Essay on Effects of Lockdown :लॉकडाउन के प्रभाव 

Essay on Effects of lockdown or Essay On Lockdown Ke Prabhaw : लॉकडाउन के प्रभाव पर हिन्दी निबन्ध

लॉकडाउन के प्रभाव पर हिन्दी निबन्ध

Essay on Effects of lockdown

Essay on Effects of lockdown in Hindi

Content (संकेत बिंदु / विषय सूची )

  1. प्रस्तावना 
  2. लॉकडाउन का प्रभाव (Effects of lockdown) 
  3. लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव
  4. लॉकडाउन के नकारात्मक प्रभाव
  5. उपसंहार 

प्रस्तावना 

कोरोनावायरस एक ऐसी महामारी जिसने धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है। दवा ना होने के कारण इस बीमारी से बचने का सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग या सामाजिक दूरी ही एकमात्र उपाय था।

क्योंकि इंसान की जान बचाना आवश्यक था। इसीलिए दुनिया के अधिकतर देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया। भारत ने भी 25 मार्च 2020 से संपूर्ण देश में लॉकडाउन की घोषणा की।

लॉकडाउन का प्रभाव (Effects of lockdown)

भारत में भी कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया।पूरे देश में लॉकडाउन के वक्त आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी गतिविधियों को बंद कर दिया जाता है। उद्योग धंधे , फैक्ट्रियां , कल कारखाने , स्कूल , कॉलेज , प्राइवेट व सरकारी दफ्तर , वाहन आदि सभी को बंद कर दिया गया।

और लोगों को पुलिस प्रशासन व सरकार की तरफ से अपने ही घरों में रहने के निर्देश दिए गए , जिनका देश के हर नागरिक ने पूरी तरह से पालन किया।

इस लॉकडाउन का हम पर , हमारे समाज , पर्यावरण व भौगोलिक स्थिति पर कुछ सकारात्मक प्रभाव और कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला । जो निम्न है

लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव (Positive Effects of Lockdown)

लॉकडाउन का सबसे ज्यादा सकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण में पड़ा। लॉकडाउन की अवधि में पर्यावरण को स्वस्थ और शुद्ध होने का भरपूर मौका मिला। सारे उद्योग धंधे , फैक्ट्रियां के बंद होने की वजह से इनसे निकलने वाली प्रदूषित विषैली गैस नहीं निकली। जिसकी वजह से वायु प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई।

इसी तरह इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी व कचरा नदी , नालों में बहा दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषित होता है। लॉकडाउन में नदियों , नालों का पानी भी एक बार फिर स्वच्छ व निर्मल हुआ। मानव की गतिविधियां कम होने के कारण  नदी , तालाबों , झरनों का पानी एकदम साफ व स्वच्छ हो गया। 

जिस गंगा को साफ करने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं बनाई जा रही थी। लॉकडाउन के दिनों उस गंगा का पानी एकदम स्वच्छ , निर्मल व पीने लायक हो गया। 

लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा पृथ्वी पर हमारी रक्षा करने वाली ओजोन परत को हुआ। ओजोन परत को कुछ खास विषैली गैसों से नुकसान पहुंचता है। सभी औद्योगिक गतिविधियों के बंद होने के कारण ओजोन परत को काफी फायदा पहुंचा। 

सभी तरह के (पब्लिक और प्राइवेट) वाहनों के बंद होने से सड़कों पर एकदम सन्नाटा छाया रहा।  और अधिकतम निर्माण कार्य भी बंद ही रहे। जिस वजह से वायु प्रदूषण में भी भारी कमी आई। साथ ही वाहनों व मशीनों के शोर के कम होने से ध्वनि प्रदूषण के स्तर में भी काफी कमी आई। 

स्कूल कॉलेज ऑफिस पूरी तरह से बंद होने के कारण लोगों को काफी समय बाद अपने घर , परिवार व बच्चों के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिल गया।अपने रिश्तों को सुधारने व उनमें दोबारा से मधुरता लाने का यह अच्छा मौका था। 

अपने कामकाज और व्यस्तता के कारण लोगों को अपने शौक पूरे करने का समय ही नहीं मिलता था। लॉकडाउन की अवधि पर सभी लोग अपने-अपने घरों में ही कैद थे। इसीलिए लोगों ने अपने अपने शौक पूरे किये। 

वन्यजीवों को जंगलों के साथ-साथ शहरों में भी खुलकर बिचरने का मौका मिल गया। एकदम खुली और खाली सड़कों को देखकर कई दुर्लभ किस्म के जानवर , पशु-पक्षी शहरों और कस्बों की सड़कों व गलियों पर नजर आने लगे। 

कई शहरों से हिमालय रेंज की कुछ पर्वत श्रृंखलाएं साफ साफ दिखाई देने लगी। जो प्रदूषण व धुंध के कारण दिखाई नहीं देती थी।

लॉकडाउन का नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Lockdown)

सिक्के का दूसरा पहलू भी है जो नकारात्मकता लिए हुए हैं। लॉकडाउन का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। सारी व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने से सरकार को अरबों रुपए का नुकसान हुआ जिससे अर्थव्यवस्था चरमरा गई।अब जिसे वापस पटरी पर आने में काफी समय लग जायेगा।  

सरकार के साथ-साथ आमजन को भी लॉकडाउन का दुष्परिणाम झेलना पड़ा। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। सबसे ज्यादा असर रोज कमा कर खाने वाले लोगों , दिहाड़ी मजदूरों और उनके परिवार वालों पर पड़ा।

ये लोगों दो जून की रोटी भी मोहताज हो गए। कई लोगों ने शहरों को छोड़ अपने गांव की तरफ रुख करना शुरू कर दिया। लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से यह लोग हजारों किलोमीटर पैदल अपने घर की तरफ चले गए। कई लोगों ने कई तरह की दिक्कतों का सामना किया और कुछ लोगों ने अपनी जान भी गँवा दी।

स्कूल कॉलेज बंद होने की वजह से ही बच्चों की पढ़ाई पर जरूर इसका असर देखने को मिला। कोरोना वायरस की वजह से स्कूल कॉलेजों के खुलने में भी संशय बना हुआ है। इसीलिए नए सत्र के आरंभ होने में भी अभी कोई संभावना नजर नहीं आती हैं। 

लॉकडाउन होने की वजह से सीबीएसई की 10वीं व 12वीं परीक्षा के सभी पेपर की परीक्षा पूर्ण नहीं हो पाई।बचे हुए पेपरों की परीक्षा जुलाई में कराई जाएगी।जिस वजह से बच्चों का परीक्षा फल आने में भी देरी हो जाएगी।

जिन बच्चों के पेपर हो चुके हैं और वो नई कक्षा में चले गए हैं । लेकिन स्कूल कॉलेज बंद होने की वजह से वो अगली क्लास की पढ़ाई आरंभ नहीं कर पाए। हालांकि कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी करने का प्रयास किया।

लेकिन सच्चाई तो यह है कि इस तरह के हालातों में पढ़ाई करने के लिए हमारे स्कूलों या शिक्षा विभाग के पास कोई पुख्ता इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है। इसीलिए यह भी एक खानापूर्ति ही लग रही थी। 

लॉकडाउन की अवधि में घर के अंदर तक ही सीमित रहने के कारण कुछ लोगों के दिलों दिमाग में बुरा असर पडा। और टीवी समाचार चैनलों के माध्यम से लगातार कोरोना के बारे में प्रसारित होने वाली खबरें ने भी लोगों को डरा दिया। जिससे कुछ लोगों में तनाव या डिप्रेशन जैसी स्थिति भी देखने को मिली। 

उपसंहार (Essay on Effects of lockdown)

कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए लॉकडाउन का फैसला देश की सरकार को लेना आवश्यक था। सिक्के के दो पहलू की तरह हर घटना के भी दो पहलू होते हैं। जहां लॉकडाउन से  हमारे समाज व हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ा। वहीं कुछ नकारात्मक असर भी देखने को मिले । 

लेकिन लॉकडाउन की अवधि में लोगों के अपने घरों में रहने के कारण कोरोनावायरस को फलने फूलने का अवसर नहीं मिला। सभी देशवासियों ने मिलकर इस लॉक डाउन को सफल बनाया। 

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