What is Make in India Program, Aim and Benefit of this Program ,Make In India Information ,मेक इन इंडिया प्रोग्राम क्या हैं , और क्या है मेक इन इंडिया प्रोग्राम का उद्देश्य और इससे फायदा in hindi
Make In India
देश के साथ-साथ विदेशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में आकर वस्तुओं का निर्माण करें ,जिससे भारत के लोगों के लिए रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हों, भारत की विकास दर में वृद्धि हो, भारत आर्थिक रूप से समृद्ध हो ,हर युवा को रोजगार मिले , हर व्यक्ति की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हो।
वस्तुओं का आयात कम से कम हो तथा निर्यात में वृद्धि हो ,देसी व विदेशी निवेशकों का ध्यान हमारी तरफ आकर्षित हो।कुल मिलाकर भारत हर तरह से आत्मनिर्भर बनकर एक शक्तिशाली व सामर्थ राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर छा जाए।और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक अलग ही पहचान बन जाए।
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यही सपना है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने 25 सितंबर 2014 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “मेक इन इंडिया (Make in India)” प्रोग्राम की शुरुआत की थी।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली पारी शुरू करने के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते ही अपने “मन की बात” देश और दुनिया के सामने रख दी थी। तथा दुनिया भर के लोगों को भारत में इन्वेस्ट करने का खुला न्यौता दिया था।अपनी इसी प्रोग्राम को लोगों तथा कंपनियों तक पहुचाने के लिए औद्योगिक नीति एवं विकास विभाग द्वारा 29 दिसंबर 2014 को एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
इस वर्कशॉप में खुद प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों, सचिवों तथा कई बड़ी कंपनियों के मुख्य अधिकारियों के साथ उपस्थिति रहे।इस प्रोग्राम के बाद कई देशों की बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों से बहुत अच्छा रिस्पांस मिला।और वो भारत में आकर इन्वेस्ट करने को तैयार हो गए।मेक इन इंडिया प्रोग्राम में ऐसे 25 कार्यक्षेत्र को शामिल किया गया जो भारत की अर्थव्यवस्था को सीधे सीधे प्रभावित करते हैं।
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Make In India Information
” Make In India” प्रोग्राम का असली मकसद “मेड इन इंडिया (Made in India)” तक का सफर करना है यानी इसका मतलब है कि भारत में ही आइए, भारत में ही कंपनी स्थापित कर उच्च क्वालिटी का सामान बनाइए,उस पर “Made in India” की मुहर लगाइए।और फिर यही से दुनिया के अन्य देशों को सामान निर्यात कीजिये। इसका सीधा सीधा प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
वैसे भी भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है और उम्मीद की जा रही है कि भारत 2020 तक दुनिया का सबसे बड़ा “उत्पादक देश” बन जायेगा।भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।वर्तमान में विदेशों में भी हमारी भारतीय प्रतिभाएं जाकर अपनी प्रतिभा का झंडा बुलंद कर रहे है।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम का कार्यक्षेत्र ( Focus Sector of Make In India)
Make In India प्रोग्राम में 25 क्षेत्रों को विशेष रूप से शामिल किया गया हैं।
ऑटोमोबाइल (Automobile),ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स (Autobile Components) ,बिमानन (Aviation) , बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology), केमिकल( Chemicals), निर्माण (Construction) ,डिफेंस मैनिफैक्चारिंग (Defence Manufacturing), इलेक्ट्रीकल मशीनरी (Electrical Machinery), इलेक्ट्रोनिक सिस्टम (Electronic System) , फ़ूड प्रोसेसिंग (Food Processing), आईटी एंड बीपीम (It & BPM), लेदर (Leather), मीडिया व मनोरंजन (Media & Entertainment), माइनिंग (Mining), आयल और गैस (Oil & Gas), फार्मास्युटिकल्स (Pharmaceuticals) ,पोर्ट्स एंड शिपिंग (Ports &Shipping) ,रेलवे (Railways) , उर्जा (Renewable Energy) , रोड एंड हाईवे (Road & Highways), स्पेस (Space) , टेक्सटाइल एंड गारमेंट्स (Textile) ,थर्मल पावर (Thermal Power) ,टूरिज्म (Tourism and Hospitality) ,वेलनेस (Wellness)।
इनमें भी रेलवे ,रक्षा, बीमा और चिकित्सा उपकरण को मुख्य रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोला जा रहा हैं।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम का लोगो (Make In India Logo)
Make In India अभियान का लोगो एक शेर है।शेर अपने आप में ह़ी सामर्थ्य,शक्ति,ऊर्जा तथा निडरता का प्रतीक है।साथ ह़ी साथ यह शेर देश को एक “मैन्युफैक्चरिंग हब” बनाने के लक्ष्य को भी दर्शाता है।लोगो में शेर का विचार “अशोक चक्र”से लिया गया है।
इसका डिजाइन एक विदेशी कंपनी “वेइडेन प्लस कैनेडी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड या वीडेन कैनेडी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी” ने तैयार किया हैं।यह कंपनी पोर्टलैंड में स्थित है।इस लोगो को इस कंपनी की भारतीय शाखा जो नई दिल्ली के साकेत नगर में स्थित है ने तैयार किया।यह एक अंतरराष्ट्रीय डिजाइन एजेंसी है।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देने के लिए नियमों में अहम बदलाव
व्यापार करने के लिए हर देश के अपने अपने नियम होते हैं और भारत में भी देशी व विदेशी निवेशकों तथा कंपनियों के लिए कई सारे नियम बनाए गए हैं।जो इस प्रोग्राम को आगे ले जाने में बाधक बनी है।
लेकिन Make In India प्रोग्राम को सुचारू रूप से चलाने के लिए तथा विदेशी निवेशकों व विदेशी पूंजी को भारत में लाने के लिए केंद्र सरकार ने देश की इस नियमावली में काफी बदलाव किए हैं जिससे विदेशी निवेशकों व कंपनियों का भारत में व्यापार करना आसान हो जाएगा।
वर्ल्ड बैंक के 2015 के एक सर्वे “विश्व में किस देश में व्यापार करना सबसे आसान है” के अनुसार भारत की रैकिग 130वें नंबर की है।और इसी सर्वे के तहत भारत में हैदराबाद ,अहमदाबाद, गुड़गांव ,भुनेश्वर, लुधियाना को व्यापार करने के लिए सबसे उत्तम माना था।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम का प्रचार प्रसार
Make In India प्रोग्राम के प्रचार प्रसार की जोरदार तैयारी के गयी हैं। इसी के तहत 13 फरवरी 2016 को मुंबई में “मेक इन इंडिया वीक इवेंट “ मनाया गया जिसमें 72 देशों की बिजनेस टीमों ,2500 अंतरराष्ट्रीय कंपनी तथा 8000 राष्ट्रीय कंपनियों ने अपने प्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ भाग लिया।अनेक देशों के कई गणमान्य व व्यापार से जुड़े लोगों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
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Make In India प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य देश विदेश की बड़ी-बड़ी तथा विश्व विख्यात कंपनियों का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित करना था। भारत के जन-जन तक को मेक इन इंडिया प्रोग्राम की जानकारी इंटरेक्टिव वेब पोर्टल तथा ब्रोशरों के माध्यम से भी दी जा रही है। इसके लिए कार्यप्रणाली को और बेहतर ,पारदर्शी व उपयोगी बनाया जा रहा है।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम के प्रचार प्रसार के लिए कुछ लोकप्रिय स्लोगन (Make In India program Slogan)
- भारत निर्माण की ओर ,नए युग का दौर।
- वही देश हैं समृद्धिशाली ,जहाँ का युवा हो प्रतिभाशाली।
- कण कण से मूरत बनाएगे,देश को विकसित कर दिखायेंगे।
- नयी सुबह की भोर ,नव निर्माण की ओर।
- देश देश में शोर हैं ,देश नव निर्माण की ओर हैं।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम का उद्देश्य (Aim of Make In India)
- उच्च श्रेणी का मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना तथा भारत को “ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब” बनाना।
- सभी वस्तुओं का निर्माण 2022 तक भारत में ही शुरू करना।
- लगभग 10 करोड़ नए रोजगार को पैदा करना ताकि हर युवा को रोजगार मिल सके। प्रतिभाशाली युवाओं को देश छोड़ के न जाना पड़े।साथ ह़ी साथ गरीबी को कम किया जा सके।
- उच्च क्वालिटी की वस्तुओं का निर्माण कर इन वस्तुओं को कम कीमत में आम जनता को उपलब्ध कराना ताकि महँगाई को काबू किया जा सके।
- अर्थव्यवस्था में तेजी से आश्चर्यजनक सुधार किया जाना।
- नए उद्यमियों को बढ़ावा देना।
- ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश को अपने देश में लाना लगभग। 3000 कंपनियों को जोड़ने का उद्देश्य रखा गया है।
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- विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 12 से 14 % की वृद्धि करना तथा जीडीपी(GDP) में 2022 तक विनिर्माण की हिस्सेदारी 16 से 25 % तक करना।
- साथ ही भारतीय कंपनियां का भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की तरह ह़ी विकास करना।भारत से बाहर जा रहे उद्यमियों को रोकने के लिए प्रमुख क्षेत्रों में निर्माण कर व्यवसायियों को पुनर्जीवित करना।
- भारत में व्यापार के अनुकूल माहौल बनाना।
- भारत में कुशल श्रम शक्ति का विकास करना।
- कौशल विकास के लिए पब्लिक व प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल बनाना।
- कंपनियों के लिए एक बुनियादी ढांचे का विकास करना।
- सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति लाना।
- सरकार,उद्योगपतियों,शिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाना जिससे प्रभावी विकास व उन्नति सुश्चित हो सके।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम से लाभ ( benefits of Make In India )
- नौकरी के अवसर बढ़ेंगे।
- भारतीय ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- सकल घरेलू उत्पाद बढेगा।
- निर्यात में बढोतरी होगी आयात में कमी होगी। जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अभी भारत की अर्थव्यवस्था सातवें स्थान पर है।
- रुपया मजबूत होगा।
- प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उन्नति होगी। नई तकनीक व अत्याधुनिक मशीनें भारत में आएंगी।
- विदेशी मुद्रा का सरलता से भारत में प्रवाह होगा।
- व्यापार करना और भी आसान होगा।
- युवा एक नई सोच के साथ व्यवसाय शुरू करेंगे।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम से नुकसान ( disadvantages of Make In India )
Make In India प्रोग्राम के जहां हजारों फायदे हैं वही कुछ नुकसान भी हैं।
- फैक्ट्री कंपनी लगाने के लिए भूमि का अधिग्रहण करना जरूरी हो जाएगा तो कृषि योग्य भूमि खत्म हो जाएगी ।तथा साथ ह़ी साथ कृषि की उपेक्षा की जाएगी।
- प्राकृतिक संसाधनों(जैसे भूमि,जल,ऊर्जा) का दोहन होगा।
- व्यापारियों का नुकसान होगा।
- प्रदूषण में इजाफा होगा।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम की बाधाएं
- Make In India प्रोग्राम को बेहतर ढ़ंग से चलाने के लिए मौजूदा भारतीय सिस्टम के हिसाब से कई सारी बाधाएं हैं ।और कई सारे कानूनों में सुधार की जरूरत है ।इस देश के “श्रम कानून” के कुछ नियम मेक इन इंडिया प्रोग्राम में सहायक नहीं है।
- आसान व्यापार करने के सूचकांक में भारत अभी भी नीचले पायदान पर है।
- भारत का बुनियादी ढांचा खराब है।तथा परिवहन व्यवस्था में भी सुधार करने की जरूरत है।यहां पर रेल व सड़क यातायात या तो अपर्याप्त हैं या इनकी हालत भी ठीक नहीं है।बंदरगाह भी पर्याप्त नहीं है ।माल ट्रांसपोर्ट के लिए जरूरी सुविधाओं का बहुत अच्छा इंतजाम नहीं है ।और निवेशकों के लिए यह सबसे बड़ी चिंता का विषय हो सकता है
- राज्य और केंद्र सरकारों में आपसी तालमेल की भी कमी है।
- सरकारों का नौकरशाही नजरिया तथा सरकारी तंत्र में बड़े पैमाने में फैला भ्रष्टाचार भारत में मेक इन इंडिया के रास्ते पर सबसे बड़ा रोड़ा है। भ्रष्टाचार पूरी तरह से ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है जो भारत के अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब करता है।निवेशकों का विश्वास जीतना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।
- भ्रष्टाचार के अलावा लालफीताशाही सरकारी दफ्तरों की एक जटिल समस्या है।अधिकतर निवेशक इन दफ्तरों में चक्कर काट कर अपना समय बर्बाद करना पसंद नहीं करते हैं।लिहाजा सरकार को व्यवस्थाएं को आसान, पारदर्शी बनाने तथा सिंगल विंडो सिस्टम पर जोर देना होगा।
- अगर भारत अपने “Make In India” प्रोग्राम को चीन के “Make In China” के प्रोग्राम के जैसे ही सफल बनाना चाहता है तो उसको कई सारे रास्ते अपनाने होंगे।
- भारत में वस्तुओं के निर्माण के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण वस्तु के निर्माण में काफी परेशानी होती हो सकती है।हालांकि Make In India प्रोग्राम के तहत मोदी सरकार ने इन सभी बाधाओं को दूर करने का कंपनियों को भरोसा दिया है
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम को मिली प्रतिक्रियाएं
Make In India प्रोग्राम अभियान के शुरू होते ही दुनियाभर की बड़ी-बड़ी कंपनियों से भारत को अनेक प्रतिक्रियाएं मिली शुरू हो गई थी और भारत सरकार को सबसे ज्यादा प्रस्ताव इलेक्ट्रोनिक्स कंपनियों की तरफ से मिले।जो भारत में ह़ी अपनी यूनिट लगाकर यही सामान बनाना चाहती हैं।
इलेक्ट्रोनिक्स सामान की दिनोंदिन बढ़ती मांग को देखते हुए प्रधानमन्त्री भी यही चाहते हैं कि भारत 2020 तक “इलेक्ट्रोनिक्स हब” बन जाय। और 2022 तक भारत इलेक्ट्रोनिक्स के सामान का आयत बिलकुल बन्द कर दे। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को तो जबरदस्त फायदा होगा ह़ी। साथ ह़ी साथ हमें इन बस्तुओ के लिए दूसरे देशों के भरोसे नही रहना पड़ेगा।
- भारतीय विदेशी निवेश को FDI द्वारा 2015 में लगभग 63 विलियन डालर मिले थे।
- जनवरी 2015 में स्पाइस समूह ने 5 अरब के निवेश के साथ उत्तर प्रदेश में एक मोबाइल फोन की इकाई शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से समझौता किया।
- जनवरी 2015 में ही सैमसंग के दक्षिण एशियाई CEO ने भारत के उद्योग मंत्री कलराज मिश्र के साथ एक समझौते के तहत “एमएसएमई (MSME) सैमसंग तकनीकी स्कूल” खोलने की भी पेशकश की तथा साथ ही साथ एक सैमसंग जेड वन(Z1) का संयंत्र नोएडा में भी लगाने का भी प्रस्ताव रखा।
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- फरवरी 2015 में बेगलूरु में एक नया अनुसंधान एवं विकास परिसर (R&D) खोला गया जिसमें अमेरिका ने $170 मिलियन का निवेश किया।
- इसी के साथ फरवरी 2015 में श्यओमी (Xiaomi) ने स्मार्टफोन की एक यूनिट भारत के आंध्र प्रदेश में खोलने के लिए आंध्र सरकार से बातचीत शुरू की।
- अगस्त 2015 में श्रीपेरंबदूर में लेनोवो और मोटोरोला ने अपना एक संयंत्र शुरू किया।
- माइक्रोमैक्स ने भी 3 अरब की लागत से राजस्थान, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अपनी तीन नई इकाइयों को शुरू करने का प्रस्ताव दिया था।
- जून 2015 में फ्रांस की एलएच (LH) विमानन कंपनी ने भारत में ड्रोन के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
- दिसम्बर 2015 में VIVO ने स्मार्टफोन की एक यूनिट नोएडा में शुरू की जिसमें निर्माण कार्य भी आरभ्भ हो गया हैं।
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Make In India का उद्देश्य ही यह है कि भारत में सभी बस्तुओ का निर्माण हो।ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेशक या विदेशी कंपनियां भारत में आकर भारत में ह़ी वस्तुओं का निर्माण करें ताकि भारतीयों के लिए रोजगार आसानी से उपलब्ध हो तथा महंगाई दर में भी काबू पाया जा सकेगा।
हमारे देश में सामान अत्यधिक मात्रा में आयात किया जाता है जिससे आयात पर लगने वाला टैक्स लग कर वस्तु काफी महंगी हो जाती है ।अभी भारत में सिर्फ 15 %ही उत्पादों का निर्माण किया जाता है।लेकिन Make In India प्रोग्राम में इसका लक्ष्य 25% तक बढ़ाने का रखा गया है।अगर भारत यह लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो यकीनन सामान बहुत सस्ता हो जाएगा।
Make In India प्रोग्राम की सफलता ही आने वाले सुनहरे भारत की तकदीर लिखेगी,गरीबी कम होगी ,देश को आर्थिक मजबूती मिलेगी।जब भारत में बनाने वाले हर समान पर ” मेड इन इंडिया (Made in India )” की मुहर लगी होगी और सामान की गुणवत्ता उच्च कोटि की होगी तो भारत के लोगों व भारतीय समान पर दुनिया की विश्वसनीयता निश्चित रूप से बढ़ेगी।
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