Motivational Short Story In Hindi for Student

Motivational Short Story In Hindi For Student : विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानियों 

Story – 1

आसमान का सितारा

आज पूर्णिमा की रात है और चांद अपनी शीतल चांदनी को इस पूरी धरा में चारों तरफ बिखेरकर दूर आसमान में हजारों तारों के बीच बैठकर इतरा रहा है। अपनी छत के एक कोने पर बैठा दीपक हजारों तारों में से एक चमकते हुए तारे को बार-बार धन्यवाद दे रहा है। क्योंकि आसमान के उन हजारों तारों ने नहीं बल्कि जमीन के इस सितारे ने जाते जाते उसकी जिंदगी को सुनहरी चांदनी से भर दिया था।उसे हजारों रंग के सुनहरे सपने बुनने को दे गया। एक सुनहरा कल दे गया।

कल तक ही तो यह तारा आसमान में नहीं बल्कि उनके पड़ोस में ही तो रहता था दादाजी के रूप में और वह उनको तब से जानता था।जब से उसके पापा उस मोहल्ले में रहने आए। एक बड़े से बंगले में अकेले रहने वाले दादा जी का बड़ा बेटा अमेरिका में रहता था और छोटा बेटा बेंगलुरु में किसी बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत था। बेटी की शादी हो गए और पत्नी को गुजरे हुए कई साल बीत गए ।

दादा जी के बच्चे उनको हमेशा अपने साथ आकर रहने को कहते थे।लेकिन दादा जी का मन उन बड़े शहरों में नहीं लगता था । दादाजी अपने इसी बंगले में अपने जीवन की सुनहरी यादों के साथ जीना चाहते थे। एक महिला आकर साफ सफाई के साथ-साथ उनका खाना बना कर चली जाती थी। वो बहुत मिलनसार व खुशमिजाज थे।सभी से बातें किया करते थे।

जब भी मैं स्कूल जाता वह अपने घर की चारदीवारी के पास खड़े होकर मुझसे कहते ..संभल कर जाना.. अच्छे से पढ़ना और जब मैं घर वापस आता तो वह अपने चार- पांच दोस्तों के साथ अपने घर के आंगन में गप्पे मारते हुए नजर आते थे। मैं रोज शाम को उनके पास जाता। उनसे ढेर सारी बातें करता और उनके बगीचे में लगे हुए फूलों को उनके साथ पानी देने में मदद करता था व साथ में ही उनके छोटे-मोटे काम भी किया कर दिया करता।

दादाजी के पास बताने के लिए बहुत सारी बातें होती। कभी वह अपने जीवन के अनुभव बताते और कभी वह अपने पोते-पोतियों की बातें मुझे सुनाते हैं। मेरा और उनका संबंध हर दिन और मजबूत होता गया। मेरे मां- बाप भी उनको अपने पिता जैसा ही सम्मान देते थे।दिन गुजरते गए और कई साल बीत गए। मैं दसवीं क्लास में पहुंच गया लेकिन अचानक पापा को बिजनेस में घाटा होने लगा । घर के खर्च में कटौती होने लगी। कभी-कभी तो पापा को मेरी और बहन की स्कूल की फीस भरने में भी परेशानी आने लगी।

एक दिन घर का माहौल खराब होने के कारण मैं दादाजी के पास शाम को नहीं गया । दादाजी मेरा इंतजार करते रहे। अगले दिन मैं सुबह स्कूल भी नहीं गया। तो दादाजी परेशान होकर मेरे घर आ गए और मुझसे बोले ..दीपक क्या तेरी तबीयत खराब है? तू आज स्कूल भी नहीं गया …कल शाम मुझसे मिलने भी नहीं आया।

लेकिन मैं खामोश था। मुझे कुछ जवाब देते नहीं बन रहा था । दादाजी की अनुभवी आंखों ने जैसे सब पढ़ लिया । फिर उन्होंने कुछ देर बाद पापा से बात की और वह मुस्कुराते हुए घर से चले गए। अगले दिन स्कूल से आने के बाद मैं शाम को दादाजी से मिलने गया ।दादाजी ने बोला  “बेटा आजकल तो खेती-बाड़ी है नहीं , जो खेत में हल चलाकर अनाज उगा कर खा लोगे। अब तो सिर्फ ज्ञान ही एक ऐसी संपत्ति है जो स्थाई है जिसको आप जितना अर्जित कर सको उतना अच्छा है।

जमीन , धन दौलत तो कमाई जाने वाली चीज है। अगर आप अपने क्षेत्र में दक्ष हैं तो आपको कहीं भी नौकरी आसानी से मिल सकती है।लेकिन अगर आप काबिल नहीं हैं तो आपने जो भी कमाया है उसे गँवा देंगे । इसलिए अपनी पढ़ाई कभी मत छोड़ना ।….. फिर तुमको तो एक दिन डॉक्टर बन लोगों की सेवा करनी है। इसलिए खूब मेहनत से पढ़ाई करो और एक दिन डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करो। फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोले ……चलो चलो जल्दी से मेरे फूलों में पानी डालो नहीं तो इस गर्मी में सूख जाएंगे ।

एक दिन में स्कूल से घर को वापस आया तो देखा दादाजी के बंगले में बहुत भीड़ थी। पता चला कि दादा जी का हृदय गति रुकने से अचानक निधन हो गया। मैं यही सोच रहा था कि मैं अब दादाजी से कभी बात नहीं कर पाऊंगा।

उनके जाने के बाद मेरे पापा ने मुझे बताया कि दादाजी ने उसकी और उसकी बहन की स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ डॉक्टरी की पढ़ाई का भी खर्चा उठाने का वादा किया था और जाने से पहले उन्होंने वह वादा पूरा कर दिया । अब तुम खूब मन लगाकर पढ़ो और एक दिन डॉक्टर बनकर दादा जी का सपना पूरा करो।

Moral Of The Story 

आपकी एक छोटी सी मदद भी किसी का पूरा जीवन बदल सकतीं है। इसीलिए अगर आप सामर्थ्यवान है तो जरूर हाथ बढ़ाकर दूसरों की मदद कीजिए।

Story -2

चालाकी

एक बार एक घोडा़ जंगल में घास चल रहा था । अचानक घोड़े के पैर में एक कांटा चुभ गया  और घोड़ा दर्द से कराह उठा । सामने एक भेड़िया यह सब देख रहा था । उसने सोचा कि यह सही वक्त है घोड़े का शिकार करने का ।

वह घोड़े के पास गया और बोला “मित्र तुम्हें क्या हो गया है”। घोड़ा जानता था भेडिया उसे मारकर खाने की फिराक में है। इसीलिए उसने बिना डरे धैर्य से काम लिया और दर्द से कराहते हुए कहा “मित्र मेरे दाहिने पैर में कांटा चुभ गया है जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हो रहा है”।

भेड़िया जैसे ही कांटा निकालने के लिए उसके दाहिने पैर की तरफ बढ़ा । घोड़े को मौका मिल गया । उसने अपनी पूरी ताकत से भेड़िए को एक दुलत्ती मार दी जिससे भेड़िया घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा और घोड़े को भागने का मौका मिल गया। घोड़ा मौके का फायदा उठाकर भाग खड़ा हुआ ।

Moral Of The Story 

जीवन में मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना आए। अगर बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कर धैर्य से सोच समझकर काम किया जाए तो समस्या खुद-ब-खुद हल हो जाती है।

Story -3

सदगुण और सबुद्धि

दौलताबाद में सुदामा नाम का एक व्यक्ति रहा करता था । उसका पुत्र बहुत प्रतिभावान था । पढ़ाई के साथ साथ वह अन्य कार्यों में भी हमेशा अब्बल रहता था । इसीलिए माता पिता की अपने पुत्र से बहुत आशाएं जुड़ी थी । लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे उनका पुत्र बड़ा होता गया । उसकी संगत गांव के कुछ बुरे लड़कों से हो गई ।जिसके कारण उसने कई बुरी आदतें सीख ली।

हमेशा पढ़ाई लिखाई में तल्लीन रहने वाला उनका पुत्र अब पढ़ाई से दूर हो गया। अपने इकलौते पुत्र को कुसंगति में जाता देख माता-पिता को बड़ी चिंता हुई। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने की कई कोशिशें की । लेकिन सब बेकार गई । एक दिन सुदामा को एक तरकीब सूझी।वह बाजार से एक टोकरी सेब ले आया ।अच्छे सेबों के साथ एक बड़ा सा सड़ा हुआ सेब भी लेकर आया।

उसने अपने बेटे को बुलाकर कहा “बेटा इन सेबों को एक टोकरी में संभाल कर रख दो और यह सड़ा हुआ सेब इन सब अच्छे सेबों के बीच में रख देना ।पुत्र ने पिता की बात मानी और सारे अच्छे सेबों के बीच में उस सडे हुए सेब को रख दिया । कुछ दिनों बाद पिता ने अपने पुत्र को बुलाकर कहा “बेटा जाओ , सेब की टोकरी लेकर आओ। आज सब मिलकर सेब खाएंगे”।

पुत्र दौड़कर गया और सेबों से टोकरी ले आया। जैसे ही उसने टोकरी खोल कर देखी तो उसने देखा अधिकतर सेब सड़ चुके थे और उनसे अत्यधिक बदबू आ रही है । पुत्र ने अपने पिता की ओर देखते हुए कहा “पिताजी इसमें तो काफी सेब सड़ गए हैं। आपने एक सड़ा हुआ सेब अच्छे सेबों के बीच में रख दिया था जिसकी वजह से हमारे और सेब भी खराब हो गए। देखो हमें कितना नुकसान हुआ । यहां तक कि हम अब इन सेबों को खा भी नहीं सकते हैं।

सुदामा ने बड़े प्यार से अपने बेटे को समझाते हुए कहा “हां बेटा , देखो एक सडे सेब की संगति में कई अच्छे सेबों को भी सडा़ दिया ।फिर तुम तो एक अच्छे और होशियार बच्चे हो और तुम उन खराब लड़कों की संगत में रहते हो । क्या इन सेबों की तरह ही एक दिन तुम्हारा जीवन बर्बाद नहीं हो जाएगा “।

 पिता की यह बात पुत्र को अब तक समझ में आ चुकी थी । उसने अपने पिता से माफी मांगी और उन सभी बुरे दोस्तों का साथ छोड़कर पहले की तरह अपनी पढ़ाई लिखाई में व्यस्त हो गया और अगले साल वापस से वह फिर से अपने क्लास में प्रथम आया ।

Moral Of The Story

इसीलिए कहा गया है बुरी संगति का फल हमेशा बुरा होता है । इसीलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगत में रहना चाहिए। अच्छे लोगों की संगत से मन में अच्छे विचार आते हैं और जीवन सही मार्ग पर चलता है। बुरी संगत से हमेशा दूर रहना चाहिए ।

यह भी पढ़ें ….

मन का विश्वास(हिंदी कहानी)

अमृत की प्राप्तिहिंदी कहानी)

सफल गृहणी या सुखी गृहणी ( हिंदी कहानी)

सालुमारदा थिममक्का को वृक्ष माता क्यों कहा जाता है ?