End Of Article 370 , Temporary Article 370 and 35 A gone।What changes will be in Jammu and Kashmir after the end of article 370 ( abolishment of article 370) , जम्मू कश्मीर में धारा 370 व 35 A खत्म होने के बाद क्या क्या बदलाव होगें।, कैसे हटी जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 A ?
End Of Article 370 And 35 A
धारा 370 व 35 A खत्म ( End of Article 370 And 35 A )।साथ ही दो विधान, दो प्रधान, दो निशान भी खत्म।अब जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक शान से लहरायेगा तिरंगा और पूरे देश में चलेगा एक ही कानून।
5 अगस्त 2019 का दिन भारत के इतिहास में शानदार तरीके से लिखा जाएगा।क्योंकि इस दिन केंद्र की सरकार ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 व 35 A को खत्म करने का अभूतपूर्व व ऐतिहासिक निर्णय लिया।धारा 370 व 35 A ( Article 370 And 35 A ) ही जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देती थी।
हालांकि धारा 370 के भाग (1) को नहीं हटाया गया है।केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही जम्मू-कश्मीर अब दो राज्यों में बंट गया है जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
क्या थी जम्मू कश्मीर में लगाई गई धारा 370 व 35 A …जानिए
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में पेश किए दो ऐतिहासिक संकल्प पत्र
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को राज्य सभा में दो ऐतिहासिक संकल्प पेश किए।जो जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 A ( End of Article 370 And 35 A ) जम्मू कश्मीर से खत्म और जम्मू कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने के लिए थे।गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार “संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे”।
अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि “महोदय मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाने वाली निम्नलिखित अधिसूचनाओं की सिफारिश करता है।
संविधान के अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद 370(1)के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड (3) द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि यह दिनांक जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गैजैट में प्रकाशित किया जाएगा।उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे सिवाय एक खंड के”।
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कैसे हटी धारा 370 व 35A ( What was the process to end of Article 370 And 35 A )
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद से देश को बताया कि “देश के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 के भाग (3) के तहत अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार है।देश के राष्ट्रपति को 370 के भाग (3) के तहत पब्लिक नोटिफिकेशन से धारा 370 को सीज करने का अधिकार है।
5 अगस्त 2019 की सुबह राष्ट्रपति महोदय ने एक नोटिफिकेशन निकाला जो उनका एक संवैधानिक आदेश है। जिसमें उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की संविधान सभा का मतलब है जम्मू कश्मीर की विधानसभा।
क्योंकि संविधान सभा तो है नहीं, क्योंकि वह समाप्त हो चुकी है।इसीलिए संविधान सभा के सभी अधिकार अब जम्मू कश्मीर विधानसभा में निहित होते हैं।लेकिन वहां राज्यपाल शासन है इसलिए जम्मू कश्मीर असेंबली के सारे अधिकार देश की संसद में निहित हैं।और राष्ट्रपति के इस आदेश को हम साधारण बहुमत से पारित कर सकते हैं”।
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राष्ट्रपति की अधिसूचना में जम्मू कश्मीर में जो संविधान सभा थी।उसका नाम विधानसभा कर दिया गया था।पहले उसका नाम संविधान सभा इसलिए था क्योंकि भारत की संसद की तरह ही वह जम्मू कश्मीर के कई संवैधानिक निर्णय करती थी”।
जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक बिल 2019
धारा 370 व 35A ( End of Article 370 And 35 A ) खत्म करने के प्रस्ताव के साथ ही जम्मू कश्मीर का राज्य पुनर्गठन विधेयक बिल 2019 को भी राज्यसभा में पेश किया गया।जिसके तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर अब स्वयं एक केंद्र शासित राज्य बन गया है जिसके पास अपनी एक विधानसभा होगी और लद्दाख एक अलग केंद्र शासित राज्य बन गया है जिसके पास अपनी विधानसभा नहीं होगी।
जम्मू कश्मीर दिल्ली और पांडिचेरी की तरह एक केंद्र शासित प्रदेश होगा।जहाँ लद्दाख चंडीगढ़ जैसा केंद्र शासित राज्य होगा जिसकी अपनी विधानसभा नहीं होगी।लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिया जाए।ताकि यहां रहने वाले लोग विकास की मुख्यधारा में शामिल हो।
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धारा 370 तीन भागों में है विभाजित
धारा 370 व 35A ( Article 370 And 35 A ) को तीन भागों में बांटा गया था।जिसमें सिर्फ दो भागों (भाग 2 और भाग 3) को हटाया गया है।जबकि (भाग 1) सुरक्षित है।धारा 370 के (भाग 1) में यह प्रावधान है कि जम्मू कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति के आदेश से संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू-कश्मीर पर लागू किया जा सकता है।
यही भाग बताता है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।संविधान द्वारा दी गई इन्हीं शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति के आदेश से धारा 370 की तमाम धाराओं को खत्म किया गया है।इस आदेश का नाम “संविधान(जम्मू-कश्मीर पर लागू )आदेश 2019 है।
पहले भी हुए है अनुच्छेद 370 व 35 A में संशोधन
अनुच्छेद 370 में पहले भी संशोधन हुये है।कांग्रेस की सरकार द्वारा 1952 और 1962 में अनुच्छेद 370 में संशोधन किये गये थे।
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कश्मीर में थी गलत धारणा
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में यह गलत धारणा है कि अनुच्छेद 370 व 35A की वजह से कश्मीर भारत के साथ है।दरअसल कश्मीर भारत में विलय पत्र की वजह से है जिस पर 1947 में हस्ताक्षर किये गये थे।
जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक-2019 संसद के दोनों सदनों में पास
बिल को बड़ी ही राजनीतिक रणनीति के तहत पहले राज्यसभा में पेश किया गया क्योंकि लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।जबकि राज्यसभा में सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं था।जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 को संसद के दोनों सदनों में पारित कर दिया है।
5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 मत और विपक्ष में सिर्फ 61 मत पड़े।जबकि 6 अगस्त 2019 को लोकसभा में जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल के पक्ष में 370 मत और विपक्ष में सिर्फ 70 वोट पड़े।इस बिल के दोनों सदनों में पास होने और बिल में राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह बिल कानून बन जायेगा। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर दो भागों में बंट जाएगा।
यह एक सामान्य प्रक्रिया है जैसे उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड एक अलग राज्य बना था। बिहार से अलग होकर झारखंड और मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ एक राज्य बना था।
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हालत सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर को मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा
लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि “जहां तक केंद्र शासित राज्य का सवाल है तो मैं देश और मुख्य रूप से घाटी के लोगों को विश्वास दिलाता हूं। कि स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।
लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश
धारा 370 व 35 A खत्म ( End of Article 370 And 35 A ) होने के बाद लद्दाख अलग से केंद्र शासित प्रदेश होगा।जम्मू कश्मीर से लद्दाख का क्षेत्रफल ज्यादा है लेकिन वहां आबादी कम है।राज्य से राज्यपाल का पद खत्म हो जाएगा।उपराज्यपाल राज्य की क़ानून व्यवस्था देखेगें और राज्य की पुलिस अब सीधे केंद्र के अधीन होगी।
क्या जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी
दिल्ली और पांडिचेरी में अपनी अपनी विधानसभायें है और ये दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं।इसी तरह जम्मू-कश्मीर में भी एक विधानसभा होगी यानी कि जम्मू कश्मीर में भी चुनाव होंगे जिसमें विधायक निर्वाचित होंगे और मुख्यमंत्री चुना जाएगा।लेकिन राज्य की पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन होगी और उपराज्यपाल की सलाह पर ही राज्य सरकार का कोई भी निर्णय लागू होगा।
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उपराज्यपाल की होगी नियुक्ति
धारा 370 व 35 A खत्म ( End of Article 370 And 35 A ) होने के बाद केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल नियुक्त करेगी।केंद्र सरकार उपराज्यपाल के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति से करेगी।जिसके बाद अनुमोदित नाम पर राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे।फिलहाल राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक हैं।राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवाओं और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के पास होगा।
जम्मू कश्मीर में राज्य सरकार के पास अब सामान्य प्रशासनिक सेवाओं के अलावा ज्यादा कुछ नहीं रहेगा।सुरक्षा से जुड़े सभी निर्णय उपराज्यपाल केंद्र के निर्देशों के मुताबिक लेंगे।राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी अब तक मुख्यमंत्री की होती है थी।लेकिन अब वह सीधे सीधे केंद्र के अधीन रहेगी।गृहमंत्री प्रदेश में अपने प्रतिनिधि उपराज्यपाल के जरिए कानून व्यवस्था संभालेंगे।
जम्मू कश्मीर में होंगे 20 जिले, लद्दाख में सिर्फ 2 जिले
अभी तक पूरे जम्मू कश्मीर में 22 जिले थे।लेकिन दो राज्य बनने के बाद अब जम्मू कश्मीर में 20 जिले और लद्दाख में 2 जिले होंगे।
जम्मू कश्मीर में 20 जिले इस प्रकार हैं
अनंतनाग ,बांदीपोरा ,बारामुला ,बड़गाम ,डोडा, गांदरबल, जम्मू, कठुआ, किश्तवाड़ , कुलगाम ,पुंछ ,कुपवाड़ा ,पुलवामा ,रामबन ,रियासी ,राजौरी ,सांबा, शोपियां ,श्रीनगर, उधमपुर।
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लद्दाख में
वहीं लद्दाख में सिर्फ 2 जिले होंगे लेह और कारगिल।
धारा 370 व 35A के खत्म होने के बाद क्या क्या बदलाव आयेगा जम्मू कश्मीर में
(What changes will be in Jammu and Kashmir after the end of article 370)
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था।लेकिन धारा 370 व 35 A ( End of Article 370 And 35 A ) के खत्म होते ही विशेष राज्य का दर्जा खुद ही खत्म हो जायेगा।यानी अब जम्मू कश्मीर के नागरिकों को भी वही सारे अधिकार मिलेंगे जो देश के दूसरे राज्यों के नागरिकों को मिलते हैं।
- भारतीय संविधान की धारा 360 ( Article 370 ) जिसमें देश में आर्थिक आपातकाल लगाने का प्रावधान है।यह धारा, धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती थी।लेकिन जम्मू कश्मीर में अब आर्थिक आपातकाल लागू हो सकेगा।
- अब तक केवल स्थानी नागरिक का दर्जा प्राप्त कश्मीरी ही राज्य में जमीन खरीद-फरोख्त कर सकते थे।शहरी भूमि क़ानून 1976 भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।देश के दूसरे राज्यों के निवासी भी अब जम्मू कश्मीर में संपत्ति खरीद सकेंगे।
- धारा 370 ( Article 370) के तहत संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा,विदेश और संचार के विषय में कानून बनाने का ही सीमित अधिकार था।अलग विषयों पर कानून लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती थी।लेकिन अब केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया हर कानून राज्य में प्रभावी होगा।
- जम्मू कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं होगी।पहले वहां दोहरी नागरिकता थी एक भारत की तथा दूसरा कश्मीर की।
- संसद में पास कानून जम्मू कश्मीर में तुरंत लागू नहीं होते थे।शिक्षा का अधिकार,सूचना का अधिकार,सीएजी ,मनी लॉन्ड्रिंग ,देश विरोधी कानून, कालाधन विरोधी कानून, भ्रष्टाचार विरोधी कानून कश्मीर में लागू नहीं होते थे।लेकिन अब ये सब पूर्ण रूप से लागू होंगे।
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- जम्मू कश्मीर में देश का कोई भी नागरिक अब नौकरी हासिल कर सकेगा।
- जम्मू कश्मीर का अपना अलग संविधान नहीं होगा।
- अब वहां की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल के बजाय 5 साल का ही होगा।
- जम्मू कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा।वहां भी तिरंगा झंडा ही फहराया जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान दंडनीय अपराध होगा।जिस पर सजा का प्रावधान होगा।अभी तक राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान यहां अपराध नहीं माना जाता था।
- संसद और केंद्र सरकार फैसला करेगी कि धारा 370 खत्म (End of Article 370 And 35 A )होने के बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं राज्य में लागू होंगी या स्थानीय पीनल कोड (RPC)लागू रहेगा।
- जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 फ़ीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा।
- राष्ट्रपति के पास राज्य की सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार भी नहीं था।इसीलिए वहां राष्ट्रपति शासन के बजाय राज्यपाल शासन लगता था।अब वहां भी राष्ट्रपति शासन लग सकेगा।
- राजनीति कारणों की वजह से जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जाति,जनजाति के प्रतिनिधियों को प्रतिनिधित्व से भी रोका गया।उनकी आबादी के अनुपात में सीटों की संख्या 2031 तक बढ़ाने में रोक लगा दी गई।जबकि प्रदेश में 15% जनजातियां हैं।उन्हें भी राजनीतिक आरक्षण नहीं मिला। इसकी वजह से उन्हें आज भी सामाजिक न्याय और अवसरों की समानता हासिल नहीं हो पाई है।अब यह सब सम्भव हो सकेगा।
- अगर कोई कश्मीरी महिला कश्मीर से बाहर देश के किसी और राज्य के व्यक्ति से शादी करती थी तो वह कश्मीरी होने का दर्जा, जायजात में हक और अन्य अधिकारों से हाथ धो बैठती थी।यहां तक कि उसके बच्चों को भी कश्मीरी होने का अधिकार नहीं मिलेता था।लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।महिलाओं और बेटियों को सारे अधिकार मिलेगें।
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धारा 370 व 35 A के खत्म होने से फायदा (Benefits after the end of article 370 in Jammu and Kashmir)
- दूसरे राज्यों के रहने वाले लोगों के लिए जम्मू कश्मीर में बसने और व्यापार करने की राह खुल गई है।खासतौर पर होटल इंडस्ट्री में बड़ा उछाल आएगा।उद्योग और कारोबार बढ़ने से आतंकवाद में कमी आएगी।
- आम लोग मुख्यधारा से जुड़ेंगे।आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को मदद नहीं मिलेगी।
- संसद के कई संवैधानिक फैसले जो पहले जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे।अब पूरे देश के अन्य राज्यों की तरह यहां भी लागू होंगे।
- सरकार के विधि फैसले जो अब तक लागू नहीं होते थे वह अब जम्मू कश्मीर में भी लागू होंगे।
- राज्य की महिला के बाहरी व्यक्ति से शादी करने पर भी जायजात का हक रहेगा।महिलाओं पर लागू स्थानीय पर्सनल कानून बेअसर हो जाएंगे।
- सरकार इस पर भी निर्णय लेगी कि पहले से लागू स्थानीय पंचायत कानून लागू रहेंगे या उन्हें बदला जाएगा।
- संसद की ओर से बनाए गए कानून अब प्रदेश की विधानसभा की मंजूरी के बिना लागू होंगे।सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन करना जरूरी होगा।
- कश्मीर से लद्दाख अलग होने में वहां विकास कार्यों में तेजी आएगी।
- 370 हटने के बाद शिकारा ,हाउसबोट जैसे उद्योगों को नया जीवन दान मिलेगा।कश्मीर में व्यापार और उद्योग के लिहाज से बाहरी निवेश बढ़ेगा।
- उद्योग और व्यापार बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा जिससे उन्हें दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा।
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- कश्मीरी भेड़ों से पश्मीना ऊन निकला जाता है जो अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था काफी हद तक हस्तकला उद्योग पर निर्भर है।और हस्तकला उद्योग से काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
- रेशम पालन भी कश्मीर में बहुत अधिक प्रचलित है।जो कई तरह के हस्तकला उद्योगों में काम आता है।इन से तरह-तरह के कपड़े बनाए जाते हैं।
- जम्मू कश्मीर के लोग मुख्यतः कृषि और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हैं।यहां पर कृषि में परंपरागत साधनों का ही उपयोग किया जाता है।
- कश्मीरी लोग मुख्य रूप से चावल ,मक्का ,गेहूं ,जौ, दालें ,तिलहन,तंबाकू आदि का उत्पादन करते हैं।लेकिन केसर के लिए कश्मीर की घाटी पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्ध है।
- इसके अलावा कश्मीरी सेव ,नाशपाती ,बादाम ,आड़ू,अखरोट आदि प्रसिद्द हैं।अब इन सबको बेहतर बाजार मिलेंगें जिससे लोगों को आर्थिक रूप से फायदा होगा और उनके जीवन स्तर पर सुधार होगा।
- अभी तक धारा 370 के कारण दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर में व्यवसाय नहीं कर पाते थे। इसीलिए वहां व्यापार और बाजार में कोई भी प्रतिस्पर्धा नहीं थी।अब धारा 370 ( Article 370 ) के हटने से देश के अन्य भागों से लोग जम्मू कश्मीर जाएंगे।और वहां निवेश बढ़ाएंगे।
- बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का विकास होगा।जिससे बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं में भी इजाफा होगा।प्रॉपर्टी के दाम जो अभी तक बहुत कम है।वह समय के साथ और बढ़ जाएंगे।राजस्व में बढ़ोतरी से जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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धारा 370 व 35 A पर एक नजर ( Article 370 and 35 A)
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने बिलय संधि पर दस्तखत किए थे उसी समय अनुच्छेद 370 ( Article 370) की नींव पड़ गई थी।महाराजा हरि सिंह के पूर्व दीवान और पंडित नेहरू मंत्रिमंडल में बिना विभाग के कैबिनेट मंत्री गोपाल स्वामी आयंगर को अनुच्छेद 370 बनाने का काम सौंपा गया।जिन्होंने संविधान के “खंड 21” में “अस्थाई और परिवर्तनीय प्रावधानों” के अंतर्गत अनुच्छेद 370 को जोड़ा।
मूलतः अनुच्छेद 370( Article 370) के तहत रक्षा,मुद्रा तथा संचार के अलावा सब विषय जम्मू कश्मीर की स्वायत्तशासी व्यवस्था के अंदर दे दिए गए थे।इसी व्यवस्था के कारण किसी भी भारतीय को जम्मू कश्मीर की सीमा में प्रवेश करने के लिए परमिट लेना पड़ता था।जो एक तरह का वीजा ही था।
गोपाल स्वामी आयंगर ने धारा 306 A का प्रारूप पेश किया।बाद में यही धारा 370 ( Article 370 ) बनी।इस अनुच्छेद के तहत जम्मू कश्मीर को अन्य राज्यों से अलग अधिकार दिए गए।1951 में राज्य को अलग से संविधान सभा बुलाने की अनुमति दी गई।नवंबर 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ।26 जनवरी 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।
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धारा 370 ( Article 370) कैसे अस्तित्व में आया
वर्ष 1947 में आजादी के समय देश के सभी रियायतें स्वतंत्र थी भारत या पकिस्तान में विलय के लिए।उस वक्त कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर को अलग देश बनाने की घोषणा की।लेकिन पाकिस्तान ने कश्मीर में कब्जा करने के उद्देश्य से कबायली हमलावर भेजें।जिन्होनें क्षेत्रीय मुस्लिम कट्टरपंथियों से मिलकर कश्मीर में हमला किया और श्रीनगर तक पहुंच गए।
हरिसिंह भाग कर भारत आए और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से सैन्य मदद मांगी लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि “बिना विलय संधि स्वीकारे उनकी मदद नहीं कर सकते” ।तब महाराजा हरिसिंह ने भारत में बिलय संधि स्वीकार की।उसके बाद भारत ने जम्मू कश्मीर की मदद की।26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर भारत का हिस्सा बना।
लेकिन कश्मीर की मुस्लिम आबादी के रुख को देखते हुए अनुच्छेद 370 लाया गया।इसके तहत कश्मीर को अपना अलग झंडा व अलग संबिधान रखने की छूट मिली।धारा 370 व 35 A अपने जन्म के समय से ही विवादों में थी।
क्या है डिजिटल इंडिया प्रोग्राम जाने
अनुच्छेद खुद को अस्थाई बताता है।लेकिन 1956 में कश्मीर का संविधान बनने के बाद भी इस अनुच्छेद को खत्म नहीं किया गया।1957 में पहली संविधान सभा ने भी इसे बनाए रखा।इसके जरिए विधानसभा ने कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता,6 साल का कार्यकाल आदि अधिकार मिले।
35 A धारा (35 A)
यह हमारे संविधान में 1954 में जोड़ा गया।खास बात यह है कि 35A को संविधान में राष्ट्रपति के आदेश से ही जोड़ा गया था।लेकिन इस पर संसद में किसी तरह की कोई बहस नहीं हुई,और नहीं इसे संसद में पास किया गया।अनुच्छेद 35A जम्मू कश्मीर की विधानसभा को प्रदेश में “स्थाई नागरिक”की परिभाषा तय करने तथा उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार देता है।
“स्थाई नागरिक” की परिभाषा यह थी कि सिर्फ वो लोग जो कश्मीर में स्थाई रूप से रह रहे या कश्मीर में 10 वर्षों से संपत्ति खरीद कर वही रह रहे हैं।सिर्फ उन्ही लोगों को कश्मीर का नागरिक माना जाएगा।इसी धारा 35A के कारण ही कश्मीर विधानसभा ने 17 नवंबर 1956 को नया संविधान अपनाया।
अनुच्छेद 370,सन 1954 में राष्ट्रपति द्वारा लगाये जाने के समय ही अस्थाई तौर पर बनाया गया था।इसकी शुरुआत ही “अस्थाई और व्यवस्था परिवर्तन तक के लिए किए गए विशेष प्रावधान से ” की गई थी।
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना आखिरकार सच हो गया।
जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का “एक विधान,एक प्रधान,एक निशान” का सपना आखिरकार सच हो गया।1952 में जम्मू की एक विशाल रैली में डॉक्टर मुखर्जी ने जो संकल्प लिया आखिरकार वह पूर्ण हुआ।मुखर्जी ने कहा था कि “या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कर आऊंगा या अपने प्राण दे दूंगा”।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर में धारा 370 व 35 A के खिलाफ थे और इसे हटाने के लिए आजीवन प्रयास करते रहे।क्योंकि वो मानते थे कि पूरे देश में एक जैसे नियम कानून,एक ही झंडा,एक ही संविधान होना चाहिए।
उस वक्त किसी भी भारतीय को जम्मू कश्मीर की सीमा में प्रवेश करने के लिए परमिट लेना पड़ता था जो एक तरह का वीजा ही था।इसी पर व्यवस्था का विरोध करने व इसे समाप्त करने के लिए मई 1953 में उन्होंने बिना परमिट कश्मीर में प्रवेश करने का आंदोलन शुरू किया।
और वो 11 मई 1953 में माधोपुर के रास्ते से जम्मू कश्मीर में दाखिल होने का प्रयास कर रहे थे।तो लखनपुर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।और 23 जून 1953 को उनकी जम्मू कश्मीर में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी।लेकिन आज जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 A खत्म होते ही उनका सपना भी पूर्ण हुआ।
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