Very Short Motivational Story in Hindi : 2 छोटी कहानियों

Very Short Motivational Story in Hindi : 2 छोटी कहानियों

Story No -1

शब्दों का महत्व

Very Short Motivational Story in Hindi

हिंदू धर्म के पौराणिक महाकाव्य महाभारत में कौरव और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ। इस युद्ध में जहां एक ओर कौरवों का पूरा वंश खत्म हो गया था।वही हस्तिनापुर में विशाल जान माल की हानि हुई।शहर में चारों तरफ महिलायों रोती बिलखती दिखाई दे रही थी।

कुरूक्षेत्र मेें चारों तरफ लाशों ही लाशों थी।जिनके दाह संस्कार के लिए अब पुरुष ही नहीं बचे थे। लगभग सभी बच्चों के सिर से पिता का साया उठ चुका था।18 दिन के इस युद्ध में लगभग सारा हस्तिनापुर खत्म हो चुका था।हर जगह मातम ही मातम पसरा था। बची थी तो बस सुनहरी यादों ।

द्रौपदी भी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो गयी थी।क्योंकि इस युद्ध में उसने अपने बेटे  खो दिये।उसमें अब ना कुछ समझने की क्षमता बची थी और ना ही कुछ सोचने की।बस अपने महल में बैठी शून्य को निहारती रहती।और फिर पश्चाताप से भर उठती।

युद्ध खत्म होने के बाद एक दिन कृष्ण द्रौपदी के पास आये।द्रौपदी कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे पास गयी और रोते हुए बोली। “यह क्या हो गया सखा, ऐसा तो मैंने सोचा ह़ी नहीं था “।

कृष्ण ने द्रौपदी को समझाते हुए कहा “नियति बहुत क्रूर होती है द्रौपदी।वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती। हमारे कर्मों  का फल ही हमें देती हैं। और फिर तुम दुखी क्यों हो पांचाली।अब तो तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए।तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ। सिर्फ दुर्योधन और दुशासन ही नहीं , सारे कौरव समाप्त हो गए।

अब पूरा हस्तिनापुर तुम्हारा और तुम हस्तिनापुर की महारानी”।द्रौपदी कृष्ण की तरफ देखते हुए कहती हैं “हे सखा तुम मुझे सांत्वना देने आये हो या मेरे घावों पर नमक छिड़कने”।

कृष्ण ने द्रौपदी को समझाते हुए कहा “नहीं सखा, मैं तो तुम्हें सत्य बताने आया हूं कि जब हम कोई कर्म करते हैं। तो उसका परिणाम नहीं जाते हैं।और जब परिणाम आते हैं तो फिर हमारे हाथ मेें कुछ नहीं रहता”।

मेहनत का कोई विकल्प नही(Motivational story in hindi)

द्रौपदी ने कहा “तो क्या इस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से मैं ही जिम्मेदार हूं ?।कृष्ण ने कहा “नहीं द्रौपदी, पूर्ण रूप से तो नही ,लेकिन तुमने भी थोड़ी-सी समझदारी दिखाई होती तो तुम इतना कष्ट नहीं पाती”।

द्रौपदी आश्चर्य से कृष्ण की तरफ देख कर पूछती हैं।”क्या मतलब “।अब कृष्ण ने द्रौपदी से कहा “द्रौपदी जब तुम्हारा स्वयंवर हुआ। तब तुमने  कर्ण को अपमानित किया और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने से रोका।अगर तुम उस दिन कर्ण को एक अवसर देती तो शायद परिणाम कुछ और होता “। शब्दों का महत्व

इसके बाद जब तुम कुंती के आदेश का पालन कर पांचो पांडवों की पत्नी बनने को तैयार हो गयी।अगर तुम उस आदेश को अस्वीकार कर देती तो भी परिणाम शायद ये नहीं होता।और उसके बाद तुम अपने महल में दुर्योधन को अपमानित नहीं करती।

तो दुर्योधन इस कदर नाराज होकर बदला लेने की नहीं सोचता।और भरी सभा में तुम्हारा चीर हरण नहीं होता। और शायद तब भी परिस्थितियां कुछ और होती ।और यह भी हो सकता था की यह युद्ध ह़ी टल जाता”।

द्रौपदी एकटक कृष्ण को देखे जा रही थी और कृष्ण गंभीर मुद्रा में थे।कृष्ण द्रौपदी से बोले “हे सखा हमारे बोले गये हर शब्द का गहरा महत्व होता है।यह एक शब्द ही हमें उन्नति की तरफ भी ले जा सकता है।और युद्ध जैसे परिणाम भी दे सकता है।

इसीलिए हमें अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत जरूरी होता है। अन्यथा उसके दुष्परिणाम सिर्फ हमें ही नहीं, वरन हमारे पूरे समाज को भी भुगतने पड़ सकते है ।

क्योंकि कमान से निकला हुआ तीर ,जबान से निकले हुई बात और बीता हुआ वक्त लौटाया नहीं जा सकता है।चाहे कितना प्रयत्न कर लों। इसीलिए हे!पांचाली जो भी बोलो सोचसमझ कर बोलो और जो भी करो समय रहते हुए करो

द्रौपदी इस समय हस्तिनापुर बहुत कष्ट में है।और महाराज युधिष्ठिर घोर निराशा में।तुम उनकी निराशा को समाप्त कर हस्तिनापुर के पुनरुद्धार का कार्य करो । उठो !!! और अपने कर्म लग जाओ। समय बर्बाद ना करो।अब हर पल महत्वपूर्ण है।और यही प्रकृति का नियम भी। महाविनाश के बाद एक नई शुरुवात……”।

Moral Of The Story

जबान से निकली हुई बात बदली नहीं जा सकती है।चाहे कितना भी प्रयत्न कर लों। इसीलिए जो भी बोलो सोचसमझ कर बोलो और कटु बचन न बोलो ।

जज का न्याय (Motivational story in hindi)

Story No -2

विनयशीलता 

(Very Short Motivational Story in Hindi)

भगवान श्रीराम को माता कैकेयी के कारण ही 14 वर्ष के लिये वन जाना पड़ा था।जिस वजह से कैकेयी के अपने पुत्र भरत अपनी मां से नाराज हो गये। किंतु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मन में कैकेयी के लिए कोई दुर्भावना नहीं थी।

जब चौदह वर्ष के वनवास की अवधि पूरी कर श्रीराम अयोध्या लौटे।तो कैकेयी सोच रही कि वह उनसे नाराजगी प्रकट करेंगे।किंतु श्रीराम तो श्रीराम हैं। वो सबसे पहले मां कैकेयी के महल में गये।उन्होंने माता के चरण स्पर्श करने के बाद बड़ी विनम्रता से कहा “हे माता !!  मैं आपका बहुत आभारी हूँ। जो आपने मुझे वन भेजा।

यदि आप मुझे वन में न भेजती तो प्रजा को यह पता ही नहीं  चलता कि हमारे पिता कितने पुत्र स्नेही थे । हम चारों भाई पिता के कैसे आज्ञापालक हैं।लक्ष्मण , भरत और शत्रुघ्न मेरे आज्ञापालक आदर्श बंधु हैं ।

अगर आपने मुझे वन न भेजा होता तो, मेरी भेंट हनुमान जी जैसे महावीर व सर्वगणसंपन्न भक्त से कैसे होती। मैं सग्रीव जैसे सखा से नहीं मिल पाता और विभीषण जैसा सत्यनिष्ठ व धर्मपारायण सहयोगी कैसे पाता।पत्नी सीता की सेवा व सहयोग भावना को भी मैं प्रत्यक्ष कैसे देख पाता।

श्रीराम ने आगे कहा माता आपने अपने ऊपर कलंक लेकर मुझ पर अनेकों उपकार किये। इसीलिए मैं आपका आभारी हूँ। माता आप धन्य हैं।श्रीराम के मुख से अपनी प्रशंशा सुनकर कैकेयी की आंखों से अश्रु की धार बहने लगी।

Moral Of The Story (विनयशीलता)

दुनिया में आप जिस चीज को शस्त्र या अस्त्र से भी नहीं जीत सकते। उसे आप अपनी विनयशीलता या मधुर वचनों से आराम से जीत सकते हैं। मृदु व्यवहार व मृदु वचनों की तो पूरी दुनिया दीवानी होती हैं। 

Very Short Motivational Story in Hindi

You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

कालिदास का अहंकार (Motivational story in hindi)

दुल्हन ही दहेज (Motivational story in hindi)

दोहरे मापदंड (Motivational story in hindi)

अंसार शेख (Motivational story in hindi)

रिश्तों जमा पूंजी (Motivational story in hindi)