Sound Of OM (ऊँ ध्वनि) का महत्व Motivational Thoughts

Sound Of OM :

Sound Of OM

ऊँ की ध्वनि  

एक वैज्ञानिक शोध —- जिस रोग को शायद महंगी से महंगी दवा भी पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकती है। वह रोग सिर्फ ओम ध्वनि का उच्चारण करने से ठीक हो सकता है। सिर्फ 6 मिनट ऊँ की ध्वनि का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं ।

ऊँ ध्वनि (Sound Of OM) का महत्व

ऊँ की ध्वनि के लिए निर्धारित समयावधि 

ॐ ध्वनि का उच्चारण लम्बे स्वर में करें। ॐ की ध्वनि के उच्चारण में बीस सेकंड की समयाविधि निर्धारित की गई है। इसमें श्वास लेने में छह सेकंड , श्वास छोड़ने में बारह सेकंड और तदनन्तर दो सेकंड का समय उस आवाज को अंदर से अनुभव करने के लिए ।

ऊँ की ध्वनि की महत्वता

ओम ध्वनि की महत्वता को बताने के लिए शायद यह दोहा ही काफी है।

एक घडी , आधी घडी , आधी में पुनि आध,
तुलसी चरचा राम की , हरै कोटि अपराध।।
1 घड़ी = 24 मिनट
1/2 घडी़ = 12 मिनट
1/4 घडी़ = 6 मिनट

ॐ एक पवित्र मन्त्र व ध्वनि कंपन हैं 

भारतीय पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार ॐ सबसे सरल व सबसे प्राचीन मंत्र हैं। इसे सबसे पवित्र ध्वनि माना जाता है।कहा जाता हैं कि संसार की सभी ध्वनियों ॐ की ध्वनि से ही पैदा हुई हैं।यह एक सर्वभौमिक ध्वनि हैं। इसे ब्रह्माण्ड की मूल ध्वनि माना गया है।

रोगों को दूर भगाये ऊँ की ध्वनि 

6 मिनट की ऊँ ध्वनि का उच्चारण करने से मस्तिष्क में कम्पन होता है।और आक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से होने  लगता है।जिससे कई मस्तिष्क संबंधी रोग दूर होते हैं।लगातार सुबह और शाम 6 मिनट ॐ ध्वनि का तीन माह तक उच्चारण करने से शरीर में विशेष सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में आक्सीजन का स्तर बढ़ता है। जिससे हृदय और रक्त संबंधी रोग जैसे रक्त चाप , हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

मात्र 2 सप्ताह दोनों समय ॐ के उच्चारण से घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।मांसपेशियों को शक्ति मिलती है।ओम ध्वनि का उच्चारण करने से कंठ में विशेष कंपन होता है जिससे गले संबंधी समस्याएं जैसे थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है।और स्वर दोष दूर होने लगते हैं।

पेट में भी विशेष कम्पन और दबाव होता है।एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से पाचन तन्त्र , लीवर , आँतों को शक्ति प्राप्त होती है। और पाचन तंत्र में सुधार होता है। और पाचन तंत्र अपना काम सही ढंग से कर पाता है।जिससे सैकडौं पेट संबंधी रोग दूर होते हैं।

फेफड़ों में विशेष कंपन होता है जिससे फेफड़े मजबूत होते हैं। स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है। 6 माह में अस्थमा, टीबी जैसे रोगों में लाभ होता है। तनाव और परेशानी दूर होती है।याददाश्त व आयु तो बढ़ती ही बढती है।

ऊँ की ध्वनि का आध्यत्मिक महत्व 

भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही ओम की ध्वनि का आध्यत्मिक महत्व रहा हैं।भारतीय ऋषि मुनि ॐ के उच्चारण का प्रयोग Meditation के लिए करते थे। आज भी कई आध्यत्मिक केंद्रों में ॐ के उच्चारण का प्रयोग Meditation के लिए किया जाता हैं।

भारत में प्राचीन समय से ही ओम मंत्र का प्रयोग अनेक रोगों के समाधान के लिये होता आ रहा हैं। भारत के ऋषि मुनियों को इस ओम की ध्वनि का महत्व व ज्ञान प्राचीन काल से ही था। इसीलिए वह इस ध्वनि का प्रयोग विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए करते थे।चाहे वो चिकित्सा का क्षेत्र हो या आयुर्वेद का। वो ओम की ध्वनि  महत्व व फायदे से पूर्णत: परिचित थे।

ओम का प्रयोग सर दर्द, ब्लड प्रेशर, अपच, विस्मृति, क्रोध, तनाव, पेट व हृदय से सम्बंधित समस्त रोग , श्वसन रोग , और मानसिक रोगों को ठीक करने के लिये किया जाता हैं। इस प्रयोग से रोगी बिना किसी दवाई के ही कुछ समय में स्वस्थ हो जाता हैं।

हिंदू धर्म में ओम का महत्व अत्यधिक हैं।ओम का उच्चारण नित्य करने से घर में सुख शांति व समृद्धि आती है।नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है।व सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस मंत्र के द्वारा सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। किसी भी मंत्र के प्रारम्भ एवं अंत में ओम का प्रयोग करने से मंत्र के कीलन व अन्य दोष नष्ट हो जाते हैं। ओम परम शांति व मोक्षदायक मंत्र हैं।

नासा के वैज्ञानिकों ने भी माना ऊँ की ध्वनि का अस्तित्व 

नासा के वैज्ञानिकों ने अपनी शोध में यह पाया कि सूर्य से लगातार ओम की ध्वनि निकल रही है। जो स्पष्ट सुनाई देती है।23 अक्टूबर 2014 को नासा के वैज्ञानिकों द्वारा इस बात की पुष्टि कर दी गई।

विश्व विख्यात श्री श्री रविशंकर जी ने भी एक बार अपने एक कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया ।उन्होंने कहा कि सिर्फ ओम ध्वनि का लगातार उच्चारण करने से एक व्यक्ति ने अपना कैंसर का रोग भी ठीक किया।

ब्रह्माण्ड की ध्वनि

नासा के वैज्ञानिकों ने तो साबित कर दिया कि सूर्य से लगातार ओम की ध्वनि निकल रही है।लेकिन ॐ को ब्रह्माण्ड के मूल कंपन के रूप में जाना जाता हैं।इसीलिए इसे “ब्रह्माण्ड की ध्वनि यानि Sound Of  Universe” भी कहा जाता है। योग में कहा गया है कि सभी ध्वनियों ॐ की ध्वनि से ही पैदा हुई हैं।

बाइबिल में भी कहा गया हैं कि “शुरुवात में एक शब्द था और वह शब्द भगवान के साथ था। वह शब्द भगवान था। वह ॐ ही था ” ।

हम इसी से अनुमान लगा सकते हैं।कि कितनी शक्तिशाली ,सकारात्मक व अविनाशी ऊर्जावान हैं यह ध्वनि।हमको जीवन जीने की एक नई राह की तरफ ले जाती है।यह ध्वनि है मंगलकारी , सुखकारी, शांतिदायक , समृद्धिदायक।

ॐ के उच्चारण … बस जरूरत है छः मिनट रोज ऊँ की ध्वनि का उच्चारण करने की।

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