Christmas Day : Why Christmas is celebrated?

Christmas Day :

क्रिसमस क्यों मनाया है 

Happy Christmas

Christmas Day :Why Christmas is celebrated?

क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्यौहार है। ईसाई समुदाय के सभी लोग को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ क्रिसमस  मनाते है।यह त्यौहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन प्रभु के पुत्र ईसा मसीह (Jesus Christ ) का जन्म हुआ। यह वास्तव में ईसा मसीह के जन्मोत्सव का महापर्व है जिसका हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है। क्रिसमस को “बड़े दिन” के नाम से भी जाना जाता है। 

रोम में शासकों के अत्याचार से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु ने अपने पुत्र ईसा मसीह को इस धरती पर भेजा। प्रभु ईसा मसीह (जीसस) मरियम और जोसेफ के पुत्र के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए।जीसस के जन्म के समय मरियम और जोसेफ दोनों यहूदियों के प्रांत ब्रेथलेहेम में रहते थे।और यहीं पर एक रात को गौशाला/अस्तबल में Jesus Christ का जन्म हुआ।

ऐसा माना जाता है कि जिस समय Jesus Christ का जन्म हुआ। ठीक उसी दौरान आकाश में एक चमकता हुआ तारा दिखाई दिया।जिससे लोगों को पता चल गया कि प्रभु के पुत्र ने इस धरती पर जन्म ले लिया है।

वैसे इस बात की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी कि प्रभु अपने पुत्र Jesus Christ को इस धरती पर लोगों की भलाई हेतु भेजेंगें।Jesus के जन्म से पहले देवदूत गैब्रियल मैरी के पास आई और उन्होंने मैरी से कहा कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देंगी।और उनका यह पुत्र आगे चलकर राजा बनेगा। और लोगों पर हो रहे अत्याचार,अन्याय से उन्हें मुक्ति दिला कर उनकी रक्षा करेगा।लोगों को सच्चाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देगा। और पूरी दुनिया का उद्धार करेगा। 

और अपने पूरे जीवन काल में Jesus Christ ने हमेशा लोगों के दुख दर्द को कम करने का प्रयास किया। उन्होंने हमेशा ही सद्भावना, भाईचारे , मानवता , ईश्वर से प्रेम का संदेश दिया।Jesus Christ हमेशा ही कहते थे “जो तुम्हारा बुरा करता है। उसकी भी तुम भलाई करो।यहां तक कि अपने शत्रुओं से भी प्रेम करो”।

क्रिसमस का इतिहास( Christmas History)

ईसा मसीह ( Jesus Christ) के जन्मदिन का वास्तविक इतिहास तो पता नहीं चल सका है। क्योंकि ईसा के जन्म के 3 शताब्दियों तक यीशु का जन्म नहीं मनाया जाता था।यीशु का जन्मदिन अधिकारिक तौर पर रोमन कैलेंडर के अनुसार पहली बार 336 ईस्वी को 25 दिसंबर के दिन मनाया गया। तब से हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने का सिलसिला चल पड़ा।

अमेरिका में 1870 से क्रिसमस डे पर राजकीय अवकाश रखा जाता है। ग्रीक और रूसी चर्चों में क्रिसमस 25 दिसंबर से अगले 13 दिनों तक मनाया जाता है जिसे थ्री किंग्स डे (Three kings day ) कहा जाता है।और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन प्रभु यीशु ( Jesus Christ) का पुनर्जन्म हुआ था।

पहले कुछ कट्टवादी ईसाईयों ने Christmas को मनाने पर पावंदी भी लगाई थी। वर्ष 1645 में जब ऑलिवर क्रोमवेल और उनकी सेना ने इंग्लैंड पर कब्जा किया।तो उन्होंने इंग्लैंड में लोगों के Christmas डे मनाने पर रोक लगा दी थी। लेकिन जब चार्ल्स-2 इंग्लैंड का शासक बना तो वहाँ फिर से क्रिसमस मनाया जाने लगा।

इसीतरह बॉस्टन में भी वर्ष 1659 से लेकर 1681 तक क्रिसमस डे मनाने पर कानूनी पाबंदी थी क्रिसमस मनाने पर लोगों को लगभग 5 शिलिंग का जुर्माना भरना पड़ता थाअमेरिका में भी 26 जून 1870 से ही क्रिसमस के दिन राजकीय अवकाश रखा जाता है।

भारत में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्रिसमस ( Christmas in india )

भारत में तो लगभग हर धर्म के त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत की संस्कृति अनेकता में एकता सदा से रही है।इसीलिए यहाँ हर पर्व लोगों को अलग ही खुशी देता है। क्रिसमस का त्योहार भी भारतीय त्यौहारों में धुल मिल गया है।दिसंबर की कड़ाके की ठंड में आने वाला यह त्यौहार लोगों को खुशियों ,नए जोश, उत्साह व उमंग से भर देता है। क्रिसमस खुशी , सौहार्द , भाईचारे , समानता का संदेश देता।

भारत में भी क्रिसमस का त्यौहार बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।ईसाई समुदाय के लोग इस दिन अपने घरों ,गिरजाघरों को खूब सजाते हैं।अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से मुलाकात कर उन्हें उपहार भेंट करते हैं।

यहां की बाजारों में भी क्रिसमस की बड़ी ही धूमधाम रहती है।बाजारों को विशेष तरीके से सजाया जाता है।क्रिसमस डे के दिन स्कूलों में ईसा मसीह के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन किया जाता है। नन्हे बच्चों द्वारा इन कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया जाता है।इसके अलावा कई और संस्थाएं भी इस दिन अनेक कार्यक्रमों को आयोजित करती हैं।

क्रिसमस की कहानी

(Story of Christmas)

ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबल के अनुसार ईश्वर ने अपने भक्त यशायाह के माध्यम से 800 ईसा पूर्व ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि इस दुनिया में उनका पुत्र जन्म लेगा।और उसका नाम इमेनुएल रखा जाएगा।जिसका अर्थ होता है “ईश्वर हमारे साथ है”।यशायाह की भविष्यवाणी सच साबित हुई और प्रभु ईसा मसीह ने इस धरती पर जन्म लिया। 

(Story of Christmas) प्रभु ईसा मसीह ( Jesus Christ) के जन्म की घटना अद्भुत थी।उनके जन्म की खबर गडरियों को सबसे पहले मिली है।जिस रात प्रभु ईसा मसीह ने जन्म लिया।उस रात आसमान में एक तारा चमका और स्वर्ग के देवों ने गडरिया को खबर दी कि तुम्हारे बीच प्रभु पुत्र ने जन्म लिया है।जो तुम्हारा राजा बनेगा।

इस खबर से सभी खुश थे।लेकिन गरीबों पर बेइंतहा जुल्म करने वाला राजा हेरोदेस अत्यधिक चिंतित हो गया।और उसके गुस्से का शिकार बने उसके राज्य के 2 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चे। क्योंकि उसने अपने राज्य में 2 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मारने का आदेश दे दिया।ताकि  उसका निरंकुश शासन कोई खतरे में न पड़ जाए।

ईसा मसीह ने एक गौशाला या अस्तबल में जन्म लिया।क्योंकि उनका इस दुनिया में आने उद्देश्य गरीब ,शोषित ,पीड़ित लोगों का उद्धार करना था।और इसीलिए उन्होंने जन्म लेते ही अपना संदेश लोगों को स्पष्ट कर दिया था।

ईसा मसीह का संदेश ( Jesus Christ’s message )

युवावस्था में ही Jesus Christ ने शोषिण ,सामाजिक अव्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू कर दिया।और जनता को मानव सेवा का उपदेश देना शुरू कर दिया था।वो गरीब , लाचारों की सहायता और जरूरतमंदों की मदद करने ,लालच ना करने ,ईश्वर और राज्य के प्रति कर्तव्य निष्ठ रहने, ज्यादा धन संग्रह न करने का उपदेश दिया करते थे।

आज के दौर में भी प्रभु ईसा मसीह के संदेश लोगों को अच्छाई की राह पर चलने को प्रेरित करते हैं। उनके पूरे जीवन काल में मानव जीवन के कल्याण के लिए किए गए उनके कार्य आज के समाज को भी संदेश देते हैं।

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस ( Why Christmas is celebrated)

क्रिसमस का महापर्व प्रभु ईसा मसीह ( Jesus Christ) के इस धरती में अवतार लेने की खुशी में मनाया जाता है।जिन्होंने इस पूरी दुनिया को मानव सेवा का संदेश दिया।क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म की खुशी को मनाने का पर्व है।यह संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है।इस दिन सभी सरकारी व निजी संस्थानों में अवकाश रखा जाता है।

इस दिन घर ,ऑफिस, चर्च आदि की सफाई की जाती है।तथा उनको विशेष रूप से सजाया था।चर्चों की सजावट तो आकर्षक व  देखने लायक होती है। 

कैसे मनाया जाता है क्रिसमस (How Christmas is celebrated )

लगभग दुनिया के सभी देशों में क्रिसमस के दिन पूर्ण रूप से अवकाश रहता है।भारत सहित पूरी दुनिया में क्रिसमस को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।सुबह से ही लोगों का Happy Christmas या Merry Christmas के संदेशों से एक दूसरे को शुभकामनाएं देने का सिलसिला चल पड़ता है।

क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइट की भी शुरुआत होती है।लोग एक-दूसरे को कार्ड द्वारा शुभकामनाओं के संदेश भेजते हैं।उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।तथा एक दूसरे के घर जाकर उनसे मुलाकात कर इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ बनाते हैं।

इस दिन चर्चों को खूब सजाया जाता है।बड़ी संख्या में ईसाई मूल के लोग चर्चों पर जाकर जीसस को याद करते हैं।चर्चों में ईसाई समुदाय द्धारा कैरोल्स गाए जाते हैं।और प्रार्थनाएं की जाती हैं।क्रिसमस के दिन घर ,ऑफिस, बाजार, चर्च ,हर जगह क्रिसमस की सजावट देखते ही बनती है।

वैसे ऑनलाइन शॉपिंग ने भी लोगों के कई काम आसान कर दिये हैं।कई लोग अपनी व्यस्त जिंदगी में एक दूसरे के घर जाकर उनसे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पाते हैं।तो वो ऑनलाइन उपहार या कार्ड्स अपने परिजनों को भेजकर अपने प्यार का इजहार करते हैं।

इस दिन बाजार भी अपनी पूरी रौनक पर रहते हैं।व्यापार से जुड़े लोग इस दिन की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर देते हैं।और चर्चों में प्रभु ईसा मसीह के जीवन को पुन: झांकियों के माध्यम से प्रर्दशित किया जाता है। क्रिसमस डे के खास मौके पर स्कूल, कालेजों तथा अन्य जगहों पर अनेक क्रार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

क्रिसमस में दिए जाते है ढेरों उपहार 

क्रिसमस डे पर लोग अपने घरों में अपने मनपसंद आकारों में केक बनाते है।उन्हें पूरे परिवार के साथ मिलकर काटते है।इस दिन मिठाइयां ,चॉकलेट ,केक ,सजावट के सामान या घर में काम आने वाली वस्तुओं को उपहार स्वरूप एक दूसरे को भेंट करते हैं।

सभी धर्मों के लोग मनाते हैं क्रिसमस

क्रिसमस तो वैसे ईसाईयों का त्योहार माना जाता है।लेकिन आजकल ईसाई समुदाय के अलावा भी इस उत्सव को दुनिया के कई हिस्सों में मनाया जाता है।धीरे धीरे यह एक धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक त्योहार की शक्ल लेता जा रहा हैं।

क्रिसमस डे के दिन छुट्टी होने की वजह से इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं।क्रिसमस की पूर्व संध्या यानी 24 दिसंबर से ही कई देशों में Christmas से जुड़े समारोह का आयोजन शुरू हो जाता है। ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस के अगले दिन यानी 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे के रूप में मनाया जाता हैं। 

सांता क्लॉज ( Christmas Father , Santa Claus)

क्या Christmas Father यानि सांता क्लॉज ( Santa Claus ) के बिना Christmas की कल्पना की जा सकती है ? Santa Claus बच्चों के लिए एक ऐसा फरिश्ता जो आधी रात में आकर उनको ढेर सारे उपहार देकर जाता है। Santa Claus का हर बच्चे को इंतजार रहता है। हर बच्चा यही सोचता है कि रेनडियर पर सवार होकर आधी रात में सांता क्लॉज आएंगे और उनको ढेर सारी चॉकलेट गिफ्ट में देकर जाएंगेसफेद दाढ़ी वाले व लाल कपड़े पहने  Santa Claus बच्चों को उनकी मुरादें करने वाले फरिश्ते ही नजर आते हैं

कौन थे संता क्लॉज (Who is Santa Claus)

संत निकोलस ( Sant Nicholas ) जो बच्चों के बीच में सांता क्लॉस ( Santa Claus) के नाम से प्रसिद्ध है। Sant Nicholas का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के लगभग 280 साल बाद मायरा (तुर्की) में हुआ था।वो बहुत अमीर थेऔर हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था। बचपन में माता-पिता का देहांत होने के बाद निकोलस को सिर्फ भगवान ईसा मसीह पर यकीन था

इसीलिए युवा अवस्था में आने के बाद निकोलस( Sant Nicholas) ने अपना जीवन ईसा मसीह को समर्पित कर दिया।और एक पादरी के रूप में अपना जीवन यापन करने लगे।निकोलस 325 CE में सबसे सीनियर पादरी थे और वो जीसस की मृत्यु के लिए Jews  को जिम्मेदार मानते हुए उनको “बच्चों का राक्षस” कहते थे

Sant Nicholas लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करते।लोगों का दुख दर्द बांटना यानि मानव सेवा ही उनका जीवन था।वे अक्सर अर्ध रात्रि में गरीब बच्चों और लोगों को गिफ्ट दिया करते थे।या उनकी परशानियों को दूर करने में उनकी मदद करते थे। दरअसल Sant Nicholas को  बच्चों से भी खास लगाव था और वह बच्चों को उपहार देते रहते थे। स्थानीय लोग संत निकोलस के प्रति काफी आदर भाव रखते थे

क्रिसमस ट्री ( Christmas Tree )

सदाबहार फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री कहा जाता है। Christmas tree यानि फर का पेड़ हमेशा हरा भरा रहता है।जो जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है।इसीलिए Christmas tree को क्रिसमस डे पर खूब सजाया जाता है। लेकिन Christmas tree को सजाने को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं। 

ऐसा माना जाता है कि जब Jesus का जन्म हुआ।तब देवता उनके माता-पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने उनके घर पहुंचे।देवताओं ने फर के सदाबहार पेड़ को सितारों से सजा कर उन्हें भेंट किया।और तब से ही Christmas tree को सजाने की परंपरा शुरू हुई।  

ऐसा भी कहा जाता हैं कि क्रिसमस ट्री (Christmas tree) को सजाने की शुरुआत बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्म प्रचारक ने की। यह पहली बार जर्मनी में 10 वीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ था।जब एक बीमार बच्चे को खुश करने के लिए उसके पिता ने सदाबहार फर के वृक्ष को सुंदर तरीके से सजाकर उसे गिफ्ट दिया।

क्रिसमस के दिन Christmas tree को कई प्रकार की चीजों जैसे रंग बिरंगी लाइट्स ,चांद सितारों टॉफियां, घंटीयों ,छोटे छोटे खिलौनों या उपहारों से सजाया खूब सजाया जाता है।ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री को सजाने व घर में रखने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं  और सकारात्मा ऊर्जा का संचार होता है।बच्चों की आयु लंबी होती है।

कार्ड का आदान प्रदान ( Christmas Card )

क्रिसमस डे पर बधाई संदेशों के रूप में ढेरों कार्ड (Christmas Card) एक दूसरे को दिए जाते हैं। दुनिया का सबसे पहला क्रिसमस कार्ड विलियम एंगले द्वारा 1842 में भेजा गया था। विलियम एंगले द्वारा कार्ड भेजने का मकसद उस वक्त सिर्फ अपने परिजनों को खुश करने का था।उसने उस कार्ड में शाही परिवार की तस्वीर लगा रखी थी।लेकिन धीरे-धीरे कार्ड देने का यह सिलसिला चल पड़ा।और लोग एक दूसरे को कार्ड देकर क्रिसमस की बधाइयां देना लगे। 

आप सभी को Christmas की ढेर सारी शुभकामनायें।

Wish you a very Happy Christmas… , Merry Christmas.

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