Titli Cyclone :भयंकर तूफ़ान का नाम तितली कैसे पड़ा ?

Titli Cyclone,What is Butterfly Storm ,What is the Pakistan Connection of Titli Cyclone ? भयंकर तूफ़ान का नाम तितली कैसे पड़ा , क्या हैं तितली तूफ़ान और पाकिस्तान का संबध ?

सुंदर व मनमोहक रंग बिरंगे पंखों वाली तितली एक फूल से दूसरे फूल…. दूसरे से तीसरे फूल, ऐसे ही बगिया के हर फूल पर समान भाव से इतराती- मडरती तितली लोगों को खुश रहने व प्यार बांटने का संदेश देती है।इतनी मासूम सी प्यारी सी तितली का नाम धरती पर तबाही मचाने वाले एक भयंकर चक्रवात के नाम से कैसे जुड़ गया ?

भयंकर तूफ़ान का नाम तितली कैसे पड़ा ?,जानिए इसका रहस्य

तितली चक्रवात ( Titli Cyclone) भी ऐसा जो धरती पर आया तो सिर्फ कुछ घंटों के लिए है। लेकिन तबाही ऐसी कि पीढ़ियों तक उसके दिये दर्द भुलाए नहीं भूलता।इस तरह के चक्रवात लगभग हर साल धरती के किसी ने किसी हिस्से पर अवश्य आते हैं।

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कौन रखता है चक्रवातों के नाम

चक्रवतों के नाम एक अंतरराष्ट्रीय नियमावली के आधार पर रखा जाता है।चक्रवातों के नाम रखने की शुरुआत 1953 में वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) और मयामी नेशनल हरिकेन सेंटर ने की।पहले WMO ह़ी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आने वाले तूफानों का रखता था।

लेकिन 2004 में WMO की अगुवाई वाले इस अंतरराष्ट्रीय पेनल को भंग कर दिया गया।WMO का कार्यालय जेनेवा है।यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा है। इसके भंग होने के बाद अपने क्षेत्रों पर आने वाले तूफानों का नाम हर देश खुद ही तय करता हैं कि उसके क्षेत्र में आने वाले तूफान का नाम क्या होगा ?

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उत्तरी हिंद महासागर में आने वाले तूफानों का नामकरण कैसे होता हैं ? 

पहले हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफानों का कोई नाम नहीं होने की वजह से संबंधित आंकड़ों को इकट्ठा करने में वैज्ञानिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।तथा आम लोगों व वैज्ञानिकों में इसे लेकर हमेशा असमंजस बना रहता था।

लेकिन 2004 में भारत ने इस क्षेत्र में आने वाले तूफानों के नाम रखने की पहल की और उसके बाद इस क्षेत्र में पडने वाले सभी 8 देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यानमार, ओमान ,श्रीलंका, थाईलैंड) ने इसके लिए अपनी सहमति दी और फिर नाम रखने की शुरुआत की गई।

तब से हर देश से 8 नाम मांगे जाते हैं।कुल मिलाकर 64 नामों की एक सूची मौसम वैज्ञानिकों द्वारा बनाई जाती है।इस सूची को WMO के पास सुरक्षित रखा जाता है।इन 8 देशों की तरफ से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है।और फिर उसी क्रम के हिसाब से चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं।और फिर हिंद महासागर में कोई भी चक्रवात आने पर बारी-बारी से WMO इनका नाम सूची के हिसाब से रख देता है।

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तितली (Titli Cyclone) नाम पाकिस्तानी वैज्ञानिकों ने दिया

इस बार हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम देने की बारी पाकिस्तान की थी।जिन्होंने 10 अक्टूबर को उड़ीसा के तटीय इलाकों पर आये इस तबाही मचाने वाले चक्रवात का नाम उस मासूम सी खुशी व प्यार का संदेश बांटने वाली तितली के नाम पर रख दिया।इसीलिए इसे तितली तूफ़ान (Titli Cyclone) कहा गया।

इसके बाद जो भी तूफ़ान आयेगा उसका नाम “लुबान” होगा जो ओमान के मौसम वैज्ञानिकों के दिया हैं। और “लुबान” के बाद आएगा “दाए” तूफ़ान।दाए चक्रवात का नाम म्यानमार के मौसम वैज्ञानिकों ने रखा है।

इसी तरह चक्रवात आने पर बारी बरी हर देश द्वारा दिये गये नाम रखे जायेगे।पिछले साल (मई 2017) में आए तूफान का नाम “ओखी” था।यह नाम बांग्लादेश के मौसम वैज्ञानिकों ने दिया था। तितली चक्रवात  ने उड़ीसा के ततीय इलाकों,आंध्र प्रदेश, झारखंड तथा पश्चमी बंगाल में भारी तबाही मचाई।   

   

                                  

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चक्रवात और उनके अजब गजब नाम 

आठों देश अपने-अपने नामों की सूची WMO को सौंप देते हैं।कई देशों ने तो इन चक्रवातों के नाम बड़े दिलचस्प रखें।जहाँ भारत ने इन चक्रवतों को अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर और वायु जैसे नाम दिए तो वहीं पाकिस्तान ने और भी मजेदार नाम दिए जैसे फानूस, लैला, नीलम, वरदाह, तितली (Titli Cyclone) ,बुलबुल, नीलोफर आदि।

विवाद

चक्रावातों का नाम रखने पर जनभावनाओं तथा सांस्कृतिक विविधता का विशेष ध्यान रखा जाता है।वैसे तो चक्रवातों के नाम आपसी समझदारी से रखे जाते हैं।फिर भी कभी-कभी चक्रवातों के नाम विवादों में घिर जाते हैं।

जैसे 2013 में श्रीलंका में आए चक्रवात का नाम था “महासेन”।लेकिन राजा महासेन को श्रीलंका में शांति व समृद्धि का दूत माना जाता है।इसीलिए श्रीलंका के अधिकारियों तथा कुछ उच्च वर्ग के लोगों ने ही इस पर कड़ा एतराज जताया।इसके बाद इसका नाम बदलकर “बियारू” रख दिया गया।

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कमेटियों जो तूफानों का नाम रखती हैं

दुनिया भर में चक्रवाततों के नाम रखने के लिए पांच कमेटियां बनाई गई हैं।

  1. इस्केप टाइफून कमेटी।
  2. इस्केप पैनल आप ट्राँपिकल साइक्लोन कमेटी।
  3. आर ए-1 ट्राँपिकल साइक्लोन कमेटी।
  4. आर ए-4 ट्राँपिकल साइक्लोन कमेटी।
  5. आर ए-5 ट्राँपिकल साइक्लोन कमेटी।

इसके अलावा अगर कोई तूफान अटलांटिक महासागर क्षेत्र में आता है तो उसे “हरिकेन”, प्रशांत महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफान को “टायफून”, हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफान को “साइक्लोन” कहते हैं।

भारत में 10 साल तक एक नाम का इस्तेमाल दोबारा नहीं किया जाता है।साथ ही साथ ज्यादा तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम को भी दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

अमेरिका में भी हर साल इन चक्रावातों के लिए 21 नामों की एक सूची तैयार की जाती है।ये नाम अंग्रेजी के अल्फाबेट से शुरू किए जाते हैं। लेकिन Q,U,X,Y,Z अल्फाबेट से नाम नहीं रखे जाते हैं।अगर एक साल में 21 से ज्यादा बार तूफान आते हैं तो फिर उनका नाम अल्फा, बीटा, गामा रखा जाता है।

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अमेरिका में नाम रखने के लिए आंड़ (Odd) और ईवन (Even) का विचित्र फार्मूला अपनाया जाता है।आंड़ सालों में जैसे 2015, 2017, 2019 में आने वाले चक्रवातों का नाम महिलाओं के नाम पर रखा जाएगा तथा ईवन सालों में जैसे 2018 ,2020 ,2022 में आने वाले चक्रवातों का नाम  पुरुषों के नाम पर रखा जाएगा।

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