A Short Motivational Story :
तितली का संघर्ष :
A Short Motivational Story
यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन की हर छोटी मोटी जरूरत या मुश्किल वक्त पर दूसरों का सहारा ढूंढने लगते है। यह कहानी उन सभी बच्चों के लिए भी प्रेरणादायक है जो जीवन के हर ऐसो आराम को अपने मां बाप से आसानी से प्राप्त कर खुश हो जाते हैं।
लेकिन यही लोग जीवन में आने वाली छोटी सी भी कठिन परिस्थिति में दूसरों का सहारा ढूंढने लगते हैं।और वक्त पर वही सहारा ना मिले तो वो खुद संघर्ष कर उस परिस्थिति से बाहर निकलने के बजाय हार मान बैठते हैं। हमारे जीवन में आने वाली हर परेशानी हमें भविष्य के लिए तैयार करती है।अपनी कठिन से कठिन परिस्थिति में भी संघर्ष कर , आराम से नई राह बनाकर कैसे एक सफल व्यक्ति बना जाए। इसकी सीख दे जाती है।यह कहानी इसी का दर्पण है।
एक व्यक्ति रोज सुबह अपने बगीचे पर टहलता था।एक सुबह जब वह अपने बगीचे में टहल रहा था। तो उसे एक छोटे से पेड़ की टहनी पर एक तितली का कोकून लटका दिखाई पड़ा।अब हर रोज वह व्यक्ति उस कोकून को देखने लगा। एक दिन उस व्यक्ति ने देखा कि उस कोकून में जबरदस्त हलचल है।और उस कोकून के बीच में एक छोटा सा छेद भी बन गया है।
नजदीक जाकर देखने पर पता चला कि उसमें से एक प्यारी सी तितली बाहर आने का प्रयास कर रही हैं।वह वही बैठ उस तितली के कोकून से बाहर आने का इंतजार करने लगा। काफी समय बीत गया।लेकिन वह तितली अपने निरंतर प्रयासों के बाद भी उस कोकून से बाहर नहीं निकल पा रही थी।
लेकिन अचानक उसने देखा की तितली उस कोकून के अंदर शांति से बैठ गई है। मानो जैसे वह अपने संघर्ष से हार मान बैठी हो। इसीलिए अब उस व्यक्ति ने निश्चय किया कि वह तितली की कोकून से बाहर निकलने में मदद करेगा। उसने एक कैंची उठाई और कोकून में इतना बड़ा छेद कर दिया कि तितली आराम से उसमें से बाहर निकल सके।
जैसे ही उस व्यक्ति ने कोकून में बड़ा छेद किया। तितली बिना किसी संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई।लेकिन वह उड़ने के बजाय जमीन पर गिर पड़ी। बिना किसी संघर्ष के कोकून से बाहर निकलने के कारण तितली का पूरा शरीर सूजा हुआ था। और उसके पंख भी सूखे हुए थे।और वह कोकून से बाहर निकलने पर भी उड़ पाने में असमर्थ थी।
प्रकृति ने तितली के कोकून से बाहर निकलने के लिए यह कठिन प्रक्रिया बनाई है। यह देखने में भले ही जितनी कठिन हो। लेकिन उसमें तितली की भलाई भी उतनी ही छुपी है।कोकून से बाहर निकलने की इस कठिन प्रक्रिया को प्रकृति ने जानबूझकर बनाया है।क्योंकि जब तितली कोकून के अंदर से बाहर निकलने का प्रयास करती है ,तो वह अपने पंखों को बार-बार फड़फड़ाती है।जिस कारण उसके शरीर से जरूरी तरल द्रव उसके पंखों तक पहुंचाता है। जिससे पंखों को मजबूती मिलती हैं। और वह उन पंखों से ताउम्र मजबूती से प्रकृति के हर मिजाज का सामना कर पाने में समक्ष बन जाती हैं।
पर उस आदमी की सहायता से कोकून से आसानी से बाहर निकली यह तितली ना तो उड़ पा रही थी। और नहीं इसके पंखों में मजबूती थी। अब यह ताउम्र पंखों के होते हुए भी अपाहिज का जीवन जीने को मजबूर हो गई है। वह अब कभी नही उड़ सकेगी।
Moral of the story
इंसान अपने जीवन के संघर्षों व असफलताओं से ही सीखता है। बार-बार असफल होने से भी व्यक्ति सीखता है। और जीवन में कभी-कभी कठिन परिस्थितियों की भी आवश्यकता होती है। कठिन परिस्थितियों ही हमें और मजबूत बनती हैं। और जीवन में आगे आने वाले संघर्षों के लिए तैयार करती हैं। और हमें अच्छे और बुरे ,सही और गलत का ज्ञान कराती हैं
जो चीज हमें आसानी से मिल जाए अक्सर हम उसका मोल नहीं समझ पाते हैं।और आने वाली कठिन परिस्थितियों में भी अपनी क्षमता के अनुकूल प्रदर्शन नहीं कर पाते।जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियां ही हमें भविष्य के लिए धैर्यवान ,संघर्षवान ,क्षमतावान और सकारात्मक बनाते हैं। इसीलिए बुरे वक्त से डरें नही बल्कि उसका डटकर मुकाबला करें।
तितली का संघर्ष
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