Article 370 And 35 A ,What is Article 370 And 35-A ? क्या है अनुच्छेद 370 व 35 A? जो जम्मू कश्मीर के लोगों को शेष भारत से अलग करती है।और यह क्या विशेषाधिकार देती है जम्मू कश्मीर के नागरिकों को।
Article 370 And 35 A
जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है।”धरती के इस स्वर्ग” को देखने के लिए हर वर्ष दुनिया भर से लोग बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर आते हैं।
लेकिन आजकल जम्मू कश्मीर अपनी खूबसूरती से ज्यादा “अनुच्छेद 370 व 35 A या धारा 370 व 35 A (Article 370 And 35 A)“ के कारण चर्चाओं में है।लोकसभा 2019 के चुनावों की घोषणा होते ही धारा 370 का जिन्न भी बाहर निकल आया है।
जम्मू कश्मीर में धारा 370 व 35 A खत्म ? जानिए इससे क्या होगा फायदा?
प्रधानमंत्री से लेकर भारतीय जनता पार्टी के कई राजनेता इस धारा को खत्म करने की बात कहते हैं।तो वही कई लोग इस धारा को बनाए रखने के पक्ष में भी हैं।आइए जानते हैं।क्या है अनुच्छेद 370 व 35 A (Article 370 And 35 A) ? और कश्मीर के लिये क्या है इसके मायने ?
क्या है अनुच्छेद 370 व 35 A
(what is Article 370 And 35 A)
भारतीय संविधान की अनुच्छेद 370 व 35 A (Article 370 And 35 A) जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करती है।यह जम्मू कश्मीर को स्वायत्तता का दर्जा देती है।धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद या धारा है जो जम्मू कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार प्रदान करती है।
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भारतीय संविधान में “अस्थाई, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध संबंधी भाग 21 का अनुच्छेद 370” जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था।जिसने भारत को दो हिस्सों में बांट दिया।इसी कारण से जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुये भी कश्मीर का अपना एक अलग झंडा है और एक अपना प्रतीक चिन्ह है।
कैसे हुआ जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय
(History of Article 370 And 35 A)
1947 में विभाजन के समय जब जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो जम्मू कश्मीर भारत के गणराज्य में शामिल नहीं हुआ था।तब जम्मू कश्मीर के राजा हरिसिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे।इसी दौरान जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थित काबालियों ने आक्रमण कर दिया।उन्होंने मुजफ्फराबाद और मीरपुर जैसे समृद्ध इलाकों पर कब्जा कर लिया।
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इसके बाद राजा हरिसिंह के पास दो विकल्प थे।या तो वह भारत में मिल जाए या फिर पाकिस्तान में शामिल हो जाए।उस समय कश्मीर में मुस्लिम बहुल जनसंख्या पाकिस्तान से मिलना चाहती थी।लेकिन राज्य के अंतिम महाराजा हरि सिंह का झुकाव भारत के प्रति था।
कश्मीर को पाकिस्तान से बचाने के लिए राजा हरि सिंह और शेख अब्दुल्ला ने दिल्ली का रुख किया।26 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय के समझौते के बाद कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया। हरि सिंह ने भारत के साथ एक “इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन” नामक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।
इसके बाद भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया।तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री बनवा दिया।
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कैसे बनी धारा 370 ( Article 370 History)
उस समय की आपातकालीन स्थिति में जम्मू कश्मीर का भारत में विलय करना सबसे बड़ी जरूरत थी।संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने का समय मिल सके इसीलिए जम्मू कश्मीर की जनता को उस समय धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे।
कश्मीर के भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत संघीय संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-A का प्रारूप पेश किया।यही बाद में धारा 370 बनी।सन 1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई थी।
नवंबर 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूर्ण हुआ।और 26 जनवरी 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।जिसके तहत जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार मिले हुए हैं।और यह राज्य भारत के अन्य राज्यों से अलग हो गया था।
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अनुच्छेद 35-A क्या है ?( Article 35 A)
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-A को जोड़ा गया।अनुच्छेद 35-A धारा 370 का ही हिस्सा है।धारा 35-A जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा को राज्य में स्थायी निवास और विशेषाधिकारों को तय करने का अधिकार देती है।
इस धारा की वजह से कोई भी दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है।नहीं वहां का स्थाई नागरिक बन कर रह सकता है।यही धारा जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देती है।राज्य को एक अलग संविधान,अलग झंडा और सभी मामलों में स्वतंत्र रहने का अधिकार देती है।
जम्मू कश्मीर की स्थाई नागरिकता
1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना।इसमें स्थाई नागरिकता के बारे में विस्तार से बताया गया।इस संविधान के मुताबिक जम्मू कश्मीर का स्थाई निवासी वही व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो।अथवा जो व्यक्ति पिछले 10 वर्षों से जम्मू कश्मीर में रह रहा हो।और उसने वहां संपत्ति खरीदी हो।
धारा 35-A के अनुसार अगर कोई जम्मू कश्मीर की लड़की किसी राज्य से बाहर के लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं।इसी के साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
जब 1956 में जम्मू कश्मीर संविधान को स्वीकार किया गया तो 2 साल पुराने स्थाई नागरिकता कानून को भी सहमति दी गई।यह कानून इस राज्य के विशिष्ट क्षेत्रीय पहचान की रक्षा करता है।
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क्या है जम्मू कश्मीर के विशेषाधिकार
- अनुच्छेद 370 व 35 A (Article 370 And 35 A) भारत के संविधान का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह धारा संविधान के 21वें भाग में समाविष्ट है जिसका शीर्षक है “अस्थाई,परिवर्तनशील और विशेष प्रावधान(Temporary,Transitional and Special provisions)”।
- धारा 370 के शीषर्क के शब्द हैं “जम्मू कश्मीर के संबंध में अस्थाई प्रावधान” (Temporary provisions with respect to the State of Jammu and Kashmir )।
- जम्मू कश्मीर के लोगों के पास दोहरी नागरिकता है।
- जम्मू कश्मीर का अलग अपना झंडा है।
- जम्मू कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करना अपराध नहीं माना जाता है।
- धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक भारतीय संसद को जम्मू कश्मीर में सिर्फ रक्षा,विदेश और संचार के विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है।अन्य किसी भी विषय से संबंधित कानून को लागू करने के लिए केंद्र को राज्य सरकार से सहमति लेनी पड़ती है।
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- जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा होने की वजह यहाँ संविधान की धारा 356 और धारा 360 लागू नहीं होती है।
- जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है।जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल सिर्फ 5 साल का होता है।
- राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
- भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।जबकि भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है।
- 1976 का “शहरी भूमि कानून” भी जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता है।
- अनुच्छेद 370 व 35 A के कारण जम्मू कश्मीर में भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश मान्य नहीं होते हैं।
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- अगर जम्मू कश्मीर की महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करती है तो उस महिला की जम्मू कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती हैं।लेकिन यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तानी व्यक्ति से शादी करती है तो उस पाकिस्तानी व्यक्ति को भी जम्मू कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।
- भारत की संसद जम्मू कश्मीर के लिये बहुत ही सीमित विषयों में कानून बना सकती है।
- जम्मू कश्मीर में महिलाओं पर अभी भी शरियत का कानून लागू होता है।
- जम्मू कश्मीर की पंचायत के पास कोई भी अधिकार नहीं है।
- धारा 370 के कारण जम्मू कश्मीर में सूचना का अधिकार(RTI ),शिक्षा का अधिकार(RTE),(CAG) भी लागू नहीं है।
- जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16% आरक्षण भी नहीं मिलता है।
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जम्मू कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं होती है
जम्मू कश्मीर क़ो विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण वहाँ पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती है।इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार भी नहीं था।लेकिन सन 1964 में संविधान के अनुच्छेद 356 और 357 इस राज्य में लागू किए गए।
इन अनुच्छेदों के अनुसार जम्मू कश्मीर में संवैधानिक व्यवस्था के चरमरा जाने पर राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
वित्तीय आपातकाल (धारा 360) लागू नहीं होती है
भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में “वित्तीय आपातकाल” लगाने का प्रावधान है।यह जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होता है।
Article 370 के प्रावधानों के अनुसार राज्य में आर्थिक या किसी प्रकार का अन्य आपातकाल लागू नहीं किया जा सकता है।केंद्र सरकार राज्य पर आर्थिक आपातकाल नहीं लगा सकती है।केवल युद्ध और बाहरी आक्रमण के मामलों में ही राज्य में आपातकाल लगाया जा सकता है।यदि राज्य में कोई अंदरूनी समस्या हो तो भी केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में आपातकाल नहीं लगा सकता है।
कई भारतीय क़ानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते है
Article 370 के प्रावधानों के मुताबिक भारतीय संसद को जम्मू कश्मीर में सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार के विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है।किसी भी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करने के लिए केंद्र को राज्य सरकार से सहमति लेनी पड़ती है।
इसके अलावा संघ और समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर केंद्र सरकार कानून नहीं बना सकती है।राज्य में नागरिकता,संपत्ति रखने का अधिकार और सभी मौलिक अधिकारों के लिए कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास ही हैं।
दोहरी नागरिकता
जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता है।एक ओर जहां वो भारत के नागरिक हैं तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर राज्य के भी।इस राज्य में भारत के अन्य दूसरे राज्य के लोगों को नौकरी नहीं मिल सकती।
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धारा 370 में समय समय पर हुए बदलाव
समय के साथ साथ 370 में भी थोड़ा बदलाव किया गया।
- 1954 में चुंगी ,केंद्रीय आबकारी, नागरिक उड्डयन और डाकतार विभागों के कानून और नियम जम्मू कश्मीर में लागू किए गए।
- 1958 से जम्मू कश्मीर में केंद्रीय सेवा के आईएएस (IAS) तथा आय पीएस अधिकारियों की नियुक्ति होने लगी और इसी के साथ सीएजी (CAG) के अधिकार भी इस राज्य पर लागू हुए।
- 1959 में जम्मू-कश्मीर में “भारतीय जनगणना का कानून” लागू हुआ।
- 1960 में सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध अपील को स्वीकार करना शुरू किया।
- 1965 श्रमिक कल्याण,श्रमिक संगठन,सामाजिक सुरक्षा व सामाजिक बीमा संबंधी केंद्रीय कानून राज्य में लागू हुए।
- 1966 में जम्मू कश्मीर को प्रत्यक्ष मतदान द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि को लोकसभा में भेजने का अधिकार दिया और जम्मू कश्मीर की विधानसभा ने अपने संविधान में संशोधन कर राज्य में पहली बार प्रधानमंत्री की जगह “मुख्यमंत्री” और “सदर ए रियासत”की जगह राज्यपाल की नियुक्ति।उस समय “सदर ए रियासत” का चुनाव विधानसभा द्वारा किया जाता था।उसके बाद राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति होने लगी है।
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- इसी कारण पहले जब भी भारत का नागरिक जम्मू कश्मीर जाता तो उसे अपना पहचान पत्र अपने साथ रखना पड़ता था।लेकिन बाद में से खत्म कर दिया गया।
- 1968 में जम्मू कश्मीर के उच्च न्यायालय ने चुनाव संबंधी मामलों पर अपील सुनने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को दे दिया।
- 1971 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत विशिष्ट प्रकार के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार उच्च न्यायालय को दे दिया।और 1986 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 249 के प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू है।इसी धारा में 370 (Article 370 And 35 A) की समाप्ति की व्यवस्था बताई गई है।
क्या अनुच्छेद 370 व 35 A को खत्म किया जा सकता है ?
जी हाँ !!! अनुच्छेद 370 व 35 A (Article 370 And 35 A) को खत्म किया जा सकता है।लेकिन Article 370 And 35 A को खत्म करने के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत होना जरूरी है।यानी संसद के दो तिहाई सदस्य इस धारा को हटाने के लिये अपनी सहमति दें।तब ही इस धारा को खत्म किया जा सकता हैं।दो तिहाई बहुमत के लिए लोकसभा में 367 सीट और राज्यसभा में 164 सीट की जरूरी है।
अनुच्छेद 370 व 35 A या धरा 370 व 35 A (Article 370 And 35 A) अब खत्म किया जा चुका है।
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