Conserve Blue To Go Green For An Atma Nirbhar Bharat 

Conserve Blue to Go Green for an Atma Nirbhar Bharat , आत्म-निर्भर भारत के लिए समुद्र से लेकर हरियाली संरक्षण करें पर हिन्दी निबंध ।

Conserve Blue To Go Green For An Atma Nirbhar Bharat 

आत्म-निर्भर भारत के लिए समुद्र से लेकर हरियाली संरक्षण करें

Conserve Blue to Go Green for an Atma Nirbhar Bharat

Content / विषय सूची 

  1. प्रस्तावना
  2. हरियाली का महत्व 
  3. समुद्र का महत्व 
  4. हरियाली और समुद्र का आत्म-निर्भर भारत पर योगदान 
  5. हरियाली और समुद्र का संरक्षण आवश्यक  
  6. उपसंहार  

प्रस्तावना

चारों तरफ खिले हुए रंग-बिरंगे खूबसूरत फूल , पेड़ों में लदे फल , लताओं से लिपटी हुई सब्जियां , चारों तरफ हरियाली ही हरियाली  और जैव विविधता से भरा नीला समुद्र  , भला किसे अच्छा नहीं लगेगा। 

वाकई में प्रकृति बहुत बड़ी चित्रकार है जो मौसम बदलते ही अपने चित्रों को भी बदलना शुरू कर देती हैं। इन्हीं प्राकृतिक चित्रों जिन्हें हम प्राकृतिक दृश्य भी कहते हैं , को देखने के लिए दुनिया भर से लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। और कुछ उद्योग जैसे पर्यटन , होटल , खाद्य (Food ) तो जैसे इन्हीं पर फ़लते व फूलते हैं। और साथ में देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करते हैं। 

हरियाली का महत्व 

हरियाली का सीधा मतलब हमारी वन संपदा से हैं। और हमारा देश प्राचीन काल से ही वन संपदा से काफी समृद्ध रहा हैं।ये अमूल्य वन संपदा और वन प्रकृति की तरफ से मानव जीवन के लिए एक अनमोल उपहार स्वरूप हैं। क्योंकि जलवायु  , पर्यावरण और मानव जीवन वनों पर ही निर्भर करते है।

आदिकाल से ही हरियाली मनुष्य की अच्छी मित्र रही हैं।ये वन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र व पर्यावरण को मजबूत व संतुलित करते हैं और साथ में भूमि कटाव को भी रोकते हैं।ये जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर , हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वनों से हमें औषधियों भी प्राप्त होती हैं।

मनुष्य व जानवरों की मूलभूत आवश्यकताओं इन्हीं वनों से पूरी होती हैं। पशुओं के लिए चारा व बिछौना बहुत आसानी से हमें जंगलों से ही प्राप्त होता हैं।

समुद्र का महत्व

हमारी धरती में लगभग 70 प्रतिशत भू-भाग पर समुद्र है। अगर धरती में समुद्र न होते तो वैश्विक तापमान में काफी वृद्धि हो जाती।जिसको सहन करना इंसान के बस की बात नहीं है। समुद्र सूर्य से आने वाली गर्मी का एक बड़ा हिस्सा भी सोख लेती है।जिससे धरती का तापमान संतुलित रहता हैं ।यही समुद्र का पानी बादल बनता है और मीठे जल के रूप इस धरती पर वापस आ , हम सब की प्यास बुझाता हैं। 

समंदर ना सिर्फ हमारे पर्यावरण संतुलन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ में हमें अनेकों अनेक चीजों भी प्रदान करते हैं। समुद्री जीव जंतु मनुष्य का प्रिय भोजन है। साथ में कई लोग इस व्यापार से जुड़े रहते हैं। और जिनका वह देश व विदेशों में आयात व निर्यात करते हैं। जिससे राष्ट्र को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचता है। 

हरियाली और समुद्र का आत्म-निर्भर भारत पर योगदान 

किसी भी देश की समृद्ध बन संपदा उस देश को न सिर्फ पर्यावरणीय रूप से स्वस्थ रखती है। साथ ही उस देश की आर्थिक तरक्की में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कई सारे उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल भी यही से प्राप्त होता है। जैसे रबड़ , गोंद , लाख , बीड़ी , सुगंध , रंग , टोकरी , तेल , अगरबत्ती आदि। इमारती लकड़ियों और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए भी कच्चा माल यही से मिलता हैं ।

भवन निर्माण और फर्नीचर उद्योग का पूरा दारोमदार तो इन्हीं जंगलों पर आधारित है। और यह उद्योग आत्मनिर्भर भारत बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जंगलों से हमें कई सारी कई तरह की जड़ी बूटियां मिलती हैं जो असाध्य रोगों को दूर करने में मदद मिलती हैं और आयुर्वेद में इनका बहुत बड़ा महत्व है। हम अपने आयुर्वेद के क्षेत्र को विस्तार देकर चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। 

समुंदर के अंदर जैव विविधता का भंडार भरा हुआ है। यह समुद्र ना सिर्फ हमें खाद्य सामग्रियां  देता है। बल्कि समुंदर मनुष्य को हमेशा से ही आकर्षित करते आए हैं। समंदर किनारे पर्यटन उद्योग खूब फलता फूलता है। और अकेले एक पर्यटन उद्योग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए काफी है। 

हरियाली और समुद्र का संरक्षण आवश्यक  

हम अपने स्वार्थ व विकास के नाम पर लगातार इस हरियाली को नष्ट करते जा रहे हैं। जिस वजह से वन क्षेत्र लगातार कम होते जा रहे हैं। और धरती का तापमान बढ़ रहा हैं। मौसम चक्र में लगातार बदलाव आ रहा हैं और धरती की रक्षक ओजोन परत भी अब सिकुड़ने लगी हैं।

वन सिर्फ हम इंसानों की ही नहीं बल्कि प्रकृति में रहने वाले प्रत्येक जीव-जंतु , परिंदे , पशु-पक्षी की मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं। अगर हम यूं ही इस धरती से हरियाली को खत्म करते रहे तो एक दिन हम खुद खत्म हो जाएंगे। 

हमें अपनी धरती के तापमान को संतुलित बनाए रखना है। और इस धरती पर जीवन को बचाने के लिए मीठे जल की आवश्यकता है , तो हमें समंदर को बचाना व सुरक्षित करना ही होगा। उसके जलीय जीवन को भी बचाना ही होगा , उसकी जैव विविधता को भी बरकरार रखना होगा। 

उपसंहार 

हरियाली और समुद्र दोनों ही मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं। यह दोनों ही अनादिकाल से मानव के सहचारी हैं। और धरती के सबसे सुंदर अंग भी हैं। इनके बिना हम स्वस्थ , सुंदर धरती की कल्पना ही नहीं कर सकते। 

हरियाली और समंदर दोनों को ही संरक्षण की आवश्यकता हैं। ये दोनों ही हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित भविष्य देंगे , और साथ में हमें आत्मनिर्भर बनने में भी हमारी पूरी मदद करेंगे।  क्योंकि इन दोनों का स्वभाव सिर्फ देना ही है , लेना नहीं है , वह भी निस्वार्थ भाव से। इसीलिए आइए हम सब मिलकर अपने समंदर और अपनी हरियाली को बचाएं। 

आत्म-निर्भर भारत के लिए समुद्र से लेकर हरियाली संरक्षण करें पर हिन्दी निबंध ।

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