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National Flag of India
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ,तीन रंगों से सजा हमारा प्यारा तिरंगा हमारी आन, बान, शान का प्रतीक है।तिरंगा हमारी पहचान हैं।
National Flag Name -Tiranga (तिरंगा)
National Flag Colours
भारत का राष्ट्रीय झंडा तिरंगा तीन रंगों से सजा है।
- केसरिया
- सफेद
- और हरा
Indian National Flag Colours meaning
इस तरंगे में तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पटि्टयों हैं।और तीनों पटि्टयों तीन रंगों से सजी हैं।
- जिसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग जो साहस,शौर्य ,शक्ति ,आत्मरक्षा व बलिदान का प्रतीक हैं।
- बीच में सफ़ेद रंग जो सत्य और शांति का प्रतीक है।
- और सबसे नीचे हरा रंग जो हरियाली , मूमि की उर्वरता, मूमि की पवित्रता का प्रतीक हैं।
Indian National Flag History
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तीन रंगों से सजा है।और जिसके बीच में एक गोल चक्र बना है। जिसमें 24 तीलियें हैं।
चक्र (धर्मचक्र या विधि का चक्र)
सफ़ेद पट्टी के बीच में एक चक्र बना है जिसे धर्मचक्र या विधि का चक्र भी कहते हैं।इस चक्र का रंग नीला हैं और यह चक्र सम्राट अशोक की सारनाथ की लाट से लिया गया हैं।इस चक्र में 24 तीलियें है जो एक दिन (रात व दिन )के 24 घंटों का प्रतीक हैं जो हमें समझाते हैं कि जीवन लगातार चलने का नाम है।रुकना मतलब मृत्यु।
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राष्ट्रीय ध्वज के जन्मदाता (Who designed National Flag of India )
इस ध्वज के जन्मदाता पिंगली वैंकैया हैं।और इस ध्वज को 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता दी गयी।
राष्ट्रीय ध्वज से सम्बन्धित कुछ रोचक जानकारी ( Indian National Flag Information)
आजदी के 52 सालों तक लोगों को अपने घरों,कार्यालयों, फैक्ट्रीयों या अन्य स्थानों में तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं थी। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही तिरंगा को पूरे सम्मान के साथ फहराया जाता था।तिरंगे को 365 दिन अपने घरों व कार्यालयों में फहराने का अधिकार दिलाने का श्रेय सांसद एवं जिंदल स्टील एंड पावर के मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन जिंदल जी को जाता है।
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नवीन जिंदल जी जब अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए गए थे तो उन्होंने महसूस किया कि अमेरिका के लोग अपने राष्ट्रीय ध्वज को बहुत प्यार करते हैं ।और उसका सम्मान करते हैं।और वो भी अपने राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गहरा सम्मान रखते थे।इसलिए उन्होंने वहां पर अपने कमरे में तिरंगा लगा लिया।
भारत लौटने के बाद जब उन्होने अपनी कंपनी में तिरंगा फहराया तो तत्कालीन कमिश्नर ने आपत्ति जताते हुए उनको तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं दी।और कमिश्नर साहब ने जिंदल जी के ऑफिस का तिरंगा झंडा जबरदस्ती अपने अधिकारियों की मदद से उतरवा लिया।
जिंदल जी इस बात से नाखुश हो अदालत की शरण में चले गए।उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि राष्ट्रीय ध्वज फहराना या लगाना हर व्यक्ति का “मौलिक अधिकार” है।यह अधिकार भारतीय नागरिक को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के तहत दिया गया है।
26 जनवरी 2002 को “राष्ट्रीय ध्वज कोड“ में परिवर्तन किया गया और भारत के हर नागरिक को घरों,कार्यालयों, फैक्ट्रीयों या अन्य स्थानों में 365 दिन तिरंगा झंडा फहराने का अधिकार दिया गया।वह भी बिना किसी रुकावट के।कभी भी और कही भी ।
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झंडा संहिता के अनुसार तिरंगा झंडा फहराने से संबंधित कुछ बातें
- ध्वज की लंबाई व चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
- नए कानून के अनुसार लोग अब तिरंगा कही भी और कभी भी फहरा सकते हैं लेकिन पूरे सम्मान के साथ।
- झंडे को फहराने वक्त झंडे की प्रतिष्ठा और गरिमा को बनाए रखना अति आवश्यक है ।
- झंडे को सिर्फ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता है।
- झंडे को सांप्रदायिक लाभ के लिए उपयोग करने की इजाजत किसी भी नागरिक को नहीं दी गई है।
- राष्ट्रीय झंडे के बगल में उससे ऊंचा कोई भी अन्य झंडा फहराने की इजाजत नहीं है।
- झंडे का स्पर्श कभी भी पानी या जमीन पर नहीं होना चाहिए।
- झंडे से किसी मंच ,मूर्ति या आधारशिला को नहीं ढाका जा सकता है।
- झंडे से पोशाक या वर्दी तो बनाई जा सकती है मगर कमर से नीचे वाले भाग में झंडे से बनी पोशाक को नहीं पहना जा सकता हैं ।
- झंडे को उल्टा रखा या लटकाया नहीं जा सकता हैं।
- झंडे के अंदर फूल के अलावा कोई अन्य बस्तु नहीं रखी जा सकती है ।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को मेरा सत सत नमन् ……..
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