सैटेलाइट टाउन और मॉडल हिल टाउन ।

सैटेलाइट टाउन और मॉडल हिल टाउन(उत्तराखंड)

सैटेलाइट टाउन और मॉडल हिल टाउन (उत्तराखंड)।,उत्तराखंड में एक तरफ दिनों दिन खाली होते पहाड़ ,वीरान होते गांव और दूसरी तरफ पहाड़ों से सटे नजदीकी शहरों में बेतहाशा बढ़ती आबादी का बोझ ,युवाओं का पढ़ाई और नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों का रुख।एक बड़ी समस्या बन गयी है।

रोजगार की कमी से जूझते उत्तराखंड में पलायन की समस्या सुरसा राक्षसी के जैसे मुंह फाड़े सरकार को हर दिन चुनौती दे रही है।पलायन की इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए यूं तो सरकार ने कई तरह की योजनाओं का शुभारंभ किया है।

लेकिन योजनाओं को धरातल पर उतारने में होने वाली लंबी प्रक्रिया और अन्य कारणों की वजह से यह समस्या ज्यों की त्यों ही बनी हुई है।

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पलायन की इसी समस्या से निजात पाने तथा शहरों में बेतहाशा बढ़ती आबादी के बोझ को कम करने के लिए सरकार ने अब सैटेलाइट टाउन को विकसित करने का फैसला किया है।

सैटेलाइट टाउन और मॉडल हिल टाउन (उत्तराखंड)।

उत्तरदायी विभाग – नियोजन विभाग

कितनी जगहों में विकसित होगें सैटेलाइट टाउन – 31

क्या हैं सैटेलाइट टाउन ?

सैटेलाइट टाउन बड़े शहरों और आसपास के गांवों के बीच के ऐसे स्थान/कस्बे जो बड़े शहरों के नजदीक हों और बड़े शहरों से सड़क मार्ग से भी जुड़े हों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित कर उन्हें “सैटेलाइट टाउन”का रूप दिया जायेगा।बड़े शहरों में बसने की इच्छा रखने वाले लोग इन सैटेलाइट टाउन में आसानी से बस सकेंगे।

सरकार के मुताबिक “प्रदेश में राज्य गठन के बाद से पलायन का स्वरूप बदल गया है।अब गांव के लोग रोजगार ,बेहतर शिक्षा व सुख सुबिधाओं की तलाश में गांव से निकलकर बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।जैसे देहरादून,  हरिद्वार, हल्द्वानी ,उधम सिंह नगर आदि।जिससे इन शहरों में जनसंख्या का बोझ दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।

बेतहाशा बढ़ती आबादी से इन शहरों की व्यवस्था भी चरमरा रही है।इस तरह के पलायन की समस्या से निजात पाने के लिए सैटेलाइट टाउन बनाने का फैसला किया गया है”।

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योजनाबद्ध तरीके से विकसित किये जायेगें सैटेलाइट टाउन

फ़िलहाल नियोजन विभाग ने 31 जगहों की एक सूची बनाई है जहां सैटेलाइट टाउन बनाने का प्रस्ताव है।ये सभी वो स्थान है जिनकी ओर लोग ग्रामीण क्षेत्रों से रुख कर रहे हैं।

लगातार लोगों के इन स्थानों पर आकर बसने से इन जगहों का विकास अनियोजित रूप से हो रहा है।इसीलिए सरकार ने इन जगहों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने का फैसला किया है।

क्या क्या मिलेंगी सुबिधायें

इस योजना में सरकार इन कस्बों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाएगी और नये अवसरों को पैदा करने का प्रयास करेगी।इसके लिये उस क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होने वाले कच्चे माल से छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों को शुरू करने का प्रयास करेगी

साथ ही साथ इन क्षेत्रों को आसपास या हर नजदीकी शहर से सड़क मार्ग से जोड़ा जायेगाइन कस्बों में स्वास्थ्य,शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।सरकार की यह भी कोशिश रहेगी कि इन स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय

ताकि पर्यटक इन स्थानों का रुख करें और स्थानीय लोगों को अपने ही घर में रोजगार मिल सके।सरकार इन स्थानों में सभी आधुनिक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का प्रयास करेगी।

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दो तरह के होगें टाउन

सैटेलाइट टाउन और मॉडल हिल टाउन

  • सैटेलाइट टाउन

सैटेलाइट टाउन,बड़े शहरों और उनके आसपास/नजदीकी गांवों के बीच के स्थानों/कस्बों को विकसित कर उन्हेँ सैटेलाइट टाउन बनाया जाएंगा।

  • मॉडल हिल टाउन

पर्वतीय क्षेत्रों में इन्हीं सैटेलाइट टाउन को मॉडल हिल टाउन” के नाम से जाना जाएगा।अधिकतर पर्वतीय क्षेत्रों को आपदा को दृष्टि से संवेदनशील माना जाता हैं।

इसीलिए पर्वतीय क्षेत्रों में इन मॉडल हिल टाउन को उस जगह के भौगोलिकता के अनुरूप विकसित किया जाएगा।यह शहरों में विकसित किए जाने वाले सेटेलाइट टाउन से अलग होंगे।

पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएं आये दिन कहर बरपाती रहती हैं।और इन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा या भूकंप के आने से जान माल का अत्यधिक नुकसान होता है

इसके अलावा भी कई अन्य आपदाओं का खतरा में बना रहता हैइन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए यहां पर आपदा प्रतिरोधी भवनों का विकास किया जाएगा

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चयनित स्थल 

देहरादून –  चकराता, रायवाला।

हरिद्वार –  पिरान कलियर।

पिथौरागढ़ –  बेरीनाग, धारचूला, डीडीहाट ,मुनस्यारी। 

अल्मोड़ा –  चौखुटिया, सोमेश्वर ,द्वाराहाट।

बागेश्वर – कपकोट ,ग्वालदम।

चंपावत –  बनबसा।

नैनीताल –  कालाढूंगी, भवाली ,रामगढ़।

उधम सिंह नगर – जसपुर, बाजपुर, किच्छा ,सितारगंज।

पौड़ी –  सतपुली, दुगड्डा।

चमोली –  थराली।

रुद्रप्रयाग –  उखीमठ, जखोली।

टिहरी –  घनसाली ,चमियाला, नरेंद्र नगर।

उत्तरकाशी –  चिन्यालीसौड़ ,बड़कोट, पुरोला।

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