Most Favored Nation ,What is Most Favored Nation Status ? Its advantage and disadvantage? मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) , दर्जा प्राप्त देशों को इससे क्या फायदा होता हैं।
Most Favored Nation
14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमला किया।इस आतंकी हमले में CRPF के 44 जवान शहीद हुए।यह हमला अब तक घाटी में हुए सभी हमलों में सबसे बडा आतंकवादी हमला माना जा रहा हैं।
इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाये।जिनमें से एक पाकिस्तान से “मोस्ट फेवर्ड नेशन/Most Favored Nation” का दर्जा वापिस लेना भी शामिल था।यह कड़ा फैसला 15 फरवरी 2019 को भारत की केंद्र सरकार द्वारा लिया गया।
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क्या हैं मोस्ट फेवर्ड नेशन ?
(What is Most Favored Nation)
मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favored Nation(MFN) यानी सर्वाधिक तरजीही देश।विश्व व्यापार संगठन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों के आधार पर व्यापार में “सर्वाधिक तरजीही वाला देश” यानी “मोस्ट फेवर्ड नेशन / Most Favored Nation” का दर्जा दिया जाता है।एमएफएन का दर्जा कारोबार में दिया जाता है।इसके तहत सदस्य देशों के बीच आयात और निर्यात में विशेष छूट मिलती है।
डब्ल्यूटीओ के अनुसार मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favored Nation) का दर्जा मिलने का मतलब है कि कोई देश अगर व्यापार से जुड़ी बाधाएं कम करता है।या अपने बाजार दुनिया के अन्य देशों के लिए खोलता है। तो उसे यह सभी ट्रेडिंग पार्टनर के साथ करना होगा।कोई देश अपने ट्रेडिंग पार्टनर के बीच भेदभाव नहीं कर सकता है।इसीलिये भारत से भी पाकिस्तान को वो सभी सुबिधायें मिली हुई थी।जो भारत दुनिया के दूसरे देशों को देता है।
Most Favored Nation का दर्जा प्राप्त करने वाले देशों के बीच कारोबार सबसे कम आयात शुल्क पर होता है।डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश खुले व्यापार और बाजार से बंधे हैं।मगर Most Favored Nation के नियमों के तहत इन देशों को विशेष छूट दी जाती है।
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कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि “Most Favored Nation” का दर्जा मिलने से दो देशों के बीच व्यापार करना आसान हो जाता हैं।वह भी कम से कम आयात व निर्यात शुल्क पर और कई सारी रियायतों व सुबिधाओं के साथ बिना किसी भेदभाव के। कुछ वस्तुओं का आयात व निर्यात मुफ्त में भी होता हैं।
Most Favored Nation दर्जा विकासशील देशों के लिए इसलिये भी बहुत खास होता हैं।क्योंकि इससे किसी भी सदस्य देश को निर्यात में सहायता मिलती है।और कमोडिटीज को कम या बिना टैरिफ के निर्यात किया जा सकता है।और कई बार तो इस Most Favored Nation के कारण कई तरह के व्यापारिक समझौते बड़ी आसानी से (बिना किसी कानूनी मामलों में फंसे) किये जा सकते हैं।
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वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) व्यापार के नियम तय करती है।
जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड (GATT) के अनुच्छेद एक (1) के मुताबिक “वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के सभी सदस्य देश अन्य सदस्य देशों को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्रदान करेंगे”।वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन ही दुनिया भर के देशों के बीच होने वाले व्यापार के नियम तय करती है।और दुनिया के 164 देश इसके सदस्य हैं।इस तरह दुनिया का 98% व्यापार वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के नियमों के मुताबिक ही होता है।
Most Favored Nation के तहत देशों को दर्जा प्राप्त देशों के साथ व्यापार में किसी तरह का भेदभाव नहीं करना होता है।वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के सभी सदस्यों को दूसरे सदस्य देशों को Most Favored Nation का दर्जा देना होता है।लेकिन दुनिया के सभी देशों में यह स्थिति एक सी नहीं हैं।जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच खराब संबंध से दोनों देशों का व्यापार प्रभावित रहता है।
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भारत ने पाकिस्तान को दिया था मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा
World Trade Organization (WTO) बनने के साल भर बाद ही भारत ने पाकिस्तान को 1996 में Most Favored Nation का दर्जा दिया था।लेकिन पाकिस्तान ने भारत को Most Favored Nation का दर्जा नहीं दिया था।पाकिस्तान ने भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन देने की जगह भारत से “Non-Discriminatory Access Agreement” किया था।
इस Agreement के तहत पाकिस्तान ने भारत से आयात होने वाले 1950 उत्पादों पर टैरिफ नहीं लगाने का फैसला किया था।वही 1209 उत्पादों के भारत से आयात पर पाकिस्तान ने रोक लगाई थी।भारत ने भी पाकिस्तान के काफी उत्पादों पर टैरिफ हटाया था। और पाकिस्तान के कई उत्पादों को भारत में कम ट्रैरिफ में बेचे जाने की छूट भी मिलती थी।
2 नवंबर 2011 को पाकिस्तान की कैबिनेट ने भी भारत को Most Favored Nation का दर्जा देने संबंधी फैसला लिया था।लेकिन अभी तक यह फैसला लागू नहीं किया गया था।पाकिस्तान भी भारत की तरह ही डब्ल्यूटीओ का संस्थापक सदस्य रहा है।पर अभी तक उसने भारत और इजराइल को Most Favored Nation का दर्जा नहीं दिया हैं।
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क्या लाभ मिलता हैं मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त होने पर
(Advantages from Most Favored Nation)
Most Favored Nation का दर्जा दो देशों के बीच व्यापार के संबंध में दिया जाता है।यह दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई एक देश दूसरे देश को देता हैं।और जब एक देश दूसरे देश को Most Favored Nation का दर्जा देता हैं।तो Most Favored Nation का दर्जा पाने वाला देश व्यापार में (आयात व निर्यात दोनों में) कई तरह की छूट पाता हैं।
और कुछ वस्तुओं का आयात व निर्यात उन दोनों देशों के बीच मुफ्त में भी होता हैं।साथ ही वह देश इस बात को लेकर आश्वस्त रहता हैं कि उसे व्यापार में कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा या उनके साथ किसी तरह का भेदभाव किया जायेगा।
कब वापस लिया जा सकता है मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा
Most Favored Nation का दर्जा डब्ल्यूटीओ के आर्टिकल 21 बी के अनुसार कोई भी देश किसी अन्य देश से Most Favored Nation का दर्जा यूँ ही वापस नहीं ले सकता।इसके लिए ठोस कारण होना अनिवार्य हैं।अगर दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर विवाद हो।तब यह दर्जा वापस लिया जा सकता हैं।पर डब्ल्यूटीओ के नियम के मुताबिक किसी भी देश को दिया गया Most Favored Nation का दर्जा वापस लेने से पहले सारी शर्तें पूरी होनी चाहिए।
जब अमेरिका और निकारागुआ के बीच वर्ष 1983 व 1985 में विवाद हुआ था और फिर यूरोपियन कमेटी और युगोस्लाविया के बीच 1992 में विवाद हुआ था।उस वक्त डब्ल्यूटीओ के इस नियम का इस्तेमाल किया गया था।
मोस्ट फेवर्ड नेशन से नुक्सान (Disadvantages from Most Favored Nation)
जहाँ एक ओर Most Favored Nation का दर्जा प्राप्त करने के कई फायदे हैं।वही इसके कुछ नुकसान भी हैं।WTO के नियम के अनुसार WTO के किसी भी सदस्य देश के साथ व्यापार में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते है।सभी के साथ समान व्यवहार करना होता हैं।इसी कारण कई बार व्यापार में घाटा भी उठाना पड़ता हैं।
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भारत पाकिस्तान के बीच आयत निर्यात
भारत पाकिस्तान को चीनी ,चाय, ऑयल केक, पेट्रोलियम ऑयल, कांटन, टायर, रबर समेत 14 वस्तुओ को प्रमुख रूप से निर्यात करता है।वही भारत पाकिस्तान से कुल 19 प्रमुख उत्पादों का आयात करता है।इन उत्पादों में अमरुद, आम, अनानास, फैब्रिक कॉटन, साइक्लिक हाइड्रोकार्बन, पेट्रोलियम गैस ,पोर्टलैंड सीमेंट, कॉपर वेस्ट और स्क्रैप, कॉटन यार्ड शामिल हैं।
भारत पाकिस्तान के बीच सीमेंट, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल्स, रूई, सब्जीयों और कुछ चुनिंदा फलों के अलावा, मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी कमोडिटीज और वस्तुओ का कारोबार होता है।भारत और पाकिस्तान के बीच 2012 के आंकड़ों के मुताबिक 2.60 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था।
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क्या होगा इस फैसले का पाकिस्तान पर असर
भारत और पाकिस्तान के बीच 2000-2001 तथा 2005-2006 के बीच व्यापार में 3.50 गुना की तेजी आई थी और यह 251 बिलियन डॉलर से बढ़कर 869 बिलियन डॉलर हो गया था। मौजूदा वक्त में भारत और पाकिस्तान के बीच 17,200 करोड रुपए का सालाना व्यापार होता है।
साल 2007 में “भारतीय काउंसिल ऑफ रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस” ने भारत और पाकिस्तान के बीच 11.7 बिलियन डॉलर (46,098 करोड़ ) के सालाना व्यापार की संभावना जताई थी। लेकिन दोनों देशों के संबंधों के तनाव के चलते व्यापार वित्तीय वर्ष 2017 के दौरान सिर्फ 2.29 बिलियन डॉलर ही रहा जो भारत के कुल व्यापार का 0.35% है।
भारत के द्वारा पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लेने का असर दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी पड़ सकता है।और भारत में पाकिस्तान से आने वाले सीमेंट के आयात पर भी इसका असर पड़ सकता है।
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भारत और पाकिस्तान का कुल व्यापार
उद्योग चेयरमैन एसोचैम ने कहा है कि “पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लेने से दोनों देशों के बीच कारोबार पर कोई खास फर्क नहीं पडेगा।क्योंकि दोनों देशों के बीच कारोबार बेहद कम है”। 2015-2016 में भारत का कुल व्यापार 641 अरब डॉलर रहा।लेकिन पाकिस्तान के साथ भारत का व्यापार सिर्फ 2.67 अरब डॉलर का रहा।जिसमें निर्यात मात्र 2.17अरब डॉलर का था।जो भारत के कुल निर्यात का 0.83 % ही है।
और आयात लगभग 50 करोड़ डॉलर का हैं।जो भारत के कुल आयात का 0.13% है।लेकिन जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान से आने वाले ड्यूटी फ्री सीमेंट के आयात पर इसका असर पड़ सकता है।
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2017-2018 में भारत और पाकिस्तान के बीच कुल व्यापार 2.4 अरब डॉलर रहा।जो भारत के व्यापार का सिर्फ 0.5% था।जिसमें निर्यात मात्र 0 .1%(1.9अरब डॉलर) था।और आयात लगभग 48 करोड़ डॉलर का हैं।जो भारत के कुल आयात का 0.2% है।
आतंकवाद से सख्ती से निपटने और देश की सुरक्षा की दृष्टि से भारत ने यह कदम उठाया है।ताकि पकिस्तान को स्पष्ट सन्देश दिया जा सके।
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