Medicinal Tree :उत्तराखंड के वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष

Medicinal Tree Found In Uttarakhand Jungle, उत्तराखंड के वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष व उनके औषधि गुण 

Medicinal Tree Found In Uttarakhand Jungle

Medicinal Tree: उत्तराखंड एक ओर जहां अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता हैं वही दूसरी ओर अपनी विस्मित कर देने वाली दुलभ जडी-बूटियों व अनेक तरह के वृक्ष भी के लिए भी विश्व विख्यात है।

उत्तराखंड का एक बड़ा भू -भाग वनों से ढका है।जों हमेशा की प्रकृति प्रेमियों ,पर्यटकों व शोधकर्ताओं की जिझासा का केंद्र रहा हैं।उत्तराखंड में तीन तरह के वन पाए जाते हैं।जिसमें अलग अलग तरह के वृक्ष पाये जाते हैं।

  1. उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्र         (समुद्र तल से 1500 मीटर तक की ऊँचाई का क्षेत्र)
  2. शीतोष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्र  (समुद्र तल से 1500 मीटर से 3000 मीटर तक की ऊँचाई का क्षेत्र)
  3. पर्वतीय वन क्षेत्र                     (समुद्र तल से 3000 मीटर से बर्फीला क्षेत्र तक की ऊँचाई का क्षेत्र)

उष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्र

(Medicinal Tree)

उष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष (Medicinal Tree) तथा उनके औषधि गुण….

शीशम  (डालबर्जिया सीसु

यह काफी विशाल वृक्ष होता है।साल में एक बार इसमें पतझड़ होता है।इस वृक्ष की गहरी भूरी तथा खुरदरी छाल होती है।और यह वृक्ष तेजी से बढ़ता है। इसकी खासियत यह है कि यह न्यूनतम जीरो डिग्री सेल्सियस और अत्यधिक तापमान 50 डिग्री सेल्सियस में भी जिन्दा रह सकता है।

  •  प्रयोग  :- दरवाजे ,खिड़की (इमारती उपयोग), फर्नीचर आदि।
  • औषधि गुण :- शीशम की पत्तियों में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके तेल को दर्दनाशक, जीवाणुरोधी ,कीटनाशक आदि रूपों में प्रयोग किया जाता हैं। मितली आना, कफ समस्या में राहत ,सर्दी ,तनाव ,त्वचा सम्बन्धी रोग ,मुहांसे आदि में भी इसके तेल का प्रयोग किया जाता हैं।हृदय रोगों, यह कुष्ठ रोग में फायदामंद है।

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नीम (अजाडाइरेक्टा इण्डिका)

मध्यम आकार, वर्ष में एक बार पतझड़ व तीव्र बढ़ने वाला पेड़ है ।इसकी छाल, पत्तियां व फल भी कड़वे होते हैं।

  • प्रयोग :- इससे प्राप्त “मारगोसा” तेल साबुन की फैक्ट्री व दवाइयों में प्रयोग किया जाता है।इसकी लंबी शाखाओं से दातुन बनाए जाते हैं इस वृक्ष को अमेरिका ने पेटेंट करवा लिया था।बाद में भारतीयों के प्रयास से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इस पेटेंट को निरस्त कर। इसको भारत का ही वृक्ष माना था। इसके वृक्ष की लकड़ी में कीटनाशक गुण पाए जाते हैं। इसलिए फर्नीचर बनाने के काम आता है।
  • औषधि गुण :- यह एक सर्वोच्च औषधि है।बिच्छू ततैया के काटने पर घाव ठीक करने के लिए, दाद खाज, खुजली ,गुर्दे में पथरी ,मलेरिया बुखार ,त्वचारोग खांसी ,बाबासीर ,मधुमेह ,पेट के कीड़ों को खत्म करने ,सिर दर्द, दांत दर्द, हाथ दर्द, सीने में दर्द ,चेहरे में कील मुहांसे में यह फायदा करता है।एड्स और लेप्रोसीकी दवाइयों को बनाने में इसका प्रयोग किया जा रहा है।

सागौन (टैक्टोना ग्रैन्डिस) 

इस वृक्ष को उत्तराखंड के वनों में बीसवीं शताब्दी के मध्य में काफी मात्रा में लगाया गया था।इसीलिए उत्तराखंड के कई वन क्षेत्रों में यह बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।विशाल वृक्ष,वर्ष में एक बार पतझड़ होता है।

  • प्रयोग:- सागौन की लकड़ी विश्व की सबसे अच्छी इमारती लकड़ी मानी जाती हैं। दरवाजे, खिड़की व फर्नीचर बनाने के  लिए प्रयोग में लायी जाती है।
  • औषधि गुण :- इस की लकड़ी से प्राप्त तेल सूजन में ,सिरदर्द ,पाचन न होने पर ,गर्मी होने पर,साँप के काटने पर, पथरी में काफी कारगर है ।बीजों से प्राप्त तेल खुजली व बालू के उचित विकास में प्रयुक्त होता है।

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पीपल (फाइकस रिलिजिओसा ,Medicinal Tree)

पीपल का वृक्ष बहुत विशाल,अनगिनत टहनियों वाला तथा छायादार होता है। इसकी पत्तियां दिल के आकार की ऊपर से चमकीली होती है।यह वृक्ष हमारी धार्मिक आस्था का केंद्र भी है।इसी लिए इसे मंदिरों और पवित्र जगहों पर लगाया जाता है। यह पूजनीय वृक्ष है।

  •  प्रयोग :-  इसकी लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • औषधि गुण :-  इसकी छाल अल्सर व त्वचा रोगों में फायदामंद है।नपुकसता , गुर्दे की बीमारी ,कब्ज ,अस्थमा ,पेट दर्द तथा रक्त को शुद्द करने में भी प्रयोग किया जाता है।

साल (शोरिआ रोबस्टा , Medicinal Tree)

यह विशाल वृक्ष, साल में एक बार पतझड़

  • प्रयोग :-  इसकी लकड़ी को प्रमुखतया फर्नीचर बनाने,रेलवे स्लीपर बनाने,टेलीफोन के खंबे बनाने के रूप में प्रयोग  किया जाता है इससे निकलने वाले तरल पदार्थ “साल डामर” का प्रयोग नाव निर्माण व जूते के पॉलिश बनाने में किया जाता हैइसके बीज का प्रयोग चॉकलेट बनाने में किया जाता है
  • औषधि गुण  :-  वृक्ष से प्राप्त रेजिन का प्रयोग पेचिश व कमजोर पाचन के मर्ज में होता हैसूजन व दर्द ठीक करने के मलहम बनाने के काम में आता है।इसमें फैक्चर हड्डी टूटने पर,दाग धब्बे हटाने के लिए, इंफेक्शन दूर करने के लिए, त्वचा की मरम्मत, डायरिया,कान का इन्फेक्शन, बहरापन , दुर्गंध को दूर भगाना ,खुजली को दूर करना औषधिय गुण हैं

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काफल (Myrica Esculata , Medicinal Tree)

मध्य आकार, सदाबहार और धना, छायादार वृक्ष है।यह बगीचों ,घरों के आस्प्पस  व जंगलो में होता है। 

  • प्रयोग :-  इसका फल पहाड़ के लोगों की आमदनी का अच्छा जरिया है।यह मोमबत्तियां ,पोलिश,साबुन बनाने के काम आता हैं।
  • औषधि गुण :- इसके फल में एंटीअक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं। इसीलिए पेट की बीमारी ,मानसिक बीमारी ,अस्थमा ,डायरिया ,जुकाम ,आँख के बीमारी व दस्त के लिए उपयोगी हैं।

सेमल (बोम्बैक्स सीबा‌ ,Medicinal Tree)

विशाल, वर्ष में एक बार पतझड़ ।इसके फूल जनवरी से मार्च तक आते हैं ।

  • प्रयोग :- इसकी रूई को रजाई गद्दे तथा सर्जिकल ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग किया जाता है ।इसकी लकड़ी का प्रयोग माचिस की डिबिया बनाने में किया जाता है।
  • औषधि गुण :-  प्रदर रोग  ,पित्त की अधिकता ,फोड़े-फुंसियां ,अतिसार ,बवसीर व मर्दाना ताकत को बढ़ाने तथा फूल का प्रयोग सर्प के काटने पर किया जाता है।

हल्दु (एडिना कोडीरफोलिया, Medicinal Tree)

विशाल व बर्ष में एक बार पतझड़ ।

  • प्रयोग : – फर्श निर्माण के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  • औषधि गुण  :- इसकी छाल में बुखार कम करने के एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं।

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जामुन ( सिजिगिम क्युमीनी ,Medicinal Tree)

मध्यम आकार का सदाबहार ,घना वृक्ष।इस वृक्ष में फल जून से आना शुरू होते हैं ।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी रेलवे स्लीपर,खिड़कियों व दरवाजे के निर्माण में तथा ईंधन के रूप में प्रयोग होती है। इसकी पत्तियां को चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। वृक्ष घना होने के कारण सड़कों के किनारे या बगीचों में लगाया जाता है।
  • औषधि गुण :- यह मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है।जामुन में कैल्शियम ,मिनरल, आयरन ,पोटेशियम, विटामिन सी की बहुत अच्छी मात्रा होती है ।
  • इसलिए यह हड्डियों के लिए फायदेमंद, शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । पेचिश, खून की कमी को दूर करता है।
  • दिल के दौरे ,उच्च रक्तचाप ,पेट दर्द ,पाचन तंत्र को ठीक करना, शरीर की कमजोरी दूर करना ,स्मरण शक्ति को बढ़ाना ,पेट की बीमारियां तथा हृदय रोग में लाभदायक है। सच में जामुन एक “संजीवनी बूटी” से कम नहीं है।

आंवला (एम्बलिका आफीसिनेलिस, Medicinal Tree)

मध्य आकार, वर्ष में एक पतझड़।

  • प्रयोग :- ईधन के रूप में प्रयोग।
  • औषधि गुण :- विटामिन सी का भरपूर स्रोत होता है।आंवले से बाल स्वस्थ रहते हैं। दिमाग तेज,नजर तेज,दांत स्वस्थ,गले के लिए, पाचन शक्ति स्वस्थ और मजबूत हड्डियों व त्वचा चमकती है। एनीमिया व पीलिया बांझपन को दूर, रक्त को शुद्ध ,नाखून मजबूत बनाता है।

बरगद (फाइकस बैंगालैंन्सिस, Medicinal Tree)

यह सदाबहार और धना, छायादार वृक्ष है। इसकी असंख्य की शाखाएं होती हैं ।यह पवित्र पौधा है।मंदिरों के आसपास आमतौर से मिलता है।

  • प्रयोग :- इसकी पत्तियां चारे के रूप में उपयोग में लाई जाती हैं।
  • औषधि गुण :- बालों के गंजेपन को दूर करना, आलस्य निवारक, नजला, जुखाम, हृदय रोग, कमर दर्द, अतिसार, उल्टी दस्त, मुंह के छालों को ठीक करता है।महिलाओं के लिए भी कई तरह से उपयोगी है।

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तनु /लाल सिदार( टुना सिलीआटा, Medicinal Tree)

यह विशाल ,वर्ष में एक बार पतझड़ वाला पेड़ है ।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी से फर्नीचर व सिगार बनाए जाते हैं ।
  • औषधि गुण :- इसके छाल से अल्सर की बीमारी ठीक होती है।

कटहल (आर्टोकार्पस हिटिरोफाइलस, Medicinal Tree)

छोटे-छोटे मगर घने तने, अत्यधिक शाखाएं तथा चटक हरी पत्तियां होती हैं ।

  • प्रयोग :- कटहल के फल से अचार व सब्जियां बनाई जाती हैं।
  • औषधि गुण :- इसमें विटामिन ए,विटामिन सी, पोटेशियम ,कैल्शियम, आयरन, राइबोफ्लेविन, जिंक की भरपूर मात्रा मिलती है।तथा इसमें कैलोरी नहीं के बराबर होती है।इसीलिए यह दिल की समस्या, एनीमिया, अस्थमा ,थायराइड,  हड्डियों के लिए अच्छा , वायरल इन्फेक्शन से बचाता है।यह तंत्र मंत्र में भी काम लाया जाता है।

पद्म (प्रूनस सीरेसोइड्स, Medicinal Tree)

इसे “देव वृक्ष” भी बोला जाता है।यह विलुप्त के कगार पर है।इसीलिए इस को संरक्षित पेड़ में गिना जाने लगा है।इसके फूल-पत्तियां छाल सभी काम की होती हैं ।

  • प्रयोग :- इसकी छाल रंग और दवा बनाने के काम आती है ।इसकी लकड़ी यज्ञोपवीत व अन्य पूजा संस्कारों में काम आती है।लकड़ी बहुत मजबूत होती है।
  • औषधि गुण :- यह पथरी में भी उपयोगी होती हैं।

बेल वृक्ष या बेल पत्री (एगल मार्मीलोस ,Medicinal Tree)

यह मध्यम आकार, वर्ष में एक बार पतझड़ वाला पेड़ है ।इसको बगीचों ,पार्क ,घरों व मंदिरों में लगाया जाता है।

  • प्रयोग :- इसकी पत्तियों को चारे के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ।इसकी लकड़ी कृषि उपकरण के निर्माण हेतु प्रयोग होती है।इसकी शाखाओं से दातुन बनाया जाता है ।
  • औषधि गुण :- फल के पक जाने के बाद इसके गुदे से शरबत बनाया जाता है जिससे पाचन क्रिया स्वस्थ रहती है ।उदर विकारों को दूर करता है।मधुमेह, अतिसार और लू से भी बचाता है।

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पलाश/ढाक ( ब्युटिआ मोनोस्पर्मा, Medicinal Tree)

मध्यम आकार वर्ष में एक बार पतझड।इसके फूल लंबे व चटक लाल रंग के होते हैं ।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जो लंबे समय तक पानी में रह सकती है।
  • औषधि गुण :- इसके बीजों से प्राप्त तेल पेट के कीड़ों को मारने के लिए तथा तने से प्राप्त गोद “बंगाल काइनो” का प्रयोग डायरिया में किया जाता है। यह कुष्ठ रोग, आंखों के रोग, नकसीर ,जोड़ों के दर्द , मिर्गी , बाबासीर को ठीक करने में भी प्रयोग में लाया जाता है।

खैर (अकेशिया कटैचु)

मध्यम आकार ,वर्ष में एक बार पर पतझड़।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी ईंधन तथा चारकोल बनाने के काम आती है।इससे “कत्था” बनाया जाता है।
  • औषधि गुण :- इसकी छाल में भी औषधि गुण पाए जाते हैं ।अतिसार ,दांतों के रोग ,कान, रक्त शुद्ध करना ,कुष्ठ रोग पुराने घाव ,फोड़े-फुंसी,  हृदय रोग खांसी, बुखार तथा गुप्त रोगों को ठीक करने में प्रयोग में लाया जाता है।

कदम (एन्थोसिफेलस सिन्सेन्सिस )

विशाल और वर्ष में एक पतझड़, तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष। इसके फूल बहुत ही सुंदर गोल होते हैं।यह पवित्र पौधा माना जाता है।कहा जाता है कि भगवान कृष्ण इसके नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे।इसको बगीचों में पार्क में लगाया जाता है। इसके फल खाने योग्य होते हैं ।

  • प्रयोग :- लकड़ी से माचिस व प्लाईवुड बनाए जाते हैं ।
  • औषधि गुण :- सबसे बड़ी खासियत है यह जहररोधी होता है। एलर्जी ठीक करता है, माताओं में दूध में कमी को दूर करता है, पशुओं के रोगों को ठीक करता है, शरीर की दुर्बलता, बुखार ठीक होता है।

शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष तथा उनके औषधि गुण

(Medicinal Tree)

चीड़ (पाइनस रोक्सबर्जाई, Medicinal Tree)

यह विशाल, वार्षिकी पतझड़ वृक्ष है।इसकी पत्तियां लंबी एवं हरी पतली होती हैं।

  • प्रयोग :- इसका तरल पदार्थ “लीसा” अनेक उद्योग में काम लाया जाता है जैसे पेंट-वार्निश, सौंदर्य प्रसाधन फार्मास्यूटिकल, कागज ,साबुन व जूते बनाने में काम लाया जाता है।
  • औषधि गुण :- दमा के मरीज के लिए चीड का जंगल फायदेमंद होता है।चीड़ के तेल से मुंह के छाले ,सांस की नली में सूजन खांसी ,बच्चों की पसली चलने पर चीड़ के तेल से मालिश करने में लाभ, गर्मी में फोड़े फुंसी में लाभ मिलता है।

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अखरोट( जुंगलाश रीजिया ,Medicinal Tree)

यह विशाल, वर्ष की एक बार पतझड वाला वृक्ष होता है। यह आमतौर से घरों व बगीचे में लगाया जाता है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ियां ईंधन के रूप में प्रयोग होती हैं।
  • औषधि गुण :- यह दिमाग को तेज करता हैं और स्मरण शक्ति बढाता है।पायरिया में लाभ पहुंचता है।

बुरांस (रोडोडेन्ड्रोन आर्बोरियम )

छोटे आकार का सदाबहार पौधा होता है।इसकी छाल लालिमायुक्त भूरी होती है ।शाखाओं के अंत में पत्तियां अधिक होती हैं।फूल बेहद सुंदर चटक लाल रंग के होते हैं।इनको मंदिरों में और त्योहारों में खासकर पहाड़ में मनाया जाने वाला पर्व “फूलदेई” के अवसर इन्हें दरवाजे पर बिखेरना शुभ माना जाता है ।

  • प्रयोग :-  ईंधन के काम आती हैं
  • औषधि गुण :- इस के पुष्प स्वाद में खट्टे होते हैं ।लेकिन इसका प्रयोग कई सारी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके जूस से हृदय रोग के व्यक्ति को फायदा होता है।किडनी सम्बन्धित बीमारी दूर,रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में, हड्डियों के दर्द को कम करता है।इस के जूस से शीतल पर बनाया जाता है जो गर्मियों में लू से बचाता है।

तिलोंज  (क्वैरकस ‌फ्लोरीबंडा)

इसकी दो प्रजातियांं उत्तराखंड  के पाई जाती है।

  1. रिआंज (क्वैरकस  लोनुगिनोसा) :-  यह विशाल व सदाबहार वृक्ष हैै ।जो उच्चच हिमालई क्षेत्र में पाया जाता है।
  2. फलियाट (क्वैरकस ग्लौंका):- यह भी मध्यम आकार,सदाबहार वृक्ष है।नम व ठंडे जगह में ज्यादा पाया जाता है।

थुनेर /तलिसपत्रा (टैक्सस बकाटा)

यह छोटा सदाबहार वृक्ष है।

  • प्रयोग :-  इसकी लकड़ी बहुत टिकाऊ मानी जाती हैं इससे “टैक्सोल” प्राप्त होता है।
  • औषधि गुण :- “टैक्सोल” कैंसर विरोधी दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।

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मेहल( पाइरस पैसिआ)

यह  मध्यम आकार ,वर्ष में एक बार पतझड़ वाला वृक्ष है ।यह घने जंगल में अधिक पाया जाता है।

  • प्रयोग :- इसके फल का स्वाद मटर के समान होता है।
  • औषधि गुण :– इससे खट्टास, पाचन शक्ति लाभदायक होता है।

देवदार/ देवदारु यानी भगवान का पेड़ ( सिडरस देवदरा)

यह विशाल एवं वर्ष में एक बार पतझड वाला वृक्ष है।वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है।मंदिरों के आसपास आमतौर से मिलता है।

  • प्रयोग :  लकड़ी बहुत मजबूत होती है जिसमें दीमक का असर नहीं होता है।यह इमारत और फर्नीचर बनाने के काम आता है।कोमल होने के कारण पुराने जमाने में इससे राजाओं के सिहासन तथा राज सैय्या बनाई जाती थी।
  • औषधि गुण :- हिचकी रोकने, जोड़ों के दर्द, तेल त्वचा की व्याधियों को दूर ,खुजली सूजन व दर्द ठीक करने में, कुष्ठ रोग ठीक करने में मदद करता है।

बांज (क्वैरस ल्यूकोट्राईकोफोरा)

मध्यम आकार का सदाबहार ,धना, छायादार वृक्ष है

  • प्रयोग :- लकड़ी इमारतों तथा ईंधन बनाने में काम आती हैंबांज की पत्तियां चारे के लिए प्रयोग की जाती हैंइसके गुदों से निकलने वाले पदार्थ को हलवाई  प्रयोग में लाते हैं।इसकी लकड़ी काफी मजबूत होती है। जिससे पहाड़ों में “ओखली कुटनी” यानी धान की कुटाई करने वाला यंत्र तथा हल्का नसुड बनाया जाता है।पर्यावरण को समृद्ध रखने में बांस के जंगलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।यह भूमि कटाव को भी रोकता है।
  • औषधि गुण :- बाज के खोखले हिस्से से लिए गए पानी का प्रयोग दमा के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।

पांगड (एस्कुलस इण्डिका)

मध्यम आकार, वर्ष में एक बार पतझड़ तथा छायादार पेड़ ।इसकी पत्तियां चारे के रूप में  प्रयोग होती है।

  • प्रयोग :- लकड़ियों को  ईधन रूप में प्रयोग किया जाता है।

गढ़ बड़ पीपल यानी पहाड़ी पीपल (पोप्युलस सिलिएटा)

सदाबहार, वर्ष की पतझड व तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष।

  • प्रयोग :- इस की लकडी से माचिस व पैकिंग का सामान बनाया जाता है।
  • औषधि गुण :- इसकी छाल उत्तेजक होती है। जो रक्त शुद्ध करने के काम आती है।

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कैंसल (एसर सीसिअम )

यह विशाल सदाबहार,वर्ष में एक बार पतझड़ वृक्ष होता है।यह अत्यधिक ऊंचाई में पाया जाता है ।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी के फर्नीचर बनाए जाते हैं।

अंगु (फ्रैक्सीनस माइक्रैन्था)

यह वृक्ष पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाता है।वर्ष में एक बार पतझड़ वाला विशाल वृक्ष होता है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी ईंधन के रूप में प्रयोग होती है।

स्पान/रांशू (एबिस पिंड्रो)

यह विशाल सदाबहार मुलायम वृक्ष होता है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी हल्की होने के कारण छत के भीतर हिस्से,हल्के फर्नीचर बनाने, कागज बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • औषधि गुण :- इसकी छाल पाचन तंत्र में उपयोगी होती है।

मोरिन्डा़ (पिसिआ स्मिथिआना)

यह विशाल व सदाबहार वृक्ष है जो अत्यधिक ऊंचाई में पाया जाता है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी से फर्श, हल्के फर्नीचर बनाए जाते हैं।

उतीस (अल्नस नेपलेन्सिस )

यह विशाल एवं वर्ष में एक बार पतझड़ वाला वृक्ष है।

  • प्रयोग :- इसके वृक्ष भूस्खलन को रोकते हैं।यह वृक्ष भूमि को कटाव से रोकता है।यह वृक्ष भी ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • औषधि गुण :- इसकी छाल मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करती है।

काइमू / मलबरी (मोरस सेराटा)

यहां विशाल, वर्ष में एक बार पतझड़ वाला वृक्ष है। यह जोशीमठ गढ़वाल में अत्यधिक पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सर्व शंकराचार्य के नीचे बैठकर ध्यान रखना रहा करते थे।

  • प्रयोग :- लकड़ियों को  ईधन रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • औषधि गुण :-  इसके फलों में पोटेशियम,विटामिन,फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में होता है।इसमें 79% एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है।जिसकी वजह से गले की बीमारी, जोड़ों की बीमारी, शरीर में पानी की कमी पेट में, जलन व कीड़ों को मारना, रक्त को शुद्ध करना, चेहरे से मुहांस को गायब करना इसका मुख्य काम है।

धूप/जूनीपर (जूनीपेरस पोलीकार्पस)

यह एक झाड़ी होती है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ी सुगन्धित होती है इसीलिए बौद्ध मठों, मंदिरों में तथा अन्य धार्मिक स्थलों में धूप जलाने के काम आती है।
  • औषधि गुण :-  इसमें उत्तेजक औषधीय गुण होते हैं।

भोजपत्र (बैट्यूला यूटीलिस)

यह मध्यम आकार, वर्ष में एक बार पतझड़ वृक्ष है।

  • प्रयोग :- इसकी छाल का प्रयोग पुराने जमाने में कागज के रूप में लेखन हेतु किया जाता था।लकड़ी के रेशों से प्राप्त लुगदी से कागज बनाया जाता हैं।लकड़ी से सितार व गिटार बनाए जाते हैं।
  • औषधि गुण :- इसकी छाल में कीटाणुनाशक गुण पाए जाते हैं।यह दमा,मिर्गी रोग के लिए सही रहता है।

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खरसू (क्वैरकस सेमीकर्पीफोलिया)

यह विशाल एवं वर्ष की पतझर वाला वृक्ष है।

  • प्रयोग :- इसकी लकड़ियां इमारतों को बनाने में,ईंधन व चारकोल बनाने में काम आती है।

सुरई (क्यूप्रैसस टोरूलोसा)

यह विशाल एवं ऊंचा सदाबहार वृक्ष है ।

  •  प्रयोग :- लकड़ियों को  ईधन रूप में प्रयोग किया जाता है।
  •  औषधि गुण :- इसकी पत्तियों से निकलने वाला तेल खांसी में बहुत उपयोगी है।

कैल (पाइनस वैलीचिआना)

वह विशाल,वर्ष में एक बार पतझड़ वृक्ष होता है। इसको “नीला चीड “भी कहा जाता है।

  • प्रयोग :-  इसकी लकड़ी घर बनाने में तथा फर्नीचर बनाने में प्रयोग की जाती है।
  • औषधि गुण :-  इसकी छाल दवाओं के लिए प्रयुक्त होती है।
पर्वतीय वन

(Medicinal Tree)

यह उच्च हिमालय क्षेत्र है।यहां पर भोजपत्र बृक्ष , देवदार या अन्य चरागाह पाए जाते हैं।

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