Tilu Rauteli Pension Yojana , Tilu Rauteli Awards, “गढ़वाल की लक्ष्मीबाई” तीलू रौतेली तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना क्या हैं और किसको दिये जाते हैं तीलू रौतेली पुरुस्कार in hindi
Tilu Rauteli Pension Yojana
उत्तराखंड की महिलाएं सदैव अपने जीवटता, कर्मठता, सहनशीलता और संघर्षशीलता के लिए जानी जाती हैं।और अपने कभी न हार मानने वाले जज्बे के कारण ह़ी आज विभिन्न क्षेत्रों में देश में ह़ी नही,बल्कि पूरी दुनिया में अपना नाम कमा रही हैं।
आज से कुछ साल पहले तक लगभग पूरे उत्तराखंड का पूरा जनजीवन जंगलों ,कृषि और पशुओं पर ही आधारित था।उत्तराखंड के मैदानी इलाकों की बात छोड़ दें तो पहाड़ों में आज भी कृषि कार्य बहुत कठिन है।
मैदानी इलाकों में कृषि भूमि के मैदान होने की वजह से कई उपकरणों का प्रयोग कर कृषि की जाती है जिससे लोगों को कम मेहनत में अच्छी फसल की प्राप्ति होती है।लेकिन यही कार्य पहाड़ों में बहुत दुष्कर हो जाता है क्योंकि वहां पर आज भी खेती पारंपरिक तरीके से ही की जाती है।
और पहाड़ों में कृषि का पूरा कार्य आज भी महिलाओं के जिम्मे ही है।या यूं कहें कि पूरा पहाड़ महिलाओं के कंधे पर ह़ी टिका हुआ है।गृह कार्य से लेकर बच्चों के पालन पोषण का काम ,पशुपालन, जंगलों से चारा व लकड़ी लाने का काम हो या अन्य सभी काम महिलाओं के ऊपर ही है।
ऐसे में कृषि कार्य करते हुए महिलाएं कई बार दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं।और कई बार वह शारीरिक रूप से विकलांग भी हो जाती हैं।उन्हीं महिलाओं (कृषि कार्य करते हुए विकलांग) के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक पेंशन योजना शुरू की है जिसे “तीलू रौतेली विशेष पेंशन/Tilu Rauteli Pension Yojana “ योजना के नाम से जाना जाता हैं।
1 अप्रैल 2014 को उत्तराखंड सरकार ने कृषि कार्य करते हुए विकलांग हुई महिलाओं के लिए “तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना/ Tilu Rauteli Pension Yojana” की शुरुआत की।
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किन महिलाओं को मिलेगा योजना का लाभ
- महिला को उत्तराखंड का मूल निवासी होना आवश्यक है।
- केवल कृषि कार्य में विकलांग महिलाओं को।
- Tilu Rauteli Pension Yojana का लाभ ऐसी ग्रामीण महिलाओं को दिया जाएगा जिनकी विकलांगता 20 से 40% के बीच में हो।
- महिला की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच में होनी चाहिए।
- ऐसी महिलाएं जिनको उत्तराखंड सरकार के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत किसी अन्य योजना का लाभ न मिल रहा हो।
- तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना में मासिक आय सीमा का कोई प्रावधान नहीं है।
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कब तक मिलेगा योजना का लाभ
- महिला के 60 वर्ष का होने तक।
- यदि कोई महिला 60 वर्ष की हो जाती हैं तो फिर उसकी तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना समाप्त कर उसे वृद्धावस्था पेंशन दी जाती हैं।
- 60 वर्ष के होने के बाद भी महिला को तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना से पेंशन मिलती रहेगी जब तक महिला की वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृति न हो जाय।
कितनी मिलेगी धनराशि
तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना (Tilu Rauteli Pension Yojana) में 800/- प्रतिमाह की धनराशि प्रदान की जाती हैं।तीलू रौतेली पेंशन योजना की खास बात यह हैं कि इस योजना में मिलने वाली पेंशन की धनराशि सीधे लाभार्थी महिला के बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर (DBT) की जाती हैं।
तीलू रौतेली पेंशन हेतु आवश्यक दस्तावेज
तीलू रौतेली पेंशन योजना (Tilu Rauteli Pension Yojana ) का लाभ लेने के लिए कुछ दस्तावेजों का होना आवश्यक है।
- आधार कार्ड।
- चिकित्सा अधिकारी के द्वारा प्रदान किया गया विकलांगता से संबंधित मेडिकल सर्टिफिकेट।
- बैंक का अकाउंट।
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ।
- शैक्षिक प्रमाण पत्र / मतदाता पहचान पत्र/परिवार रजिस्टर की काँपी।
- मोबाइल नंबर।
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कैसे करें आवेदन
तीलू रौतेली पेंशन योजना (Tilu Rauteli Pension Yojana) उत्तराखंड में आवेदन करने के लिए आपको राज्य के नजदीकी “समाज कल्याण विभाग” के कार्यालय से तीलू रौतेली पेंशन योजना का फॉर्म लाना होगा और फिर उसमें दी गई सभी जानकारीयों को सही-सही भर कर, जरूरी दस्तावेजों के साथ समाज कल्याण विभाग में जमा करना होता है।
फॉर्म जमा होने के बाद आवेदन पत्र और उसमें लगे दस्तावेजों की जांच होने के बाद आवेदन करने वाली पात्र महिला की पेंशन शुरू कर दी जाती है।
तीलू रौतेली पुरुस्कार (Tilu Rauteli Awards , 8 अगस्त)
तीलू रौतेली को उनके अदम्य साहस व वीरता के कारण “गढ़वाल की लक्ष्मीबाई” कहा जाता है।उत्तराखंड सरकार वीरांगना तीलू रौतेली के सम्मान में हर साल 8 अगस्त को विभिन्न क्षेत्रों (समाज सेवा ,खेल, शिक्षा, साहित्य ,कला ,स्वरोजगार ,संस्कृति, पर्यावरण ) में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं व युवतियों को “तीलू रौतेली पुरूस्कार ” से सम्मानित करती हैं।
इसमें पुरुस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं को 21 हजार रूपये की धनराशि के साथ साथ प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता हैं।गढ़वाल में 8 अगस्त को तीलू रौतेली जयंती मनाई जाती है।
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कौन थी तीलू रौतेली (Who Was Tilu Rauteli )
8 अगस्त 1661 में जन्मी गढ़वाल की इस लक्ष्मीबाई तीलू रौतेली का असली नाम था तिलोत्तमा देवी।तीलू रौतेली के पिता भूप सिंह रावत गढ़वाल नरेश की सेना में एक सैनिक थे।तीलू रौतेली का पूरा बचपन बीरोंखाल के कांडा मल्ला(गढ़वाल) में बीता था ।
उस समय लडकियों की शादी बचपन में ह़ी कर दी जाती थी इसी कारण मात्र 15 वर्ष की आयु में तीलू रौतेली की सगाई ईडा गांव के भोप्पा सिंह नेगी के साथ कर दी गई। इन्ही दिनों गढ़वाल लगातार कन्त्यूरी शाशकों के हमले झेल रहा था।
इन्हीं हमलों में कन्त्यूरी शाशकों के खिलाफ लड़ते लड़ते तीलू के पिता, मंगेतर और दोनों भाई (भगतु और पथवा) भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये।तीलू रौतेली को इस बात से गहरा दुःख पहुँचा और उसने प्रतिशोध लेने की ठान ली।मात्र 15 वर्ष की आयु में उसने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर एक सेना प्रारंभ की।
और राज्य की पुरानी सेना को भी एकत्र करना शुरू कर दिया। और एक दिन अपनी घोड़ी “बिंदुली” और अपनी दो प्रमुख सहेलियों (बेल्लु और देवली) को साथ लेकर कन्त्यूरी शाशकों से बदला लेने निकल पडी युद्ध भूमि में।
करीब 7 साल तक उसने कन्त्यूरी शाशकों के खिलाफ युद्ध किया।और अपने पिता और भाईयों की मौत का बदला लिया।ऐसा माना जाता हैं कि 15 से 20 वर्ष की आयु में लगभग सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एकमात्र महिला है।
लेकिन युद्ध समाप्त हो जाने के बाद जब तीलू रौतेली अपने घर लौट रही थी तो कांडा गांव में नायर नदी के पास कुछ देर विश्राम करने के लिए रुकी।तभी तीलू रौतेली से युद्ध में पराजित एक कन्त्यूरी सैनिक रामू रजवार ने धोखे से उन पर प्राण घातक हमला किया।लेकिन अपने सम्मान की रक्षा के लिए शहीद होने वाली गढ़वाल की यह वीरांगना आज भी लोगों के दिलों में राज करती हैं।
तीलू रौतेली की याद में प्रतियोगितायों व मेलों का आयोजन
तीलू रौतेली की याद में आज भी कांडा ग्राम तथा बीरोंखाल क्षेत्र में हर वर्ष मेलों (कौथीग) का आयोजन किया जाता हैं। ढोल, दमाऊ और निशाण के साथ तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन किया जाता है।लोकगीत गाए जाते हैं।तीलू रौतेली को गढ़वाल की लक्ष्मीबाई कहा जाता है।
आज भी हर वर्ष उनके नाम से मेलों और वॉलीबॉल मैच का आयोजन कांडा मल्ला में किया जाता हैं।जिसमें सभी क्षेत्रवासी बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं।
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