Green Railway In India :
Green Railway In India
भारतीय रेलवे बनेगी दुनिया की पहली ग्रीन रेलवे
देश में पहली बार सोलर बिजली से दौड़ेंगी ट्रेन , भारतीय रेलवे बनेगी दुनिया की पहली ग्रीन रेलवे।जानिए क्या हैं इसके फायदे।
ग्रीन रेलवे जीहां !!! आपने सही सुना । भारतीय रेलवे बनेगी अब दुनिया की पहली ग्रीन रेलवे । मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत पूरी तरह से अपने देश में ही निर्मित यानी स्वदेशी ट्रेन “वंदे भारत एक्सप्रेस(ट्रेन 18)” की कामयाबी के बाद भारतीय रेलवे ने एक कदम और आगे बढ़ाकर भारतीय रेलवे को दुनिया की पहली “ग्रीन रेलवे” बनाने का साहसिक निर्णय लिया।
और इस दिशा में उसने अपने कदम बढ़ा भी दिए हैं।भारतीय रेलवे अब सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा(Solar Energy and Wind Energy) के जरिए पैदा होने वाली बिजली का इस्तेमाल करेगा।इसके लिए रेलवे ने देश की सबसे बड़ी कंपनी “भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)” के साथ करार किया है।जिसके तहत भेल रेलवे के लिए 2 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करेगा।
जोन
ग्रीन रेल को रेलवे विभाग पश्चिम मध्य जोन में चलायेगा।इसतरह पश्चिम मध्य रेलवे जोन देश का पहला जोन होगा जहां सौर ऊर्जा से ट्रेन चलेगी।
निर्धारित लक्ष्य
भारतीय रेलवे ने ग्रीन रेलवे को वर्ष 2030 तक बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।रेलवे ने 2022 तक शत प्रतिशत विद्युतीकरण और 2030 तक ग्रीन रेलवे बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।रेलवे की योजना सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के जरिए अपनी जरूरतों को पूरा करना है।जो पूरी तरह से सुरक्षित और प्रदूषण रहित है।
रेलवे बोर्ड के अनुसार “भारतीय रेलवे को विश्व की पहली ग्रीन रेलवे बनाने का सपना देखा गया है ।जिसमें शत प्रतिशत वैकल्पिक ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा।इस दिशा में 2 मेगावाट के पायलट प्रोजेक्ट पर हमने बीएचईएल(BHEL) के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है”।
BHEL से करार
रेलवे ने 2 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन के लिए “भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)के करार किया है।
बिजली का उपयोग
भारतीय रेलवे सौर उत्पादित इस बिजली का प्रयोग ट्रेन के ट्रेक्शन इंजन,पंखे,एसी, लाइट्स आदि चलाने के लिए करेगा।अभी तक रेलवे में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल केवल स्टेशन में पंखे व लाइट जलाने के लिए किया जाता हैं।
BHEL की भोपाल यूनिट में बनेगी बिजली
BHEL रेलवे के लिए भोपाल के पास सुखी सेवनियां में 2 मेगावाट क्षमता वाला सौर ऊर्जा का एक प्लांट लगाएगा।इसके लिए ट्रैक किनारे की 16 एकड़ जमीन को चुना गया है। BHEL अपनी इस यूनिट में पैदा हुई बिजली को रेलवे को देगा।
2020 तक होगा बिजली का उत्पादन
BHEL की भोपाल यूनिट में जनवरी 2020 से बिजली( सौर ऊर्जा) का उत्पादन भी शुरू हो सकेगा। दरअसल BHEL इस प्रोजेक्ट में प्लांट लगाने के साथ ही साथ उसका संचालन भी करेगा।अभी तक भेल सिर्फ प्लांट ही स्थापित करता था।
रेलवे को सस्ती मिलेगी बिजली
इस प्रोजेक्ट में रेलवे BHEL से सस्ती दर पर बिजली खरीदेगा। बिजली के सस्ती होने की एक वजह यह है कि जिस भूमि पर भेल यह प्लांट लगाकर बिजली का उत्पादन करेगा वह जमीन रेलवे की है। दूसरा सौर ऊर्जा से बिजली बनाने में लागत भी कम होती है।इसीलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिजली 2 से 3 रूपये प्रति यूनिट की दर हो सकती है।
जो अभी के मुकाबले काफी सस्ती है।क्योंकि अभी रेलवे पश्चिम मध्य जोन में जिंदल और रत्नागिरी से 4.5 रुपए यूनिट की दर से बिजली खरीदता है।
डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) में सफल रहा प्रयोग
भारतीय रेलवे सौर ऊर्जा से ट्रेन चलाने का प्रयोग पहले भी कर चुकी है और यह प्रयोग बेहद सफल रहा।भारतीय रेलवे ने 2017 में “सोलर पावर सिस्टम” की तकनीक पर आधारित पहली ट्रेन दिल्ली की रेल पटरी पर चलायी थी।इस स्पेशल डीईएमयू ट्रेन में कुल 10 कोच थे जिसमें 8 पैसेंजर कोच और दो में मोटर लगी हैं।इस स्पेशल ट्रेन की 8 कोच की छतों पर 16 सोलर पैनल लगे हैं। जिससे 300 वाँट बिजली बनती है।जिससे ट्रेन की सभी लाइट,पंखे व इंफॉर्मेशन सिस्टम चलता है।
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