Essay On My Favorite Teacher in hindi: मेरे प्रिय शिक्षक

Essay On My Favorite Teacher :  मेरे प्रिय शिक्षक पर दो हिंदी निबंध (500 Words , 600 Words )

Essay On My Favorite Teacher in hindi

मेरे प्रिय शिक्षक पर हिन्दी निबंध (600 Words )

Content 

  1. प्रस्तावना
  2. मेरे प्रिय शिक्षक ( My Favorite Teacher)
  3. उपसंहार

Essay On My Favorite Teacher

प्रस्तावना

जलाकर दीप ज्ञान का , जीवन का अंधियारा मिटाते हैं शिक्षक । 

तन मन को कर आलोकित , सफलता के मार्ग पर चलाते हैं शिक्षक।

जीवन में माता-पिता के बाद जिस व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है वह शिक्षक ही है। शिक्षक सिर्फ एक स्कूल में किताबी ज्ञान कराने वाला एक व्यक्ति नहीं है। बल्कि जीवन में सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करने वाला , ज्ञान का दीपक जलाकर व्यक्ति के मन से अज्ञानता के अंधकार को मिटाने का काम भी शिक्षक ही करते हैं।

वैसे तो स्कूल , कॉलेज में अनेक शिक्षक मिलते हैं। और सभी प्रत्येक विद्यार्थी के लिए सम्मानीय होते हैं। लेकिन उनमें से कुछ शिक्षक आपके बहुत प्रिय बन जाते हैं। ऐसे ही मेरे एक शिक्षक मेरे प्रिय शिक्षक हैं विनयशर्मा जी। 

मेरे प्रिय शिक्षक 

मेरे स्कूल का नाम मानस अकेडमी है। मेरा स्कूल काफी बड़ा है। उसमें करीबन 90 शिक्षक पढ़ाते हैं।हमारी 10वीं की क्लास को करीबन 8 टीचर पढ़ाते हैं। वैसे तो हर शिक्षक अपने आप में बहुत अलग हैं। सभी का व्यवहार अपने विद्यार्थियों के प्रति बहुत ही अच्छा और उदार है। सभी शिक्षक हमें अपने बच्चों के जैसे समझकर व्यवहार करते हैं।वो हमारी पढ़ाई में हमारे साथ काफी मेहनत करते हैं ताकि हम क्लास में हमेशा अव्वल रहें।

मैं अपने सभी शिक्षकों का दिल से सम्मान करता हूं। लेकिन मेरे गणित के आल राउंडर शिक्षक श्री विनय शर्मा मेरे प्रिय शिक्षक हैं। विनय शर्मा जी की आयु करीबन 40 वर्ष के आसपास है।वह दिखने में लंबे , गोरे व आकर्षक व्यक्ति हैं। वह हमेशा साफ-सुथरे व सलीकेदार तरीके से कपड़ों को पहनते हैं। उनकी पसंदीदा कमीज का रंग सफेद है क्योंकि वह अक्सर सफेद तमीज में नजर आते हैं।

वह बहुत ही मधुर स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्हें गुस्सा जल्दी नहीं आता है लेकिन अगर बच्चे क्लास में उनके पढ़ाते वक्त बोलते हैं या अनुशासनहीनता करते हैं या स्कूल के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें भयंकर क्रोध आ जाता है।

शर्मा जी वैसे तो गणित के शिक्षक हैं लेकिन उनकी फिजिक्स और अंग्रेजी विषय में भी अच्छी पकड़ हैं। कभी-कभी जब अंग्रेजी या फिजिक्स के शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं तो शर्मा जी आकर हमारी क्लास लेते हैं।

वो सभी विषयों को बहुत अच्छे ढंग से पढ़ाते हैं। विषय को समझाने के लिए कोई न कोई उदाहरण अवश्य देते हैं ताकि बच्चों की समझ में जल्दी से जल्दी आ जाए।कठिन विषय को भी सरल व रोचक बना देते हैं। उनका पढ़ाने का तरीका कुछ इस तरह का है कि उनकी क्लास में कभी भी बोरियत नहीं होती। मन करता है कि उनकी क्लास यूं ही चलती रहे।

बीच-बीच में किस्से , कहानियां सुनाकर बच्चों को हंसाना भी वह खूब जानते हैं। लेकिन पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देते हैं। स्कूल के बाद अलग से समय  देकर उन बच्चों पर मेहनत करते हैं।

शर्माजी विद्यालय की अन्य गतिविधियों में भी रूचि लेते हैं। वैसे वह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। इसीलिए उनकी देखरेख में हमारे विद्यालय की क्रिकेट टीम कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है और इनाम भी जीत चुकी है।

शर्माजी नाटक , वाद-विवाद , निबंध आदि प्रतियोगिताओं में भी विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं। विद्यालय के वार्षिक समारोह में उनका खासा योगदान रहता है। विद्यालय के सभी कार्यक्रमों का संचालन वे स्वयं ही करते हैं।

शर्मा जी अपने विद्यार्थियों के प्रति बहुत स्नेह रखते हैं। वे विद्यार्थियों की मदद के लिए भी सदैव तत्पर रहते हैं। खासकर गरीब विद्यार्थियों को तो वह आर्थिक मदद भी देते हैं।

उपसंहार

सरलता , सादगी , मिलनसार स्वभाव के कारण शर्माजी न सिर्फ मेरे , बल्कि सभी बच्चों के प्रिय शिक्षक हैं।उनकी कई विषयों में बहुत अच्छी पकड़ है।उनका पढ़ाने का तरीका भी बहुत रोचक है जो मुझे बहुत भाता है।

इतने विद्वान होने के बाद भी अहंकार उनको बिल्कुल भी छू न पाया है।यही बात मुझे उनकी सबसे ज्यादा प्रिय लगती है। मैं भी भविष्य में एक अच्छा शिक्षक बनने का प्रयास करूंगा और उनके चरण चिन्हों पर चलने का प्रयास करूंगा।

मेरे प्रिय शिक्षक पर हिन्दी निबंध (500 Words )

प्रस्तावना

शुरू से ही संगीत में गहरी रुचि थी। मुझे क्लासिकल डांस खास कर भरतनाट्यम करना बहुत पसंद है। इसीलिए मैंने शुरू से ही स्कूल में अन्य विषयों के साथ-साथ संगीत विषय भी लिया।और स्कूल में भरतनाट्यम सिखाती हैं संगीता चौहान मैडम , जो मेरी सबसे प्रिय शिक्षक हैं।

मेरी प्रिय शिक्षक 

मैंने जब स्कूल में संगीत विषय लिया तो , उस समय संगीता चौहान मैडम नई-नई स्कूल में आई थी। वह दिखने में बहुत ही स्मार्ट एवं सुंदर हैं। साथ ही वह बहुत ही सुलझी हुई व समझदार महिला हैं।मैं स्वभाव से थोड़ी शर्मीली हूं। इसीलिए पहली बार जब मैं उनकी कक्षा में गई तो मैं काफी नर्वस थी। मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और मेरी परेशानी दूर करने के लिए उन्होंने मुझसे ढेर सारी बातें की।

संगीत विषय में हम सिर्फ 6 लड़कियां ही हैं।इसीलिए धीरे-धीरे मैडम से हम सबकी अच्छी बनने लगी हैं। हम हर रोज मैडम की क्लास में जाते हैं और मैडम से भरतनाट्यम सीखते हैं । संगीता चौहान जी हमें भरतनाट्यम के हर पहलू की जानकारी बहुत ही बारीकी से देती हैं।

एक ही स्टेप को कई बार दुहराती हैं। ताकि हमें वह अच्छे से समझ में आ जाए। जब तक हमें पिछला अच्छे से समझ में ना जाय , वह आगे नहीं बढती हैं।

शहर में आयोजित होने वाली हर संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वह हमेशा हमें प्रेरित करती हैं। पिछले महीने ही शहर के मेयर ने शहर के सभी स्कूलों के बच्चों के लिए एक डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें हम 6 लड़कियों ने भी भाग लिया। जैसे ही हमारी बारी आयी। हम वहां पर उपस्थित लोगों की विशाल भीड़ को देखकर घबरा गयी ।

हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि हम कैसे इतनी भीड़ के सामने अपना प्रदर्शन करें। संगीता चौहान मैडम हमारी परेशानी समझ गई और अचानक वो मंच में आकर स्वयं भरतनाट्यम करने लगी।और हमें भी डांस करने के लिए प्रेरित करने लगी। उनको डांस करता देख हमारी भी हिम्मत बढ़ी और उसके बाद हमने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। हमने वह प्रतियोगिता जीत ली। उस दिन में उनकी हिम्मत और साहस की कायल हो गई।

संगीता चौहान मैडम स्वभाव से बहुत ही सरल व मधुर हैं। हम सभी विद्यार्थियों के साथ उनका व्यवहार बिल्कुल दोस्ताना हैं। संगीत में उनकी पकड़ बहुत अच्छी होने के बावजूद भी उन्हें कोई अहंकार नहीं है।

स्कूल के वार्षिकोत्सव में वह बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। और हर क्लास के प्रत्येक विद्यार्थी को भाग लेने में प्रेरित करती हैं। वह सभी बच्चों को बाद -विवाद प्रतियोगिता , भाषण प्रतियोगिता , संगीत प्रतियोगिता और डांस प्रतियोगिता के लिए तैयार करती हैं।

उनमें गजब का उत्साह और उर्जा है। डांस करते वक्त वह इतनी तन्मयता के साथ नाचती हैं कि हम उन्हें मंत्रमुग्ध होकर देखते रहते हैं।

वह हमें बताती हैं कि भरतनाट्यम उनके लिए सिर्फ एक स्कूल में पढ़ाने वाला विषय नहीं है। बल्कि उनका जीवन ही है। वह हमें बताती हैं कि वह जब भी अकेली या गहरे तनाव या मुश्किल में होती हैं तो भरतनाट्यम करती हैं जिससे उनके मन का तनाव कम होता है और वह तरोताजा महसूस करती है।

उपसंहार 

वाकई में वह एक शानदार व्यक्तित्व की महिलाएं हैं। मैं भी भविष्य में एक अच्छी डांसर बनना चाहती हूं। इसीलिए मैं उनके बताए हर बात का अनुसरण बहुत ही शिद्दत से करती हूं।

भरतनाट्यम मेरा शौक है और मैं इसे भविष्य में अपनी रोजी-रोटी का साधन भी बनाना चाहती हूं। इसीलिए ऐसी शिक्षिका मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सच में संगीता मैडम बहुत ही अच्छी टीचर हैं उनके चरणों में मेरा सादर नमन। ….

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