तक कर दी जाती है।

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बढ़ती उम्र लड़की के लिए बन जाती है मुसीबत 

और अगर लड़की की उम्र कहीं 30-35 से ऊपर हो जाए तो फिर लोगों की जुबान पर तरह-तरह की किस्से कहानियां आने शुरू हो जाते हैं।और कई लोग तो यहां तक कहना शुरू कर देते हैं कि “अब तो गयी शादी की उम्र, अब क्या शादी होगी”।वैसे तो हमारे समाज में लड़कियों के मन में बचपन से यह बात टाल दी जाती है कि “चाहे वह कितना ही पढ़ लिख क्यों न ले ।मगर एक दिन तो उसको पराये घर जाना ही है”।

और लड़कियों को हमेशा इस बात का एहसास दिलाया जाता है कि मां बाप का घर उनका अपना घर नहीं है।वह तो उनके भाइयों का है।उनका घर तो पति का घर ही है। हमारे समाज में यह देखने को मिलता है कि अधिकतर लड़कियों की शादी 20 से 25 साल की उम्र में हो जाती है।हो सकता है कुछ लड़कियां अपनी मर्जी से शादी करती हो।लेकिन ज्यादातर लड़कियों पारिवारिक दबाव में आकर मां बाप के तय किए हुए जगह पर शादी करने को राजी हो जाती हैं।

सच बात तो यह है कि कई बार लड़की पर शादी का इतना दबाव होता है कि ,लड़की भी अपने सपनों को व अपने भविष्य को एक किनारे रख कर भाई, बहन और मां-बाप का हित देखकर अपनी मर्जी के बिना भी शादी करने को तैयार हो जाती हैं।

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हमारा संविधान क्या कहता है ?(Motivational Thoughts Hindi)

हमारे संविधान के अनुसार हमारे देश में लड़के की शादी के वक्त 21 व लड़की शादी के वक्त 18 वर्ष की उम्र होनी चाहिए।लेकिन क्या लड़की के लिए 18 वर्ष का समय पर्याप्त होता है शादी के लिए ।उस समय तो लड़की मुश्किल से 12वीं की कक्षाएं पास की रहती है। 18 साल की उम्र बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए तो ठीक है। लेकिन आधुनिक समय में क्या शादी की उम्र 18 वर्ष पर्याप्त हैं ?वह भी तब जब लड़कियों पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं।

लड़कों की तरह ही लड़कियों को भी मौका दें  

गजब की बात यह है कि हमारे समाज में लड़कों के ऊपर शादी ब्याह का कोई खास दबाव नहीं रहता है।भले ही उनकी उम्र 40 के पार भी हो जाए।उनके लिए तो कहा जाता हैं कि “लड़कों की कोई उम्र नहीं होती हैं शादी की ,जल्दी क्या हैं हो जाएगी “।लड़कों को हर तरह की आजादी है। और सब कुछ उनकी पसंद-नापसंद पर निर्भर करता है।लड़कों को अपनी पढ़ाई लिखाई करने, कैरियर में सेटल होने के लिए पूरे मौके दिए जाते हैं।

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हमारा संविधान क्या कहता है ?

अधिकतर लड़के अच्छी तरह से सेटल होने के बाद ही शादी के बारे में सोचते हैं। पर लड़कियों के लिए यह नियम नहीं है। वैसे भी हमारे देश में लड़कों व लड़कियों का पालन पोषण बचपन से ही अलग अलग तरीके से किया जाता हैं ।हम कितना भी पढ़ लिख जाय या अपने आप को कितना भी आधुनिक क्यों ना कहें। इस मुद्दे पर आज भी हमारी सोच वह़ी दादी और परदादी वाली ही हैं।

हमें क्यों भूल जाते हैं कि चाहे लड़का हो या लड़की, यह जीवन सबको सिर्फ एक बार ह़ी मिलता है ।और उम्र गुजर जाने के बाद कुछ काम दोबारा नहीं किए जा सकते हैं।लड़का हो या लड़की हर किसी को जीवन में समान मौके मिलने चाहिए। उनको जीवन में क्या करना है,क्या नहीं करना है। इस चीज की पूर्ण आजादी मिलनी चाहिए। हम लड़कियों की शादी, उनको एक जिम्मेदारी समझकर पूरी करते हैं अपनी बेटी समझकर उनको जीवन जीने के मौके कब देंगे ?

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अपनी बेटी के फैसले में उसके साथ खड़े रहें (Motivational Thoughts Hindi)

अब समय बहुत बदल चुका है इसीलिए हमें भी अपने विचारों में अपनी बेटियों के लिए थोड़ा परिवर्तन लाना अति आवश्यक है।बजाए बेटियों में शादी का दबाव डालने के, हमें उनको पढ़ने लिखने व आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उसकी मर्जी का सम्मान किया जाना चाहिए।उसे अपने जीवन के लिए फैसले लेने की आजादी देनी चाहिए कि वह जीवन में क्या करना चाहती हैं।शादी का दबाव डालने के बजाय शादी के बारे में उसके विचारों को अवश्य सुनना चाहिए।बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें।

शादी व भावी जीवन साथी से संबंधित उसके विचारों को ध्यान से सुन कर उस में सहमति और असहमति प्रकट की जा सकती हैं ।उसे यह फैसला लेने दे कि वह शादी कब और किससे करना चाहती हैं। अगर वह निर्णय लेने में कुछ गलत करती हैं तो आप उसे समझा-बुझाकर उसे सलाह दे सकते हैं।

अगर कोई बेटी पढ़ लिखकर शादी से पहले आत्मनिर्भर बनना चाहती है तो हमें उसके इस फैसले का स्वागत कर उसको सहयोग करना चाहिए। रही बात आस पड़ोस, रिश्तेदारों की जो हर वक्त दिखावटी चिंता में व्यस्त रहते हैं तो उनके मुंह भी बंद हो जाएंगे अगर आप अपनी बेटी के फैसले में उसके साथ खड़े रहेंगे तो।

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शिक्षा ह़ी सबसे बड़ी संपत्ति (Motivational Thoughts Hindi)

इस तरह की शादियां जो पारिवारिक दबाव में आकर की जाती हैं। उन शादीयों में अक्सर महिलाएं असंतुष्ट रहती हैं।अगर शादी के बाद भी उनको अपने शौक को पूरा करने का अवसर नहीं मिलता तो वह तनाव में रहने लगती हैं ।जिससे खुद तो वह तनाव में रहती है पूरा घर भी अस्त व्यस्त रहता है।और कई बार तो ऐसे हालात भी आते हैं कि शादियां टूटने के कगार में पहुंच जाती हैं। तो ऐसी शादी का क्या फायदा।

हर मां-बाप का अपने बच्चे के लिए चिंता करना एक स्वाभाविक बात है लेकिन मैं सोचती हूं कि आज के समय में मां बाप अपनी लड़कियों को जो सबसे अच्छी चीज दे सकते हैं वह शिक्षा। अगर लड़की को मां-बाप पढ़ा-लिखा दें। उसको अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका दे। तो मां बाप की तरफ से लड़की को दी जाने वाली यह सबसे बड़ी संपत्ति हैजो लड़की के जीवन भर उसके काम आएगी ।

मैं मां-बाप से अनुरोध करना चाहूंगी कि आप लड़की की शादी के लिए दान दहेज,जेवर व रुपये पैसे इकट्ठे करने के बजाय, वह सारा पैसा आप अपनी बेटी की पढ़ाई लिखाई व उस के सपनों को पूरा करने में लगा दे।आज के युग में पढ़ाई-लिखाई ह़ी लड़की के लिए वह संपत्ति है जो लड़की के जीवन भर काम आएगी। लड़की को आर्थिक व सामाजिक रुप से मजबूती प्रदान करेगी और जीवन भर उसके साथ रहेगी ।

अगर ससुराल में भी कोई विपरीत परिस्थिति होती है तो उसकी अत्मनिर्भरता उसको मजबूती से टिके रहने का हौसला भी देगी और अपने खिलाफ होने वाले किसी भी गलत व्यवहार या अत्याचार से उसकी रक्षा भी करेगी।मैं समझती हूं कि अगर कोई मां बाप अपनी लड़की को पढ़ा लिखा कर उसको आत्मनिर्भर बनने का मौका देते हैं तो वह अपनी लड़की को जीवन की सर्वश्रेष्ठ संपत्ति प्रदान करते है।अपनी बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें।

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दहेज मत इकठ्ठा कीजिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाइये 

दहेज में दिए जाने वाले सामान में लगने वाले पैसे को आप बेटी के पढ़ने लिखने,व उसके आत्मनिर्भर बनने में खर्च कर दीजिए। क्योंकि शादी और पढ़ाई दो अलग-अलग चीजें हैं। एक बार लड़की पढ़ लिख जाए ,आत्मनिर्भर हो जाए तो फिर उसकी शादी के बारे में सोचना चाहिए।आप ही सोचिये एक काबिल व पढ़ी लिखी लड़की से कौन लड़का शादी नहीं करना चाहेगा।वह भी बिना दान दहेज़ के।

बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें

शादी करने से पहले लड़की की राय ,जीवन साथी के प्रति उसके विचार को अवश्य जान लेना चाहिए।लड़कियों को भी जीवन जीने का एक मौका जरूर देना चाहिए। बेहतर हो कि आप हमेशा उसके फैसले में उसके साथ रहें। भले वह कोई भी क्षेत्र हो,चाहे वह पढ़ाई का क्षेत्र हो, कैरियर का क्षेत्र हो या फिर शादी विवाह जैसी चीजें ही क्यों ना हो।क्योंकि अगर लड़की पढ़ लिखकर अपना कैरियर चुनकर अपनी पसंद के लड़के से शादी करती है। तो उसके सुखी गृहस्थी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।कौन माँ बाप नहीं चाहेगे कि उनकी बेटी खुश रहे ।

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एक बात तो सच है कि शादी की सही उम्र वही है जब लड़का और लड़की मानसिक रूप से गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियौ को ख़ुशी-ख़ुशी निभाने को तैयार हो।इसीलिए बेटियों को शादी का फैसला उनकी मर्जी से लेने दें ।

मेरी हर लड़की के माँ बाप से गुजारिश हैं कि वह अपनी लड़कियों को भी जीवन में आगे बढने के पूरा मौका दें।बेटियों को शादी के दबाव से मुक्त रखें।

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