Essay On Gandhi Jayanti In Hindi:
Essay On Gandhi Jayanti In Hindi
गाँधी जयन्ती पर हिन्दी निबन्ध
प्रस्तावना
यूं तो भारत माँ की आजादी में भारत माता के हजारों सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी।अंग्रेजों के अनेक जुल्म सहे। लेकिन महात्मा गाँधी दुनिया के एकमात्र ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने बिना कोई अस्त्र-शस्त्र उठाए , ब्रिटिश इंडिया के पूरे साम्राज्य को जड़ से खत्म कर दिया और अंग्रेजों को अपने घुटनों के बल बैठने को मजबूर कर दिया।
इतिहास में सिर्फ अहिंसा के बल पर एक मजबूत शाशन को उखाड़ फेंकना यह एक नया प्रयोग था। जिसे बाद में दक्षिण अफ्रीका के लोकप्रिय नेता नेल्शन मंडेला के अलावा दुनिया के अनेक नेताओं ने भी अपनाया और विजय हासिल की। इसीलिए गांधीजी को युगपुरुष कहा जाता है।भारत में हर साल 2 अक्टूबर को “गाँधी जयंती” बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती हैं।
कौन थे महात्मा गाँधी
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। भारत में पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने इंग्लैंड से की। इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। इसके बाद गांधीजी वकालत करने दक्षिण अफ्रीका चले गए। दक्षिण अफ्रीका में भी उस समय अंग्रेजों का राज था। अंग्रेज वहां पर रहने वाले भारतीयों पर तरह तरह के जुल्म ढाया करते थे।
अपनी वकालत के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का शिकार होना पड़ा। एक बार गांधी जी जब ट्रेन में प्रथम श्रेणी के डिब्बे में सफर कर रहे थे , तो उन्हें सिर्फ गोरा ना होने की वजह से ट्रेन के डिब्बे से धक्का मार कर बाहर फेंक दिया था। और उन्हें बड़े होटलों समेत अन्य किसी भी जगह जाने पर रोक दिया जाता था।
बस यहीं से उनके मन में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष की ज्वाला जल उठी और यहीं से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर , भारत मां की आजादी का सफर। गांधीजी ने भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए कमर कस ली।फिर उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। इसमें उन्हें काफी कुछ सफलता भी मिली।
स्वतन्त्रा आंदोलन में गांधीजी की भागीदारी
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से कुछ समय बाद भारत लौटे आये। उन दिनों भारत में भी अंग्रेजों का शासन था। भारत आकर उन्होंने देश की आजादी के लिए कई आंदोलन किये।जिनमें असहयोग आंदोलन , नमक सत्याग्रह ,चंपारण सत्याग्रह , सविनय अवज्ञा आंदोलन , अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन आदि प्रमुख हैं।
शरीर में मात्र एक सफेद धोती धारण करने वाले सावरमती के इस संत की ताकत ने सूट बूट पहनने वाले और राजसी ठाठ-बाट से रहने वाले अंग्रेजों को इस देश से भागने को मजबूर कर दिया। उनका सिर्फ एक ही अस्त्र था सत्य और और एक ही मार्ग था अहिंसा। और इसी पर चलकर उन्होंने भारतीय जनमानस को अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने का साहस दिया। कई अहिंसक आंदोलन सफलतापूर्वक किए और भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।
गांधीजी ने जनता के मन में राष्ट्रीयता व स्वतंत्रता की भावना जगाई।उन्होंने लोगों को आजादी का मतलब समझाया और अंग्रेजों से लड़ने के लिए लोगों को एकजुट किया। लोगों को स्वतंत्रता पाने के लिए प्रेरित किया।गांधीजी की एक पुकार पर आजादी के दीवानों की टोलियां अहिंसक संग्राम में कूद पड़ी।
कई संघर्षों व आंदोलनों के बाद भारत की आजादी का रास्ता साफ हुआ। लेकिन जाते-जाते अंग्रेजों ने भारत के दो टुकड़े कर दिये , हिंदुस्तान और पाकिस्तान।15 अगस्त 1947 को भारत के लोगों ने एक लम्बी गुलामी के बाद आजादी का सवेरा देखा और आजाद भारत की खुली हवा में सांस ली। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति द्वारा उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गई। जिसके फलस्वरुप इस महान आत्मा ने इस दुनिया से विदाई ली।
स्वतंत्रता भारत में गांधीजी के कार्य
- भारत के आजाद होने के बाद गांधीजी ने नए भारत के लिए एक सपना देखा जिसमें सभी लोग शिक्षित हो (खासकर महिलाओं को ) , सभी के पास रोजगार हो , जाति-पाँति का भेदभाव मिटे। भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ सहिष्णुतापूर्वक रहे , शराबबंदी लागू हो , गांव और समृद्ध हो तथा छुआछूत की समस्या दूर हो , यही उनका सपना था।
- महात्मा गांधी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगों को प्रेरित किया। और यह आवश्यक भी था , क्योंकि स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने से एक तो अपने लोगों को रोजगार मिलता है। और दूसरा अपने देश का राजस्व अपने ही देश में रहता है। जो विकास कार्यों में खर्च होता है।
- उन्होंने सामाजिक एकता पर जोर दिया और खासकर ग्रामीण भारत के विकास पर उनका ध्यान हमेशा रहता था। वो कहा करते थे कि ग्रामीण भारत का विकास करे बिना संपूर्ण भारत का विकास नहीं हो सकता।
- वो भारतीय संस्कृति में छुआ -छूत और भेदभाव को बिल्कुल खत्म कर देना चाहते थे। निम्न जाति के लोगों की दुर्दशा उनसे देखी नहीं जाती थी। उन्होंने उनका उद्धार करने का बीड़ा उठाया और उन्हें “हरिजन यानी कि भगवान के आदमी” शब्द से सम्बोधित किया।
- गांधीजी ने चरखे में सूत कातकर भारत के लोगों की रोजी-रोटी की समस्या हल करने का प्रयास किया था। देशवासियों के कल्याण व प्रगति के लिए वे जीवन भर प्रयास करते रहे। इन कार्यों में देश की जनता ने भी उनका साथ दिया।
- वे मानते थे कि राष्ट्र भाषा ही पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांट सकती है। इसीलिए उन्होंने राष्ट्रभाषा का प्रचार किया और हिंदू – मुस्लिम एकता के लिए वे आजीवन प्रयत्न करते रहे।
गांधीजी सत्य , अहिंसा और प्रेम के पुजारी थे। “राम” उनका प्रिय वाक्य था। वो सही अर्थों में भारत की सामान्य जनता के प्रतिनिधि थे। वो दया और क्षमा की जीवंत मूर्ति थे। उन्होंने नवीन भारत का निर्माण करने का प्रयास किया। इसीलिए देश की जनता ने उन्हें “राष्ट्रपिता व बापू ” जैसे सम्मानीय अलंकरणों से सम्मानित किया।
गांधीजी का व्यक्तित्व
दुर्बल शरीर , तन में सिर्फ एक सफेद धोती , हाथ में एक लाठी पकड़े एक साधारण सा दिखने वाला यह संत असाधारण व विराट व्यक्तित्व का धनी था। वो उस समय के भारत की “गरीबी का प्रतीक” भी थे। सत्य और अहिंसा के इस पुजारी का जीवन सादगी भरा था।गांधीजी पवित्र ह्रदय के महापुरुष और महान समाज सुधारक थे।
दया , धर्म और प्रेम की त्रिवेणी उनके हृदय से लगातार बहा करती थी। अंग्रेजों के प्रति भी वो विवेकशील रहे। कहते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में जिस अमीर आलम पठान ने उनके दांत तोड़ दिए थे। बाद में उसे भी उन्होंने जेल से छुड़वाया और क्षमादान दिया।
कैसे मनाई जाती हैं गांधी जयंती
गांधी जयंती को भारत में एक राष्ट्रीय त्यौहार की तरह मनाया जाता है। महात्मा गांधी हम भारतीयों के प्रेरणा स्रोत हैं। इसीलिए इस दिन पूरे भारत में गांधीजी को याद किया जाता है। उनके कार्यों को याद किया जाता है। तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग व आदर्शों पर चलने की शपथ ली जाती हैं।
इस दिन स्कूल , कालेजों में कई तरह के रंगारंग व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। स्कूल में गांधी जयंती के अवसर पर अनेक प्रतियोगिताओं जैसे वाद-विवाद , लेखन , निबंध चित्रकारी ,फोटोग्राफी आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा सरकारी स्तर पर व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी गांधी जयंती के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। और बापू को नमन करते हैं।
उपसंहार
गांधीजी सच में युग निर्माता व युग पुरुष थे। और सचमुच एक महान नेता थे।जिन्होंने सत्य व अहिंसा के मार्ग में चलकर अपने अथक प्रयासों के बल पर भारत को आजाद करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।गांधीजी और असंख्य भारत मां के बलिदानी सपूतों की वजह से ही आज हम आजाद भारत की खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
साबरमती का यह संत सिर्फ भारत के लिए ही नहीं , वरन पूरे विश्व का आदर्श है। आज भी दुनिया के कई देशों के नेता उनको अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। और उनके बताए रास्ते पर चलते हैं।
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