Chidiya Ki Bachchi Class 7 Question Answer

Chidiya Ki Bachchi Class 7 Question Answer :

Chidiya Ki Bachchi Class 7 Question Answer

चिड़िया की बच्ची कक्षा 7 प्रश्न उत्तर  

प्रश्न 1 .

किन बातों से पता चलता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था ? स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर –

माधवदास के पास वो सारी सुख – सुबिधायें थी जो एक आलीशान व खुशहाल जीवन जीने के लिए पर्याप्त थी। एक बड़ी सी संगमरमर की कोठी , खूब सारी दौलत , सुंदर बाग- बगीचे और नौकर चाकर आदि। वह इतना सम्पन्न व्यक्ति था कि वह उस नन्ही चिड़िया के लिए भी एक खूबसूरत सोने का पिंजरा बनाने को तैयार था। इसके अलावा वह चिड़िया को यह भी बताता है कि उसके पास कई कोठियां , बाग – बगीचे और नौकर – चाकर हैं। उसकी इन्ही सब बातों से पता चलता वह संपन्न व्यक्ति था।

लेकिन इन सब के बावजूद वह बिल्कुल अकेला था। इसीलिए वह अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए शाम को अपने बगीचे में बैठकर प्रकृति व पेड़ – पौधों की सुंदरता का आनंद लेता था। जब वह प्यारी सी नन्ही सी चिड़िया उसके बगीचे में आई तो वह उसे अपने साथ रखने के लिए लालायित हो उठा। वह उसे अनेक तरह के प्रलोभन देने लगा। उसने चिड़िया के न मानने पर अपने नौकर से उसे पकड़ने की कोशिश भी की। 

इन्ही सब बातें से पता चलता है कि जीवन में सभी सुख – सुविधायें होने के वावजूद भी वह खुश नहीं था। 

प्रश्न 2 .

माधवदस क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि “यह बगीचा तुम्हारा ही है”। क्या माधवदास निस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था ? स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर –

माधवदास को नन्ही चिड़िया बहुत पसंद आ गई थी। इसीलिए वह उसे रोकने के लिए तरह – तरह के लालच देता रहा। वह कहता है कि उसके पास ढेर सारा सोना है जिससे वो चिड़िया के रहने के लिए एक बहुत ही सुंदर सोने का पिंजरा , पानी पीने के लिए एक सोने की कटोरी बनवा देगा और वह इसी सुंदर से बगीचे में रहेगी । “यह बगीचा तुम्हारा ही है”  , कहकर वह नन्ही चिड़िया को अपनेपन का एहसास दिला कर उसे अपने जाल में फ़साना चाहता था मगर चिड़िया को इन सब चीजों से कोई मतलब नही था। वह तो स्वतंत्र होकर आकाश में उड़ना चाहती थी। वह अपने भाई-बहन और मां-बाप के साथ मां के बनाए छोटे से घोंसले में रहकर भी सुखी व खुश थी। 

लेकिन माधवदास बहुत स्वार्थी था। वह चिड़िया को सिर्फ अपने मनोरंजन व अपने बगीचे की शोभा बढ़ाने तथा अपने जीवन के अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने पास रखना चाहता था। इसी से पता चलता है कि वह निस्वार्थ मन से ऐसा नही कह रहा था। 

प्रश्न 3 .

माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख सुविधाओं को कोई महत्व नहीं दे पा रही थी। दूसरी तरफ माधवदास की नजर में चिड़िया की जिद का कोई तुक ना था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या – क्या थे।  स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर –

दरअसल चिड़िया और माधवदास में विचारों में बहुत अंतर था और दोनों की प्राथमिकताएँ बिल्कुल अलग थी । 

छोटी चिड़िया के लिए धन -दौलत , आलीशान कोठी , नौकर चाकर कोई महत्व नही रखते थे । उसे सोने के पिंजरे में कैद रहने से ज्यादा घास के तिनकों से बना अपना घोंसला , माँ के द्वारा खाने के लिए लाये गए अनाज के दाने , माँ की छाती से चिपक कर सोना , आजादी से इधर -उधर फुदकना , सूरज की धूप में उड़ना , हवा से बातें करना व फूलों से खेलना ज्यादा प्रिय था ।

जबकि माधवदास बिल्कुल अकेला था मगर बहुत अमीर था। उसकी नजर में धन दौलत , कोठी , नौकर चाकर बहुत महत्वपूर्ण थे और वह वही सब चीजें नन्ही चिड़िया को भी देना चाहता था जिनका चिड़िया के लिए कोई महत्व नही था। इसीलिए चिड़िया उसके पास रहने को तैयार नही थी। चिड़िया को अपनी आजादी प्रिय थी। ये बात अमीर माधवदास को समझ नही आती है। इसीलिए वह चिड़िया की जिद को बेबजह व बेतुकी मनाता हैं ।  

प्रश्न 4 .

कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़ कर तुम्हें कैसा लगा ? 40 – 50 या उससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए ?

उत्तर –

कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा। अगर सेठ का नौकर उसे पकड़ लेता तो वह जीवन भर उसी की कैद में रहने को विवश हो जाती। उसे सेठ के हिसाब से ही अपनी सारी जिंदगी जीनी पड़ती। लेकिन अब वह पूरी आजादी से अपना जीवन अपने हिसाब से जी सकेगी। आसमान में दूर तक उड़ पाएगी।  फूलों व डालियों में बैठ सकेगी और अपनी माँ के पास रह सकेगी। इसीलिए मुझे चिड़िया का , नौकर के हाथ से छूटने पर बड़ी ख़ुशी हुई। 

प्रश्न 5 .

“मेरी मां मेरी वाट देखती होगी ” , इसी बात को चिड़िया बार-बार कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में मां का क्या महत्व है ?

उत्तर –

हमारी जिंदगी में मां सबसे महत्वपूर्ण होती है। माँ जन्मदात्री है। सभी बच्चों की पहली गुरु माँ ही होती है जो उसे चलना -फिरना , उठना – बैठना , खाना – पीना तथा पढ़ना -लिखना सिखाती है। माँ बच्चों का पालन पोषण करती है। दुख हो या सुख , मां का स्नेह और आशीर्वाद भरा हाथ हमेशा बच्चों के सिर पर रहता है। माँ हमेशा अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए , जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित करती है। मां के आंचल तले जो सुकून , जो शांति महसूस होती है वो दुनिया में और कही नही होती है। यही कारण है कि छोटी चिड़िया अपनी मां से अथाह प्रेम करती थी और जल्दी से जल्दी अपनी माँ के पास पहुंच जाना चाहती थी। इसीलिए वह बार-बार माधवदास से कहती है कि “मां मेरी मेरी बाट देखती होगी” । 

प्रश्न 6 .

इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो , तो आप क्या देना चाहेंगे?

उत्तर –

कहानी का शीर्षक कहानी को सार्थक करता है। इसीलिए इस कहानी के लिए यही शीर्षक उपयुक्त है। 

भाषा की बात 

प्रश्न –

पाठ में “पर” शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं।

  1. पहले गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। 
  2. कभी पर हिलाती थी। 
  3. पर बच्ची काँप -काँप कर मन की छाती से और चिपक गई। 

तीनों “पर” के प्रयोग तीन अलग-अलग उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी “पर” का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिसमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए “पर” का  प्रयोग हुआ हैं ?  

उत्तर-

  1. पर (पंख) फैला कर परिंदे नील आसमान में उड़ रहे हैं। 
  2. मैं तो आज दिल्ली जाने वाला था पर कुछ कारणवश जा नही पाया।
  3. मैंने प्रयास तो बहुत किया पर मैं नीट की परीक्षा पास नही कर सका। 
  4. मुझे चिड़िया का , नौकर के हाथ से छूटने पर बड़ी ख़ुशी हुई। 

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