Akshron Ka Mahatva Class 6 Summary ,
Akshron Ka Mahatva Class 6 Summary
अक्षरों का महत्व कक्षा 6 सारांश
“अक्षरों की कहानी” पाठ के लेखक गुणाकर मुले जी हैं। गुणाकर मुले जी कहते हैं कि यह किताब अक्षरों से बनी हैं और दुनिया की सारी किताबें अलग -अलग तरह के अक्षरों से ही बनी होती हैं। दुनिया में अब तक करोड़ों किताबें छप चुकी हैं और अभी भी हर रोज नई -नई किताबें व समाचार पत्र छप रहे हैं पर हर किताब के मूल में अक्षर ही होते हैं यानि हर किताब अलग -अलग तरह के अक्षरों से ही मिलकर बनी होती हैं।
अक्षरों के माध्यम से ही हम अपने विचारों का आदान – प्रदान करते हैं । आज यह कल्पना करना भी मुश्किल हैं कि बिना अक्षरों के ये दुनिया कैसी होती यानि हम अपनी भावनाओं को कैसे एक – दूसरे से व्यक्त करते। हमारे पूर्वज सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की हैं पर यह सच नही हैं। अक्षरों की खोज मनुष्य ने ही की हैं।
हमारी ये धरती लगभग पांच अरब साल पुरानी हैं। हालाँकि दो -तीन अरब साल तक हमारी इस धरती में कोई जीवन नही था यानि कोई जीव -जंतु , पेड़ पौधे या इन्सान नही थे। फिर धीरे -धीरे इस धरती पर जानवरों व बनस्पतियों ने जन्म लिया और उन्होंने करोड़ों साल तक इस धरती पर राज किया।
इंसान तो इस धरती पर महज पांच लाख साल पहले आया और धीरे -धीरे उसका विकास हुआ। दस हजार साल पहले ही इंसान ने गांव बसाने शुरू किये । पत्थरों के औजार बनाकर उनसे खेती करनी शुरू की । फिर धीरे – धीरे उसने तांबे व काँसे के भी औजार बनाये।
प्रागैतिहासिक (प्रागैतिहासिक काल यानि इतिहास लिखने से पहले का युग क्योंकि इतिहास लिखने की शुरुवात बहुत बाद में हुई) काल में इन्सान अपनी भावनाओं को अनेक चित्रों जैसे पशुओं , पक्षियों , इन्सान आदि के माध्यम से व्यक्त करता था। अक्षरों की खोज तो आज से महज छः हजार (Six Thousand ) साल पहले हुई। इसके साथ ही एक नये युग की शुरुवात हुई।
अक्षरों की खोज करने के बाद इन्सान अपने विचार व हिसाब -किताब को लिख कर रखने लगा और तभी से मानव को “सभ्य” कहा जाने लगा। इन्सान ने जबसे लिखना शुरू किया तभी से इतिहास का आरम्भ हुआ। किसी भी देश या कौम का इतिहास तबसे ही शुरू होता हैं जबसे उस देश या कौम के आदमियों के लिखे लेख मिलने शुरू होते हैं। इस प्रकार इतिहास को शुरू हुए मुश्किल से छः हजार साल ही हुए हैं। इससे पहले के समय को “प्रागैतिहासिक काल” कहते हैं।
अगर इन्सान अक्षरों की खोज न करता तो आज हम अपने इतिहास को न जान पाते। अपने पूर्वजों की जीवन शैली , उनके ज्ञान व अपनी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति से परचित न हो पाते।
अत: हम यह कह सकते हैं कि अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज हैं।
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