उत्तराखंड की दुर्लभ जड़ी बूटियों in hindi
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
उत्तराखंड की देवभूमि जहां एक ओर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है वही दूसरी ओर यहां के जंगलों में पैदा होने वाली जड़ी बूटियां अपने औषधीय गुणों से लोगों को विस्मित कर देती हैं।
उत्तराखंड के जंगल एक से बड़कर एक दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है।ये जड़ी बूटियां असाध्य से असाध्य रोगों को दूर भगाने में भी मदद करती हैं। ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड के जंगलों में “संजीवनी बूटी” भी विद्यमान है।
निर्गुन्डी (वाइटेक्स निर्गुण्डो)
गठिया वात, सूजन व कान दर्द में प्रयोग होता है। मांस पेशियों के दर्द में आराम, मच्छरों को दूर भगाता है ,चिंता, अस्थमा, त्वचा चमकदार, माइग्रेन को ठीक करने में मदद, पाचन तंत्र में सुधार ,बालों के विकास के लिए फायदेमंद।
तगर/जटामांसी (वैलेरियाना जटामांसी)
हैजे को दूर करने में यह बहुत फायदेमंद होता है।इसका यह शक्ति वर्धक दवाइयां बनाने के काम आता है। इम्यून सिस्टम को ठीक करता है ।दिल के रोग, उच्च रक्तचाप ,मिर्गी, मानसिक थकावट, अनिद्रा, सिर दर्द, दिमाग तेज करने, चिंता दूर करने में सहायक होता है।वही बुखार व पेट दर्द में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
वज्रदंती (पोटेन्सिला फ्रुटीकोसा)
दांतो के लिए सबसे अधिक उपयोगी।मसूड़ों की सूजन को कम करता है। बुखार ,सांस की बीमारी, जोड़ों का दर्द ,गठिया ,धाव, फोड़े-फुंसी में लाभ ,पाचन तंत्र में कीड़ों को साफ करता है। बालों का विकास सही ढंग से करता है।
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उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
भांग (कैनाबिस सेटाइवा)
यह दर्द ,निद्रा, पाचन क्रिया को ठीक करने में लाभदायक ,मूर्छाकारी तथा उत्तेजक दवा बनाने में प्रयोग होती है । भूख बढ़ाने, सिर दर्द ठीक करना हो या मानसिक रोग ठीक करने में भी यह सहायक होती है।यह नशे के लिए भी प्रयोग में लाई जाती है।ऐसा माना जाता है कि इसमें कैंसर रोग को दूर करने के लिए गुण पाए जाते हैं।
बाह्मी (सैंटेला एसीएटिका)
यह बुद्धि वर्धक ,आयुवर्धक, हृदय रोगों को दूर करने वाला ,रक्त विकार, मिर्गी,पागलपन को दूर भगाता है ।स्मरण शक्ति को बढ़ाता है उम्र व वृद्धि में बढ़ोतरी के लिए। कब्ज, गठिया ,खून साफ करना,अनिद्रा ,खांसी, बुखार, मधुर आवाज ,इम्यून सिस्टम को बढ़ाना ,रक्तचाप व दांत दर्द में भी राहत देता है।
गंदरायण/चोरा (एन्जेलिका ग्लोका)
हृदय को स्वस्थ रखने में, प्रेरक ,स्वास्थ्य व शक्तिवर्धक ,पाचन में सहायक। यह जड़ी बूटी खासकर छोटे बच्चों के पेट दर्द को दूर भगाने में मदद करती है।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों
पिपली (पाईपर लौंगम़्)
भूख ना लगना, बुखार आना, लीवर खराब होना, मोटापा ,दर्द ,नजला ,जुकाम ,कफ, आंखों का रोग ठीक करना, पेट दर्द, पैरालाइसिस ,ह्रदय रोग, अस्थमा, ,मिर्गी रोग, सांप के काटने ,तपेदिक व योंन शक्ति बढ़ाने के लिए काम आता है।और स्त्रियों के गुप्त रोग में भी काम आती है।
हिसालू (रूबस इलिप्टीकस )
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर शरीर के लिए फायदेमंद ।बुखार, पेट दर्द ,खांसी, गले के दर्द में फायदा। किडनी रोगों के लिए प्रभावशाली है।
अतीस (ऐकोनाइटम हेटरोफाइलम )
कफ ,वात, पित्त,अतिसार ,विषनाशक और खांसी, कृमि नाशक संबंधी बीमारियों में काम आता है।गला दर्द, पेट दर्द ,बुखार ,दस्त, मधुमेह रोग में लाभदायक।
अश्वगंधा (विथेनिया सोमनीफेरा)
मांस पेशियों में दर्द, ट्यूमर, टीबी, अस्थमा, पेट दर्द, लीवर रोग, सूजन ,लगातार हिचकी आना,गठिया ,चिंता व निद्रा न आने जैसे रोगों को दूर करने में सहायक।अस्थमा, अल्सर तथा ल्यूकोडर्मा में भी प्रयोग किया जाता हैं ।
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उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
किल्मोडा़ (बरबरिस अरिस्टाटा )
इसमेंएंटी बायोटिक, एंटी ट्यूमर, एंटी इंफ्लेमेटरी ,एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल गुण होते हैं। मधुमेह,पीलिया, दस्त, मलेरिया ,टाइफाइड, त्वचा व नेत्र के रोगों के लाभदायक।
वनककडी (पोडोफाइलम हैक्जेडरम)
बुखार, कैंसर के रोग में लाभदायक होती है।
पाषाण भेद (बर्जेनिआ लिग्यूलता )
गॉलब्लेडर वर किडनी से पथरी को बाहर निकालने में प्रभावशाली औषधि। नेत्र रोग में तथा फोड़े फुंसी को पका कर पस निकालने हेतु काम आती है। पेशाब में जलन पर, दर्द, मूत्र संबंधी समस्त रोग, पैरों में जलन और उच्च रक्तचाप, पेट में अल्सर में काफी प्रभावशाली।
बच (एकोरस कैलामस)
इसका प्रयोग ट्यूमर, अल्सर ,दिमागी विकारों, मिर्गी और उच्च रक्तचाप में किया जाता है। दिमाग की ताकत ,स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। पेट की कृमि मारता है। सिर दर्द ,खांसी ,मुंहासों से राहत देता है।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
मंजीठ (रूबिया कोर्डिफोलिया)
दाग धब्बे, जले के घावों के निशानों को मिटाने ,पथरी ,दंतरोग ,चूहे के काटने पर लाभ ,त्वचा रोग,सोरायसिस ,पेशाब में रुकावट, वात रोग, सफेद रोग को दूर करने में सहायक ।यह दस्त, टाइफाइड बुखार तथा कोबरा सर्प के काटने पर ठीक करने हेतु भी प्रयुक्त होता है।
मरोड़फली (हेलीक्टेरस आइसोरा)
मधुमेह ,सांप के जहर की काट, खुजली व आंतों की व्याधि को दूर करता है।
चिरायता (स्वरसिया चिरायता)
इसमें ज्वरनाशक,कीटाणुनाशक गुण पाए जाते हैं।यह मलेरिया को भी दूर भगाने के काम में आता है।रक्त शुद्ध करने ,त्वचा रोग ,बुखार, रक्त शर्करा को कम करने , लीवर ठीक करने, जोड़ों का दर्द ठीक करने व कैंसर से रक्षा करने में सहायक।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
वनतुलसी (ओरिगेनम् वल्गर)
दांत दर्द,कान दर्द व पाचन क्रिया में सहायक होता है ।यह कुष्ठ रोग में भी प्रयोग किया जाता है।
सर्प गंधा (रावोल्फिया सर्पेन्टाइना)
उच्च रक्तचाप तथा जहरीले कीड़े व सर्प के काटने में उनको ठीक करने में प्रयोग किया जाता है। हृदय रोग को ठीक करता है ,तनाव, अनिद्रा, पेट की बीमारी व मासिक धर्म के लिए प्रयोग किया जाता है।
दूब धास(साइनोडोन डैक्टाइलोन)
पेट के रोगों ,यौन रोग ,लीवर के रोगों को दूर करता है। पाचन शक्ति को बढ़ाता है। तथा पाचन संबंधी बीमारियों को दूर करता है ।अत्यधिक प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण एनीमिया और मानसिक रोगों में भी लाभ पहुंचाता है।
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उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
सतावर /सतमूली (एस्परेगस क्यूरीलस)
स्वास्थ्यवर्धक,मधुमेह रोग में इलाज। शक्तिवर्धक, माताओं में दूध बढ़ाने के लिए,चर्म रोग,साइटिका,सिर दर्द ,घुटना दर्द ,टाइफाइड, पीलिया में कारगर।
बडी़ इलाइची (एमोमम सुबुलेटम)
सांस संबंधी बीमारियों को दूर करता है। शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालता है ।मुंह से दुर्गंध हटाता है ।सिर दर्द व कैंसर से बचाव में भी सहायक।
वन अजवायन (थाइमस सरफाइलम)
पेट दर्द, सर्दी-खांसी-जुकाम ,ज्वर में लाभदायक।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
कपूर कचरी /वनहल्दी (हिडीचियम स्पाइकेटम )
खांसी व सूजन कम करने में या घाव होने पर या कट जाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।पेट में गैस, हिचकी, दमा, बुखार में प्रभावशाली।
वनजीरा (पैरिला क्रुटेसेन्स)
पेट दर्द, त्वचा की व्याधियों को दूर करता है।खांसी और पाचन में सहायक होता है।
मुलेठी (ग्लाइसिराइजा ग्लैब्रा )
मोटापा दूर करने ,चेहरे की चमक बनाए रखने, खराब गले को ठीक करने, उल्टी बंद करने, शारीरिक थकान को मिटाने व खांसी में प्रयोग किया जाता है।
कागजी नींबू (सिट्रस औरन्टिअम)
बालों को फायदा ,बुखार में, त्वचा चमकदार ,वजन कम करने हेतु ,पांव दर्द में राहत, गले में संक्रमण से बचाएं, मधुमेह , मुंह से बदबू को दूर करें ,मुंह के छाले, खांसी ,सर्दी, जुकाम में फायदेमंद।
सत्यानाशी /सियालकांटा (आर्जीमोन मैक्सिकाना )
अस्थमा , मुत्र रोग, त्वचा के लिए फायदेमंद, मच्छरों को दूर भगाता है ,पीलिया व गुप्त रोगों में उपयोगी।पेट दर्द व खांसी को भी ठीक करता है।
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उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
नगदाना /कुंदजा (आर्टिमिसिआ नीलगीरिका)
दमा,दिमागी बीमारी व घाव से खून रोकने में कारगर।
इंद्रायन (सिटरूलस कोलोसिन्थिस)
महिलाओं के प्रसव में भी लाभदायक। पीलिया ,पेट रोग ,तिल्ली ,दमा ,खांसी ,सफेद दाग, गैस, प्रमेह, गण्डमाला में असरदार व विष नष्ट करता है। बहरापन दूर करता है ।दांत के कीड़े मारता है ।मिर्गी में भी फायदेमंद।
धतूरा (दतूरा स्टरामोनियम)
निद्रा आना, कान के दर्द को ठीक करना। बुखार,साइटिका ,पेट दर्द, गठिया, पेट में गैस पैरों में सूजन ,जोड़ों में दर्द , बालों के लिए असरदार ,दर्द निवारक।
बिछुआ घास (गिरीर्डीनिया हेटरोफाइला)
सूजन, जोड़ों के दर्द व पीलिया में काफी उपयोगी। पुरुषों में ताकत को बढ़ाता है।रक्त में शर्करा की मात्रा को सामान्य करता है ,रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है ,गुर्दा रोग ,रक्त की सफाई ,मधुमेह में कारगर। इससे चाय, काडा व मल्हम बनाया जाता है।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
मैदा (पोलिगोनेटम वरसिटिफोलियम)
हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करता है।
सौंठ/अदरक (जिन्जिबर अफिसिनेलिस)
वजन कम करना, सिर दर्द ,इम्यून सिस्टम को ठीक रखना ,पाचन तंत्र को ठीक रखना ,सर्दी ,जुकाम और मधुमेह रोग में भी असरदार।
मदार/आक/अकुला (कैलोटरोपिस प्रोसेरा)
कुष्ठ रोग व मलेरिया में लाभदायक। बाबासीर, आधे सिर का दर्द, पेट दर्द ,दमा ,खांसी, कफ ,यक्ष्मा, बुखार ,मलेरिया ,बालतोड़, जुकाम ,जोड़ों के दर्द में राहत।
पिपरमिंट (मैंथा पिपरिटा)
सर्दी, खांसी, सिरदर्द ,कब्ज ,उल्टी दस्त व पेट दर्द में काम आता है।
अफीम (पापावर सोमनीफेरम )
मस्तक पीड़ा, नेत्र रोग, नकसीर, सिर के फोड़े फुंसी को दूर करना ,कान दर्द, दांत दर्द और नींद लाने में काफी प्रभावशाली ,कफ व वात में भी आराम पहुंचाता है।
उत्तराखंड के जंगलों में पायी जाने वाली जड़ी बूटियों (Jadi buti)
धिंधारू (प्रीन्सेपिया यूटीलिस)
सिर दर्द ,बुखार ,जुकाम में प्रभावशाली।
अरण्डी (रिसिनस कम्यूनीस)
सूजन कम करने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली। एंटी फंगल गुण होने के कारण कई रोगों की औषधियों के लिए कारगर।
बडा़ नींबू (सिट्रस मेडिका)
सर्दी जुखाम से बचाता है। विटामिन सी की भरपूर मात्रा।
कुटकी (पिकोराइजा कुरोआ)
लिवर, पीलिया, कब्ज ,जलोदर ,बुखार ,सफेद दाग, गठिया, रक्त विकार, मधुमेह की बीमारियों को दूर करने में सहायक।पेट दर्द ,बुखार ,बदन दर्द ,जोड़ों के दर्द को दूर करने में सहायक।
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