Essay on Education In Hindi :
Essay on Education In Hindi
शिक्षा का महत्व पर हिन्दी में निबन्ध
प्रस्तावना
किसी ने क्या खूब कहा है ” शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।” यह बात सौ आने सच हैं। इस दुनिया के हर व्यक्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है।क्योंकि शिक्षा ही स्वतंत्रता के स्वर्ण द्वार खोलने की कुंजी है। शिक्षा से ही एक स्वस्थ और सभ्य समाज का निर्माण किया जा सकता हैं।
हमारे शास्त्रों में भी विद्या को दुनिया का सबसे बड़ा धन माना गया है क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे हर व्यक्ति का मानसिक , आध्यात्मिक , बौद्धिक विकास व आर्थिक विकास संभव है। और हर व्यक्ति को शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार हैं और होना भी चाहिए।
शिक्षा का अर्थ
“असतो मा सद्गमय: तमसो मा ज्योतिर्गमय:” यानि असत्य से सत्य की ओर चलना , अज्ञानता से ज्ञानता या प्रकाश की ओर चलना। यही शिक्षा हैं।अज्ञानता के अंधेरे को दूर भगाकर ज्ञान के प्रकाश की तरफ कदम बढ़ाना , अपने मस्तिष्क का बौद्धिक विकास करना। यही शिक्षा कहलाती है।शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे हम दुनिया की असंभव से असंभव चीजों को भी साधकर संभव बना सकते हैं।
शिक्षा का महत्व
व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा पहला और आखिरी हथियार है।शिक्षा सिर्फ किसी सरकारी संस्थान में या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी पाने का साधन नहीं है। अगर शिक्षित व्यक्ति खेती भी करेगा , तो भी वह बहुत मुनाफा कमायेगा।क्योंकि खेती करते वक्त वह आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करेगा।
उत्तम खाद व बीज पर ध्यान देगा। मिट्टी की उर्वरा शक्ति और मौसम आदि पर उसकी पेनी नजर बनी रहेगी।वह उस भूमि पर वही खेती करेगा , जो खेती उस भूमि पर अच्छी तरह से उग सकेगी।इस तरह वह किसी मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करने वाले व्यक्ति से ज्यादा लाभ कमा सकता है।इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी कार्य करने वाले लोग लाभ कमा सकते हैं।
शिक्षा से ही व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है। दुनिया को देखने का उसका नजरिया बदल जाता है।शिक्षित व्यक्ति बहुत सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ चीजों को देखने लगता हैं। शिक्षित व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति हमेशा जागरूक रहता हैं और उस दिशा में लगातार प्रयास करता है। शिक्षित व्यक्ति ही खुद व समाज की किस्मत बदलने की ताकत रखता हैं।
प्राचीन काल में शिक्षा का महत्व
हमारे देश में वैदिक काल से ही शिक्षा महत्वपूर्ण रही है। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी शिक्षा को बहुत अधिक महत्व दिया।उस समय ऋषि-मुनियों ने गुरुकुलों की स्थापना की। जहां पर वो बच्चों को पढ़ाते थे।
इन गुरुकुलों में आयुर्वेद , राजनीति शास्त्र , दर्शन शास्त्र , धर्म शास्त्र , शस्त्र शास्त्र , नीति शास्त्र आदि का पूर्ण ज्ञान दिया जाता था। इन गुरुकुलों में राजकुमारों से लेकर साधारण बच्चों तक सब एक साथ समान भाव से शिक्षा अध्ययन करते थे। कृष्ण , अर्जुन , भीम , अर्जुन , कर्ण , राम आदि जैसे महान योद्धाओं और सम्राटों ने इन्हीं गुरुकुलों से जन्म लिया। समय बदला गुरुकुलों की जगह अब स्कूलों ने ली। लेकिन आज भी उद्देश्य वही पुराना , बच्चों को शिक्षित करना ही हैं ।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली का महत्व
समय के साथ साथ धीरे-धीरे शिक्षा का स्वरूप भी बदला है।आज शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है।बच्चों की पीठ से बस्तों व किताबों का बोझ कम करने की लगातार कोशिश की जा रही है।
बच्चों की पढ़ाई धीरे-धीरे डिजिटल होती जा रही है। बच्चों के बस्तों की जगह अब ई-बस्ता व ई-बुक और क्लास की जगह ऑनलाइन क्लासेस ने ले ली है।क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड की जगह स्मार्टबोर्ड फिट हो गये हैं।बच्चों को नए-नए आधुनिक उपकरणों व आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर पढ़ाया जा रहा है। ताकि बच्चों की समझ में आसानी से आ सके।
आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से बच्चे न सिर्फ पढ़ते हैं। बल्कि उस विषय विशेष के बारे में गहराई से समझते हैं। जैसे अगर कोई व्यक्ति एक स्मार्ट क्लासेस या कंप्यूटर के माध्यम से बच्चों को साइंस का कोई चैप्टर पढ़ा रहा है। तो कंप्यूटर में उस चैप्टर को प्रैक्टिकल के द्वारा समझाया जाता है।जिससे बच्चों की समझ में चीजें आसानी से आती हैं। और वह रटने के बजाय समझने की कोशिश करता है। और जो शायद बच्चों के हित में है।
संविधान भी शिक्षा का पक्षधर
भारतीय संविधान में “निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम” कानून बनाया गया है। जिसमें 14 साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य है। और यह मौलिक अधिकार के रूप में हमारे संविधान में वर्णित है। 1 अप्रैल 2010 से इसे हर बच्चे का बुनियादी अधिकार मानकर पूरे देश में लागू किया गया है। और यह जरूरी भी है कि हर बच्चे को शिक्षा मिले।
महिलाओं के लिए शिक्षा का महत्व
इस दुनिया के हर व्यक्ति के लिए शिक्षा का बराबर महत्व है। और शिक्षा पाने का अधिकार चाहे वह महिला हो या पुरुष , दोनों को बरबर है।घर हो या बाहर , क्षेत्र कोई भी हो , महिलाएं भी पुरुषों के बराबर ही योगदान दे रही है।
हालांकि हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत काफी कम है। लेकिन धीरे-धीरे ही सही , लोग अपनी बच्चियों को पढ़ाने के प्रति जागरूक हो रहे हैं। और उन्हें उच्च शिक्षा की तरफ प्रोत्साहित कर रहे हैं।
अगर किसी समाज को उन्नति करनी है , तो उस समाज में महिलाओं का शिक्षित होना आवश्यक है। क्योंकि एक शिक्षित महिला अपने घर से ही , यहाँ तक कि अपने नवजात बच्चे से ही दूसरों को शिक्षित करना शुरू कर देती है। और इस तरह से वह शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आप ही सोचिये अगर आधी आबादी को शिक्षा नहीं मिलती तो , कोई भी समाज कैसे उन्नति का सपना देख सकता है और कैसे विकास के मार्ग पर चलने का सोच सकता है।
शिक्षा के लाभ
- शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है। शिक्षित व्यक्ति के आत्मविश्वास व आत्म सम्मान को बढ़ाती है।
- जिंदगी में आने वाली कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी इन्सान की सच्ची दोस्त शिक्षा ही है।जो आपका साथ ईमानदारी से निभाती है।ऐसा संभव है कि कभी आपके जीवन में कठिन परिस्थितियां आई। तो आपका अपना और सच्चा दोस्त आपका साथ छोड़कर चला जाय। लेकिन उस समय शिक्षा आपका साथ पूरी ईमानदारी व अपनेपन के साथ निभाएगी।
- शिक्षा सिर्फ नौकरी पाने का साधन नही है।बल्कि यह आपके बौद्धिक व सर्वांगीण
विकास में योगदान देती है। - शिक्षित व्यक्ति जीवन में आने वाली हर समस्या का धैर्य पूर्वक एवं गंभीरता से समाधान ढूंढ लेता है।
- शिक्षा रोजगार प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति कभी भी भूखा नहीं रह सकता। अपनी शिक्षा का उपयोग कर वह अपनी आजीविका चला ही लेगा।
- उच्च व अच्छी शिक्षा किसी भी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ पद पर पहुंचते का एकमात्र साधन है।
- शिक्षा ही हमारी सामाजिक , मानसिक और आर्थिक स्थिति को तय करती है।और हमें सामर्थ्य बनाती हैं।
- शिक्षित नागरिक ही देश में एक स्वस्थ व सभ्य समाज का निर्माण करते हैं।और शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति को महानता की राह पर अग्रसर करती हैं।
- शिक्षित व्यक्ति कभी भी शोषण का शिकार नहीं होगा।क्योंकि शिक्षा आत्मनिर्भर बनाती है। और आत्मनिर्भर व्यक्ति आर्थिक रूप से शोषण का शिकार नहीं होता।
- विद्वान कह कर गए हैं “जो व्यक्ति अपने लिए स्कूल के दरवाजे खोलते हैं। वो अपने लिए जेल के दरवाजे बंद करते है”।यह वाकई में सच बात है। क्योंकि शिक्षित व्यक्ति अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कर किसी कार्य को करता है।
उपसंहार
बिना शिक्षा प्राप्त किये कोई व्यक्ति अपनी परम ऊँचाइयों को नहीं छू सकता।क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को नित नए-नए कीर्तिमान गढ़ने हैं। और आर्थिक , सामाजिक और बौद्धिक रूप से तरक्की करनी है , तो उसका शिक्षित होना जरूरी है।
शिक्षा का मकसद ही एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना , व्यक्ति के अंदर सकारात्मक विचारों का प्रवाह करना , उसके बुद्धि विवेक को जगाना हैं।
इसी लिए कहा गया है “शिक्षा की जड़ कड़वी है , पर उसके फल मीठे हैं। “
निबन्ध को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)
You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.
यह भी पढ़ें……
- Essay on Organic Farming
- Essay on pollution in Hindi
- Essay on Plastic Bags in Hindi
- Essay on Environment in Hindi
- Essay on Library in hindi
- Essay on Discipline in hindi