Essay On Flood In Hindi : बाढ़ पर हिंदी निबंध

Essay On Flood in Hindi :

Essay On Flood in Hindi 

बाढ़ पर हिंदी निबंध

Content (Essay On Flood)

  1. प्रस्तावना (Introduction)
  2. बाढ़ किसे कहते हैं (What is Flood)
  3. बाढ़ आने के कारण (Causes of Flood)
  4. बाढ़ से होने वाला नुकसान 
  5. बाढ़ को रोकने के उपाय 
  6. बाढ़ के वक्त सुरक्षा के उपाय
  7. उपसंहार 

प्रस्तावना

बाढ़ शब्द सुनते ही मन मस्तिष्क में बस एक ही चित्र घूमने लगता है। चारों तरफ बस पानी ही पानी। पानी जो वास्तव में मानव के लिए जीवनदायिनी व प्राणदायिनी हैं। मगर उस वक्त ऐसा लगता हैं मानो ये पानी सब कुछ निगल जाना चाहता है।चाहे वह खेतों में खड़ी फसलें हों या इंसान व जानवरों का जीवन।

यहां तक कि यही पानी गांव के गांव व शहर के शहर , सभी को अपने आगोश में लेकर सब कुछ तहस-नहस कर देना चाहता है।जैसे कि वो विनाशकारी पानी ठान ही बैठा है कि उसे सब कुछ खत्म करके ही छोड़ना है। 

बाढ़ किसे कहते हैं (What is Flood)

बाढ़ प्रकृति का एक भयंकर या रौद्र रूप है। जब वर्षा नहीं होती तो अकाल पड़ता है। और जब यही वर्षा अधिक होती हैं तो पानी , नदियों की सीमा तोड़ कर हर तरफ फैल जाता है।जिसे बाढ़ कहते है।

किसी स्थान पर अत्यधिक मात्रा में पानी का इकट्ठा हो जाना बाढ़ कहलाता है। बादलों का अत्यधिक मात्रा में बरसना बाढ़ का कारण बनता है। और बाढ़ तबाही का कारण बनता है। 

बाढ़ आने के कारण (Causes of Flood)

भारत के कुछ इलाकों में अक्सर हर साल बाढ़ आती है जिसमें महाराष्ट्र , असम , बंगाल , बिहार , उड़ीसा , आंध्रप्रदेश , गुजरात , उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , हरियाणा , पंजाब  और केरल प्रमुख है। 

विनाशकारी बाढ़ आने के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें कुछ प्राकृतिक हैं , तो कुछ मानव निर्मित। 

  1. प्राकृतिक कारण 

वैसे तो बरसात अच्छी होने से अच्छी फसल पैदा होती है। इसीलिए वर्षा ऋतु हमारी देश की “अन्नपूर्णा ऋतु” भी कही जाती है। पर कभी-कभी अतिवृष्टि वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है। 

(a)  अत्यधिक वर्षा का होना 

मई जून की भयंकर गर्मी के बाद जब सावन के महीने में वर्षा की शीतल बूंदें धरती में पड़ने लगती है , तो मन मयूर सा नाचने लगता है।चारों तरफ खुशियां छाने लगती हैं। लेकिन जब भयंकर गर्जना के साथ मूसलाधार पानी अत्यधिक मात्रा में बरसने लगता है तो धीरे-धीरे नदी , नाले सब पागल हो जाते हैं।

जो नदियां कल तक जीवनदायिनी बन कर सारे गांवों व शहरों को निर्मल जल पिलाया करती थी। वही नदियां आज जैसे स्वयं ही सब कुछ निकल जाना चाहती हो।ऐसे भयंकर दृश्य दिखाई देने लगते हैं। 

हमारे देश में यमुना , गंगा , ब्रह्मपुत्र , घागरा , गोदावरी , नर्मदा आदि नदियों में हर साल बरसात में अक्सर बाढ़ आ जाती है।

बाढ़ का पानी उतरने में बहुत समय लगता है। लेकिन बाढ़ के पानी के उतर जाने के बाद लोगों को बस तबाही ही तबाही का मंजर नजर आता है। और उससे भी बड़ी विडंबना यह है कि बाढ़ के पानी के खत्म हो जाने के बाद उन इलाकों में महामारी फैलने की आशंका रहती है।

(b) बादलों का फट जाना 

बादलों का फटना भी बाढ़ का कारण हो सकता है। कभी-कभी अचानक किसी जगह पर बादल फट जाते हैं। जिसकी वजह से एक ही स्थान पर अत्यधिक वर्षा हो जाती हैं। और उस बारिश के पानी का बहाव व शक्ति इतनी प्रबल होती है कि वह अपने साथ सब कुछ बहा ले जाती है। 

इंसान , मकान , पेड़-पौधे , जमीन आदि।अक्सर इस तरह की घटनाएं पहाड़ों में ज्यादा होती हैं। अभी कुछ वर्षों पहले केदारनाथ (उत्तराखंड ) में आई आपदा में बादलों का फटना प्रमुख कारण थी।

(C)  समुद्र के पानी के स्तर का बढ़ जाना

समुद्र के पानी के जलस्तर में बढ़ोतरी भी समुद्र के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ का कारण हो सकता है। 

(D) बर्फ के चट्टानों का पिघल जाना

हरे भरे पेड़ों की कटाई , हर दिन कम होते जंगलों के कारण धरती के तापमान में अचानक बढ़ोतरी हो गई है। और जिसका दुष्प्रभाव ग्लेशियरों के पिघलने के रूप में सामने आने लगा है।अधिक तापमान के कारण ये ग्लेशियर पिघलने लगे हैं। जिससे नदियों व समुद्रों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है और यह भी बाढ़ का कारण बनते जा रहे हैं। 

(E) समुद्री में तूफान या सुनामी के आने से 

कभी-कभी समुद्र के अंदर कुछ हलचल पैदा हो जाती हैं। जिसके कारण भयंकर तूफान या सुनामी आ जाती है। और समंदर का पानी समंदर की सीमाओं को तोड़कर बाहर निकलने लगता है। जो भयंकर त्रासदी का कारण बनता है। समंदर में सुनामी आने का एक कारण समंदर में भूकंप का आना भी हो सकता है। 

2 . मानव निर्मित कारण

बाढ़ हर जगह अलग-अलग प्रभाव डालती हैं। कहीं पर अत्यधिक , तो कही पर कम। इसका प्रभाव पानी के हिसाब से अलग-अलग होता है।इसमें कुछ मानव निर्मित कारण भी होते हैं।जो निम्न हैं।  

  1. कभी-कभी भारी वर्षा होने से किसी नदी में बना हुआ बांध अचानक टूट जाता है। ज्यादा वर्षा और बांध टूटने पर बाढ़ का स्वरूप और भीषण हो जाता है।
  2. शहरों या गांवों में बारिश के पानी की उचित निकासी की व्यवस्था का ना होना। जिससे वर्षा का पानी एक जगह पर इकठ्ठा होने लगता हैं। जो बाढ़ का कारण बनता हैं। 
  3.  प्लास्टिक प्रदूषण भी बाढ़ आने का एक कारण है।क्योंकि अक्सर हम प्लास्टिक का प्रयोग कर उसे इधर-उधर फेंक देते हैं। जो बहकर नदी , नाले या नालियों में चले जाते हैं। जिसकी वजह से नालियां बंद हो जाती हैं। बरसात होने पर इन्हीं नालियों से पानी की निकासी नहीं हो पाती है। इस वजह से शहरी इलाकों में पानी भर जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।

बाढ़ से होने वाला नुकसान

  1.  बाढ़ जब भी आती है तो हर तरफ अपनी तबाही के निशान छोड़ कर ही जाती है। लाखों लोग घर से बेघर हो जाते हैं। सैकड़ों लोग पानी में बह जाते हैं।
  2. करोड़ों की चल , अचल संपत्ति का नुकसान होता है। गांवों के कच्चे मकान गिर जाते हैं  , खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। बाढ़ के बाद कुछ बचता हैं तो बस भीषण तबाही का मंजर। 
  3. बाढ़ के वक्त पानी का बहाव इतना तेज होता हैं कि उससे बड़े-बड़े पेड़ उखड़ कर बहने लगते हैं। बाढ़ का पानी आसपास के गांवों तथा शहरों तक फैल जाता है।
  4. बाढ़ में फंसे जानवर पानी में बह जाते हैं। बाढ़ से घिरे लोग ऊंचे-ऊंचे टीलों या बड़े-बड़े वृक्षों में चढ़कर अपनी जान बचाने का प्रयत्न करते हैं।
  5. बाढ़ से बचने के लिए लोग सुरक्षित स्थानों का सहारा लेते हैं। ऐसे समय में जान माल का बहुत नुकसान होता है।
  6. बाढ़ के आने के बाद अनेक प्रकार के विषैले जीव जंतुओं की उत्पत्ति होती है। अनेक बीमारियों तो मानो जैसे उपहार में आती है। जैसे टाइफाइड , डेंगू , मलेरिया आदि। 
  7. नदी की राक्षसी लहरें , उसका पानी मानव का सब कुछ छीन लेती हैं। बाढ़ इंसान का जीवन , फसल ,पेड़-पौधे जैसे सब कुछ निगल लेती हैं।
  8. सामान की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि होती है। सरकार व आम जन को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
  9. पर्यावरण को गंभीर हानि पहुँचती है।
  10. जन जीवन नष्ट हो जाता है , कई घर पानी में डूब जाते हैं और घर की प्रत्येक वस्तु पानी से खराब हो जाती हैं।
  11. पहाड़ी इलाकों में अगर अत्यधिक वर्षा होती है या बादल फट जाते हैं। तो ऐसे में गांव के गांव उस पानी में बह जाते हैं। बड़ी मात्रा में भूस्खलन होता है।
  12. बाढ़ के बाद जल प्रदूषित हो जाना , बिजली का प्रभावित होना ,  सड़कों का टूट जाना आम बात हैं।
  13. पीड़ितों को सही चिकित्सा सुविधा सही समय पर नहीं मिल पाती है।जिससे कई जानें चली जाती हैं। 
  14. भोजन का अभाव हो जाता हैं। लोग अन्न के एक एक दाने के मोहताज हो जाते हैं।  

बाढ़ को रोकने के उपाय 

बारिश का कम या अधिक होना या बादल फटना। ये इंसान के हाथ में नहीं है।यह एक प्राकृतिक घटना है।लेकिन थोड़े उपाय कर इसके प्रभाव को थोड़ा कम जरूर किया जा सकता है।

  1. शहरी व गांवों के इलाकों में पानी के निकास के लिए अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था कर बरसात के अत्यधिक पानी को निकाला जा सकता है ताकि बाढ़ की स्थिति ना बने।अगर बाढ़ की स्थिति बनती भी हैं  तो पानी की तुरन्त निकासी से अधिक नुकसान न हो।
  2. वर्षा काल में अच्छी ड्रेनेज व्यवस्था ही बाढ़ के प्रभाव को कम कर ज्यादा नुकसान से बचा सकती हैं। और पानी भी एक जगह इकट्ठा नहीं होगा जिससे महामारी फैलने का खतरा भी कम होगा।
  3. ऐसे स्थानों या जगहों को चिन्हित कर वहां पर बाढ़ बैरियर्स लगाने चाहिए। ताकि वर्षा अधिक होने पर शहरों या गांवों में पानी एकदम न फ़ैल पाए। जिससे लोगों को संभलने या सुरक्षित स्थानों पर जाने का मौका मिल जाएगा

बाढ़ के वक्त सुरक्षा के उपाय 

बाढ़ कब आएगी और किस जगह पर आएगी , और कितना नुकसान कर जाएगी।यह किसी को पता ही नहीं होता है।और इसका अंदाजा लगाना इंसान के बस की बात भी नहीं है। कभी-कभी रेतीले इलाकों या मरुस्थल भूमि पर भी बाढ़ आ जाती हैं। बाढ़ आने पर कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने जीवन को बचाया जा सकता है।

  1. ऐसे जगहों पर जहाँ बाढ़ आने की संभावना हो , वहाँ सरकार या स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को चेतावनी दी जाती है। इस चेतावनी को अनसुना करने के बजाय इस पर अमल करने से सुरक्षित रहा जा सकता है। 
  2. स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है। इसलिए सतर्क रह कर उसका लाभ उठाया जाना चाहिए। 
  3. जब कभी अचानक बाढ़ आ जाती है और आपको पता नहीं होता तो , ऐसे में ऊंचाई वाले जगहों पर चले जाना चाहिए। 
  4. अगर घर से बाहर निकलने की स्थिति ना हो तो , घर की छत में जाना चाहिए और मदद के लिए लगातार गुहार लगानी चाहिए। 
  5. ऐसी जगह पर जहां पर अक्सर बाढ़ की संभावना रहती हैं। वहां के लोगों को बाढ़ से संबंधित बातें का प्रशिक्षण देना भी अति आवश्यक है।
  6. लोगों के पास हेल्प लाइन नंबर होने चाहिए। ताकि वो कठिन समय में सहायता मांग सकें।
  7. लोगों को बाढ़ के समय में सहायता के लिए सहायता चिन्ह बनाना सिखाना चाहिए। ताकि वो सहायता चिन्हों का प्रयोग कर सहायता मांग सकें। और मदद करने वाली टीमें या  हेलीकॉप्टर द्वारा उन तक मदद पहुंचाई जा सके।
  8. ऐसे इलाके जहां पर अक्सर बाढ़ आती है , उन इलाके के लोगों को अपने खाने पीने की पूर्ण व्यवस्था अवश्य कर लेनी चाहिए।
  9. मौसम को देखते हुए सावधानियां बरतना अति आवश्यक है।
  10. पानी को उबालकर ही पीना चाहिए। 
  11. कोई दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार के लिए सभी आवश्यक सामान पहले से अपने पास रखा होना चाहिए। 
  12.  बाढ़ आने पर अक्सर दूरसंचार या बिजली व्यवस्था ठप हो जाती हैं। ऐसे में रोशनी के लिए पहले से व्यवस्था होनी अति आवश्यक है।
  13.  बाढ़ नियंत्रण हेतु सरकारी स्तर पर भी पर्याप्त प्रयास किए जाने अति आवश्यक है।
    “राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन”  के लोगों के द्वारा तत्काल सहायता देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
उपसंहार 

प्राकृतिक आपदाओं को रोकने की मनुष्य के अंदर शक्ति नहीं होती है। यह बस प्रकृति के हाथ में ही होता है। परन्तु हमने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।उसका भी नतीजा कभी-कभी इस रूप में सामने आता है। हालांकि यह एक प्राकृतिक घटना है। फिर भी इसमें कहीं न कहीं हमारा भी अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य है।

बाढ़ आती तो कुछ दिनों के लिए है लेकिन लोगों के जीवन में बुरा प्रभाव डाल कर चली जाती है। इससे जान माल का भारी नुकसान होता है। कई बार तो लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिलता हैं। यह बेहद विनाशकारी होती है। 

 इस विनाशकारी बाढ़ के बाद जीवन को पुनः जीवन की गाड़ी को पटने में लाने के लिए लोगों को आधा मेहनत करनी पड़ जाती है क्योंकि पुनर्निर्माण आदमी का स्वभाव है तो वह फिर से नई शुरुआत में जुटी जाता है।  

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