Divya Rawat A Motivational Story to Students, Divya Rawat ,The Mushroom Lady ,मशरूम लेडी ,युवाओं के लिए एक मिशाल , नारी शक्ति पुरस्कार (Women Power Award) से सम्मानित।
Divya Rawat
( Motivational Story to Students)
कुछ लोग अपनी लगन व मेहनत के बल पर खुद अपने लिए तो एक मुकम्मल जहां बनाते ही हैं साथ में दूसरों के लिए भी एक मिसाल बन जाते हैं ।ऐसी ही एक मिसाल है। युवा मशरूम उद्यमी दिव्या रावत, जिन्हें विश्व महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति जी ने सम्मानित किया।
संघर्षों भरा रहा बचपन (Motivational Story to Students)
आज हजारों युवाओं की प्ररेणास्रोत बन चुकी दिव्या रावत ने बचपन में अपने पिता को खो देने के बाद अपने परिवार के साथ अनेक संघर्षों का सामना किया।लेकिन उन विकट परस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। दिल्ली में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लगभग तीन साल तक एक संस्थान में नौकरी की।लेकिन उनका मन 9 से 5 तक की नौकरी में नहीं लगा।
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तब उन्होंने अपने घर देहरादून लौट जाने का फैसला किया। स्वरोजगार शुरू करने के उद्देश्य से उन्होंने देहरादून स्थित “डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर” से मशरूम उत्पादन का विधिवत प्रशिक्षण लिया ।उसके हर पहलू को बारीकी से समझा और जाना।
खंडहर पड़े मकानों से की मशरूम की खेती की शुरुआत
सन 2012 में पहली बार लोगों के पलायन से खाली हुए गांवों के खंडहर पड़े मकानों से उन्होंने मशरूम की खेती की शुरुआत की।वह अपने कार्य में पूरे आत्मविश्वास व मेहनत से जुट गई।धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और वो कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती चली गई ।उसके बाद उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र बढ़ाया ।
उन्होंने जितनी मेहनत मशरूम उगने में की उतनी ही मेहनत उन्होंने उसकी मार्केटिग में भी की।क्योंकि वो इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि किसी भी व्यवसाय को बुलंदी पर पहुचाने के लिए अपने प्रोडक्ट की अच्छी मार्केटिग करनी जरुरी हैं ।
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महिलाओं तथा युवाओं को भी प्रेरित किया (Motivational Story to Students)
सन 2013 में गढ़वाल में आई भयंकर आपदा के बाद उन्होंने कर्णप्रयाग, चमोली ,रुद्रप्रयाग, यमुना घाटी तथा उसके आसपास के इलाकों में जाकर महिलाओं तथा युवाओं को मशरूम की खेती के बारे में बताना शुरू किया।क्योंकि पहाड़ के लोगों के लिए ये उनकी पारम्परिक खेती से हट कर हैं। शुरू में थोड़ी हिचक के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं एवं युवा उनसे जुड़ते चले गए।
उन्होंने उन्हें प्रशिक्षित कर इस खेती के हर हुनर से परिचित करवाया ।महिलाओं और युवाओं को अपने गांव घर में ही रोजगार पैदा कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया।और कई लोगों को इसका फायदा भी हुआ और वो आत्मनिर्भर बन गये हैं।इस बक्त इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में मशरूम की खेती की जा रही हैं।
और वो अभी भी गावों में जाकर मशरूम उत्पादन की छोटी छोटी यूनिट खोल रही हैं।दिव्या रावत लगभग पूरे साल ह़ी मशरूम का उत्पादन करती हैं।यह दिव्या रावत की कोशिशों का नतीजा है कि आज यह पूरा क्षेत्र (रवाई घाटी) “मशरूम घाटी” के नाम से जाना जाता है।
सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना
दिव्या रावत के मशरूम की देहरादून सब्जी मंडी में बहुत मांग है।इसके अलावा इनका मशरूम दिल्ली सब्जी मंडी तथा अन्य जगहों में भी जा रहा हैं।इन मशरूम को बेच कर वो अच्छा मुनाफा कमा रही हैं ।उन्होंने “सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड” के नाम से एक कंपनी देहरदून के मोथरोवाला में स्थापित की हैं।जिसके तहत वो मशरूम को उगाने तथा उनको बाजार में बेचने का कार्य करती हैं। और इस कंपनी की वह मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं।
इस वक्त इस कंपनी का टर्नओवर लाखों रुपए में है लेकिन आज भी वह किसी साधारण वर्कर की तरह अपने मशरूम प्लांट में मशरूम लगाती हुई नजर आ जाएंगी।
कम जगह में भी खेती की जा सकती है मशरूम की
मशरूम की खेती के लिए कोई बहुत लंबा चौड़ा क्षेत्र नहीं चाहिए।यह छोटी जगहों या घरों के अंदर ही उगाए जाने वाली खेती है।यह ऐसी खेती है जिसको हर व्यक्ति अपने घर पर ही उगा सकता है अगर उसे सही जानकारी हैं तो।यह साल भर उगाया जा सकता है।दिव्या मशरूम उगाने व नए लोगों को प्रशिक्षण देने, मशरूम की पैंकिग करने,तथा उनको बाजार तक पहुचाने का कार्य अपने घर से ह़ी करती हैं।
उत्तराखंड के कई युवाओं के साथ साथ अन्य प्रदेशों से आए युवा भी आज दिव्या रावत से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण ले रहे हैं।कम तापमान पर उगने वाले मशरूम को( 20 से 25 डिग्री )दिव्या रावत ने 30 से 40 डिग्री पर उगा कर एक चमत्कार ही कर दिया।
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नारी शक्ति पुरस्कार (Women Power Award) से सम्मानित
युवा मशरूम उद्यमी दिव्या रावत को विश्व महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति जी ने नारी शक्ति पुरस्कार (Women Power Award) से सम्मानित किया।यह पुरस्कार उन्हें मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया गया।
दिव्या रावत ,एक सामाजिक कार्यकर्ता (Motivational Story to Students)
दिव्या रावत खुद एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने करीबन 2 साल एक एनजीओ से जुड़कर सामाजिक कार्य किए।अभी भी वह सामाजिक कार्य करती हैं जिसके तहत वह खुद जा कर रोड शो करके लोगों को मशरूम की खेती के बारे में बताती हैं तथा उनको मशरूम की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
उत्तराखंड से लगातार नौकरी की तलाश में युवाओं के पलायन को रोकने के लिए वो युवाओ को स्वरोजगार अपनाने की बात पर जोर देती हैं।उत्तराखंड की इस बेटी ने अपने मेहनत से अपने सपने को तो साकार किया ही। औरों के सपनों को भी साकार करने में उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ा कर उनके लिए प्रेरणा स्रोत बन गई। अपनी इस मेहनती व कामयाब बेटी पर उत्तराखंड को नाज हैं।
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मशरूम खाने के फायदे ( Motivational Story to Students)
मशरूम बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक व औषधी गुण से भरपूर होता है।इसमें प्रोटीन, अमीनो एसिड, खनिज लवण,फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम तथा विटामिन बी होता है।इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं।
यह सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है।चीन में तो इसे औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।जबकि रोम के लोग इसको “भगवान का आहर” मानते हैं ।यह हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है ।मोटापे को कम करता है ।
मधुमेह से बचाता है। तथा हृदय रोगों में भी लाभ पहुंचाता है।हिमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाता है तो कैंसर से भी बचाव का काम करता है।लेकिन कुछ लोग को इसको खाने से एलर्जी होती है। यह तीन प्रकार का होता है।
(1) सर्दियों में पैदा होने वाला बटन मशरूम लगभग 30 दिन में तैयार हो जाता है।
(2) गर्मियों में पैदा होने वाला मिल्की मशरूम करीबन 45 दिन में तैयार होता है।
(3) लेकिन मिड सीजन का ओएस्टर केवल 15 दिन में ही तैयार हो जाता है।
मशरूम एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो अपनी उत्पादन लागत से लगभग 3 गुना ज्यादा मूल्य में बिकता है। इस वक्त मशरूम की कीमत बाजार में लगभग 120रु. से लेकर 180 रु किलो तक है जबकि इसको उगने में केवल 40 से 50 रूपये प्रति बैग खर्चा आता हैं।
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