My physical fitness is my wealth that will build the human capital for Atma Nirbhar Bharat.
मेरी शारीरिक तंदुरुस्ती ही मेरी दौलत है जो आत्म-निर्भर भारत के लिए मानव पूंजी का निर्माण करेगी
Hindi Essay On My physical fitness is my wealth that will build the human capital for Atma Nirbhar Bharat
Content / संकेत बिंदु / विषयसूची
- प्रस्तावना
- स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन
- मेरी शारीरिक तंदुरुस्ती ही मेरी दौलत है
- मेरी शारीरिक तंदुरुस्ती , आत्म-निर्भर भारत के लिए मानव पूंजी का निर्माण करेगी
- उपसंहार
प्रस्तावना
“स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है और एक स्वस्थ व्यक्ति किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी मानव पूंजी है”। यह कहावत तो आपने खूब सुनी होगी। लेकिन अब यही कहावत हमारे राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।
देश के स्वस्थ नागरिक देश की धरोहर , देश की मानव पूंजी होते हैं। क्योंकि सरकार द्वारा बनाई जाने वाली हर योजनाओं , उद्योग धंधों आदि का क्रियान्वयन देश के स्वस्थ नागरिक ही कर सकते हैं।
अगर देश में स्वस्थ नागरिकों की संख्या अधिक होगी तो , काम करने वाले हाथ और स्वस्थ दिमाग भी अधिक होंगे। और अधिक स्वस्थ हाथ कम अवधि में अधिक कार्य सम्पन्न करेंगे। और स्वस्थ दिमाग हर रोज देश की तरक्की के लिए नई नई योजनाओं , आविष्कारों आदि को जन्म देंगे। जिससे वह देश तरक्की के मार्ग पर जल्दी अग्रसर होगा।
स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन
सच में हमारी शारीरिक तंदुरुस्ती ही हमारी व देश की सबसे बड़ी दौलत है। क्योंकि कि एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ दिमाग बसता है।
स्वस्थ शरीर और मन दोनों ही हमें जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने के काबिल बनाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति दुनिया की सारी सुख सुविधाओं का भोग कर सकता है। वह समाज , देश की तरक्की में कई प्रकार से अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
जबकि एक अस्वस्थ व्यक्ति दुनिया की कोई सुख सुविधा का उपभोग नहीं कर पता है। यहाँ तक कि उसका अपना शरीर भी खुद उसके लिए ही बोझ होता है।
मेरी शारीरिक तंदुरुस्ती ही मेरी दौलत है
इस संसार में एक व्यक्ति को अपने पूरे जीवन काल में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई समस्याओं से होकर गुजरना पड़ता है और एक साथ कई जिम्मेदारियों को भी निभाना पड़ता है। इन सबके लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है।
अगर मैं शारीरिक रूप से स्वस्थ रहूंगा तो , मैं अपनी हर जिम्मेदारी को आसानी से निभा सकता हूं। और जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना बड़ी आसानी से कर सकता हूं। और साथ में दुनिया की हर सुख सुविधा व खुशी को भी अपने मेहनत और लगन के दम पर हासिल कर सकता हूं।
अगर मैं खुद ही स्वस्थ नहीं रहूंगा तो , मैं कैसे जीवन में आने वाले किसी समस्या या चुनौती का सामना कर पाऊंगा और अपनी जिम्मेदारी को निभा पाऊंगा। यहां तक कि मेरा खुद का अपना शरीर और जीवन दोनों दूसरों के ऊपर निर्भर हो जाएंगे।
शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित शारीरिक व्यायाम , योग , ध्यान , अच्छे व ताजा भोजन , स्वच्छता , नियमित चिकित्सकीय जाँच आदि की आवश्यकता होती है।
मेरी शारीरिक तंदुरुस्ती , आत्म-निर्भर भारत के लिए मानव पूंजी का निर्माण करेगी (My physical fitness is my wealth that will build the human capital for Atma Nirbhar Bharat )
शारीरिक तंदुरुस्ती ना सिर्फ व्यक्ति की व्यक्तिगत पूंजी है बल्कि वो देश के लिए भी एक अनमोल उपहार स्वरूप हैं। अगर देश के भविष्य की उज्ज्वल रखना है तो नागरिकों को मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है।
यदि हमारे सभी नागरिक स्वस्थ व तंदुरुस्त होंगे तो , देश में एक अच्छा माहौल रहेगा। देश विकास की राह पर तेजी से चल पड़ेगा । क्योंकि सफलता और फिटनेस का रिश्ता एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। फिर चाहे क्षेत्र कोई भी क्यों न हो। उद्योग से लेकर खेल जगत या फिर फिल्म जगत से लेकर स्टार्टअप तक , जो फिट हैं वही सफल हैं।
आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए मानव पूंजी भी एक मजबूत स्तंभ है। हमारे पास जितनी अच्छी मानव पूंजी होगी। हमारा सपना उतनी जल्दी साकार हो जाएगा। चाहे आप जन कल्याण से संबंधित कितनी भी योजनाएं बना लें , चाहे आप कितने अच्छे स्टार्टअप प्रोग्राम ले आए हैं या कितने भी नए उद्योग धंधे , कल कारखाने खोल लें।
इन सब को चलाने के लिए धन और अन्य सामानों के अलावा मानव पूँजी की आवश्यकता होती है। सभी काम मशीनों के द्वारा नहीं किया जा सकते । अगर भारत के नागरिक स्वस्थ रहेंगे तो वो सरकार द्वारा द्वारा चलाई गई योजनाओं को क्रियान्वित करने में सरकार की मदद करेंगे।
लोगों को उन योजनाओं के प्रति जागरूक कर उन योजनाओं को सफल बनाने का कार्य करेंगे। ऐसे ही आजकल सरकार द्वारा स्टार्टअप प्रोग्राम , पर्यटन प्रोग्राम , कृषि संबंधी प्रोग्राम , नये आविष्कारों को प्रोत्साहन देने आदि के लिए धन मुहैया कराया जा रहा है। ताकि लोग अपनी कंपनी खोलकर या स्वरोजगार अपना कर खुद भी आत्मनिर्भर बने और लोगों को भी रोजगार मुहैया कराएं।
लेकिन इन कंपनियों को खड़ा करने में शुरुआती समय में काफी मेहनत और जुनून की आवश्यकता होती है। ऐसे ही उद्योग धंधे व कल कारखानों में भी मशीन एक सीमा तक ही काम करती हैं। लेकिन मनुष्य मशीनों का और अपना दोनों का काम आसानी से कर सकता है। अगर हमारे पास शारीरिक रूप से मजबूत मानव पूंजी नहीं होगी तो , यह कल कारखाने भी उन्नति नहीं कर पाएंगे।
ऐसे ही कृषि क्षेत्र में भी अनाज का उत्पादन करने के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। कड़ी धूप , बारिश तो सहना ही पड़ता है। साथ में शारीरिक मेहनत भी करनी पड़ती है , जो एक अस्वस्थ आदमी के बस की बात नहीं है। अगर आप टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से भी जुड़े हैं तो भी आपको दिमागी रूप से स्वस्थ व मजबूत होना आवश्यक है। और स्वस्थ दिमाग के लिए शारीरिक स्वस्थता पहली प्राथमिकता है।
अगर आप खेल जगत में भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं तो आपको निश्चित रूप से शारीरिक रूप से चट्टान की तरह मजबूत होना ही पड़ेगा।ऐसे ही अगर आप नये आविष्कारों को जन्म देना चाहते हैं या मंगल ग्रह पर जाकर वहां की बारीकियों को देखना चाहते हैं , तब भी आपको शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है।
यानी क्षेत्र कोई भी हो , वहां पर मानव पूंजी की आवश्यकता पड़ती ही है। अगर हमारे देश में सभी लोग स्वस्थ होंगे तो , वो किसी भी क्षेत्र में काम करेंगे तो , देश आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ेगा ही , लोगों की खुद की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही , देश के खजाने में भी वृद्धि होगी। लेकिन यह तो निश्चित हैं। लेकि नागरिकों की शाररिक तंदुरुस्ती ही उनकी असली दौलत है जो भारत को आत्म-निर्भर भारत के लिए मानव पूंजी के रूप में कार्य करेगी।
उपसंहार
व्यक्ति के लिए शारीरिक तंदुरुस्ती सर्वोपरि है। तंदुरुस्ती , स्वस्थ , समृद्ध और सुखी जीवन की एक जरूरी व पहली शर्त है। किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक तौर पर फिट होना जरूरी है।
भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए कई स्तम्भों पर खड़ा होना पड़ेगा। और उनमें सबसे मजबूत स्तंभ मानव पूंजी ही हैं। हम कितनी भी योजनाओं को बना लें। लेकिन उनको धरातल पर तो शारीरिक रूप से स्वस्थ मानव पूंजी के द्वारा ही उतारा जा सकता है।
जिस देश के पास जितनी स्वस्थ मानव पूंजी है। वह देश / राष्ट्र उतनी ही जल्दी तरक्की करेगा। मैं शारीरिक व मानसिक रूप से रूप से बिल्कुल स्वस्थ हूं। इसीलिए मैं अपने देश के विकास व उन्नति के लिए मानव पूंजी के रूप में एक अहम भूमिका निभा सकता हूं। और अपने देश को विश्व मानचित्र में एक नई पहचान दिलाने में अपना योगदान देता रहूंगा। और अपने आप को भी हमेशा शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखूंगा।
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