Karva Chauth Vrat : करवाचौथ क्यों मनाया जाता है

Karva Chauth Vrat :

करवाचौथ का व्रत क्यों किया जाता है ?

Karva Chauth Vrat

करवाचौथ व्रत , अखंड सुख-सौभाग्य व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए।हमारे देश में साल भर अनेक व्रत और त्यौहार बड़े धूमधाम से बनाए जाते हैं खासकर हिंदू धर्म में । इनमें से अधिकतर व्रत व त्यौहार परिवार की खुशहाली व परिवार के सदस्यों की लंबी उम्र के लिए होते है। अच्छे स्वास्थ्य व सुखमय भविष्य की मंगलकामनाओ के साथ रखा जाने वाला एक ऐसा ही व्रत है करवाचौथ व्रत ।

Karva Chauth Vrat :करवाचौथ क्यों मनाया जाता है

करवाचौथ कब मानते है ( When is Karva Chauth )

करवाचौथ हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक त्यौहार है । करवाचौथ व्रत भी लगभग उत्तर भारत में मनाए जाने वाले वट सावित्री व्रत के जैसा ही है । इस व्रत को हिंदू धर्म की महिलाएं अपने पति व संतान की लंबी उम्र की मंगल कामना के साथ रखती हैं । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखे जाने वाले करवाचौथ के इस व्रत को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

सौभाग्यवती महिलाएं के लिए करवाचौथ का व्रत खास 

करवाचौथ उत्तर भारत में खास कर दिल्ली , पंजाब, हरियाणा, राजस्थान ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड आदि जगहों में बनाया जाता हैं।वैसे अब तो लगभग पूरे भारत में ही करवाचौथ बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

करवाचौथ क्यों मानाया जाता है ?

करवाचौथ व्रत को सिर्फ विवाहित सौभाग्यवती महिलाएं ही रखती है  लेकिन कुछ कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं अच्छे जीवनसाथी की कामना को लेकर । महिलाओं द्वारा यह व्रत बड़े उत्साह व उमंग के साथ रखा जाता हैं।

करवाचौथ के व्रत को रखा जाता है निर्जला 

करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय (चंद्रमा के उदय होने तक) तक का होता है । इस व्रत को अधिकतर महिलाएं निर्जला (बिना जल ग्रहण किए) ही रखती हैं लेकिन बदलती जीवनशैली व आधुनिक दौड़-भाग भरी जिंदगी में निर्जला व्रत रखना कठिन हो जाता है।

आज महिलाएं भी घर से बाहर निकलकर दिनभर ऑफिस में या अन्य जगहों पर काम करती हैं । ऐसे में दिनभर निर्जला व्रत रखना कठिन हो जाता है । ऐसे में आजकल कुछ महिलाएं दिन में एक नियत समय पर चाय , कॉफी या फल का सेवन कर लेती हैं।

लेकिन आज भी अधिकतर महिलाएं करवाचौथ के व्रत को निर्जला ही रखना पसंद करती हैं । यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को जहां एक और मजबूती प्रदान करता है । वही साथ ही साथ उनके आपसी प्यार और विश्वास को भी बढ़ा देता है। सुहागन महिलाएं एक बार इस व्रत को शुरू करने के बाद ताउम्र रखती हैं।

महिलाएं करती हैं विशेष तैयारियों करवाचौथ के व्रत की 

महिलाएं करवाचौथ के व्रत की तैयारी काफी पहले से शुरु कर देती है । चाहे वो पूजा एवं व्रत संबंधी आवश्यक सामग्री खरीदनी हो।या फिर अपने लिए नए कपड़े , जेवर , चूड़ियां या अन्य श्रृंगार से संबंधित चीजें आदि की खरीददारी हो । महिलाएं यह काम पहले ही निपटा लेती है । बाजार में भी इन दिनों खूब रौनक रहती है । दुकानें करवाचौथ से संबंधित चीजें से सजी रहती है।

करवाचौथ पर जगह जगह पर महिलाओ के हाथों में मेहंदी लगाने वाले दुकानें सजा कर बैठे रहते है । इस दिन महिलाएं अपने हाथ में खूब गाढी मेहंदी रचाती है । ऐसा माना जाता है कि जिस महिला के हाथ में जितनी अधिक गाढी मेहंदी रचती है । उस महिला का पति उसको उतना ही अधिक प्यार करता है । इस दिन महिलाएं पूजा के लिए विशेष तौर से मिट्टी के करवे खरीदते हैं।

करवा यानी मिट्टी का घडा़ या लोटा नुमा बर्तन और चौथ यानी चतुर्थी का दिन।करवाचौथ के दिन इस मिट्टी के बर्तन यानी करवे का विशेष महत्व होता है।इसमें महिलाएं गेहूं इत्यादि अन्न भरकर इसे मंदिर में पूजा स्थल पर रख देती है।

करवाचौथ व्रत की पूजा

करवाचौथ का व्रत लगभग सुबह 4:00 बजे यानी सूर्योदय से पहले से शुरू हो जाता है । इस दिन महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं । शाम को नए कपड़े व जेवर पहनकर , पूरे सोलह श्रृंगार के साथ बड़े जतन से तैयार होती हैं । फिर अपने मंदिर में जाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं । इस दिन पूरे शिव परिवार (भगवान भोलेनाथ , माता पार्वती , गणेश जी व कार्तिकेय जी) की जाती है । इसके साथ साथ चौथ माता व चंद्रमा की पूजा अर्चना करती हैं।

करवाचौथ के व्रत में भालचंद्र गणेश जी की पूजा अर्चना विशेष रुप से की जाती है । साथ ही साथ महिलाएं करवाचौथ की व्रत कथा सुनती व सुनाती हैं । कई जगहों पर महिलाएं सामूहिक रुप से इकट्ठे होकर एक साथ बैठकर यह व्रत कथा सुनती है । भजन कीर्तन करती है । दिन भर भूखे प्यासे रहने के बाद भी इन महिलाओं के चेहरे पर कोई शिकन नहीं होती है।

इनके अंदर एक गजब का उत्साह इस दिन देखने को मिलता है। शाम होने पर फिर शुरू हो जाता है इंतजार …चांद के आकाश में उदय होने का । यह इंतजार वाकई में बहुत कठिन होता है क्योंकि उस दिन चंदा मामा भी महिलाओं को खूब इंतजार करवाते हैं । बड़े आराम से आसमान पर विराजते हैं।

महिलाएं भी पूरे धैर्य के साथ उनका इंतजार करती हैं। जैसे ही चंदा मामा आसमान पर उतरते हैं तो फिर शुरू होती है उनकी पूजा अर्चना । महिलाएं उस दिन चांद को सीधे ना देख कर छलनी से देखती हैं। छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद उनको जल से अर्घ्य दिया जाता है। फिर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना करती है।

तथा अखंड सौभाग्य , पति की दीर्घायु , उनके अच्छे स्वास्थ्य व सुखी घर परिवार की मंगल कामना करती है । चांद की पूजा अर्चना के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर अपना व्रत खोलती है।

इसी के साथ पति भी अपनी पत्नियों को सप्रेम उपहार स्वरूप कोई वस्तु प्रदान करते हैं । इस दिन घर में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं तथा प्रसाद के रूप में भगवान को चढ़ाए जाते हैं। उसके बाद उस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों के द्वारा ग्रहण किया जाता है।

Gift on Karva Chauth for Wife

करवाचौथ का व्रत अच्छी गृहस्थी ,अखंड सौभाग्य व सुखी घर परिवार की मंगल कामना के लिए रखा जाता हैं। एक ओर जहाँ पत्नी दिन भर बिना जल ग्रहण किये यह व्रत अपने पति के लिए रखती हैं । वही दूसरी ओर पति भी अपनी पत्नी को उपहार स्वरूप कोई वस्तु प्रदान करते है।

अब अगर यह उपहार स्वरूप दी जाने वाली वस्तु पत्नी की पसंददीदा हो तो पत्नी की खुशी दोगुनी हो जाती हैं। इसीलिए पत्नी को उपहार स्वरूप ऐसी वस्तु प्रदान करें।जो उसे पति के बाद अत्यधिक पसंद हो। साड़ी , सूट या अन्य dress  जिस रंग की उन्हें पसंद हो या Daily use में पहने जाने वाली  jewellery , Stylish Heart Shape Pendent with Gold Chain ,Diamond Ring , चूडिया ( Stylish gold या अन्य में )।

इसके अलावा Stylish पर्स ,Mobile ,परफ्यूम ,Cooking Book (अगर cooking की शौक़ीन हो तो ) ,या खाने की कोई वस्तु जो उन्हें अति प्रिय हो , फूल , फोटोफ्रेम (Photo Frame) भी दिए जा सकते हैं। वैसे तो एक पत्नी के लिए उसे उसके पति द्वारा दिया गया प्यार , सम्मान , Care ही उसके लिए सबसे बड़ा उपहार है। बाकी चीजों तो बाद में ही आती हैं।

करवाचौथ व्रत की पौराणिक कथाएं 

इस व्रत से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित है। इन्हीं में से एक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों में भयंकर युद्ध छिड़ गया।युद्ध में देवताओं की लगातार पराजय हो रही थी । देवता इससे भयभीत हो गए। वो भागे-भागे ब्रम्हदेव के पास गए और उनसे अपनी जीत का उपाय पूछने लगे । ब्रम्हदेव ने कहा “अगर सभी देवताओं की पत्नियां अपने अपने पतियों की युद्ध में विजय की कामना को मन में लेकर पूरी आस्था व विश्वास के साथ करवाचौथ का व्रत रखें तो उनकी जीत निश्चित होगी”।

इस प्रकार सभी देव पत्नियों ने अपने-अपने पतियों की युद्ध में विजय की मनोकामना के साथ व्रत रखा।करवाचौथ के व्रत के प्रभाव से देवताओं की जीत हुई और असुरों की हार । जीत की खबर सुनकर सभी देव पत्नियों ने अपना अपना व्रत खोला । तभी उन सभी को आकाश में चांद के दर्शन हुए। ऐसा माना जाता है कि तब से ही इस करवाचौथ के व्रत का आरंभ हुआ।

ऐसा ही एक उल्लेख महाभारत में भी मिलता है । कहा जाता है कि पांडवों की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। पांडवों के साथ-साथ द्रौपदी भी इस बात से परेशान थी। एक दिन द्रोपदी ने भगवान कृष्ण से कहा हे कृष्ण ! मुझे ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे पांडवों की समस्याएं दूर हो जाए । भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ के व्रत को रखने का सुझाव दिया।

उसके बाद द्रौपदी ने बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ रखा । उसके बाद पांडवों की सभी समस्याएं दूर हो गई और उनकी शक्ति में भी इजाफा हुआ।

एक तीसरी व्रत कथा के अनुसार। …

बहुत पुरानी बात है। एक नगर में एक साहूकार रहता था।जिसके सात बेटे और एक बेटी थी ।सभी सातों भाई अपनी बहन को बहुत प्यार करते थे । एक बार बहन अपने ससुराल से मायके आई । इसी बीच कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत आया।साहूकार के घर की सभी महिलाओं के साथ-साथ साहूकार की बेटी ने भी यह व्रत रखा । दिन भर व्रत रखने के बाद शाम होने पर भाइयों ने अपनी बहन से भोजन करने का आग्रह किया।

लेकिन बहन ने उत्तर दिया कि आज उसका व्रत है और वह चंद्रमा की पूजा अर्चना के बाद ही अपना व्रत खोलेगी । फिर भोजन ग्रहण करेंगी। लेकिन भाइयों से अपनी बहन का भूख-प्यास से मुरझाया हुआ चेहरा देखा नहीं गया । उन्होंने घर के बाहर अग्नि प्रज्वलित की और बहन से कहा कि देखो चांद निकल आया है । अब तुम चांद की पूजा अर्चना कर अपना व्रत खोल सकती हो । बहन खुशी से भाभियों के पास गई और उसने उन्हें चांद निकलने की बात बताई।      

उसकी सभी भाभियां अपने पतियों के इस प्रपंच को अच्छी तरह से जानती थी । इसीलिए उन्होंने अपने ननद को समझाने का बहुत प्रयास किया कि चांद अभी नहीं निकला है । लेकिन उसने अपनी भाभियों की बातों पर ध्यान नहीं दिया और चंद्रमा की पूजा अर्चना कर भोजन ग्रहण कर लिया जिससे उसका व्रत टूट गया और फलस्वरुप भगवान गणेश उससे नाराज हो गए।

उसके बाद उसका पति बीमार रहने लगा।उसके कारोबार में दिन प्रतिदिन घाटा होने लगा । अब बहन को अपनी गलती का एहसास हुआ।उसने अगले वर्ष पूरे मनोयोग से व पूरी आस्था व विश्वास के साथ करवाचौथ का व्रत रखा । विधि विधान से करवा माता व चंद्रमा की पूजा की।जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे अटल सुख-सौभाग्य व सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया।

सभी महिलाओं को करवाचौथ की बहुत शुभकामनाएं । Happy Karva Chauth ….

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