बेसन की बर्फी के लिए मशहूर हैं चंडीगढ़ 94 वर्षीय हरभजन कौर

Motivational Story Of A Women

“हरभजन” ब्रांड की मालकिन हैं 93 वर्षीय  हरभजन कौर

Motivational Story Of A Women : उम्र 90  साल , फिर भी दिल में एक ख्वाहिश पैसा कमाने की।बस इसी ख्वाहिश और बुलन्द हौसले ने हरभजन कौर को एंटरप्रेन्योर बना दिया। 94 वर्षीय चंडीगढ़ की महिला उद्यमी हरभजन कौर की बेसन की बर्फी , आचार और चटनी के मुरीद तो पंजाब के मु्ख्यमंत्री कैप्टन सिंह , केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल , हाईकोर्ट के जस्टिस और पूरा चंडीगढ़ हो चुका हैं।

Motivational Story Of A Women Harbhajan Kaur

महज तीन साल पहले उन्‍होंने थोड़ी सी बर्फी बेचकर अपने इस बिजनेस की शुरुवात की और अपनी जिंदगी की पहली कमाई भी की।इसके बाद शुरू हुआ उनका स्वाद भरा हसीन सफर जिसमें उनके पूरे परिवार ने उनका साथ दिया। 

अमूमन 90 साल की उम्र में व्यक्ति चाहे महिला हो या पुरुष , आराम से बैठ कर अपना शेष जीवन शांति से गुजारना चाहते हैं। लेकिन चंडीगढ़ की हरभजन कौर तो किसी और ही मिट्टी की बनी थी।उन्हें तो इस उम्र में भी पैसा कमाना था। आत्मनिर्भर बनाना था। और मशहूर होना था। और “हरभजन” ब्रांड के नींव रखनी थी।  

कैसे शुरुवात हुई “हरभजन” ब्रांड की 

हरभजन कौर का जन्म अमृतसर के पास तरन-तारन में हुआ।शादी के बाद वो अपने पति के साथ अमृतसर , लुधियाना आदि जगहों में रही।करीब दस साल पहले पति की मौत के बाद वे अपनी सबसे छोटी बेटी रवीना सूरी के साथ चंडीगढ़ में रहने लगी।हरभजन कौर की तीन बेटियां हैं।

हरभजन कौर जब 90 साल की थीं।तब एक दिन उनकी बेटी रवीना ने यूँ ही अपनी माँ से पूछ लिया “माँ , आपके दिल में कोई मलाल तो नहीं है या कोई चाहत तो बाकी नहीं । कहीं आने-जाने या कुछ करने और देखने की इच्‍छा बाकी हो तो बताओ”।

हरभजन कौर ने जो जबाब दिया उसकी उम्मीद रवीना को बिलकुल नहीं थी। उन्होंने कहा “बस , एक ही मलाल है। मैंने पूरी जिंदगी गुज़ार दी और आज तक एक पैसा भी नहीं कमाया”।

तब रवीना ने माँ से कहा “आप ऐसा क्या कर सकती हैं कि जिससे पैसे कमाए जा सकते हैं “। माँ ने जबाब दिया “मैं बेसन की बर्फी बना सकती हूँ। घर में धीमी आंच पर भुने हुए बेसन की मेरे हाथ की बनी हुई बर्फी का कोई तो ख़रीददार मिल ही जाएगा”।

दरअसल बेसन की बर्फी बनाना उन्‍होंने अपने पिता स्व. जयराम सिंह चावला से सीखा था।बर्फी बनाने का उनका यह तरीका शायद सौ साल से भी अधिक पुराना है।

पहला ऑर्डर व पहली कमाई 

इसके बाद रवीना ने उनके घर के नज़दीकी लगने वाली ऑर्गेनिक बाज़ार में संपर्क किया।और वहां से पहला ऑर्डर 5 किलो बेसन की बर्फी का मिल गया।हरभजन कौर ने खूब मेहनत व बड़े प्यार से बेसन की बर्फी बनाई। और ऑर्गेनिक बाज़ार में भेज दी। 

उस दिन हरभजन कौर की बर्फी तो हाथों-हाथ बिक गई।जब हरभजन कौर के हाथों में उनकी पहली कमाई आई तो , उनके मुँह से अचानक ही निकल पड़ा “अपने कमाए हुए पैसों की बात ही कुछ और होती है”। इसके बाद उन्‍होंने अपनी पहली कमाई तीनों बेटियों में बराबर बांट दी। इससे उनको प्रोत्साहन मिला।उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने ये काम आगे भी जारी रखने का फैसला किया।

और इस तरह शुरुवात हुई 90 हरभजन कौर के बिजनेस की।और “हरभजन” ब्रांड की। इस ब्रांड की एक खूबसूरत-सी टैगलाइन भी है “बचपन की याद आ जाए“।यह टैगलाइन हरभजन कौर की नातिन ने उन्हें सुझाई। अब हरभजन कौर काफी खुश हैं कि लोग उनके बनाये सामानों को पसंद कर रहे हैं। 

चंडीगड़ में मशहूर हैं हरभजन कौर की बर्फी

इस तरह धीरे धीरे हरभजन कौर की बर्फी गली , मुहल्ले ,परिचितों में मशहूर होती चली गई। बर्फी का स्वाद लोगों को खूब भाने लगा।हरभजन कौर को खूब ऑर्डर मिलने लगे। हरभजन कौर जी बर्फी तक ही नहीं रुकी। इसके बाद उनकी रसोई में बादाम का शरबत , दाल का हलवा , टमाटर चटनी ,  लौकी की आइसक्रीम , अचार आदि भी बनने लगे।

इस तरह चंडीगढ़ में हरभरजन कौर की बेसन की बर्फी की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी।अब हालत यह हैं कि ऑर्डर देने के बाद ग्राहकों को कभी कभी लम्बा इंतजार भी करना पड़ता था। बेसन की बर्फी लगभग 850 रुपये है।और सर्दीयों में हर रोज लगभग 7 – 8 डिब्बों की डिमांड आती है।

हर काम खुद करती हैं 

हरभजन कौर जी के घुटनों का ऑपरेशन हो चुका है।उसके बाबजूद भी उनमें काम करने का जुनून कम नहीं हुआ है। वह हर रोज सुबह पांच बजे से पहले उठ कर लोगों से मिले ऑर्डरों को पूरा करने की तैयारी में जुट जाती हैं।

बर्फी बनाने से संबंधित हर काम वो खुद करती हैं। चाहे वो मेवे बीनने या छांटने हो।हर चीज धोने-सुखाने से लेकर बर्फी बनाने तक हर काम वो खुद करती हैं।

बेटी रवीना ने की सपना साकार करने में मदद 

हरभजन कौर की सबसे छोटी बेटी रवीना ने उनका सपना साकार करने में उनकी मदद की। हरभजन कौर कहती हैं कि “मुझे काम करना अच्छा लगता है। पहले सिर्फ परिवार के लिए मिठाई बनाती थी। अब दूसरों को भी खिलाकर अच्छा लगता है”। सच में इन्सान अगर चाहे तो किसी भी उम्र में नई शुरुवात कर सकता हैं , बस दिल में दृढ इच्छा शक्ति होनी चाहिए।

हरभजन कौर ने अपनी कुछ रेसिपी अपने शैफ नाती को भी सीखा दी है। वैसे उनके नाती का रेस्‍टॉरेंट हैं जो पंजाबी खाने -पीने के लिए मशहूर है।

हरभजन कौर बनी सबके लिए प्रेरणास्रोत ( Motivational Story Of A Women)

हरभजन कौर जी की कहानी दृढ आत्मशक्ति , स्वाभिमान , बुलंद हौसलों व आत्मसम्मान की सीख देने वाली कहानी है।जो आज के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

आनंद महिंद्रा ने भी एक ट्वीट में लिखा कि “इस उम्र में भी हरभजन कौर के जज्बे से दूसरों को सीख लेनी चाहिए।उन्होंने हरभजन कौर को “एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर” बताया। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर ने भी हरभजन कौर को “एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर” बताया। अब इस नयी नेवेली एंटरप्रेन्योर हरभजन कौर की ट्विटर पर काफी तारीफ़ हो रही है। 

Motivational Story Of A Women : Harbhajan Kaur’s Story

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