Bus Ki Yatra Class 8 Summary ,
Bus Ki Yatra Class 8 Summary Hindi Basant 3 , Bus Ki Yatra Class 8 Question Answer , बस की यात्रा कक्षा 8 पाठ का सारांश व प्रश्न उत्तर हिंदी बसंत 3
Bus Ki Yatra Class 8 Summary
बस की यात्रा कक्षा 8 का सारांश
Note – “बस की यात्रा” पाठ के सारांश को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – ( Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
“बस की यात्रा” के लेखक हरिशंकर परसाई हैं। “बस की यात्रा” एक यात्रा वृतांत है। इस यात्रा वृतांत के द्वारा लेखक ने हमारे देश की परिवहन निगम की बसों की खस्ताहालत पर तीखा कटाक्ष किया है और यह भी बताया हैं कि खस्ताहाल हो चुकी उन बसों में मुसाफिर अपनी जान हथेली पर लेकर कैसे यात्रा करते हैं।
इस यात्रा वृत्तांत को पढ़कर कई बार तो ऐसा लगता है जैसे कि यह सब तो हमारे साथ भी घटित हुआ था , जब हमने परिवहन निगम की बस में सफर किया था।
इसमें लेखक ने बड़े ही रोचक तरीके से अपनी उस यात्रा का वर्णन किया है जिसमें वो अपने चार दोस्तों के साथ एक वर्षों पुरानी घटिया और खस्ताहाल हो चुकी बस में सफर करते हैं और उस सफर में उन्होंने कितनी मुसीबतों का सामना किया। कितने बुरे-बुरे ख्यालों ने उनके मन में बार-बार डेरा डाला । इस सबको लेखक ने बड़े ही सरल व चुटीले अंदाज में पेश किया हैं।
Bus Ki Yatra Class 8 Summary
लेखक और उनके चार मित्रों ने शाम चार बजे की बस से पन्ना जाने का फैसला किया। उन्होंने सोचा कि पन्ना से उसी कंपनी की जो दूसरी बस सतना के लिए एक घंटे बाद चलती हैं। वो बस लेखक व उनके मित्रों को जबलपुर की ट्रेन पकड़ा देगी और वो पाँचों रात भर ट्रेन का सफर कर सुबह घर पहुंच जाएंगे।
हालांकि जिस बस से वो पन्ना जा रहे थे। बहुत से लोगों ने उन्हें उस बस से न जाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि यह बस खुद डाकिन हैं। लेकिन लेखक व उनके दोस्त तो फैसला कर चुके थे। इसीलिए वो उस बस पर सवार हो गए।
जब उन्होंने पहली बार बस की हालत देखी तो उनको लगा कि यह बस तो पूजा के योग्य है। साथ में बस की वृद्धावस्था को देखकर लेखक के मन में बस के प्रति श्रद्धा के भाव भी उत्पन्न हो गये । वो मन ही मन सोचते हैं कि वृद्धावस्था के कारण इस बस को खूब अनुभव होगा मगर वृद्धावस्था में इसे कष्ट ना पहुंचे। इसलिए लोग इसमें सफर नहीं करना चाहते होंगे।
उस बस में बस कंपनी का एक हिस्सेदार भी सफर कर रहा था। लेखक बड़े ही रोचक ढंग से यह बताते हैं कि जो लोग उन्हें स्टेशन तक छोड़ने आए थे। वो उन्हें ऐसे देख रहे थे मानो वो उनको अंतिम विदाई दे रहे हो।
खैर बस चलने के लिए जैसे ही इंजन स्टार्ट हुआ तो ऐसा लगा कि जैसे पूरी बस ही इंजन हो। लेखक को यह समझ में नहीं आया कि वो सीट में बैठे हैं या सीट उन पर बैठी है। बस की खस्ताहालत को देखकर उनके मन में विचार आया कि यह बस जरूर गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़ी हुई रही होगी क्योंकि इसके सारे पुर्जे व इंजन एक दूसरे को असहयोग कर रहे हैं।
धीरे-धीरे बस आगे बढ़ने लगी। तब लेखक को एहसास हुआ कि वाकई में यह बस गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़ी रही होगी। इसीलिए इसे असहयोग करने की खूब ट्रेनिंग मिली हुई है।
लेकिन कुछ ही दूर जाकर बस रुक गई। पता चला कि बस की पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है। ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल निकाल कर उसे बगल में रखा और नली डालकर उस पेट्रोल को इंजन में भेजने लगा ।
लेखक को ऐसा लग रहा था मानो थोड़ी ही देर में बस कंपनी का हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेगा और नली से उसे पेट्रोल पिलायेगा। जैसे एक मां अपने छोटे बच्चे को दूध की शीशी से दूध पिलाती हैं। खैर थोड़ी मशक्क्त के बाद बस दुबारा चल पडी।
और जैसे-तैसे आगे बढ़ने लगी। लेखक को लग रहा लगा था कि कभी भी बस का ब्रेक फेल हो सकता है और कभी भी उसका स्टेरिंग टूट सकता है । इन्ही आशंकाओं के बीच लेखक ने बाहर की तरफ देखा तो सुंदर प्राकृतिक दृश्य दिखाई दे रहे थे।
दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिनमें पक्षी बैठे थे। लेकिन उस वक्त लेखक को वो पेड़ किसी दुश्मन की भांति ही लग रहे थे। वो सोच रहे थे कि कभी भी हमारी बस किसी पेड़ से टकरा सकती हैं या झील पर गोता खा सकती हैं।
तभी अचानक बस फिर रुक गई। ड्राइवर ने बहुत कोशिश की। मगर इस बार बस चलने के लिए तैयार ही नहीं थी। कंपनी का हिस्सेदार , जो बस में बैठा था। वह लोगों को बार-बार भरोसा दिला रहा था कि बस तो अच्छी है लेकिन कभी-कभी ऐसा हो जाता है। डरने की कोई बात नहीं है ।अभी बस चल पड़ेगी।
धीरे-धीरे रात होने लगी और चांदनी रात में उन पेड़ों की छाया के नीचे खड़ी वह बस बड़ी ही दुखियारी , बेचारी दिखाई दे रही थी। बस को देखकर लेखक को ऐसा लग रहा था मानो कोई बूढ़ी औरत थक कर एक जगह बैठ गई हो । बस की हालत देखकर लेखक को आत्मग्लानि भी हो रही थी। वो सोच रहे थे कि इस बूढ़ी बेचारी बस पर हम इतने सारे लोग लद कर आये हैं।
लेखक को आगे का सफर कैसे तय होगा। यह ख्याल सता रहा था। तभी हिस्सेदार साहब ने बस के इंजन को सुधारा और बस आगे चल पड़ी। उसकी चाल पहले से और अधिक धीमी हो गई और अब तो उसकी हेडलाइट की रोशनी भी बंद हो चुकी थी । चांदनी रात में रास्ता टटोलते हुए जैसे-तैसे बस धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी ।
लेखक कहते हैं कि अगर पीछे से कोई और बस आती तो , हमारी बस पीछे वाली बस को रास्ता देने के लिए एक किनारे खड़ी हो जाती और उसे आराम से आगे जाने का रास्ता दे देती थी।
कछुवा चाल से चलते हुए जैसे ही बस एक पुल के ऊपर पहुंची तो उसका टायर फट गया और बस जोर से हिल कर रुक गई।अनहोनी आशंका से लेखक का हृदय कांप गया।
खैर जैसे-तैसे दूसरा टायर लगाकर बस को फिर से चलाया गया। लेकिन अब लेखक और उनके दोस्तों ने पन्ना पहुंचने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेखक को ऐसा लग रहा था जैसे अब पूरी जिंदगी उनको इसी बस में ही गुजारनी पड़ेगी।
इसीलिए लेखक ने अपने मन से तनाव व चिंता को कम किया और सारी आशंकाएं को एक किनारे कर इत्मीनान से यह सोच कर बस पर बैठ गए जैसे वो अपने घर पर ही बैठे हो। और अपने अन्य साथियों के साथ हंसी मजाक में अपना समय बिताने लगे।
अब लेखक के मन से डर पूरी तरह से खत्म हो चुका था और वे अपने सफर का आनंद उठाने में व्यस्त हो गये।
Bus Ki Yatra Class 8 Question Answer
बस की यात्रा के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
“मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई ?
उत्तर-
लेखक का यह वाक्य एक तीखा व्यंग हैं। दरअसल हिस्सेदार बस की हालात को बहुत अच्छे से जानता था। वह जानता था कि बस का कोई भी पूर्जा व इंजन ढंग से काम नहीं कर रहा है। यहां तक कि टायरों की हालत भी बहुत खराब है। फिर भी उसने न तो बस की मरम्मत कराई और नहीं बस में नए टायर लगाएं।
और आश्चर्य की बात यह थी कि बस की खराब हालत से वाकिफ होने के बाद भी वह यात्रियों की जान के साथ साथ अपनी जान भी हथेली पर रखकर उसी बस में सफर कर रहा था। इसीलिए लेखक उसके अदम्य साहस व आत्म बलिदान की भावना को देख कर नतमस्तक थे ।
प्रश्न 2.
“लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर-
बस बहुत पुरानी होने के कारण उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी। इंजन व पुर्जों के साथ साथ टायर भी पुराने हो चुके थे। जिस वजह से बस कभी भी और कही भी रुक सकती थी। रात में ऐसी घटनाएं खासकर जंगल में यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन सकती थी।
और ऐसी बसों से दुर्घटनायें होने की संभावना भी ज्यादा रहती हैं जिसमें लोगों की जान जा सकती है। इसीलिए बस को डाकिन कहते हुए लोगों ने लेखक व उनके दोस्तों को शाम वाली बस में सफर न करने की सलाह दी थी।
प्रश्न 3.
“ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा ?
उत्तर-
इंजन स्टार्ट होते ही लेखक को बस के अंदर इंजन की आवाज़ व कंपन महसूस हो रही थी । जिस वजह से उनको सारी बस इंजन जैसी लग रही थी ।
प्रश्न 4.
“गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है”। लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई ?
उत्तर-
बस की हालत इतनी ख़राब थी कि उसे देखकर लेखक को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह बस चल भी सकती हैं। इसीलिए लेखक कह रहे थे कि “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है”। यानि लेखक यह जानकर आश्चर्यचकित हैं कि इस हालत में भी यह बस बिना धक्का लगाये अपने आप चल सकती हैं”।
प्रश्न 5.
“मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर-
बस की जीणक्षीण हालत देखकर लेखक को ऐसा लग रहा था कि उनकी बस कभी भी किसी पेड़ से टकरा सकती हैं जिसके कारण कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं। इसलिए वे पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहे थे।
Bus Ki Yatra Class 8 Summary ,
Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel (Padhai Ki Batein /पढाई की बातें) पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद।
You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
यह सबसे कठिन समय नही का सारांश और प्रश्न उत्तर
पानी की कहानी का सारांश और प्रश्न उत्तर
बाज़ और सांप का सारांश और प्रश्न उत्तर
जब सिनेमा ने बोलना सीखा था का सारांश व प्रश्न उत्तर
क्या निराश हुआ जाय का सारांश व प्रश्न उत्तर
लाख की चूड़ियों पाठ का सारांश व प्रश्न उत्तर
कामचोर पाठ का सारांश व प्रश्न उत्तर
ध्वनि का भावार्थ और ध्वनि कविता के प्रश्नों के उत्तर
जहां पहिया हैं का सारांश व प्रश्न उत्तर
भगवान के डाकिये का भावार्थ व प्रश्न उत्तर
बस की यात्रा का सारांश व प्रश्न उत्तर
सूरदास के पद का भवार्थ व प्रश्न उत्तर
चिठ्ठियों की अनोखी दुनिया का सारांश व प्रश्न उत्तर
दीवानों की हस्ती का भावार्थ व प्रश्न उत्तर
लोकोक्तियों का हिंदी अर्थ (Proverbs With Meaning In Hindi)