Basant Panchami Festival :
Basant Panchami Festival
बसंत पंचमी का पर्व
माध महीने की पंचमी तिथि को मां सरस्वती (विद्या की देवी) का जन्मोत्सव बसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है। जैसे कि नाम से ही जाहिर है बसंत पंचमी यानि बसंत का महीना। वसंत को ऋतुराज यूं ही नहीं कहते हैं। यह वाकई में “ऋतुओं का राजा” है क्योंकि इस दौरान पेड़ – पौधों के पुराने सारे पत्ते गिर जाते हैं और नए- नए कोमल-कोमल पत्ते व फूल – फलों से प्रकृति फिर से सज – धज कर तैयार होने होने लगती है।
प्रकृति के यौवन में खेतों में खिलने वाली सरसों के फूल , गेहूं की बालियां , बुरांश के फूल , आडू व खुमानी के फूल तथा आम के पेड़ों में आई बौर चार चांद लगा देते हैं। जनवरी की कड़कड़ाती ठंड के बाद इस वक्त मौसम अत्यधिक सुहाना हो जाता है । चारों तरफ दिखाई देती है हरियाली ही हरियाली और फूलों और फलों से लदे हुए पेड़।
बसंत पंचमी यानि मां सरस्वती का जन्मदिन
बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने जब इस संसार की रचना की थी तभी सभी प्राणियों (पेड़-पौधे , जीव-जंतु व इंसानों) की रचना भी की लेकिन वो सभी प्राणी बाणी (बिना आवाज के ) विहीन थे जिस वजह से संसार में हर समय सन्नाटा छाया रहता था।
तब ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से थोड़ा सा जल लेकर छिड़का जिससे चतुर्भुज (चार भुजाओं वाली) देवी सरस्वती प्रकट हुई जिनके दो हाथों में वीणा , एक हाथ में पुस्तक और एक हाथ में माला थी।
ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया जिसे माता ने तुरंत मान लिया और वीणा बजानी प्रारम्भ की। वीणा के तारों की झंकार से सारी प्रकृति संगीतमय हो गई और सभी जीव – जंतुओं व प्रकृति को आवाज मिल गई।
क्यों मनायी जाती है बसंत पंचमी
Why Basant Panchami Is Celebrated
माता सरस्वती को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे मां शारदा और मां वीणा वादिनी आदि। माता को संगीत , बुद्धि और विद्या की देवी भी माना जाता है। इसीलिए इस दिन छोटे -छोटे , नन्हे मुन्ने बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया जाता है। यह उनके विद्या आरंभ करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। स्कूलों में इस दिन छोटे-छोटे नर्सरी के बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
बसंत पंचमी का दिन बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते है। महिलाएं और बच्चे पीले वस्त्र पहनते हैं। इस दिन पीले भोजन को प्राथमिकता दी जाती है।
बसंत पंचमी के दिन लेखक , साहित्यकार व विद्या से जुड़े हुए लोग व शिक्षक आदि भी माता की उपासना एवं पूजा अर्चना करते हैं । संगीत से जुड़े लोग अपने वाद्ययंत्रों की भी इस दिन पूजा करते हैं।
भगवान कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है
बसंत का महीना प्रेम के प्रतीक कामदेव का महीना भी माना जाता है। इसलिए इस दिन भगवान कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी का दिन जनेऊ व विवाह संस्कार के लिए भी उत्तम
उत्तर भारत में बसंत पंचमी के दिन छोटे छोटे नन्हे- मुन्ने बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार दिया जाता है। साथ ही साथ बसंत पंचमी का दिन नवयुवकों के जनेऊ संस्कार के लिए भी उत्तम माना जाता है । इस शुभ दिन हजारों नवयुवकों को जनेऊ पहनाई जाती है।
यह दिन नव युवकों को जनेऊ संस्कार देने के लिए भी बहुत उत्तम माना जाता है। अगर ग्रहों का सुखद संयोग बन रहा हो , तो बसंत पंचमी के दिन विवाह आदि कार्य भी किये जाते है।
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