Motivational Story in Hindi :
Story – 1
Motivational Story in Hindi
कालिदास का अहंकार
एक बार यात्रा में कालिदास को बहुत प्यास लगी।तब उन्होंने रास्ते में कुआँ पर खड़ी एक महिला से कहा कि वो उन्हें पानी पिला दें।
कालिदास बोले ” माते पानी पिला दीजिए। बङा पुण्य होगा”।
स्त्री बोली ” बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं। अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी”।
कालिदास ने कहा ” मैं मेहमान हूँ , कृपया पानी पिला दें”।
स्त्री बोली “तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता”।
सत्य बताओ कौन हो तुम ?
(अब तक के सारे तर्क से पराजित और हताश तो हो ही चुके थे कालिदास)
कालिदास बोले ” मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें “।
स्त्री ने कहा ” नहीं, सहनशील तो दो ही हैं।पहली धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है। दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं “।
तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले “मैं हठी हूँ”।
स्त्री बोली “फिर असत्य।हठी तो दो ही हैं।पहला नख और दूसरे केश।कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं “।
सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?
(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे कालिदास)
कालिदास ने कहा ” फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ” ।
स्त्री ने कहा “नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।मूर्ख दो ही हैं।पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है।और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क देता है।और उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है “।
कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े।और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे।
वृद्धा ने कहा ” उठो वत्स !!!!!”
आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी।कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए।
माता ने कहा “शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार। तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया।और अहंकार कर बैठे।इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा “।
कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और पानी पीकर वे आगे चल पड़े।
शिक्षा (Moral of the story कालिदास का अहंकार )
अपनी विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें , यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।
Story No -2
बुद्धिमान राजा
मगध देश में एक राजा राज्य करता था। वह बहुत चतुर और बुद्धिमान था। लेकिन साथ ही साथ वह वीर और महाप्रतापी भी था। उसकी बुद्धिमानी की चर्चा दूर देशों तक फैली थी।विजयगढ़ की राजकुमारी ने भी उसकी खूब प्रशंसा सुनी थी।इसलिए राजकुमारी ने उसकी बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेने की सोची।
एक बार राजा किसी कारणवश विजयनगर गया।अब राजकुमारी को राजा की बुद्धि परखने का स्वर्णिम अवसर मिल गया। वह दो माला लेकर राजा के पास पहुंची।उनके दाहिने हाथ में असली फूलों की माला थी। जबकि बायें हाथ में नकली।दोनों ही मालायें देखने में एक जैसी लगती थी।
वह राजा के पास पहुंची और राजा से बोली ” हे राजन , आपकी बुद्धि की चर्चा तो चारों दिशाओं में है। क्या आप बता सकते हैं कि इन दोनों मालाओं में से कौन सी माला असली है और कौन सी नकली”।
राजा ने दोनों मालाओं को गौर से देखा। दोनों एक ही समान लग रही थी। पहचानना काफी मुश्किल हो रहा था। राजा वाकई में बुद्धिमान था। उसने दरवारियों से कहा कि महल के सारे खिड़कियां व दरवाजे खोल दी जाए। आदेशनुसार महल के सारी खिड़कियां व दरवाजे खोल दिये गये।
जैसे ही महल की सारी खिड़कियां व दरवाजे खोले।फूलों की खुशबू वातावरण में चारों तरफ फैल गई। इसी खुशबू से आकर्षित होकर एक तितली उड़ती हुई आई और राजकुमारी के दाहिने हाथ की माला में बैठ गई।
राजा ने राजकुमारी से कहा कि “आपके दाहिने हाथ की माला असली है और बाएं हाथ की माला के फूल नकली है”। राजकुमारी सच में राजा की बुद्धिमानी की कायल हो गई।
Moral Of The Story
कभी कभी कुछ चीजें ताकत के बल पर नहीं , बुद्धि के बल पर ही जीती जाती हैं। और कठिन समय में ही इंसान की बुद्धि की परीक्षा होती है।
Story No -3
झूठा लड़का
एक गाँव में पवन नाम का एक शरारती लड़का रहता था।हर समय उसके दिमाग में कोई न कोई शरारत चलती रहती थी। वह गांव वालों को अपनी शरारतों से परेशान किया करता था। जिससे गांव वाले काफी परेशान रहते थे।
पवन हर रोज अपनी गाय भैंस चराने जंगल में जाता था।एक दिन अचानक उसके दिमाग में एक शरारत सूझी और वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। शेर आया … शेर आया …. बचाओ बचाओ , शेर आया।
उसके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास के खेतों में काम कर रहे सभी गांव वाले दौड़े-दौड़े उसकी तरफ आए। लेकिन जैसे ही वो सब उसके पास पहुंचे तो वह जोर-जोर से हंसने लगा। सभी लोगों को उसे देखकर गुस्सा आया। और बड़े बूढ़ों ने उसे समझाया कि वह इस तरह का मजाक ना करें।
इसी तरह वह गांव के लोगों को अक्सर परेशान करता था। एक दिन वह जंगल में अपने गाय-भैंसों को चराने गया।अचानक सच में ही इसके सामने एक शेर आ गया।शेर को सामने देखकर पवन डर के मारे थरथर कांपने लगा और जोर जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ शेर आ गया , बचाओ शेर आ गया”।
आसपास काम कर रहे गांव वालों को उसकी आवाज सुनाई तो दी।लेकिन कोई उसे बचाने नहीं गया। सबने यही सोचा कि इसकी तो आदत झूठ बोलने की है , और यह अभी भी झूठ बोल रहा होगा।और वो अपने कामों पर लगे रहे।
लेकिन उस दिन सच में शेर आया था। वह पवन पर झपटा और उसको मार कर खा गया।इस तरह पवन का मजाक और झूठ बोलना आज उसकी जान पर ही भारी पड़ गया।
Moral Of The Story
इसीलिए कहा गया है इंसान को कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। क्योंकि अगर वह कभी सच भी बोलता है तो लोग उसकी बात का विश्वास नहीं करते। झूठ बोलने वालों का समाज के लोग इज्जत भी नहीं करते और इसका परिणाम भी कई बार घातक होता है।
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