International Women’s Day :
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
International Women’s Day (8 march )
बस एक मिनट आंख बंद कर बैठ जाइए और फिर सोचिए कि अगर इस दुनिया में महिलाएं नहीं होती तो यह दुनिया कैसी होती ? दिमाग में क्या आया !!! यह दुनिया जैसी अभी है इससे ज्यादा बेहतर और सुंदर होती या फिर बहुत बेकार होती या फिर ऐसी ही होती जैसी अभी है या यह दुनिया इंसानों की दुनिया होती ही नहीं। हम और आप होते ही नहीं । इस दुनिया में कोई जीव जंतु होता ही नहीं । यहां तक कि पेड़ पौधे भी नहीं होते । जब कुछ भी महिलाओं के बगैर संभव नहीं है या फिर आधी आबादी के बगैर हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं , तो फिर महिलाओं का शोषण या उनका अपमान क्यों ?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है
पूरे विश्व में महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को उनकी आर्थिक , सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए सराहा जाता है । उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है।
भारत में महिला दिवस कब मनाया जाता है ? (National Women’s Day in India )
भारत में भी महिला दिवस प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को ही मनाया जाता है । इस दिन भारत में महिलाओं के सम्मान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को इस दिन पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जाता है।
महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में अमेरिका (न्यूयार्क) से हुई । जब वहाँ की कामकाजी महिलाओं ने अपने कार्य करने की समय अवधि को कम करने , वेतन बढ़ाने और चुनाव में महिलाओं को मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार देने के लिए एक मार्च निकाला था जिसे बाद में अमेरिकी सरकार ने मान लिया । इसके ठीक एक वर्ष बाद अमेरिकी सरकार ने राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की।
सन 1910 में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान क्लारा जेटकिन ने महिला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया । इस सम्मेलन में करीब 17 देशों की कामकाजी महिलाएं शामिल थी जिन्हें क्लारा जेटकिन का यह प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। उसके बाद वर्ष 1911 में 19 मार्च के दिन दुनिया के कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रथम बार मनाया गया।
सन 1917 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ था । इस वक्त रूस की महिलाओं ने युद्ध से तंग आकर 8 मार्च से शांति व खाने (ब्रेड और पीस ) के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया । यह एक जबरदस्त संगठित व मजबूत विरोध था । इस विरोध के बाद सम्राट निकोस को अपनी सत्ता गवाँनी पड़ी और नतीजा रूसी महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला । इसीलिए तबसे 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को वर्ष 1975 में अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी गई और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे एक विषय वस्तु (थीम) के साथ मनाने का निर्णय लिया गया । प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस “सेलिब्रेटिंग द पास्ट एंड प्लानिंग फॉर द फ्यूचर (Celebrating the past and planning for the future)” थीम के साथ मनाया गया।
आज हर क्षेत्र में है महिलाओं की भागीदारी
आज के युग में काफी महिलाएं शिक्षित व आत्मनिर्भर हैं । घर और बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल रही है । आज से कुछ वर्ष पूर्व तक जो पुरुषों के कार्यक्षेत्र माने जाते थे । वहां भी महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से अपने लिए एक अलग जगह बनाई है।
आज महिलाओं ने अपनी भूमिका को हर क्षेत्र में बढ़ाया है। चाहे वह राजनीति हो या खेल जगत , मनोरंजन जगत या फाइटर प्लेन उड़ाना । फसल बोने से लेकर बाजार पहुंचा कर उसे बेचने तक या फिर एवरेस्ट की चोटी ही पतह क्यों ना करनी हो।
हर जगह महिलाओं के नाम आपको जरूर पढ़ने को मिलेंगे क्योंकि यह नाम उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत , तपस्या से असंभव को संभव कर लिखवाया है और साथ ही साथ घर परिवार व सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही है।
आज भी महिलाओं की सर्वोच्च प्राथमिकता परिवार ही है
अगर हम अपने आसपास भी नज़र घुमा कर देखें तो पाएंगे कि कई शिक्षित उच्च पदासीन महिलाएं ने अपनी नौकरी अपने परिवार या छोटे बच्चों की देखभाल के लिए छोड़ दी हैं । यानी परिवार की जिम्मेदारी और उसकी देखभाल ही हमेशा महिलाओं की पहली या यूं कहें सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
आज के युग में हालांकि महिलाओं की शिक्षा पर काफी ध्यान दिया जा रहा है महिलाओं में भी जागरूकता आई है और वह अपने अधिकारों के लिए पहले से ज्यादा सजग है और अपने अधिकारों के लिए वह समाज और व्यवस्था से टकराने को भी तैयार है।
जहां शिक्षित होकर वह अपने और अपने परिवार के लिए या बच्चों के हित के लिए कई गुना सोच समझकर कार्य कर सकती हैं । वही वह अपने घर को आर्थिक सपोर्ट भी कर रही हैं जिससे उनके घर की आर्थिक व्यवस्था इस महंगाई के समय में भी सही तरीके से चल सके । अंबेडकर जी ने कहा है “किसी भी समाज की उन्नति उस समाज की औरतों की उन्नति से मापी जा सकती है ” ।
सिर्फ महिला दिवस (Women’s Day) पर ही महिलाओं का सम्मान क्यों ? जरा सोचिए !!!!
हर साल महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है । मैं पूछना चाहती हूं कि सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही सम्मान क्यों ?? हर दिन , हर घंटे , हर मिनट क्यों नहीं उनके प्रति सम्मान , प्यार , विश्वास प्रकट किया जाता है । उनको दोयम दर्जा क्यों दिया गया है ?
उनके साथ यह भेदभाव क्यों होता है ? क्यों एक ही घर में बेटा और बेटी में आज भी भेद है ? क्यों हर जगह उनकी आजादी छीनने के लिए समाज द्वारा घोषित कानून बनाए गए है । उनके साथ सामाजिक व शारीरिक अत्याचार क्यों होता है ? हर जगह उनका शोषण क्यों है ? आखिर ऐसा है क्यों ?
जब हम यह कहते है कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और स्मार्टफोन , कंप्यूटर , रोबोट के साथ खेल रहे हैं और मंगल में बसने की तैयारी कर रहे हैं । क्या हम सिर्फ साइंस की उन्नति से ही आधुनिक है। क्या हम आज भी दिमागी रूप से आधुनिक नहीं है ? अगर हमने सब तरफ से उन्नति की हैं तो फिर महिलाओं के लिए हमारी सोच ऐसी क्यों है ? आज के युग में भी “हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ” जैसे स्लोगन क्यों देखने पड़ रहे है। सरकार को लोगों से अपील क्यों करनी पड रही है कि कन्या भ्रूण हत्या ना करें । जरा सोचिए !!!!
सरकार भी निभा रही है अपनी जिम्मेदारी
हालांकि सरकार बेटियों को बचाने की तरफ अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभा रही है। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए वह प्रयासरत है। कन्याओं से संबंधित सरकार ने अनेक योजनाओं की शुरुआत की है ताकि कन्या के जन्म के समय परिवार थोड़ा खुश हो सके। हालांकि लोगों के नजरिए पर थोड़ा बहुत बदलाव जरूर आया है।
मैंने यह खुद महसूस किया है। बहुत सारे लोग अपने आंगन में बेटियों को खेलते हुए देखना चाहते हैं लेकिन आए दिन महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों , अपमानों के कारण वो डर जाते हैं।
हर रोज अखबार खोलते ही सबसे पहले यही पढ़ने को मिलता है कि आज इस शहर में इस बालिका का शारीरिक शोषण हुआ और उस शहर में उस महिला को दहेज के लिए घर से निकाल दिया या उसकी हत्या कर दी गई। ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं । काश !! कोई दिन ऐसा आए जब अखबार खोलते ही यह खबरें ना दिखाई दे तब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना हमारे लिए सार्थक हो जायेगा । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का यह एक दिन तो शायद समाज को आईना दिखाने भर का काम करता है। जरूरत है लोगों को अपने नजरिए में बदलाव लाने की । अब आप सोचिए इस कथन में क्या खूब कहा है ….
“जिस घर में एक पुरुष शिक्षित होता है सिर्फ पुरुष ही शिक्षित होता है । लेकिन जिस घर में एक महिला शिक्षित होती है उस घर की पूरी पीढ़ी ही शिक्षित हो जाती है” ।
सभी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ।
International Women’s Day
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