Campaign Freedom From Malnutrition Uttarakhand

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Campaign Freedom From Malnutrition

3 सितंबर 2019 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने “कुपोषण मुक्ति के लिए गोद अभियान” की शुरुआत की।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक अति कुपोषित बालिका “योगिता” को भी गोद लिया।यह अभियान लगभग एक महीना चलेगा जिसमें कुपोषित बच्चों को गणमान्यों द्वारा गोद लिया जायेगा। 

कुपोषण मुक्ति अभियान का मुख्य उद्देश्य (Aim of Campaign Freedom From Malnutrition)

इस योजना का मुख्य उद्देश्य कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हीमोग्लोबिन टेस्ट कराना।ताकि उनमें एनीमिया(उनके शरीर में खून की कमी) का पता चल सके।और प्रदेश के सभी चन्हित कुपोषित बच्चों को गोद ले उन्हें कुपोषण से मुक्ति दिलाना।

यह कार्य उत्तराखंड की सरकार द्वारा किया जायेगा।इसके साथ ही सरकार 2022 तक प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्के भवन उपलब्ध करायेगी।

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गणमान्यों ने लिये बच्चे गोद 

इस अभियान की शुरुआत के शुभ अवसर पर जहाँ मुख्यमंत्री ने एक अति कुपोषित बालिका योगिता को गोद लिया ,वही अन्य लोगों ने जैसे स्पीकर ,विभागीय मंत्री, विधायक,मेयर ,उद्योगपतियों,समाजसेवियों तथा प्रदेश सरकार के शासन के अफसरों ने भी अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया।

इस अभियान में पहले से ही चिन्हित लगभग 1600 कुपोषित बच्चों को गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा गोद लिया जायेगा।

इस अवसर पर “गीता भवन संस्था” से जुड़े राकेश ओबेरॉय जो पेशे से व्यवसायी हैं ने 100 कुपोषित बच्चों को गोद लिया और उन्होंने आगे भी ऐसे कुपोषित बच्चों को गोद लेने का संकल्प दोहराया।

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मैदान क्षेत्रों में ज्यादा कुपोषित है बच्चे 

आंकड़ों के अनुसार पहाड़ की तुलना में मैदान क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या ज्यादा है।पूरे उत्तराखंड में उधम सिंह नगर में सबसे ज्यादा 7,978 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।जबकि हरिद्वार में 4,952,नैनीताल में 1,354 और देहरादून में 1,123 कुपोषित बच्चे हैं।

भारत में कुपोषण

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार “भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 10 लाख से भी ज्यादा है।दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है।देश के कई इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी के कारण मर रहे हैं।

भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर लगभग 93 प्रति 1000 है।संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे चिंताजनक बताया है।एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति में 28%, अनुसूचित जाति में 21%, पिछड़ी जाति में 20% और ग्रामीण इलाकों में 21% बच्चे कुपोषण का शिकार है। 

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कुपोषण मुक्ति अभियान का कुछ खास बातें (Fact About Campaign Freedom From Malnutrition )

  • इस अभियान में कहा गया है कि अगर मां स्वस्थ रहेगी तो वह स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकेगी।इसके लिए गर्भवती महिला को पर्याप्त पोषण मिलना आवश्यक हैं।इसीलिए हर गर्भवती महिला का आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकरण होना जरूरी है।ताकि उन्हें पोषक आहार मिल सके। 
  • संबंधित विभाग द्वारा कुपोषित बच्चों की सूची सरकार को नियमित भेजी जाएगी ताकि कुपोषित बच्चों की सही जानकारी मिल सके।और उन्हें पौष्टिक आहार समय पर मिल सके।
  • बच्चों का नियमित वजन कराया जाएगा।
  • बच्चों को मुफ्त में पोषण युक्त आहार दिया जाएगा।राज्य सरकार द्वारा कुपोषित बच्चों को उत्तम “ऊर्जा” आहार दिया जा रहा है।

 पोषण अभियान आगे भी चलता रहेगा

मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गई थी।इस अभियान के तहत वर्ष 2022 तक 6 साल तक की आयु के सभी बच्चों में कुपोषण का स्तर 38.4 से घटाकर 25% तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं।

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पोषण अभियान के हैं पांच सूत्र

पूरा पोषण अभियान 5 सूत्रों पर आधारित है।

  1. पहले सुनहरे 1000 दिन।
  2. पौष्टिक आहार।
  3. स्वच्छता और साफ-सफाई।
  4. एनीमिया प्रबंधन।
  5. डायरिया प्रबंधन।

मुख्यमंत्री ने लिया योगिता को गोद 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुपोषण मुक्ति अभियान के तहत एक कुपोषित बच्ची योगिता को गोद लिया।मुख्यमंत्री ने अगले दिन योगिता के घर (अजबपुर कलां)जाकर उसके माता-पिता से उसके खानपान ,पोषण ,वजन और उसकी दिनचर्या के बारे में जानकारी प्राप्त की।साथ में उसको पोषण युक्त आहार भी मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जन जागरूकता और समाज के सहयोग से उत्तराखंड को कुपोषण मुक्त प्रदेश बनाया जायेगा।

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