Hindi Motivational Stories For Kids : हिन्दी कहानियों
Hindi Motivational Stories For Kids
बच्चों के लिए हिन्दी कहानियों
कहानी -1
लालच का फल
हल्द्वानी एक छोटा सा शहर था। उसी शहर में गणेश मिठाईवाले की एक बड़ी प्रसिद्ध दुकान थी । वह बहुत ही स्वादिष्ट बाल मिठाई बनाया करता था। धीरे-धीरे गणेश मिठाईवाले की कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई।
अधिकतर लोग गणेश की दुकान से मिठाइयां खरीदने लगे ।आमदनी बढ़ते ही मिठाई वाले का दिमाग सातवें आसमान में पहुंच गया। ज्यादा मुनाफा पाने के चक्कर में अब वह नापतोल में भी गड़बड़ करने लगा ।
एक दिन एक चतुर ग्राहक उसकी दुकान पर आया। उसने मिठाई वाले से मिठाई मांगीं। गणेश मिठाई तोलते वक्त उसमें भी हाथ की सफाई दिखाने लगा। लेकिन ग्राहक चतुर था। उसने तुरंत बोला “जरा ठीक से तोलो भाई ।मिठाई की तोल में गड़बड़ी दिखाई देती है”।
गणेश बोला “सेठजी चिंता की क्या बात है।अगर तोल में थोड़ा गड़बड़ भी हो गई तो कोई बात नहीं ।आपको थोड़ा वजन कम उठाना पड़ेगा। जिससे आपको तकलीफ भी कम होगी”।
गणेश की बात सुनकर ग्राहक ने उसकी अक्ल ठिकाने लगाने का निश्चय किया। उसने गणेश से मिठाई का डिब्बा ले लिया ।लेकिन रुपए देते वक्त उसने दाम से कुछ कम रुपए गणेश के हाथ में थमा दिए ।
गणेश ने उन रुपयों को गिना तो उसने पाया कि रुपए मिठाई के दाम से कुछ कम है। उसने ग्राहक की तरफ देखा । इस पर ग्राहक ने गणेश से कहा “हां , मैंने जानबूझकर तुमको रुपए कुछ कम दिए हैं ताकि तुम्हें रुपए गिनने में कम परेशानी हो ।
जिस तरह तुमने मेरा भला सोचा कि मुझे मिठाई के डिब्बे का वजन उठाने में कम तकलीफ हो।उसी तरह मैंने भी तुम्हारी तकलीफ को कुछ कम करने का सोचा ।इसीलिए पैसे कम दिए”।
यह कह कर ग्राहक जोर-जोर से हंसने लगा।उस वक्त तक वहां पर कई लोग जमा हो गए। तब ग्राहक ने लोगों को सारी घटना सुनाई। घटना सुनते ही वहां पर उपस्थित सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे।
लेकिन मिठाई वाले को तो काटो तो खून नहीं ।उसे अपने ही चालाकी भारी पड़ गई । लेकिन ग्राहक वहां से मुस्कुराता हुआ चला गया।इसके बाद कभी भी गणेश ने मिठाई की तोल में गड़बड़ ना करने का फैसला कर लिया।
Moral Of The Story
लालच का फल हमेशा ही बुरा होता हैं। इसीलिए हमें सदैव लालच से बचना चाहिए।
कहानी – 2
विश्वासघात का फल
एक दिन चार चोरों ने किसी बड़े व्यापारी के घर में चोरी करने की योजना बनाई । और वह अपने नगर के एक बड़े सेठ के यहां चोरी करने पहुंचे। चूंकि उस दिन सेठ नगर से बाहर था। इसीलिए चारों चोरों ने आराम से सेठ की पूरी कमाई में हाथ साफ कर दिया। और वह सारा धन लेकर जंगल की तरफ चले गए।
चारों चोरों ने जंगल में ही रात बिताने का निश्चय किया । क्योंकि सुबह से सब ही भूखे थे। इसीलिए सब ने मिलकर तय किया कि पहले वह कुछ खा पी लेंगे उसके बाद ही धन का बंटवारा करेंगे। पास में ही एक शहर था। जहां खाने-पीने का सामान आराम से मिल सकता था ।अब चारों चोरों ने निश्चय किया कि उनमें से दो लोग शहर जाकर खाना लेकर आएंगे और शेष दो लोग वहीं पर रह कर लुटे हुए माल और रूपए पैसे की देखभाल करेंगे।
दो चोर जो शहर में खाना लेने जा रहे थे ।अचानक ही उनकी नियत बिगड़ गई और उनके मन में यह ख्याल आया कि अगर हम सामान की देखभाल करने वाले दोनों चोरों को मार दें । तो हम दोनों लूटे गए माल को आधा-आधा आपस में बांट सकते हैं।
और वो सामान की रखवाली करने वाले अपने ही दो दोस्तों को मारने की योजना बनाने लगे। लेकिन यही ख्याल सामान की देखभाल करने वाले दोनों चोरों के मन में भी आया। अत: उन्होंने भी एक योजना बनाई। खाना खरीदने गए दोनों चोरों ने खाना खरीदने के बाद उसमें जहर मिला दिया और वो अपनी योजना के मुताबिक अपने दोस्तों के पास वापस आ गए।
इधर सामान के पास बैठे दोनों दोस्तों की भी योजना तैयार थी ।उन्होंने खाना लेकर आए अपने दोनों दोस्तों का बड़े प्यार से स्वागत किया और उन्हें कुएं पर चलकर हाथ मुंह धोने को कहा। जब दोनों चोर कुएं में जाकर हाथ मुंह धोने लगे तो दूसरे दो चोरों ने उन्हें जोर से धक्का मार दिया ।जिसकी वजह से वो कुएं में गिर पड़े और उनकी तत्काल मृत्यु हो गई ।
इसके बाद बचे दोनों चोर खुशी-खुशी अपने सामान के पास वापस आए और जोरों से भूख लगे होने के कारण उन्होंने खाना खाने के बाद लूटे हुए सामान को आपस में बांटने का फैसला किया। लेकिन खाने में तो जहर मिला हुआ था। इसीलिए जैसे ही उन दो चोरों ने खाना खाया ।जहर उनके पूरे शरीर में फैल गया और वो दोनों भी तड़प तड़प कर मर गए। इस तरह चारों चोरों का अन्त हो गया।
Moral Of The Story
अपने दोस्तों व परिजनों से कभी भी विश्वासघात नही करना चाहिए। विश्वासघात का नतीजा हमेशा बुरा ही होता हैं।
कहानी -3
सुंदरता का अभिमान
एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था । एक दिन वह एक तालाब किनारे पानी पीने पहुंचा । उस दिन तालाब का पानी एकदम साफ था ।इसीलिए बारहसिंगे को अपना प्रतिबिंब तालाब में साफ साफ दिखाई दे रहा था। इतने में उसे अपने टेढ़े मेढ़े सींग उस तालाब के पानी में प्रतिबिंब के रूप में दिखाई दिए ।जो बहुत सुंदर लग रहे थे।
अब वह मन ही मन अपने सींगों को देखकर बहुत खुश हुआ। लेकिन अचानक उसकी नजर अपने दुबले पतले व लंबे टांगों पर पड़ी तो उसे बहुत बुरा लगा। उसने सोचा कि यही दुबली पतली टांगें मेरे पूरे शरीर की सुंदरता को खराब कर रही हैं ।काश यह नहीं होती तो मैं कितना सुंदर होता।
अभी यह सोच ही रहा था कि उसे सामने से एक शेर आता हुआ दिखाई दिया ।मौत को सामने से आता हुआ देख वह भाग खड़ा हुआ। और उन्हीं दुबली पतली टांगों की बदौलत वह काफी दूर निकल गया। लेकिन शेर भी उसका पीछा करता रहा। जब वह अपनी जान बचाने की जुगत में भाग रहा था। तभी एक झाड़ी में उसके आड़े तिरछे सींग फंस गए ।उसने काफी कोशिश की लेकिन वह अपने सीगों को झाड़ी से नहीं निकाल पाया ।
इतनी देर में शेर उसका पीछा करते करते उसके बेहद करीब आ पहुंचा ।लेकिन अपने लगातार प्रयास से जैसे तैसे उसने अपने टेढ़े मेढ़े सींगों को उस झाड़ी से निकाल कर भागने में कामयाब हो गया। और शेर से काफी दूर निकल गया ।उस दिन उसकी जान जैसे तैसे बच गई । अब तक उसे समझ में आ गया कि आज इन बदसूरत सी दिखने वाली टांगों की वजह से ही वह बच गया। और उसका अभिमान चूर चूर हो गया।
Moral Of The Story
सुंदर दिखने वाली चीज अच्छी ही हो , यह जरूरी नहीं है ।इसीलिए अपनी सुंदरता पर कभी अभिमान नहीं करना चाहिए।
कहानी -4
मेहनत पर विश्वास
एक गांव में एक जमींदार रहा करता था। उसके पास बहुत सारी जमीन और कई सारे नौकर चाकर थे । उसके पास खेती भी कम न थी । इसीलिए कई नौकर खेती में काम पर लगे हुए थे । फिर भी उसे लगातार खेती में घाटा हो रहा था। दिन प्रतिदिन उसकी खेती से आमदनी घट रही थी ।इसीलिए वह जमींदार बहुत चिंतित रहता था।
एक दिन जमींदार का एक मित्र उससे मिलने आया ।भोजन करने के बाद दोनों मित्र आपस में पुराने दिन याद करने लगे।जमींदार को चिंता में देखकर मित्र ने उससे पूछा “भाई तुम क्यों इतने चिंतित हो। क्या बात है मुझे बताओ”। जमींदार ने कहा कि “मेरे पास बहुत जमीन है।और कई नौकर चाकर है ।फिर भी मेरी आमदनी लगातार घटती जा रही है। इसी बात से मैं चिंतित हूं”।
जमींदार ने मित्र से कहा “मित्र अब से हर रोज सुबह शाम खेत में जाया करो। तुम्हारी आमदनी अवश्य बढ़ जाएगी “।जमींदार को थोडा आश्चर्य तो हुआ ।उसने फिर भी अपने मित्र की सलाह मानी। दूसरे दिन वह सुबह सवेरे ही खेत पर पहुंचा ।उसने देखा कि कुछ नौकर खेत से गायब है और कुछ खेत में बैठकर गप्पें मार रहे हैं। खेत से कई सामान भी गायब है। यह देखकर सारी बात जमींदार की समझ में आ गई ।
अब जमींदार हर रोज सुबह शाम खेतों पर जाने लगा।अपने सामने ही नौकरों से काम करवाने लगा और खुद भी नौकरों के साथ साथ काम करने लगा । खुद जमींदार को अपने साथ काम करते देख सभी नौकर भी काम करने लगे ।अब सब काम जल्दी जल्दी होने लगा। थोड़े समय में ज्यादा काम होने लगा और आमदनी भी बढ़ने लगी।
Moral Of The Story
अपना काम सदैव खुद करना चाहिए।अपना काम किसी और के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
कहानी – 5
उपकार
पुराने समय की बात है। एक राजा बहुत ही निर्दयी था। उसके यहां अनेेक गुलाम थे और वह अपने गुलामों के साथ बुरा व्यवहार करता था ।एक बार एक गुलाम ने चोरी से एक फल खा लिया ।गुलाम अभी छोटा सा लड़का ही था। लेकिन राजा ने उसे कठोर दंड देने का निश्चय किया ।दंड के भय से वह गुलाम जंगल में भाग गया ।
वह जंगल में एक झाड़ी के नीचे छुप कर बैठ गया ।झाड़ी में बैठे बैठे गुलाम लड़के ने एक शेर के कराहने की आवाज सुनी ।लड़का झाड़ी से निकलकर शेर के पास आया। उसे लगा कि शेर के पैर में कुछ तकलीफ है ।उसने शेर का बाया पंजा उठाकर।तो देखा उसमें एक बहुत बड़ा कांटा घुस गया था।
लड़के ने धीरे से शेर के पैर से वह कांटा निकाल दिया । जिस से शेर का दर्द दूर हो गया।इसके बाद उस शेर और लड़के की मित्रता होगी । इसी बीच गुलाम लड़के को राजा के सिपाहीयों ने जंगल में देख लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया। सिपाही उसे राजा के सामने ले गए। राजा ने लड़के को सजा सुनाते हुए कहा “इसे भूखे शेर के सामने डाल दिया जाए” ।जंगल से शेर को पकड़ कर लाया गया ।उसे कई दिन तक भूखा रखा गया।
इसके बाद उस लड़के को भूखे शेर के आगे डाल दिया। लेकिन शेर उसको मारने के बजाय उसके पैरों को प्यार से चाटने लगा। यह देख कर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ ।उसने लड़के से इस बारे में पूछा तो लड़के ने सारी घटना राजा को बता दी। तब राजा की समझ में आया कि जब जंगल का इतना खूंखार राजा भी उस लड़के को क्षमा कर सकता है तो मैं क्यों नहीं। अब उस राजा ने उस लड़के को क्षमादान दिया और उसके साथ साथ कई और गुलामों को भी आजाद कर दिया।
Moral Of The Story
जब एक जानवर भी अपने साथ किए गए दया व उपकार को याद रख सकता है ।तो हम मानव होकर किसी द्वारा अपने पर किये हुए उपकार को क्यों भूल जाते हैं।
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