Gold Monetisation Scheme क्या है?जानिए इसके फायदे ?

Gold Monetisation Scheme :

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम 

Gold Monetisation Scheme

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम क्या है?भारतीयों का सोने के प्रति आकर्षण विश्व विख्यात हैइसीलिए भारतीयों की गिनती दुनिया के सबसे बड़े सोना उपभोक्ताओं में की जाती है जिसका घरेलू भंडार लगभग 25 हजार टन के आसपास हैलेकिन हमारे पास सोने का भंडार बहुत कम हैउपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकांश सोने का आयात बाहरी देशों से करना पड़ता हैजिसकी वजह से भारत का सोना आयात का बिल अत्यधिक बढ़ जाता है

Gold Monetisation Scheme क्या है?जानिए इसके फायदे ?

अब सरकार ने अनावश्यक सोने के आयात को कम करने,व्यापार संबंधी घाटे में इसके प्रभाव को कम करने तथा देश के विशाल घरेलू सोने के भंडार का लाभ उठाने के उद्देश्य से सरकार ने 5 नवंबर 2015 में “गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना” की शुरुआत की थी। वैसे यह योजना 1999 में शुरू की गई “गोल्ड डिपाजिट योजना” का ही एक नया रूप है। इस योजना का फायदा सिर्फ भारतीय नागरिक ही उठा सकते हैं।

क्या है गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम 

गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपने घरेलू सोने को एक निश्चित अवधि के लिए अधिकृत बैंक में जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना है।ताकि सोने का आयात कम से कम करना पड़े।लोगों द्वारा बैंकों में जमा किये गये सोने का उपयोग सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने में करेगी।

जमाकर्ता के सोने की शुद्धता की जाँच देश के सोना मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्क केन्द्रो में की जाती है।और उसके बाद जमाकर्ता को एक सर्टिफिकेट जारी किया जाता है

इस सर्टिफिकेट की मदद से अधिकृत बैंक में उस व्यक्ति का एक गोल्ड डिपॉजिट अकाउंट खुलवाया जाता हैजमा किये गये सोने पर वार्षिक ब्याज भी मिलता है और मैच्योरिटी के समय जमाकर्ता इस डिपॉजिट को सोने या धनराशि किसी भी रूप में निकाल सकता हैं

यह एक तरह से फिक्स डिपाजिट (FD) के जैसे ही है।क्योंकि फिक्स डिपाजिट में भी एक निश्चित राशि को,निश्चित समय अवधि के लिए,निश्चित ब्याज दर के साथ बैंक में रखा जाता है।गोल्ड मोनेटाइजेशन मतलव गोल्ड के बदले पैसा।यह एक तरह से ऐसा ही हैं जैसे आप बैंक में अपना पैसा, एक निश्चित समय के लिए फिक्स डिपाजिट कराते है और बैंक उस पर एक निश्चित दर से ब्याज देता है।  

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का मुख्य उद्देश्य

  1. गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का मुख्य उद्देश्य देश में सोने के आयात को कम करना तथा घरों ,मंदिरों व ट्रस्टों में रखे गए सोने को बाहर निकालकर उसे देश की अर्थव्यवस्था को सदृढ़ करने में उपयोग करना
  2. कम से कम सोने का आयात करना ताकि विदेशी मुद्रा की बचत हो,देश के चालू खाते घाटे (CAD) में कमी हो,क्योंकि सोने का आयात बढ़ने से देश का चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ता है।

तीन तरह के डिपॉजिट की सुविधा

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में तीन तरह के डिपॉजिट की सुविधा है

  1. शार्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट(Short Term Gold Deposit Account )  –  का कार्यकाल 1 से 3 साल का रखा गया हैइस पर मिलने वाला ब्याज बैंक के विवेक पर आधारित होता है
  2. मीडियम टर्म डिपॉजिट (Medium Term Gold Deposit Account ) –  मीडियम टर्म डिपॉजिट का कार्यकाल 5 से 7 साल का होता हैइसमें जमाकर्ता को 2.25% का ब्याज मिलता है
  3. लोंग टर्म डिपॉजिट(Long Term Government Gold Deposit Account ) –  सका कार्यकाल 12 से 15 साल का होता है।और इसमें जमाकर्ता को 2.50% का ब्याज मिलता है। 

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में ब्याज दर 

शार्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट में RBI ने बैंकों को खुद ही ब्याज दर तय करने की अनुमति दी हैमीडियम और लॉन्ग टर्म डिपॉजिट में ब्याज दर पहले से निर्धारित होती हैजिसकी घोषणा सेंट्रल बैंक (RBI) द्वारा की जाती है।जमाकर्ता को ब्याज भी उसी रूप में लेना होगा जिस रूप में जमा किये सोने को लेगा।

कौन-कौन से बैंकों में मिलेगी यह सुबिधा

गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना को RBI के तहत नामित सभी कमर्शियल बैंकों में चलाया जाएगा।और RBI ने बैंकों को गोल्ड डिपॉजिट पर खुद ब्याज दर तय करने की अनुमति भी दी है।

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का लाभ कौन-कौन ले सकता है

गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना का लाभ व्यक्तिगत व संयुक्त जमाकर्ताओं के अलावा धार्मिक संस्थाएं (मंदिर आदि), केंद्र सरकार,राज्य सरकार या इनके स्वामित्व वाली संस्थाएं भी ले सकती है।इस योजना में दो या दो से अधिक लोग एक साथ अपना सोना “ज्वाइंट डिपॉजिट अकाउंट” खुलवा कर जमा करा सकते हैं।इस खाते में बैंक के ज्वाइंट अकाउंट वाले नियम ही लागू होंगे।

सोना किस रूप में जमा होगा

व्यक्ति अपने सोने को किसी भी रूप में जैसे सोने के सिक्के,पट्टियों/बिस्किट या गहने (बिना स्टोन्स और बिना किसी अन्य धातु के यानी पूर्ण रूप से शुद्ध) आदि रूपों में जमा करा सकता हैं।देश के सोना मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्क केन्द्रो में जमाकर्ता के सोने की शुद्धता की जाँच की जाएगी।

यही केंद्र जमाकर्ता के सोने की कीमत व शुद्धता का सर्टिफिकेट देंगे।जिसके आधार पर ही बैंक में खाता खुलेगा।क्योकि सोना भी अलग अलग कैरेटों जैसे 22 कैरेट, 23 कैरेट, 24 कैरेट में उपलब्ध रहता है।

कितना सोना जमा करना होगा

किसी भी व्यक्ति का इस योजना से जुड़ने के लिए बैंक में कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना जमा करना आवश्यक हैअधिक से अधिक जितना चाहे उतना सोना जमा किया जा सकता है।30 ग्राम की न्यूनतम सीमा इस स्कीम में अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए रखी गयी है

समय से पहले सोने की निकासी सम्भव है

गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना में समय से पहले (मैच्योरिटी से पहले) अपना निवेश निकालने की सुविधा भी मिलती है।लेकिन इसमें एक न्यूनतम लॉग इन पीरियड्स रहता है।शॉर्ट टर्म के लिए एक साल नौ महीने ,मीडियम टर्म के लिए 3 साल और लॉग टर्म के लिए 5 साल रखा गया हैऔर समय से पहले अपना निवेश निकालने पर पेनल्टी भी पड़ती है।यह पेनल्टी कितनी होगी यह बैंक पर निर्भर करता हैं।

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम से लाभ 

  1. सोने के आयात में कमी होगी जिससे देश का चालू खाता घाटा(CAD) कम होगा और बिदेशी मुद्रा भी बचेगी।क्योंकि सोने का आयात बढ़ने से देश का चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ता है।
  2. सोने के बैंको में आने से देश की अर्थव्यवस्था को नयी गति मिलेगी जिससे देश तेजी से विकास पथ पर चलेगा
  3. गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना का सबसे बड़ा लाभ जमाकर्ता को मिलेगा क्योंकि इस योजना के माध्यम से होने वाली पूरी आमदनी(ब्याज सहित)टैक्स फ्री हैइसमें कैपिटल गेन्स टैक्स, वेल्थ टैक्स,इनकम टैक्स भी शामिल हैं
  4. जमाकर्ता के पास यह अधिकार होगा कि वह जमा किये गये सोने को मैच्योरिटी के समय किस रूप में लेना चाहेगाजमाकर्ता या तो अपने रिटर्न को फिजिकल गोल्ड (सिक्के या बिस्किट / पट्टीयाों) के रूप में निकाल सकते हैंया फिर नगद (जो उस समय के सोने के बाजार भाव के हिसाब से मिलेगा)।लेकिन जमाकर्ता को यह ऑप्शन बैंक में सोना जमा करने वक्त ही चुनना होगा जो मैच्योरिटी के वक्त बदला नहीं जायेगा।
  5. गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना की मदद से जमाकर्ता अपने सोने का बाजार मूल्य पाने के साथ-साथ उस पर टैक्स फ्री ब्याज भी कमा सकता हैं

देश के बड़े मंदिर व ट्रस्ट भी इस योजना में शामिल

देश के कई लोगों, संस्थानों तथा देश के कई बड़े-बड़े मंदिरों ने इस स्कीम के तहत अपना सोना बैंकों में जमा करवाया हैदेश के बड़े मंदिरों में शुमार किए जाने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम मंदिर ने करीब 2780 किलोग्राम सोने को इसी स्कीम के तहत बैंक खाते में जमा किया है।जिसका ब्याज लगभग 807 करोड़ रुपया प्रतिवर्ष होगा।

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की कुछ ख़मियों 

गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना में कुछ कमियों भी है

  • गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना में व्यक्ति सोने को जिस रूप में बैंक में जमा करता हैमेच्योरिटी के वक्त उसे उसी रूप में सोना वापस नहीं मिल सकता हैंक्योंकि इस स्कीम के तहत जमा किये गये सारे सोने को सरकार अपनी संपत्ति मानकर उसे पिघलाकर देश के सोना भंडार में शामिल कर लेती हैइसके परिणाम स्वरूप मैच्योरिटी के समय जमाकर्ता के सोने के डिपॉजिट को उसके असली रूप में नहीं लौटाया जा सकता है
  • चूँकि घरेलू सोना अधिकतर गहनों के रूप में ही होता हैअधिकतर लोगों,खासकर महिलाओं को अपने गहनों के साथ गहरा लगाव होता हैऔर यही बात विरासत के तौर पर मिले गहनों के साथ भी हैइसीलिए लोगों को थोड़ा इस योजना से जुड़ने में असमंजस हो सकती है
  • इसके अलावा देश के सभी बैंकों में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की सुबिधा नहीं हैबहुत कम बैंकों में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम चलाई जा रही हैऔर कुछ बैंकों की साखा ग्रामीण क्षेत्रों में नही है जिससे ग्रामीण जमाकर्ताओं को दिक्क्त हो सकती है

 

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