Paar Nazar Ke Class 6 Summary ,
Paar Nazar Ke Class 6 Summary
पार नजर के कक्षा 6 सारांश
“पार नजर के” , पाठ के लेखक जयंत विष्णु नालीकर जी हैं। यह कहानी मूलत: मराठी भाषा में लिखी गयी हैं। इसका मराठी भाषा से हिंदी भाषा में अनुवाद “रेखा देशपांडे” जी ने किया हैं। इस कहानी के अनुसार , हमारी (धरती) पृथ्वी से दो अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह में भेजे गये जिन्हें देखकर मंगल ग्रहवासी थोड़े डर गए और अपने ग्रह की सुरक्षा के उपाय ढूढ़ने लगे ताकि उनके ग्रह के बारे में अंतरिक्ष यान ज्यादा जानकारी हासिल न कर सकें।
यह कहानी मंगल ग्रह में रहने वाले लोगों की हैं जो मंगल ग्रह की धरती के ऊपर (जमीन में) रहने के बजाय धरती के नीचे रहते हैं । इस कहानी का मुख्य पात्र एक छोटू नाम का छोटा सा लड़का हैं जिसके पापा रोज एक सुरंगनुमा रास्ते से अपने काम पर जाते थे। कुछ चुनिंदा लोग ही उस सुरंगनुमा रास्ते का इस्तेमाल करते थे। आम आदमी को उस सुरंगनुमा रास्ते की तरफ जाने की मनाही थी।
लेकिन छोटू के मन में उस सुरंगनुमा रास्ते के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता थी। इसीलिए उसने एक दिन अपने पापा का सिक्योरिटी पास चुरा लिया। उसने उस सिक्योरिटी पास का इस्तेमाल कर सुरंग का पहला दरवाजा खोला और सुरंग के अंदर प्रवेश कर गया। सुरंग के अंदर पहुंच कर उसने देखा कि वह सुरंग तो जमीन के ऊपर जाती हैं। लेकिन जैसे ही छोटू ने सुरंग के अंदर प्रवेश किया ठीक उसी समय सुरंग में लगे निरीक्षक यंत्र ने उसकी तस्वीर (फोटो) खींचकर नियंत्रण केंद्र को भेज दी जिसके थोड़ी देर बाद ही उसको पकड़ कर उसके घर भेज दिया गया।
घर में उसे माँ की डांट से पापा ने बचा लिया । उसके बाद पापा ने उसे समझाते हुए कहा कि जहाँ वो काम करते हैं वो जगह धरती के ऊपर हैं। वहाँ आम आदमी नहीं जा सकता क्योंकि वहाँ का वातावरण अब आम आदमी के जीने लायक नहीं हैं। इस पर छोटू ने बड़े ही आश्चर्यचकित होकर अपने पापा से पूछा कि वो वहां कैसे जाते हैं।
छोटू के पापा ने उसे समझाते हुए बताया कि वो वहाँ एक ख़ास किस्म का स्पेस सूट पहन कर जाते हैं जिससे उन्हें आक्सीजन मिलती रहती हैं और वह सूट उन्हें ठंड से भी बचाता हैं। साथ ही साथ उन्होंने एक खास किस्म के जूते पहनकर जमीन में चलने – फिरने का प्रशिक्षण भी लिया हुआ हैं।
छोटू के पापा ने छोटू को यह भी बताया कि मंगल ग्रह में एक समय ऐसा भी था जब उनके पूर्वज जमीन के ऊपर बिना किसी यंत्र के रहा करते थे लेकिन धीरे -धीरे सूर्य में परिवर्तन होने लगा जिस कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। वातावरण में भी अनेक तरह के परिवर्तन आने लगे जिसके कारण सभी जीव एक -एक कर मरने लगे। उनके पूर्वजों ने इस भीषण स्थिति का सामना किया था।
लेकिन उन्होंने अपने तकनीकी ज्ञान की वजह से जमीन के नीचे घर बना लिये और अब वो विभिन्न यंत्रों के सहारे सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर जमीन के नीचे अपना जीवन आराम से गुजार रहे हैं । सभी यंत्र सही से काम करें इसका बहुत ध्यान रखना पड़ता हैं । इसीलिए वो और उनके जैसे ही कुछ चुनिंदा लोग इसका ध्यान रखते हैं । पापा की सभी बातें सुनने के बाद छोटू ने अपने पिता से कहा कि बड़ा होकर वो भी उनकी तरह ही काम करेगा।
दूसरे दिन जब छोटू के पापा काम पर गए तो स्टाफ प्रमुख ने उन्हें बताया कि मंगल ग्रह की तरफ दो अंतरिक्ष यान बढ़े चले आ रहे हैं। अपने ग्रह की तरफ बढ़ती इस आपदा को देखते हुए कॉलोनी की प्रबंध समिति ने एक सभा बुलाई जिसमें अध्यक्ष महोदय ने सभी लोगों को बताया कि किसी अन्य ग्रह से दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरफ बढ़े चले आ रहे हैं।
सभी लोगों के बीच गंभीर विचार -विमर्श हुआ जिसके बाद एक सामूहिक फैसला लिया गया। उस फैसले में कहा गया कि “कुछ ऐसी व्यवस्था की जाय जिससे उन अंतरिक्ष यानों में लगे यंत्रों को उनकी धरती की कोई महत्वपूर्ण चीज हाथ न लगे”।
अभी सभा चल ही रही थी कि एक अंतरिक्ष यान जमीन पर उतर गया। उस अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला जिसकी लम्बाई बढ़ती जा रही थी। तभी अचानक छोटू ने कान्सोल का लाल बटन दबा दिया। लाल बटन दबते ही खतरे की घंटी बज उठी। पापा ने छोटू को एक जोरदार थप्पड़ मारा और कान्सोल के लाल बटन को फिर से अपनी जगह पर रख दिया। मगर इस सब में यांत्रिकी के हाथ का संतुलन बिगड़ गया और वह बेकार हो गया।
इधर हमारी पृथ्वी (Earth) में नेशनल एअरोनॉटिकल्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने एक बयान जारी कर कहा कि मंगल ग्रह पर उतरा हुआ हमारा अंतरिक्ष यान वाइकिंग अपना निर्धारित कार्य कर रहा हैं। हालाँकि किसी अज्ञातकारणवश अंतरिक्ष यान का यांत्रिक हाथ बेकार हो गया हैं। नासा के तकनीशियन इसकी जांच कर रहे हैं तथा इस यांत्रिक हाथ को दुरुस्त करने का काम जारी है।
इसके कुछ समय बाद अख़बारों में खबर छपी कि यांत्रिक हाथ को दुरुस्त कर लिया गया हैं और वह मंगल ग्रह की धरती से मिट्टी के विभिन्न नमूने इकठ्ठे कर रहा हैं। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह में जीवन हैं या नहीं। इसके बारे में जानने के बड़े इच्छुक हैं मगर यह अभी भी रहस्य बना हुआ हैं।
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