Essay On My Mother in Hindi : मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध
Essay On My Mother in Hindi
मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध (400 Words )
Essay No -1
Content /विषय सूची /सांकेतिक बिंदु
- प्रस्तावना
- मेरी माँ
- उपसंहार
प्रस्तावना
“मां तुझ पर क्या लिखूं , तूने ही मुझे लिखा है। मैं तेरी ही रचना हूं। तूने ही मुझे अपने खून पसीने से सींचा है”। मां शब्द में कितना अपनापन है , कितनी मिठास है। इस शब्द का उच्चारण करते ही वात्सल्य की जीती जागती मूर्ति आंखों के सामने खड़ी हो जाती है। इस छोटे से शब्द “माँ ” में ममता का पूरा भंडार व बच्चे की सारी दुनिया समायी हुई है।
मेरी माँ
मेरी मां एक साधारण गृहणी हैं। मेरी मां दिन भर कुछ ना कुछ काम करती रहती है। गृहस्थी की हर चीज पर उनकी पैनी नजर रहती है। घर की सफाई से लेकर घर को सजाना संवारना आदि उनके कामों में शामिल हैं। वह घर के प्रत्येक सदस्य का ध्यान रखती हैं। पिताजी के हर काम में वह उनकी सहायता करती है।दादा व दादी की खूब सेवा करती हैं जिससे वह काफी प्रसन्न रहते हैं।
मेरी मां स्वभाव से बहुत ही सरल व मिलनसार हैं। वह दयालु व ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने वाली महिला हैं । वह घर आए रिश्तेदारों व परिचितों का स्वागत बहुत प्यार से करती हैं। वह मेरे मित्र व मेरी बहन की सहेलियों को खूब प्यार करती है। जब भी वो घर पर आते हैं। वह उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखती हैं।
घर के नौकर चाकर भी मां को अपनी मां जैसा ही सम्मान देते हैं। मेरी पढ़ाई-लिखाई , भोजन , कपड़े आदि का इंतजाम मेरी मां की ही जिम्मेदारी है। मेरी मां धार्मिक विचारों की महिलाएं हैं। वह प्रतिदिन मंदिर जाती हैं। हमारे घर पर भी उन्होंने एक छोटा सा मंदिर बना रखा है। जहां वह सुबह शाम दिया-बाती कर भगवान की पूजा आराधना करती हैं। भगवान के चरणों में फूल चढ़ाती हैं।व हाथ जोड़कर भगवान से हमारे हमारे लिए दुआएं मांगती हैं
मेरी मां अंधविश्वासी या रूढ़िवादी विचारों की नहीं हैं। वह छुआछूत पर विश्वास नहीं करती। मेरी मां स्वभाव से बहुत ही उदार हैं। वह विशाल हृदय की मल्लिका हैं।
वह खुद ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं है लेकिन पढ़ाई लिखाई का महत्व खूब समझती हैं। इसीलिए हमें खूब पढ़ाना चाहती हैं। उनकी इच्छा है कि हम पढ़ लिख कर योग्य बने और अपने पैरों पर खड़े होकर इमानदारी से अपना जीवन व्यतीत करें। वह हमें देश का निर्भीक व स्वाभिमानी नागरिक बनाना चाहती है।
उपसंहार
सच में मेरी मां स्नेह , ममता , कर्तव्य पालन व सद्भावना की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं। मेरे जीवन निर्माण का पूरा श्रेय मेरी मां को ही जाता है। मैं अपनी मां को बहुत प्यार करता हूं। सुबह उठकर सबसे पहले अपनी माता के चरण छूता हूं और उनका आशीर्वाद लेता हूं। मां की सेवा , प्यार व ममता का ऋण मैं कभी नहीं चुका सकता। मां तुझे सत सत नमन। ….
मेरी माँ पर दो हिन्दी निबंध (500 Words )
Essay No -2
प्रस्तावना
“माता पिता गुरु देवता”। इस दुनिया में माता का स्थान भगवान से भी पहले आता है क्योंकि हर इंसान का इस दुनिया से परिचय उसकी मां के माध्यम से ही होता है। नौ महीने अपनी कोख में रखकर मां एक बच्चे को न सिर्फ जन्म देती है। बल्कि उसके जीवन निर्माण में भी वह नींव का पत्थर सहायक होती है।
मेरी माँ
मैं अपनी मां के बारे में क्या कहूं। मेरी मां एक पढ़ी-लिखी महिला है। वो शहर के एक जाने-माने स्कूल में अध्यापन का कार्य करती हैं। बावजूद इसके वह घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाती हैं। और हम सब परिजनों का भी अच्छे से ध्यान रखती हैं। उन्होंने बड़ी कुशलता से अपने घर और काम के बीच में संतुलन बनाया हुआ है जिससे वो दोनों को बहुत अच्छे से निभा पाती हैं।
उनकी दिनचर्या सुबह 4:00 बजे से शुरू हो जाती है।वह सुबह 4:00 बजे उठकर अपने सुबह के कामों से निवृत्त होकर घर के प्रत्येक सदस्य के लिए नाश्ता बनाती हैं। मैं और मेरे भाई दोनों के स्कूल और पापा के ऑफिस जाने की तैयारी करती हैं। उसके बाद हम सबको नाश्ता कराने के बाद स्वयं भी नाश्ता कर स्कूल जाती है। वह एक अच्छी माँ होने के साथ साथ एक अच्छी शिक्षक भी हैं।
शाम को घर आकर माँ घर के कामों को निपटा कर मुझे और मेरे भाई को होमवर्क पूरा करने में मदद करती हैं। घर में सभी चीजों की व्यवस्था करना मां की ही जिम्मेदारी है जिसको मां बखूबी निभाती है। मेरी मां आधुनिक व पढ़ी-लिखी होने के कारण वह नए जमाने की अच्छी चीजों को बहुत जल्दी अपना लेती हैं।
लेकिन साथ ही अपने संस्कारों , अपने रीति-रिवाजों का भी बड़ी शिद्दत से पालन करती हैं। हमारे घर में सारे तीज त्यौहार पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाए जाते हैं। मेरी मां घर में आने वाले प्रत्येक मेहमान का बड़े प्रसन्न होकर स्वागत करती हैं।
मेरी मां मेरी शिक्षक , मार्गदर्शक व प्रेरक है। उन्होंने मुझे सर्वप्रथम अक्षर ज्ञान कराया , बोलना सिखाया ,अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया। सही और गलत में फर्क करना सिखाया।कई बार जब मैं सोचता हूं कि मैं यह काम नहीं कर सकता हूं। तो उस वक्त मां मेरे साथ मजबूती से खड़े होकर मुझे आगे बढ़ने के लिए और उस काम में सफल होने के लिए मेहनत करने को प्रेरित करती हैं।
मेरी माँ , मेरी सारी दुनिया हैं
माँ , इस दुनिया में सर्वप्रथम पूजनीय है , मां से ही बच्चों की सारी दुनिया है। माँ ही सहारा है। माँ ही किनारा हैं। मां भले खुद कष्ट या दुःख में रहे। लेकिन अपने बच्चों को वह कभी कष्ट में नहीं देख सकती। माँ अपने बच्चों को दुनिया की हर वह चीज देने की कोशिश करती हैं जो वह सोचती है कि उसके बच्चों को मिलनी चाहिए।
मेरी मां हमेशा हमें ईमानदारी , सच बोलने एवं कर्तव्यनिष्ठ रहने का पाठ पढ़ाती हैं। वह अक्सर कहती हैं कि हमें न सिर्फ अपने घर परिवार बल्कि अपने देश , समाज से भी प्यार करना चाहिए। हमारा देश हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए। इसीलिए हम सब को एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देती हैं।
उपसंहार
मेरी मां सच में दुनिया की सबसे सुंदर व सबसे अच्छी मां है। हर रोज वह मेरे हर छोटे बड़े काम में मेरी मदद करती हैं। अब मुझे लगता है कि भगवान हर जगह नहीं होते। इसीलिए उन्होंने हर बच्चे को एक माँ दे दी। ताकि वह उस मां के जरिए हमेशा उसके पास रह सके। मेरी माँ भी मेरे लिए ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार हैं। माँ तुझे सत सत नमन। …
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