Motivational Story In Hindi :
मेहनत का कोई विकल्प नही
Motivational Story In Hindi
प्रकाश थोड़ा फुरसत पाते ही पेट्रोल पंप की उस कुर्सी पर जा बैठा।ताकि थोड़ी देर आराम कर सके क्योंकि सुबह से खड़े खड़े उसके पैर थक गए थे और घुटने दर्द करने लगे थे।वह बुरी तरह से थक चुका था। आज वह सुबह के 5:00 बजे से लगातार गाड़ियों में पेट्रोल भर रहा था।
नये साल का पहला दिन होने के कारण आज कुछ ज्यादा ही पर्यटक घूमने निकले थे और पेट्रोल पंप राष्ट्रीय राजमार्ग में होने के कारण ज्यादातर लोग गाड़ियां रोककर पेट्रोल भरा रहे थे।
अभी बैठा ही था कि तभी एक बड़ी सफेद रंग की सरकारी गाड़ी आकर उसके पास रुकी।प्रकाश हड़बड़ाकर उठा ताकि पेट्रोल भरे सके।उसने बिना गाड़ी की तरफ देखे पूछा। “साहब !! कितने का पेट्रोल डालना है”। ड्राइवर बोला “टैंक फुल कर दो”।
प्रकाश अपना काम करने लगा तभी पीछे से आवाज आई। “कैसे हो प्रकाश भाई ….अभी भी ढक्कन के ढक्कन ही हो क्या”। आवाज सुनकर प्रकाश चौक गया क्योंकि यह बात तो वह अपने एक पुराने साथी से तब कहता था जब वह गलती करता था लेकिन उसने यह बात बरसों से किसी और से नहीं कही थी।
प्रकाश ने पीछे मुड़कर देखा गाड़ी की पिछली सीट पर एक शख्स गंभीर मुद्रा पर बैठा हुआ था । प्रकाश एकाएक पहचान नहीं पाया।तभी शक्स ने बोला ” प्रकाश भाई …मैं नीरज .…पहचाना नहीं क्या” ? नीरज नाम सुनकर प्रकाश चौक गया।
खैर थोड़ी सा जोर डालने पर उसे नीरज याद आ गया । नीरज ने गाड़ी से उतरकर प्रकाश को गले लगाया और उससे काफी देर बातें की। वह शहर का नया डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) था। नीरज जल्दी में था। उसे किसी मीटिंग में जाना था। सो वह चला गया।
लेकिन प्रकाश को अचानक वह 16 साल का छोटा सा मेहनती लड़का अचानक याद आ गया जो पहली बार पेट्रोल पंप में काम करने आया था । प्रकाश उसकी हर तरह से मदद करता था क्योंकि दोनों हमउम्र थे।बच्चा मेहनती और होशियार था। नौकरी तो वह बस स्कूल की पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए करता था क्योंकि उसके पापा मजदूरी करके जैसे-तैसे घर का खर्च चला लेते थे।
लेकिन बच्चा पढ़ना चाहता था जीवन में आगे बढ़ कर कुछ करना चाहता था।सो सुबह 5:00 बजे से 1:00 बजे तक महज ₹1,250/- की नौकरी करता था ताकि अपनी पढ़ाई का खर्चा निकल सके। धीरे-धीरे दिन बीते गए वह प्राइवेट पढ़ाई करता रहा और पेट्रोल पंप पर नौकरी भी करता रहा।काम सीखता गया और इसमें उसकी प्रकाश हमेशा मदद करता था।
दिन में 1:00 बजे पेट्रोल पंप से छूटने के बाद वह घर जाता।शाम को ट्यूशन क्लासेस और साथ ही साथ कंप्यूटर की क्लासेस भी लेता था।ताकि उसको कंप्यूटर का भी नॉलेज हो सके।
वह हमेशा प्रकाश से भी पढ़ाई जारी रखने के लिए कहता।लेकिन प्रकाश कुछ ना कुछ बहाने बनाकर उसकी बातें टाल दिया करता था।और अपना शाम का समय यार -दोस्तों के साथ मौज-मस्ती कर बिताता था।उसको पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी ।
खैर 2 साल का कंप्यूटर कोर्स करने के बाद नीरज ने पेट्रोल पंप की नौकरी छोड़ दी और एक कंप्यूटर ऑफिस में काम करने लगा। उसमें भी वह एक्सपर्ट हो गया और एक दिन जब उसकी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो गई तो वह दिल्ली चला गया । वहां पर उसने एक प्राइवेट जॉब ज्वाइन कर ली और साथ में ही सिविल सर्विसेज की तैयारी भी शुरू की।
अब नीरज दिनभर ऑफिस में काम करता और शाम को वह अपनी पढ़ाई व कोचिंग क्लासेज में व्यस्त हो जाता। वाकई मेहनत का कोई विकल्प नहीं। उसने दिन-रात एक कर दिया। अपने दूसरे प्रयास में उसने सिविल सर्विसेस की परीक्षा में सफलता पाई । आज वह लड़का प्रकाश के सामने खड़ा था । डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के रूप में और नया नया इस शहर में ट्रांसफर होकर आया था।
प्रकाश ने एक गहरी सांस ली और वह उस कुर्सी पर जा बैठा और सोचने लगा काश !! मैंने भी उसकी बात मान ली होती तो आज वह भी एक सफल व्यक्ति होता।
सीख ( Moral of the story )
किसी ने सच ही कहा है “बीता वक्त कभी वापस नहीं आता और सही समय पर लिया गया एक सही निर्णय भाग्य को बदल देता है।और सफलता के लिए कड़ी मेहनत करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है”।
Story No -2
चालाक सियार
बात बहुत पुरानी हैं। एक जंगल में एक शेर रहता था। वह रोज जंगल के किसी न किसी जानवर का शिकार करता था। सब जानवर उससे भयभीत रहते थे। एक दिन जंगल के सभी जानवर मिलकर उसके पास गये। और उन्होंने मिलकर शेर से प्रार्थना की। “हे राजन !! आप जंगल पर शिकार करने ना निकले।हम खुद ही प्रतिदिन एक निश्चित समय पर आपके पास एक जानवर को भेज देंगे। आप उसे मारकर अपना पेट भर लेना”।
शेर ने उनकी बात मान ली।सभी जानवरों ने मिलकर यह निश्चय किया कि बारी बारी उनमें से एक जानवर प्रतिदिन शेर के पास जाएगा।बारी बारी से हर रोज एक जानवर शेर के पास जाता जिसे मारकर शेर अपना पेट भर लेता था और यही क्रम काफी समय तक चलता रहा।
एक दिन एक सियार की बारी शेर के पास जाने की आई।सियार स्वभाव से ही चतुर होते हैं।सियार को आज अपनी चतुराई दिखाने का मौका मिल गया। सियार जानबूझकर कर शेर के पास देर से गया। सियार के देर से आने से शेर काफी गुस्सा था।
उसने सियार से पूछा “तुम इतनी देरी से क्यों आए”। थोड़ा डरने का नाटक करते हुए सियार ने जवाब दिया “महाराज में तो समय पर ही आ गया था। लेकिन रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया। जो मुझे मार कर खा जाना चाहता था।मैं उससे बचकर बड़ी मुश्किल से आपके पास आया हूं”।
जंगल में दूसरे शेर की बात सुन उस शेर बहुत गुस्सा आया। गरज कर सियार से बोला “चल दिखा मुझे वह दूसरा शेर कहां है। मैं उसे अभी मार डालूंगा”। सियार चतुर तो था ही। वह शेर को सीधे एक गहरे कुएं के पास ले गया।और बोला “महाराज वह दुष्ट यही रहता है”।
जैसे ही शेर ने कुएं में झांका तो उसे कुएं के साफ पानी में उसे अपनी ही परछाई साफ-साफ दिखाई थी। उसने अपनी ही परछाई को दूसरा शेर समझ उसे मारने के लिए कुएं में छलांग लगा दी। कुएं में छलांग लगाते ही वह डूब कर मर गया। इस तरह सियार ने अपनी और जंगल के अन्य जानवरों की जान बचाई।
Moral Of The Story
विपरीत परिस्थितियों में भी अगर बुद्धि विवेक से काम किया जाए , तो कठिन से कठिन समस्या भी आसानी से हल हो जाती है।
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