Rakhi Festival , How to celebrate rakhi festival ,Why we celebrate Raksha Bandhan ? Its importance. रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों और कब मनाया जाता है ? रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों है खास हर बहिन के लिए।रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का बंधन in Hindi.
Rakhi Festival
रक्षाबंधन यानी रक्षा करने का वचन देना या दिल की गहराइयों से एक मजबूत बंधन में बंधना।यूं तो हमारे देश में अनेक त्यौहार बड़े उत्साह व धूमधाम से मनाए जाते हैं।लेकिन रक्षाबंधन का त्यौहार खासकर भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित एक त्यौहार है।
रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है (Why we celebrate Raksha Bandhan )
रक्षाबंधन ( Rakhi Festival ) के दिन बहनें अपने विश्वास व स्नेह का धागा बड़े श्रद्धा और प्यार के साथ अपने भाई की कलाई में बांधती है।यह पतली सी रेशम की डोरी भाई बहनों के रिश्ते को मजबूती से बांधे रखती है।इस दिन भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का ,उसके दुख में, सुख में, हर कदम पर, हर हाल में, हर वक्त उसका साथ निभाने का वादा देता है।
Rakhi Festival के दिन पेड़ों को राखी बांध कर पर्यावरण और पेड़ों को बचाने तथा और पौधे लगाने का संदेश लोगों को देते हैं।
कुछ बहनें सीमा पर तैनात जवानों को भी राखी बांधती है।जो हरदम दुश्मनों से हमारी रक्षा करते है।
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वही बहनें भी अपने भाई के लिए दिल की असीम गहराइयों से ईश्वर से दुआ मांगती हैं कि वो सदैव उसके भाई की रक्षा करें।उसकी हर इच्छा पूरी करके उसका जीवन खुशियों से भर दे ।भाई बहनों को एक दूसरे के लिए अपने प्यार जताने का ,एक दूसरे के लिए अपने समर्पण को जताने का पावन व पवित्र त्यौहार है ..रक्षाबंधन ( Rakhi Festival ) ।
रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है
When we celebrate Raksha Bandhan
सावन माह की पूर्णिमा (जिसे राखी पूर्णिमा भी कहते हैं ) के दिन मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार ( Rakhi Festival ) लगभग पूरे देश में बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाता है।यहां तक कि यह त्यौहार मॉरीशस व नेपाल में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।चूकि रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास में मनाया जाता है ।इसलिए इसको श्रावनी पर्व भी कहा जाता है।
बाजार में उपलब्ध होती है अनेक प्रकार की रंग बिरंगी राखियें
रक्षाबंधन के त्यौहार की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। बाजार सुंदर, रंग बिरंगी, हर कीमत की राखियों से सज जाता है। आजकल तो बच्चों की रुचि के हिसाब से भी बाजार में अनेक तरह की सुंदर-सुंदर राखियों उपलब्ध हैं जैसे खिलौने वाली राखियां, कार्टून वाली राखियां।आजकल सोने या चांदी की राखी भी बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
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रक्षाबंधन ( Rakhi Festival)की तैयारी हर घर में बड़े जोर-शोर से होती है।बहनें अपने भाइयों के लिए अपनी मनपसंद की राखी बाजार से खरीद कर लाती हैं।कई लोग तो अपने हाथों से सुंदर सुंदर राखियां घर मे ही बनाते हैं।कई महिलायें अपने हाथों में रक्षाबंधन के दिन मेहंदी भी लगाती है।रक्षाबंधन का त्यौहार हर किसी को खुशी देता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है
( How to celebrate Rakhi-festival)
सावन की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन घर के सभी लोगों में चाहे बच्चे हो या बूढ़े सब में एक गजब का उत्साह रहता है।खासकर बच्चे तो अपनी कार्टून वाली राखियां पहनने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावले रहते हैं।सुबह के कामों से निपटकर सबसे पहले भगवान की पूजा अर्चना कर अपने पूरे परिवार की मंगल कामना के साथ भगवान को राखी भेंट की जाती हैं।और भगवान से पूरे घर के लिए आशीर्वाद की कामना की जाती हैं।उसके बाद शुरू होती है त्यौहार की असली रौनक।
बहनें बड़े सज- धज कर उत्साह के साथ अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाकर मंगलकामनाओं के साथ उसके हाथ में राखी बांधती है ।तथा ईश्वर से अपने भाई की लंबी उम्र की दुआ मांगती है तथा उसका मुंह मीठा करती हैं। बदले में भाई भी उसकी रक्षा करने के वादे के साथ कोई ना कोई उपहार उसे जरुर भेंट स्वरूप देता है।
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रक्षाबंधन ( Rakhi Festival ) के दिन घर में तरह- तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। पूरे परिवार के साथ इन व्यंजनों का मजा लिया जाता है। इस दिन शादीशुदा बहनें भी अपने मायके आ कर अपने भाइयों को राखी बांधती है।अगर किसी कारण से बहन नहीं आ पाती तो भाई ही उसके पास जाकर राखी बनवा लेता है।
डिजिटल दुनिया भी त्यौहारों की रौनक बढ़ा देती है
आजकल की दौड़-भाग भरी जिंदगी में अगर किसी भाई-बहन का एक दूसरे से इस दिन मिलना संभव नहीं हो पाता है तो डिजिटल दुनिया ने इसका भी हल निकाल दिया है।अब ऑनलाइन स्टोर से राखी खरीदने व भेजने के आसान तरीके हैं।इसी तरह से ऑनलाइन उपहार भी एक दूसरे को भेजे जा सकते हैं ।कुछ समय से वर्चुअल राखियों को भेजने का प्रचलन चलन तेजी से बढ़ा है।
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सीमा में जाकर जवानों को भी राखी बांधती है बहनें
हालांकि रक्षाबंधन का त्यौहार ( Rakhi Festival ) भाई-बहनों का त्यौहार माना जाता है।लेकिन इस दिन कई लोग अपने बड़े-बुजुर्गों जैसे दादा ,पिता , गुरु-जन को भी राखी बांधते है।हमारे देश में सीमा पर तैनात जवानों को भी राखी बाँधी जाती हैं।क्योंकि सीमा के ये प्रहरी दुश्मनों से हमारी हरदम रक्षा करते है।इसीलिए कुछ बहनें सीमा पर तैनात जवानों को भी राखी बांधने की परंपरा को निभाती है।
रक्षाबंधन के दिन ( Rakhi Festival ) ब्राह्मण भी अपने यजमानों के घर जाकर उनके हाथों में रक्षा सूत्र बांधते हैं।आजादी के बाद रवींद्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में राखी महोत्सव का आयोजन किया था जिसका उद्देश्य विश्व में विश्व बंधुत्व की भावना को जगाना ,आपसी सौहार्द व भाईचारे को बढ़ाना था।
रक्षाबंधन का त्यौहार पर्यावरण को बचाने का भी संदेश देता है
आजकल रक्षाबंधन ( Rakhi Festival ) के दिन पेड़ों को भी राखी बांधने का प्रचलन तेजी से बढ़ा है।इस दिन पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को राखी बांध कर उन्हें बचाने तथा और पौधे लगाने का संदेश लोगों को देते हैं। वो इन पेड़ों का इंसानों के लिए महत्व व पर्यावरण से पेड़ों के सीधे संबंध भी लोगों को समझाते हैं।
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रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कथाएं ( How Rakhi Festival Started)
रक्षाबंधन से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित हैं।
पहली कथा
पवित्र हिंदू ग्रंथ विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया तो राजा बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया ।भगवान कृष्ण ने राजा बलि की यह बात मान ली ।लेकिन माता लक्ष्मी नहीं चाहती थी कि भगवान विष्णु राजा बलि के महल में रहे।वह चाहती थी कि विष्णु भगवान उनके साथ शीरसागर (वैकुण्ड़) में जा कर रहें ।
इसलिए माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथ में रक्षा धागा बांधकर उनको अपना भाई बना लिया। जब राजा बलि ने माता लक्ष्मी से उपहार मांगने को कहा तो माता लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वो भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दें और उनके साथ वैकुण्ड़ जाने दे। राजा बलि ने माता लक्ष्मी को अपनी बहन मान लिया और भगवान विष्णु को उनके वचन से मुक्त कर दिया। और इसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ड़ चली गई।
दूसरी कथा ( How Rakhi Festival Started)
एक ऐसी ही कथा महाभारत में भी मिलती है। जो भगवान कृष्ण व द्रोपदी से भी जुड़ी है।जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल को मारा तो युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगुली में चोट लगने की वजह से खून बह रहा था।इसको देखकर द्रोपदी बहुत दुखी हुई और उन्होंने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की अंगुली में बांध दिया।जिससे भगवान कृष्ण का बहता हुआ खून रुक गया।
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उस दिन से भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया और भाई बहन के इस पवित्र रिश्ते को उन्होंने उस वक्त निभाया जब पांडव द्रौपदी को जुए में हार गए और भरी सभा में कौरवौ द्वारा उसका चीर हरण किया जा रहा था।उस वक्त कृष्ण ने अपने भाई होने के धर्म को निभाते हुए द्रौपदी की लाज बचाई।
इतिहास में भी ऐसी कई घटनाएं मिलती हैं जिनका संबंध राखी से जुड़ा है। ऐसे ही एक कहानी रानी कर्णावती व हुमायूं से जुड़ी है। सन 1535 में चित्तौड़ की रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपने राज्य को छीने जाने का खतरा महसूस होने लगा तो उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपने राज्य को बहादुर शाह से बचाने की गुहार लगाई । मुगल शासक हुमायूं ने रानी कर्णावती की राखी को स्वीकार कर उनकी मदद की।
आप सब को रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनायें। ….
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