Chaitol Parv – सोरघाटी की एक अनोखी परंमपरा (चैतोल पर्व)

Chaitol Parv , चैतोल पर्व – सोरघाटी की एक अनोखी परंमपरा

Chaitol Parv

चैतोल पर्व

पूरे कुमाऊं में चैत्र मास में भिटौली देने की एक अनोखी व विशिष्ट परंमपरा है । भिटौली  मतलब भेंट करना ..अपनी विवाहित बहनों या बेटियों से उपहारों के साथ।चैत्र के इस पूरे माह में कुमाँऊ का हर परिवार अपनी विवाहित बेटियों या बहनों के घर जाकर उनसे मुलाकात कर उसका हालचाल जानते हैं ।

तथा साथ में उनके लिए भेंट स्वरूप कुछ उपहार भी लेकर जाते हैं ।लेकिन पूरे कुमाऊं में सिर्फ पिथौरागढ़ (जो सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता है ) एकमात्र ऐसा शहर है ।जहां पर स्वयं भोलेनाथ भी इस परंमपरा को बड़ी शिद्दत से निभाते हैं ।और सोरघाटी में बसी अपनी मां भगवती रूपी 22 बहनों को भिटौली देने कैलाश से सोरघाटी पहुंचते हैं ।

उत्तराखंड से पलायन के कारण 

यहां पर वह अपनी सभी बहनों के घर (मंदिर) जाकर उनसे भेंट करते हैं ।.. है ना। यह अनोखी और अद्भुत परंमपरा  ।   जिसे भोलेनाथ भी निभाना पसंद करते हैं ।अपनी बहनों के लिए भगवान शिव का यह असीम प्यार “चैतोल पर्व /Chaitol Parv” के रूप में मनाया जाता है।

भाई बहन के प्यार की यह अनोखी परंमपरा (Chaitol Parv) सोरघाटी में बरसों से यूं ही चली आ रही है। इस पर्व का हर कोई अपने तरीके से आनंद उठाता है ।चाहे बच्चा हो या जवान या बुजुर्ग। उत्तराखंड की भूमि देवभूमि मानी जाती है ।और हिमालय (कैलाश ) शिव का निवास स्थान ।इसलिए यह स्वाभाविक रूप से ही भगवान शिव की धरती है।

Chaitol Parv

यह पर्व चैत्र मास की एकादशी से शुरू होकर इसी माह की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। सोरघाटी में स्थित चहर- चौसर गांव से भगवान देवल समेत (शिव का अवतार) की शोभायात्रा निकाली जाती है जो 22 गांवों में पैदल ही घूमती है। ऐसा माना जाता है कि इन 22 गांवों में भगवान शिव की 22 बहनें (जो मां भगवती के रूप में विराजमान हैं) रहती हैं।

उत्तराखंड से पलायन रोकने के उपाय 

और भगवान भोलेनाथ भगवान देवल समेत के रूप में इस चैत्र के माह में अपनी इन्हीं बहनों से भेंट करने पहुंचते हैं। साथ ही साथ वह उस गांव के लोगों को उनकी रक्षा का आशीर्वाद भी  देते हैं ।इन मंदिरों में देवता किसी व्यक्ति विशेष के शरीर में अवतरित होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

5 दिनों तक चलने वाले इस पर्व (Chaitol Parv) का समापन पूर्णिमा के दिन घंटाकरण में सभी गांव के डोलों के मिलन के साथ संपन्न हो जाता है।

सदियों से इसी तरह मनाया जाने वाला यह पर्व (Chaitol Parv)  स्थानीय लोगों की आस्था व विश्वास का पर्व है। आज भी लोग इसे (Chaitol Parv)  बड़े उत्साह, उमंग , पूरे विश्वास, आस्था  व पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं ।साथ ही साथ भगवान देवल समेत सेे अच्छी फसल, अच्छे स्वास्थ्य तथा इलाके की सुख ,समृद्धि ,खुशहाली की कामना करते हैं।

Chaitol Parv at pithoragarh

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