Code On Occupational Safety ,Health and Working conditions Bill 2019।कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी,हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल ,2019 की जानकारी।
केंद्र सरकार लगातार सरकारी तथा प्राइवेट क्षेत्रों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की कार्यस्थलों में सुरक्षा,बेहतर स्वास्थ्य तथा उनके अधिकारों व हितों को सुरक्षित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी,हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल,2019 उसी दिशा में एक और कदम है।
अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने प्राइवेट क्षेत्रों (असंगठित क्षेत्र/दिहाड़ी में कार्य करने वाले लोगों )में काम करने वाले लोगों के लिए “प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना” का शुभारंभ किया।जिसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को 60 साल के बाद पेंशन देने की व्यवस्था की गई है ताकि उनको वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से थोड़ी राहत मिल सके।
अब कंपनियों तथा अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा,स्वास्थ्य तथा उनके अधिकारों संबधी बिल “कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी ,हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल 2019” को मोदी सरकार की कैबिनेट ने 10 जुलाई 2019 मंजूरी दी है।
पिथौरागढ़ में खुलेगा देश का सबसे बड़ा टयूलिप गार्डन ?
हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल 2019 में कंपनियों को अपने कर्मचारियों का हर तरह से पूरा ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी गई है।इस बिल के मुताबिक कामगारों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन के हिसाब से 178/- रूपये तय की गई है।यानि अब देश के किसी भी राज्य में मजदूरों को 178/- रुपए प्रतिदिन से कम की मजदूरी नहीं दी जा सकती है।हालांकि सरकार ने ये भी कहा है कि अगर कोई इससे ज्यादा दिहाड़ी अपने कामगारों को देना चाहे तो यह बहुत अच्छा है।
क्या है किसान सम्मान निधि योजना?
बिल का उद्देश्य
हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल 2019 का मुख्य उद्देश्य मजदूरों के हितों का ध्यान रखना है।केंद्र सरकार ने सरकारी व प्राइवेट कर्मचारियों की कार्यालयों में सुरक्षा,स्वास्थ्य एवं वर्किंग कंडीशन में विशेष ध्यान दिया है।सरकार में 13 श्रम कानूनों को मिलाकर एक कानून बनाया है।जिससे 40 करोड़ कामगारों को सीधे-सीधे फायदा होगा।सरकार ने कर्मचारियों/कामगारों के हितों को प्राथमिकता में रखा है।
हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल की कुछ खास बातें
- कामगारों की न्यूनतम मजदूरी 178/- रूपए प्रतिदिन के हिसाब से तय की गई है।
- यह नियम पूरे देश की कंपनीयों के कर्मचारियों पर लागू होगा।चाहे वह कंपनी किसी भी राज्य में स्थित क्योँ न हो।
- मजदूरों को हर महीने की एक निश्चित तारीख तक वेतन दे दिया जायेगा।
- हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल के अनुसार एक निश्चित तय सीमा के(नियम के अनुसार) बाद कंपनियां को अपने कर्मचारियों का साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेकअप करवाना अनिवार्य है।
- कंपनियों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के छोटे बच्चों के लिए कंपनियां क्रेज(झूलाघर), कैंटीन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करायेगी।
13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना (उत्तराखंड)क्या है ?
- इसके साथ ही कार्यस्थल में महिलाओं के लिए काम करने के घंटे 6:00 बजे सुबह से 7:00 बजे शाम के बीच में ही रहेंगे।
- महिलाओं को रात में (Night shift) काम करना है या नहीं।इसका फैसला भी खुद महिलाओं को लेने का अधिकार दिया गया है।
- शाम के 7:00 बजे बाद अगर महिलाओं से काम कराया जाता है तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से कंपनी की होगी।
- ओवरटाइम काम कराने से पहले कर्मचारी की सहमति लेनी अनिवार्य होगी।
- इस बिल के दायरे में वो सभी कंपनियां आयेगी जिनमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
- देश की सभी कंपनियों के कर्मचारियों को अब कंपनी के द्वारा अप्वाइंटमेंट लेटर देना जरूरी है।
- अब एक महीने में अधिकतम ओवरटाइम 100 घंटे के स्थान पर 125 घंटे किया गया है।
क्या है प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना?
परिवार को दोबारा से परिभाषित किया गया
हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल की खास बात यह है कि इस बिल में परिवार को दोबारा से परिभाषित किया गया है।नए बिल के अनुसार दादा-दादी व नाना-नानी को मिलने वाली सभी सुविधाएं अब आश्रित दादा- दादी या नाना-नानी (ग्रैंड पेरेंट्स) को भी मिलेगी ।
13 श्रम कानूनों को मिलाकर बनाया गया है हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल 2019
- कारखाना अधिनियम ,1948,
- बागान श्रम अधिनियम 1951,
- खदान अधिनियम 1952,
- श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा शर्तें और अन्य प्रावधान)अधिनियम 1955,
- श्रमजीवी पत्रकार(निर्धारित वेतन दर)अधिनियम 1958,
- मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम 1961,
- बीड़ी और सिगार श्रमिक(रोजगार शर्ते)अधिनियम 1966,
- संविदा श्रम (विनियमन और उन्मूलन)अधिनियम 1970,
- बिक्री संबर्धन कर्मचारी (सेवा शर्ते)अधिनियम 1976,
- अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक(रोजगार का विनियमन और सेवा शर्ते)अधिनियम 1979,
- सिनेमा कर्मचारी और सिनेमा थिएटर कर्मचारी अधिनियम 1981
- बंदरगाह श्रमिक(सुरक्षा,स्वास्थ्य और कल्याण कानून)1986,
- भवन और अन्य निर्माण कार्य(रोजगार का विनियमन और सेवा शर्तें)कानून,1996।
इन्हीं 13 महत्वपूर्ण केंद्रीय श्रम कानूनों को एक साथ मिलाकर एक सरल व युक्तिसंगत कानून बनाने की कोशिश की गई है।नये कानून के बन जाने के बाद अब इन 13 कानूनी प्रावधानों का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।
World Emoji Day क्यों मनाया जाता है?
कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी,हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशनल बिल का लाभ
हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड बिल के लागू होने से कर्मचारियों को कई लाभ मिलेंगे।
- कर्मचारियों को साल में एक बार हेल्थ चेकअप की सुबिधा मिलने से उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायों का निदान हो सकेगा।
- श्रमिक स्वस्थ रहेगा तो इसका प्रभाव निश्चित रूप से उत्पादकता पर पड़ेगा और उत्पादक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
- कार्य स्थल पर सुरक्षा मिलने से कर्मचारी अपनी सुरक्षा की तरफ से निश्चिन्त होकर काम कर सकेंगे।
- कार्यस्थल में कामकाज की बेहतर स्थिति कर्मचारियों/श्रमिकों के कल्याण के साथ ही देश के आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगी।
- महिलाओं के काम करने के घंटे निश्चित होने व कार्यस्थल में सुरक्षा मिलने के कारण वो ज्यादा निश्चिंत होकर अपने काम की तरफ ध्यान देंगी।
- महिलाओं को नाइट शिफ्ट(Night shift )में काम करने के बाद घर लौटने वक्त कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।अब कंपनी की तरफ से सुरक्षा दिए जाने से महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी और नाइट शिफ्ट में काम करने से भी नहीं हिचकिचायेगी।
- कार्य स्थलों में सुरक्षा के बेहतर इंतजाम होने से श्रमिकों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी।जो कर्मचारियों के साथ-साथ कंपनी के लिए भी लाभदायक रहेगी।
- नये श्रम कानून का दायरा उन सभी औद्योगिक संस्थानों/प्रतिष्ठानों तक कर दिया है जहां 10 या उससे अधिक लोग काम करते हैं।पहले यह सिर्फ 9 बड़े औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित था।
- श्रमिकों के स्वास्थ्य,उनकी सुरक्षा,कार्यस्थल की स्थितियों को बेहतर बनाये जाने से संबंधित इस बिल में कर्मचारियों के लिए व्यवस्थाओं को,वर्तमान की तुलना में कई गुना बेहतर बनाये जाने की यह एक कोशिश है।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार का दावा है कि “सदन में मंजूरी मिलने के बाद इस बिल का फायदा 40 करोड़ से अधिक कामगारों को होगा।इस बिल के पास होने के साथ 13 श्रम कानूनों का अस्तित्व खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा और अब सिर्फ एक ही श्रम कानून रहेगा”।
You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की क्या है खास बात?
लोकायुक्त और लोकपाल कानून क्या है?