Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal, Mission Chandrayaan-2 ,The Two Women Scientists Play an important role in Chandrayaan-2 Mission.
Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal
चाहे संसद में बैठकर देश का बजट पेश करना हो या दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करना हो।या फिर अथाह समुद्र की गहराई में झांकना हो ,या चाहे अंतरिक्ष की ऊंचाई में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी हो।
महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी सफलताओं के झंडे गाड़ कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं।अपनी हिम्मत, साहस, बुद्धिमत्ता, कर्मठता और अपनी कभी न हार मानने वाली इच्छाशक्ति से महिलाओं ने असंभव को भी संभव करने के प्रयास शुरू कर दिये है।
इसी का एक अच्छा उदाहरण है चंद्रयान-2,जिसकी सारी सफलता का श्रेय महिलाओं को जाता है।चंद्रयान-2 की सफलता में दो महिलाओं वनिता मुथैया और रितु करिधाल (Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal) का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
जानिए चंद्रयान-2 मिशन की कुछ अहम बातें ?
Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व दो महिला वैज्ञानिकों ने किया।जहां एक ओर वनिता मुथैया (Vanitha Muthayya ) जो एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं ने चंद्रयान-2 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर का काम संभाला।
तो वहीं दूसरी ओर रितु कारीधल (Ritu Karidhal ) जो इसरो में साइंटिस्ट हैं ने मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली।
इन दोनों ही (Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal) महिलाओं को इस क्षेत्र में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव है।इन दो महिलाओं के अलावा भी इस मिशन में कहीं और महिला वैज्ञानिकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 30% महिलाओं का योगदान रहा।
Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal दोनों ही वर्तमान समय में बेंगलुरु स्थिति यू आर राव अंतरिक्ष केंद्र में तैनात हैं।वनिता यू आर राव सेटेलाइट सेंटर से प्रतिष्ठित ग्रह मिशन का नेतृत्व करने वाली एकमात्र महिला है।
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वनिता मुथैया/Vanitha Muthayya (प्रोजेक्ट डायरेक्टर)
वनिता मुथैया को “डाटा क्वीन“ के नाम से भी जाना जाता है।क्योंकि वनिता एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर और डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ है।उन्हेँ डेटा विश्लेषण के क्षेत्र में महारत हासिल है।
वह भारत के महत्वाकांशी मिशन चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर/परियोजना निदेशक है।इसरो के इतिहास में पहली बार किसी महिला को किसी प्रोजेक्ट का प्रमुख बनाया गया है।
और वनिता चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने से इसरो के किसी प्रोजेक्ट की प्रमुख बनने वाली देश की पहली महिला बन गयी हैं।
दरअसल चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चाँद के दक्षिणी ध्रुव में पानी के साथ विभिन्न धातुओं और खनिजों, चंद्रमा की सतह के तापमान तथा विकिरण,चँद्रमा में आने वाले भूकंपों आदि का डाटा इकट्ठा करना है।चंद्रयान-2 के द्वारा इकठ्ठे किये गये सभी डेटा के विश्लेषण का काम वनिता का ही होगा।
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वनिता मुथैया का जीवन परिचय (Data Queen Vanitha Muthayya)
वनिता चेन्नई की रहने वाली हैं।वनिता के माता-पिता भी सिविल इंजीनियर और इलेक्ट्रॉनिक-कम्युनिकेशन इंजीनियर थे।वो इसरो में करीब 32 साल से काम कर रही हैं।उन्होंने इसरो में जूनियर इंजीनियर के तौर पर ज्वाइन किया था।
उन्होंने एक इंटरब्यू में कहा “मैं लिबोरेटरी ,टेस्टिंग कार्डस ,हार्डवेयर बनाना, डिजाइनिंग, डेवलपिंग करते हुये आज मेनेजेरियल पोजीशन पर पहुंची हूं”।
बनिता मुथैया का कार्य क्षेत्र
वनिता मुथैया भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती हैं।वनिता चंद्रयान-1 मिशन का हिस्सा भी रही हैं।वनिता मुथैया ऐसी पहली महिला हैं जो इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं।वनिता डाटा हैंडलिंग में एक्सपर्ट है।
इसीलिए वो रिमोट सैटेलाइट्स का सारा डाटा भी संभालती है।चंद्रयान-1 मिशन के वक्त अलग-अलग पेलोड्स से आने वाले डेटा का विश्लेषण वही करती थी।
अब चंद्रयान-2 से मिलने वाले सभी डेटा का विश्लेषण भी वनिता ही करेंगी।वनिता मुथैया का यह काम चंद्रयान 2 के लॉन्च से उसका कार्यकाल खत्म होने तक जारी रहेगा।
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ऐसा बताया जाता हैं कि वनिता पहले चंद्रयान-2 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने को तैयार नहीं थी लेकिन बाद में चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉक्टर एम अन्नादुरई ने उन्हें तैयार किया।लेकिन बाद में चंद्रयान-2 के लिए वह लगातार बिना रुके हुए काम करती रही हैं।
यही नहीं वनिता प्रक्षेपण यान के हार्डवेयर के विकास की देखरेख भी करती हैं।और उनके पास बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझाने का क्षमता और प्रबंधन की प्रतिभा भी मौजूद है।
वनिता डिजिटल सिगनल प्रोर्सेंसग में माहिर हैं।उन्होंने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं।उन्होंने र्मैंपग के लिए इस्तेमाल होने वाले पहले “भारतीय रिमोट र्सेंसग उपग्रह (कार्टोसैट-1) , दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह (ओसियन सैट-2)।
और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इको फ्रेंच उपग्रह (मेघा ट्राँपिक) पर उप परियोजना निदेशक के तौर पर भी काम किया है”।
वनिता के पास डिजाइन इंजीनियरिंग का लंबा अनुभव है।वह काफी लंबे समय से सेटेलाइट पर काम कर रही है।किसी भी मिशन में प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भूमिका अहम होती है क्योंकि वह पूरे अभियान का मुखिया होता है।
और पूरे अभियान की सफलता की जिम्मेदारी उसी की होती है।किसी भी अंतरिक्ष अभियान में एक से ज्यादा मिशन डायरेक्टर हो सकते हैं लेकिन प्रोजेक्ट डायरेक्टर केवल एक ही होता है।प्रोजेक्ट डायरेक्टर के ऊपर एक प्रोग्राम डायरेक्टर भी होता है।
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अंतरिक्ष यान में डाटा हैंडलिंग का बहुत अधिक महत्व होता हैं।और यही अंतरिक्ष यान के सभी कार्यों को क्रियान्वित करता है।यह किसी भी अंतरिक्ष मिशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।डाटा हैंडलर को अंतरिक्ष यान पर डाटा के सभी रूपों को मैनेज करना होता है।
धरती पर ट्रांसमिशन के लिए लगातार डाटा तैयार करना,यान के पूरे सिस्टम और पेलोड के बारे में जानकारी इकट्ठा करना, ऑर्बिट में अंतरिक्ष यान की पोजीशन की जांच करना ,आने वाली हर समस्या का तुरन्त समाधान निकलना ,अंतरिक्ष यान की गति व समय पर नजर रखना आदि।
वनिता सेटेलाइट कम्युनिकेशन के अलग-अलग डोमेन पर सर्च कर रही है।और उनकी रिसर्च इसरो की आधिकारिक साइट पर उपलब्ध है।
सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक से सम्मानित (Vanitha Muthayya Awards )
वनिता को 2006 में “सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक” के अवार्ड से नवाजा जा चुका है।2006 में “एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया” द्वारा स्थापित सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त करने वाली देश की पहली महिला है।
साइंस जर्नल नेचर 10 के 2018 एडिशन में “वन्स टू वॉच आउट 2019” के रूप में नामित किया गया।यानि उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था जिन पर 2019 में नजर रहेगी।
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रितु करिधाल (Ritu Karidhal) मिशन डायरेक्टर (Rocket Women of India)
रितु को “रॉकेट वूमन/Rocket Women)”के नाम से जाना जाता है।रितु चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर हैं।वो 2013 में प्रक्षेपित मंगलयान में “डेप्युटी ऑपरेशन डायरेक्टर” भी रह चुकी हैं
वह 1997 में इसरो में काम कर रही हैं।चंद्र परिक्रमा पथ में चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रवेश कराने की जिम्मेदारी रितु की ही है।
रितु करिधाल का जीवन परिचय
रितु करिधाल का जन्म लखनऊ (राजाजीपुरम) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है।उनके पिता रक्षा सेवाओं में थे।उनके दो भाई और दो बहनों हैं।उनके माता पिता का निधन हो चुका है।
उन्होंने नवयुग गर्ल्स कॉलेज से इंटर करने के बाद स्नातक की पढाई के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।उन्होंने यहां से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन (भौतिकी) किया।
पीजी करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ही फिजिक्स में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया।
और उन्होंने यहां कुछ समय शिक्षण कार्य भी किया।लेकिन उन्हें पीएचडी करते हुए 6 महीने ही हुए थे कि गेट की परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ।
जिसमें उन्होंने सफलता पायी।इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस (IISc) बेंगलुरु चली गई।यहां से रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली।
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रितु दो बच्चों की मां है।वह इसरो में रहती हैं।रितु निजी जिन्दगी में पूर्ण रूप से पारंपरिक है। लेकिन अपने इसरो के कामकाज की जिम्मेदारियों का वह बड़ी कुशलता से निर्वहन करती हैं। उनके कौशल के कारण ही उन्हें इसरो और अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत की “रॉकेट वुमन” के नाम से जाना जाता है।
तारों ने मुझे हमेशा अपनी और खींचा …………
रितु कहती हैं कि “मम्मी पापा का पूरा फोकस पढ़ाई पर रहा।मम्मी मेरे साथ रात रात भर जागती थी कि मुझे डर ना लगे।तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर खींचा।मैं हमेशा सोचती थी कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है?जब वह छोटी थी तब मुझे समझ में नहीं आता था कि चंद्रमा बड़ा और छोटा कैसे होता है।
विज्ञान मेरे लिए सिर्फ एक विषय नहीं जुनून था।1997 में मुझे इसरो से चिट्ठी मिली कि बेंगलुरु में हमारी एजेंसी ज्वाइन करें।2000 किलोमीटर दूर भेजने में माता-पिता को डर लग रहा था।हालांकि उन्होंने मुझ पर भरोसा किया और मुझे भेजा और यहीं से मेरा अंतरिक्ष की दुनिया का सफर शुरू हुआ”।
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एक इंटरब्यू में रितु ने कहा कि “मेरे लिए “मॉम“ शब्द बेहद अहम है।माँम यानी दो प्यारे और जिम्मेदार बच्चों की मां और दूसरा मार्स ऑर्बिटरी मिशन”।जिसकी सफलता की गवाह डिप्टी ऑपरेशनल डायरेक्टर के रूप में मैं रही।
पति अविनाश,बेटा आदित्य और बेटी अनीषी मेरे हर प्रोजेक्ट की अहमियत को समझते हैं।और यही वजह है कि मुझे उनकी चिंता नहीं करनी पड़ती है”।
रितु को लखनऊ यूनिवर्सिटी संस्थान के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करेगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय ने संस्थान के सर्वोच्च सम्मान के लिए रितु करिघाल के नाम की सिफारिश करने का फैसला किया है।रितु ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी।
विश्वविद्यालय 14 अक्टूबर 2019 को होने वाले दीक्षांत समारोह में रितु को मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहता है।
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रितु करिधाल का कार्य क्षेत्र
रितु करिधाल चंद्रयान-2 मिशन में मिशन डायरेक्टर के महत्वपूर्ण पद पर हैं।उन्होंने चंद्रयान-2 के ऑटोनॉमी सिस्टम को भी डिजाइन किया हैं।चंद्रयान-2 के चंद्रमा की परिक्रमा कक्षा में दाखिल होने से जुड़े सभी कार्यों को वही फोकस करेंगी।
वह 1997 से इसरो में काम कर रही हैं।करीब 21 वर्षों से इस इसरो में बतौर वैज्ञानिक काम कर रही है।
चंद्रयान-2 मिशन की डायरेक्टर बनने से पहले रितु 2013 में भारत के महत्वाकांक्षी मंगल मिशन में बतौर वैज्ञानिक काम कर चुकी है।यह मिशन बेहद कामयाब रहा।
भारत दुनिया का चौथा देश बना था जिसने मंगल तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की थी।उस वक्त रितु ने मिशन मंगल में बड़ी भूमिका निभाई थी।और वहीं से रितु के कौशल को पहचाना गया और उन्हें इस बार बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
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उन्हें 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से “युवा वैज्ञानिक” का अवार्ड भी मिला।
हालांकि इन दोनों का काम अभी खत्म नहीं हुआ है।इनका कार्य चंद्रयान-2 के सफलता पूर्वक अपना कार्य खत्म करने तक जारी रहेगा।
इसरो (ISRO) में महिलाएं
इसरो में हमेशा ही महिला वैज्ञानिकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।इसरो की 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस वक्त इसरो में 2069 महिलाएं विज्ञान संबंधी और तकनीकी श्रेणियों में कार्यरत हैं।जबकि प्रशासनिक क्षेत्र में 3285 महिलाएं हैं।
इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के सिवन
इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के सिवन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “महिलाओं और पुरुषों में किसी तरह की कोई अन्तर नहीं समझते।इसरो में करीब 30% महिलाएं काम करती हैं।
यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी महिला ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभाली है”।इससे पहले मंगल मिशन में भी 8 महिला वैज्ञानिकों को प्रमुख भूमिका में रखा गया था।
(Vanitha Muthayya and Ritu Karidhal)
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