World Earth Day :
पृथ्वी दिवस क्यों मनाया जाता है ?
World Earth Day
ब्रह्मांड के सारे ज्ञात ग्रहों में पृथ्वी ही सबसे शानदार व खूबसूरत ग्रह है।क्योंकि यहां जल है, जीवन है, हरे भरे पेड़ पौधे हैं, कही कल-कल बहती जीवनदायिनी नदियां हैं, तो कहीं विशाल समंदर हैं।कहीं बर्फ से ढके हुए ऊंचे ऊंचे पहाड़ हैं, तो कहीं मीलों फैले सपाट मैदान।एक से एक अनोखे व खूबसूरत वन्यजीवों का अपना अलग संसार तथा रंग बिरंगे पशु पक्षियों तथा सुंदर प्राकृतिक नजारों से सजा है इस पृथ्वी का आंचल।
सारे ग्रहों में पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जहां इंसान का अस्तित्व है।लेकिन इतने खूबसूरत ग्रह को लगता है इंसान की ही नजर लग गई।उसने इस प्रकृति संपदा का बेतहाशा दोहन कर इसके पर्यावरण को असंतुलित कर दिया है।जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़े खतरे का संकेत है।
लेकिन कुछ पर्यावरणविद व बुद्धिजीवीयों ने समय रहते फिर से इस पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने, प्रकृति को हरा-भरा रखने तथा विलुप्त होते वन्य जीवों,पेड़-पौधों की सुरक्षा का संकल्प पृथ्वी दिवस के रूप में लिया।
पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है ?
साल में एक बार मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस को हर साल विश्व भर में 22 अप्रैल को मनाया जाता है।22 अप्रैल 1970 को पहली बार पृथ्वी दिवस मनाया गया जिसमें समाज के हर वर्ग, हर क्षेत्र के लगभग 20 मिलियन लोगों ने भाग लिया।
पृथ्वी दिवस मनाने का उद्देश्य
पृथ्वी में रहने वाले सभी जीव जंतु ,पेड़ पौधों को बचाने, दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक किया जाता है।तथा उसके बारे में जानकारी दी जाती है।साथ ही इस दिन लोग सामूहिक रूप से पर्यावरण को बेहतर व स्वस्थ बनाने का संकल्प भी लेते हैं।
वर्ल्ड अर्थ डे के जन्मदाता
पृथ्वी दिवस के जन्मदाता जूलियन कोनिग को माना जाता है। सन 1969 में जूलियन कोनिग ने ही सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग कर इसका परिचय लोगों से करवाया था।
2019 की पृथ्वी दिवस का थीम
हर साल पृथ्वी दिवस किसी न किसी थीम पर आधारित होता है।यह विषय उस समय के पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों को ध्यान में रखकर बहुत सोच समझ कर चुना जाता हैं।
साल 2019 की थीम है – “Protect Our Species यानी जीवों की नस्लों के साथ-साथ पेड़ पौधों की रक्षा करें“।
पृथ्वी दिवस मनाने की वजह
22 जनवरी 1969 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा के समुद्र में 3 मिलियन गैलन तेल का रिसाव हुआ था।समुद्र में हुए इस तेल रिसाव के कारण भारी बर्बादी हुई।जिसमें समुद्री तथा जलीय जीवन बड़ी मात्रा में प्रभावित हुआ था ।इसमें कई समुद्री जीव जैसे सी-बर्ड, डॉल्फिन , सील और सी-लाइंस तथा हजारों की संख्या में मछलियों तथा अन्य जीव मारे गए थे।
और कई जीवों की आने वाली पीढ़ियां या तो खत्म हो गई थी या उन पर दुष्प्रभाव पड़ा था।जहरीला धुआं निकलने से वायु प्रदूषण हुआ।जिसने लंबे समय तक इस क्षेत्र में बुरा प्रभाव डाला।
इस घटना से अमेरिकी सीनेटर नेल्सन बहुत आहत हुए। और उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ करने का फैसला किया।इसके बाद नेल्सन ने पर्यावरण को बचाने एक दृढ़ संकल्प लिया। और उनके एक आवाहन पर दो करोड अमेरिकी लोगों ने 22 अप्रैल 1970 में पहले पृथ्वी दिवस के आयोजन में भाग लिया। और इस पृथ्वी को फिर से हरा-भरा व स्वस्थ करने का संकल्प लिया।
पृथ्वी दिवस पहली बार कब बनाया गया
वर्ल्ड अर्थ डे यानि पृथ्वी दिवस पहली बार 1970 में मनाया गया। दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए , लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने , विलुप्त हो रहे पेड़-पौधों,जीव जंतुओं को संरक्षण देने तथा उन्हें फिर से धरती में आबाद करने के उद्देश्य से पृथ्वी दिवस का आयोजन किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर (सांसद) जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक “पर्यावरण शिक्षा” के रूप में की थी।
सीनेटर नेल्सन ने पर्यावरण को राष्ट्रीय एजेंडे में जोड़ने के लिए पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दी।उन्होंने कहा कि “एक जुआ था।लेकिन इस ने काम किया”।इसीलिए ऐसा माना जाता है कि 1970 के बाद पर्यावरण संरक्षण में नेल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए पृथ्वी दिवस को नेल्सन के जन्मदिन यानी 22 अप्रैल को मनाया जाने लगा।
इसके साथ ही जाने-माने फिल्म और टेलीविजन अभिनेता एड्डी अल्बर्ट ने पृथ्वी दिवस को मनाने तथा उसको पूरे विश्व में फैलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।अल्बर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया।
दुनियाभर में मनाया जाता है पृथ्वी दिवस
1970 में जब पहली बार इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी।तब दुनिया के 192 देशों ने इस कार्यक्रम को अपनाया और अपने देश के लोगों के साथ पर्यावरण के स्वस्थ रखने का संकल्प लिया।लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ साथ पर्यावरण की महत्वता को समझते हुए इसे लगभग पूरी दुनिया ने अपनाया है।
अब हर साल 22 अप्रैल को लगभग दुनिया का हर देश पर्यावरण को बचाने के संकल्प से पृथ्वी दिवस को मनाता है।ताकि यह दुनिया हरी भरी रहे और सभी जीव जंतुओं ,पेड़ पौधों को पृथ्वी में बराबर का हिस्सा और अधिकार मिले।
साल में दो बार मनाया जाता था पृथ्वी दिवस
हालांकि अब पूरी दुनिया में 22 अप्रैल को ही पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।लेकिन पहले यह साल में 2 बार (21 मार्च और 22 अप्रैल) मनाया जाता था।लेकिन 1970 के बाद पृथ्वी दिवस को 22 अप्रैल को ही मनाए जाना तय किया गया। यह दिन सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है
अब भी 21 मार्च को “इंटरनेशनल अर्थ डे / International Earth Day” मनाया जाता है जिसको संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है।यह दिन वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय उत्तरी गोलार्ध में बसंत और दक्षिणी गोलार्ध में पतझड़ रहता है।
विश्व पृथ्वी दिवस मनाने के लाभ
- विश्व भर के लोगों का पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया जाता है और उनका समाधान निकालने की कोशिश की जाती है।
- दुनिया में लगभग एक अरब से अधिक लोग हर साल इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
- ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को पहुंचने वाले नुकसान और आने वाले खतरों के प्रति लोगों को जानकारी दी जाती है।तथा लोगों को आने वाले खतरों के प्रति आगाह किया जाता है।
- खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशकों के दुष्प्रभाव के बारे में लोगों को बताया जाता है। क्योंकि हाल के दशकों में खेतों में डाले जाने वाले कीटनाशकों से कई पक्षी तथा कीड़े विलुप्त के कगार में आ गए हैं।क्योंकि ये कीटनाशक जीव जंतु और पक्षियों की मृत्यु का कारण बन रहे हैं।
- वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।लाखों की संख्या में नए वृक्षों का रोपण किया जाता है।
- जो पदार्थ जल्दी सड़ते या गलते नहीं हैं।उनकी रीसाइक्लिंग कर उन्हें दोबारा प्रयोग में लाने पर जोर दिया जाता है।
- पर्यावरण को स्वस्थ व सुरक्षित रखने का संकल्प हजारों लोगों द्वारा लिया जाता है।तथा इस दिशा में प्रयास भी किए जाते हैं।
- पॉलीथिन का कम से कम इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाता है।क्योंकि पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित करने में पॉलिथीन की भी एक अहम भूमिका है।
कैसे मनाया जाता है पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस में पर्यावरण संबंधी हर मुद्दे की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाता है।अनेक कार्यक्रमों,सेमिनारों,रैलियों आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है।पर्यावरणविदों ,विद्वानों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जाता है।
स्कूल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं द्वारा भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला के माध्यम से इस धरती को हरा भरा बनाए रखने का संदेश विश्व भर के लोगों को दिया जाता है।
पृथ्वी व पर्यावरण के स्वास्थ के लिए हानिकारक
हम जाने अनजाने में कई बार ऐसे काम करते हैं जो हमारे पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे। …
- बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जरूरत से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता है।
- घरों ,कंपनियों ,फैक्ट्री का गंदा पानी नदियों में डालना।
- जैविक व अजैविक कूड़े को इधर-उधर फेंकना।
- ऐसे सामानों का उपयोग करना जिसमें से अत्यधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस, मीथेन गैस तथा अन्य जहरीली गैसों निकलती हैं क्योंकि अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड,मीथेन जैसी कई गैसें है जो पर्यावरण असंतुलित करती हैं।
- इन गैसें से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बढ़ जाता है।जो इस वक्त हमारी धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।इस ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं।और समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे आने वाले समय में कुछ देशों पर जल मग्न होने का खतरा मंडरा रहा है।
- प्लास्टिक व पॉलीथिन का अत्यधिक इस्तेमाल करना।क्योंकि पॉलिथीन आसानी से सड़ता गलता नहीं और जलाया जाए तो पर्यावरण में जहरीला धुआं कार्बन मोनो ऑक्साइड छोड़ता है।जो अत्यधिक खतरनाक है।इसीलिए 2018 पृथ्वी दिवस का थीम “प्लास्टिक को खत्म करो” था। जिसमें पॉलीथिन व प्लास्टिक के नुक्सान के बारे में बताया गया।
- खेती में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों के प्रयोग से दुष्प्रभाव।
- विकास (सड़क, बिजली ,मकान आदि ) की अंधी दौड़ ने भी पर्यावरण को असंतुलित किया है।
पृथ्वी व पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम
अगर हमें यह धरती हरी भरी चाहिए और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अपने चारों ओर एक स्वस्थ पर्यावरण चाहिए तो हमें कुछ कदम सख्ती से उठाने होंगे।
- जंगलों के हरे भरे पेड़-पौधों की बेतहाशा कटाई पर रोक लगना।
- वन्य जीवो की अकारण हत्या पर रोक लगना के लिए सख्त कानून बनाना।
- जीव जंतु व पेड़ पौधों को विलुप्त के कगार से बचाने के लिए,उन्हें संरक्षित करने के ठोस उपाय करने होंगे।
- समुद्र में तेल रिसाव फैलने की घटनाओं को रोकना।
- पॉलीथिन व प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना होगा ।
- नदियों,तालाबों,जलाशयों तथा ताजे जल के स्रोतों का संरक्षण करना।
- प्राकृतिक संसाधनों का जरूरत के हिसाब से ही दोहन करना।तथा सख्त वन व पर्यावरण कानूनों को लागू करना।
- अंधाधुंध वनों तथा हरे-भरे पेड़ों की कटाई बंद करना।
- वृक्षारोपण के कार्यक्रमों को महत्व देना।नए पेड़ पौधों को अधिक से अधिक मात्रा में लगाना।वर्ष भर वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाए जाएं।
- बिजली,पानी व प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करें।क्योंकि “जल ही जीवन है”।और इस धरती में सभी कुछ सीमित मात्रा में ही है।
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था “प्रकृति में इतनी ताकत होती है कि वह हर मनुष्य की जरूरत को पूरा कर सकती है।लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के लालच को पूरा नहीं कर सकती। और यह कथन वाकई में सच है।
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