Statue Of Unity Gujarat :
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
Statue Of Unity Gujarat
प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को “लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल” के 143वें जन्मदिन के मौके पर उनकी 182 मीटर (597 फुट) ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया । स्टैच्यू ऑफ यूनिटी यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है।
एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
अपनी विशालकाय आकार , बनावट , बेमिसाल कारीगरी , उत्कृष्ट इंजीनियरिंग की खूबियों के कारण यह मूर्ति आधुनिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई है । यह एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देश के पहले उपप्रधानमंत्री व पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित एक ख़ूबसूरत स्मारक हैं। स्वतंत्रता आंदोलन की समाप्ति के बाद भारत के सभी रियासतों (राज्योों ) को भारत में विलय करवा कर भारत को अखंडता और एकता के सूत्र में बांधने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की केंद्रीय भूमिका रही है।
इसीलिए सरदार वल्लभभाई पटेल को ” भारत का विस्मार्क ” तथा “लौह पुरुष” कहा जाता है सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1991 में मरणोपरांत “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान
देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा यानि दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू आॉफ यूनिटी की खासियत यह रही कि इसको बनाने के लिए पूरे देश के गाँवों के किसानों से लोहा इकट्ठा किया गया था।जिसमें किसानों ने अपने पुराने व बेकार रखे लोहे के उपकरणों जैसे हल , फावड़ा , कुदाल आदि को दान में दिया । 7 अक्टूबर 2010 को जब गुजरात सरकार द्वारा इस परियोजना की घोषणा की गई।
उसी समय से किसानों से दान लेकर लोहे के औजारों को संग्रह करना शुरू कर दिया । “सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ” ने लोहे के संग्रह के कार्य को एक अभियान के तहत किया और पूरे भारत में लगभग 36 कार्यालय खोले।
इस अभियान का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान” रखा गया।इसमें महज 3 माह में ह़ी लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने 5000 मीट्रिक टन लोहे का दान किया। हालांक यह लोहा बाद में प्रतिमा बनाने में उपयोग नहीं किया गया । इसे परियोजनाओं के अन्य कार्य हेतु उपयोग किया गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की खासियत
यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किलोमीटर की दूरी पर साधु बेट नामक एक स्थान पर बना है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है।यह शानदार स्मारक गुजरात के भरूच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है । स्मारक का शिलान्यास 31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के मौके पर किया गया था । स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मूर्ति को इस्पात , कंक्रीट और कांस्य के लेप से बनाया गया है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊँचाई
इस मूर्ति की कुल ऊंचाई आधार सहित 240 मीटर (790 फीट) है जिसमें मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है । इसको बनने में 5 वर्ष लगे और यह सब विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है और इसके बाद दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति चीन में “स्प्रिंग टेंपल बुद्ध” की है जिसकी आधार के साथ कुल ऊंचाई 208 मीटर की (682 फीट) है।यह न्यूयॉर्क में स्थित “स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी” से लगभग दोगुनी ऊंची है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के मूर्तिकार (शिल्पकार)
इस भब्य मूर्ति के मूर्तिकार “राम सुतार” हैं।और उन्ही की निगरानी में इस पूरी मूर्ति का निर्माण किया गया। राम सुतार जी को मूर्ति कला के क्षेत्र में उनके योगदान व उनकी उपलब्धियों के लिए सन 1999 में पद्मश्री तथा 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में राम सुतार का कहना है कि “इस प्रतिमा को सिंधु घाटी सभ्यता की समकालीन कला से बनाया गया है। इसमें चार धातु के मिश्रण का उपयोग किया गया है जिससे इसमें वर्षों तक जंग नहीं लगेगी । प्रतिमा में 85% ताँबे का इस्तेमाल किया गया है। इस मूर्ति के चेहरे का डिजाइन बनाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने 10 लोगों की एक समिति बनाई थी और काफी माथापच्ची के बाद चेहरे का डिजाइन तय हुआ और मूर्ति का चेहरा 30 फीट का बनाया जायेगा । यह निर्णय लिया गया”।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी Cost
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण लार्सन एंड टूब्रो कंपनी (L&T) ने किया।
- लार्सन एंड टूब्रो कंपनी ने रूपये 2989/- करोड़ यानी US $438.15 मिलियन की बोली लगाकार इसका निर्माण कार्य आरम्भ किया।
- इस बोली में मूर्ति की आकृति ,निर्माण तथा रखरखाव तीनों शामिल है।
- इस पूरे परियोजना में (मूर्ति को बनाने) रूपये 2989 करोड़ यानी US $438.15 मिलियन की लागत आई थी जिसमें सिर्फ मूर्ति के निर्माण में 1350 करोड़ खर्च हुए।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की विशेषताएं
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण का कार्य 31 अक्टूबर 2013 (सरदार वल्लभभाई पटेल की 138 वीं जयंती )को आरम्भ हुआ और अक्टूबर 2018 के मध्य में ख़त्म हुआ और इसका अनावरण 31 अक्टूबर 2018 ( सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती )को हुआ।
- मूर्ति के निर्माण के कार्य का शुभारम्भ ( गुजरात के मुख्यमन्त्री) व अनावरण दोनों प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी ने ह़ी किया ।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की कुल ऊंचाई आधार सहित 240 मीटर (790फीट) है। इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर(597फीट) तथा आधार 58 मीटर है।इसको बनने में लगभग 5 वर्ष लगे।यह न्यूयॉर्क में स्थित “स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी” से लगभग दोगुनी ऊंची है।
- गुजरात की असेंबली(विधानसभा ) में 182 सीट है। इसीलिए इस मूर्ति की ऊंचाई भी 182 फीट रखी गई है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में लगभग 25,000 टन लोहे तथा 90,000 टन सीमेंट का प्रयोग हुआ ।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मूर्ति बनाने का सारा काम देश के ही लोगों (कमदारों) ने किया। यानि मूर्ति पूरी तरह से स्वदेशी हाथों से बनी हैं। हालाँकि इसमें 200 चीनी वर्करों ने सितंबर 2017 में दो-तीन महीनों के लिए अलग-अलग बैचों में काम किया।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा को ब्रांज रंग में रंगा गया है।
- यहां नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से महज 3:30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- इस मूर्ति का कुल बजन 1700 टन है।और जिसमें पैर की ऊंचाई 80 फिट ,हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 30 फिट है,कुल ऊंचाई 182 मीटर है।
- इसका कंस्ट्रक्शन चार चरणों में पूरा हुआ था माँँकअप, 3D स्कैनिंग तकनीक, कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक।
- इस मूर्ति के अंदर दो हाई स्पीड लिफ्ट लगी है जो मूर्ति के हृदय तक जाती है। जिसमें एक समय पर करीब 40 लोग गैलरी तक जा सकते हैं।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का आधार त्रि-स्तरीय हैं।इसमें प्रदर्शनी फ्लोर ,छज्जा और छत हैं।
- छत पर स्मारक उपवन ,संग्रहालय,प्रदर्शनी हाल हैं।
- यहां पर एक संग्रहालय भी हैं जिसमें सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो होगा।
- यहां से सरदार सरोवर बांध के जलाशय,सतपुड़ा एवं विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं का शानदार नजारा दिखाई देता है।
- एक अनुमान के अनुसार इस स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने प्रतिदिन करीब 15,000 पर्यटक आ सकते हैं।
- इसके पास ह़ी एक 500 फीट ऊंचे आब्जर्बर डेक (दर्शक दीर्घा) का निर्माण भी किया गया हैं जिसमें एक समय पर 200 आगंतुक मूर्ति को सामने से निहार सकते हैं।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मूर्ति को कांसे से लेप किया गया हैं।
- मानव निर्मित यह सबसे ऊंची इमारत है। जो धरती के ऊपर या(अंतरिक्ष)से भी साफ साफ दिखाई देती है। इसमें चीन की ऐतिहासिक दीवार, दुबई के तट पर बना पाम आइलैंड और गीजा के पिरामिड शामिल हैं।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अनावरण के बक्त मूर्ति पर 30 नदियों का पानी चढ़ाया गया।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 6.5 तीव्रता के भूकंप को आराम से सह सकती है। तथा 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा ।इस की समुद्र तल से ऊंचाई 237.35 मीटर है।
- यह स्मारक सार्वजनिक व निजी साझेदारी के माध्यम से बना।जिसमें अधिकांश पैसा गुजरात की सरकार ने लगाया था।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर का एक स्पेशल मास्टर पीस है जो बेमिसाल है।
- प्रत्येक सोमवार को रखरखाव के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बंद रखा जाएगा
- यहाँ पर एक आधुनिक पब्लिक प्लाजा भी बनाया गया हैं जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति साफ़ देखी जा सकती है ।इस प्लाजा को पर्यटकों को ध्यान में रख कर बनाया गया हैं। इसमें खान पीने के स्टॉल, उपहार की दुकानें व अन्य सुविधाएं शामिल है।
- यहां पहुंचने के लिए पैदल रास्ता तथा फोर लेन हाईवे की सुविधा है। तथा पर्यटकों के रुकने के लिए पास में ही 52 कमरों का “श्रेष्ठ भारत” भवन है जो थ्री (3) स्टार होटल है।
- यहां के लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किलोमीटर लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा भी आराम से देख पाएंगे।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे कम समय (5 साल) में बनने वाली प्रतिमा है
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को 7 किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता।
- इस जगह को एक “टूरिस्ट स्पाँँट” घोषित किया गया है। मूर्ति के अलावा यहां पर एक ट्राईबल म्यूजियम, एक गार्डन ,बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध की गई है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा अहमदाबाद से 200 किलोमीटर दूर जनजाति जिले नर्मदा के सरदार सरोवर डैम के निकट बनाई गई है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी Ticket Price
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक पहुंचने के लिए 350/- रूपये का टिकट रखा गया है।
- इससे कई लोगों को रोजगार मिलेगा व पर्यटन के क्षेत्र में जरूर इजाफा होगा।
दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अंतरिक्ष से भी साफ दिखाई देती है।
हाल ही में गुजरात में बनी लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को अंतरिक्ष से भी देखा गया है । अंतरिक्ष से ली गई इन तस्वीरों को अमेरिका के स्काई लैब ने जारी किया है। तस्वीर में मूर्ति बेहद सुंदर दिखाई दे रही है और इस अमेरिकी कंपनी ने मूर्ति की बेहतरीन तस्वीरें उतारी हैं।
कमर्शियल सैटेलाइट नेटवर्क प्लानेट ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तिरछी सेटेलाइट तस्वीरें ट्विटर के जरिये 15 नवम्बर को लोगों से साझा की हैं। नर्मदा नदी के किनारे बनी यह मूर्ति अंतरिक्ष से भी साफ दिखाई देती है।
कौन हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल ?
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म नाडियाद (जो ब्रिटिश भारत में बंबई प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था) गुजरात के एक गुज्जर कृषक परिवार 31 अक्टूबर1875 में हुआ था।प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की। पढ़ाई खत्म होने के बाद भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरु की। बाद में महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वतंत्र भारत के पहले ग्रह मंत्री तथा उपप्रधान मंत्री बनाए गए।
उन्होंने भारत के सभी बिखरे राज्यों का भारत में पूर्णतया बिलय कराया और बिखरे हुए भारत को समेट कर एक सूत्र में बाँधने का प्रयास किया । भारत की एकता और अखंडता को और सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया। 15 दिसंबर 1950 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की उपाधियों
- सरदार
- भारत रत्न
- भारत का विस्मार्क
- लौह पुरुष
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
राज्यों का भारत में विलय
सरदार पटेल ने आजादी के पूर्व से ही वी.पी.मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने का कार्य आरंभ कर दिया। पटेल तथा वी.पी.मेनन ने देशी राजाओं को समझाकर उनको भारत में विलय क़ो तैयार कर लिया। इसी के परिणाम स्वरुप लगभग सभी राज्यों ने स्वेच्छा से भारत में विलय स्वीकार कर लिया।
लेकिन जम्मू कश्मीर,जूनागढ़ तथा हैदराबाद स्टेट के राजाओं ने भारत में विलय स्वीकार नहीं किया।जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध लोगों ने विरोध किया ।इसके बाद वो पाकिस्तान भाग गया तथा उसके बाद जूनागढ़ का भारत में विलय किया।
हैदराबाद के निजाम के खिलाफ गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्यवाही की।जिसके फलस्वरूप हैदराबाद के निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया।इस तरह हैदराबाद राज्य का भी भारत में विलय हो गया।लेकिन जम्मू कश्मीर को नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय समस्या बताकर भारत में इसके पूर्ण विलय को रोक दिया।
खेड़ा संघर्ष
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार वल्लभ भाई पटेल का सबसे पहला संघर्ष “खेड़ा संघर्ष “ ह़ी था।गुजरात के खेड़ा खंड में भयंकर सूखा पड़ा इसीलिए किसान अंग्रेजों द्वारा लगाये गये कर में भारी छूट मांग रहे थे।सरदार पटेल ने गांधी जी व किसानों के साथ मिलकर धरना देने के लिए लोगों को प्रेरित किया।अंत में सरकार झुक गई और कर में राहत दी। स्वतंत्रता आंदोलन में यह सरदार बल्लभ भाई की पहली बड़ी सफलता थी।
सरदार की उपाधि और बारडोली सत्याग्रह
सरदार वल्लभभाई ने बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया और इस आंदोलन को सफल बनाया। यह एक किसान आंदोलन था। जिसमें किसानों के लिए लगभग 30% की कर वृद्धि कर दी थी।जिसका किसान विरोध कर रहे थे।पटेल ने किसानों का साथ दिया और कर वृद्धि का विरोध किया तथा इस आंदोलन को सफल बनाया है।इसीलिए महिलाओं ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर गुजरात के हवाई अड्डे का नाम भी “सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा ” रखा गया है।
- इसके अलावा गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में “सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय” है।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1991 में मरणोपरांत “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया है।
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