Motivational Story Short : छोटी छोटी मगर प्रेरणादायक कहानियों
इस Post में हम छोटे बच्चों और छात्रों के लिए ऐसी दो कहानियां को Share कर रहे हैं जिनसे बच्चों को मेहनत और ईमानदारी की प्रेरणा मिल सके। क्योंकि प्रेरणादायक कहानियां बच्चों को जीवन में मेहनत व ईमानदारी के साथ सही कार्य करने की प्रेरणा देती हैं।
Motivational Story Short
छोटी छोटी प्रेरणादायक कहानी
कहानी -1
सफलता का मंत्र
Motivational Story Short
महेश आठवीं क्लास में पढ़ता था। वह स्वभाव से बहुत ही आलसी और कामचोर था।उसका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। वह पढ़ाई से हमेशा दूर भागने की कोशिश करता था। कभी-कभी वह घर से स्कूल जाने के लिए निकलता लेकिन स्कूल जाने के बजाय रास्ते में अपने कुछ बिगड़ैल दोस्तों के साथ खेलता रहता था।
धीरे-धीरे महेश की आठवीं क्लास की परीक्षा करीब आती गई। लेकिन महेश ने पढ़ाई बिल्कुल नहीं की थी इसलिए वह परीक्षा के नाम से ही घबरा गया। वह किसी भी तरह परीक्षा से बचना चाहता था। इसीलिए उसने अपने दोस्तों से पूछा कि वह परीक्षा से कैसे बच सकता है। कुछ बिगड़ैल दोस्तों ने उसे सुझाव दिया कि वह अपनी याददाश्त खोने का बहाना बनाकर परीक्षाओं से बच सकता है।
दोस्तों का यह सुझाव महेश को बहुत पसंद आया। उसने उस पर तुरंत अमल करने की सोची।और वह घर की तरफ निकल गया। जैसे ही वह घर पहुंचा तो उसकी मां ने उससे कहा “बेटा महेश , जल्दी से हाथ मुंह धो कर खाने के लिए आ जाओ”। महेश ने अपनी मां की तरफ गौर से देखा और तपाक से बोला “आप कौन हैं”।
यह बात सुनकर महेश की मां घबरा गई। उसने महेश के पापा को बुलाया और सारी बात बतायी। महेश के पापा ने महेश से कहा “बेटा , तुम खाना खाकर पढ़ाई के लिए बैठ जाओ।तुम्हारी परीक्षाएं अब बहुत नजदीक है”। महेश फिर से अपने पापा की तरफ देखता हुआ बोला “आप दोनों लोग कौन हैं। और कौन सी परीक्षा की बात आप बार-बार कर रहे हैं”।
यह सुनकर महेश के पापा सोच में पड़ गये। उन्होंने उसके दोस्तों से पूछताछ की।दोस्तों ने बताया कि दो दिन पहले ही महेश स्कूल की सीढ़ियों से नीचे गिर गया था। जिस वजह से उसके दिमाग में काफी चोट आई है।
महेश के पिता ने यह बात सुनी तो वो घबरा गए और तुरंत महेश को डॉक्टर के पास ले गए।डॉक्टर ने महेश को देखा तो उसकी समझ में बात आ गयी कि महेश केवल याददाश्त खोने का नाटक कर रहा है।डाक्टर ने बड़ी होशियारी से महेश के पापा से कहा “वाकई में बच्चे के सिर पर बहुत गंभीर चोट आई है। इसको ठीक करने के लिए महेश के सिर का ऑपरेशन करना पड़ेगा।
ऑपरेशन का नाम सुनते ही महेश काफी डर गया और उसने अपने पापा और डॉक्टर को सारी बात सच सच बता दी , कि उसने सिर्फ परीक्षाओं से बचने के लिए याददाश्त खोने का नाटक किया था। तब डॉक्टर ने महेश को समझाया कि “अभी परीक्षाओं में थोड़ा समय बचा है।और अभी भी तुम मन लगाकर मेहनत से पढ़ोगे , तो अवश्य ही पास हो जाओगे”।
महेश ने डॉक्टर की बात मानी और पिता के साथ खुशी-खुशी घर चला आया। अब महेश हर रोज अपने पिता के साथ बैठकर खूब मेहनत से पढ़ाई करता और परीक्षा अच्छे से देकर आता। इस तरह उसने सारे विषयों की खूब मेहनत से पढ़ाई कर परीक्षा दी।
एक महीने बाद जब महेश का रिजल्ट आया तो वह अच्छे नंबरों से पास हो गया। तब महेश की समझ में आया कि कठिन मेहनत से ही सफलता पायी जा सकता है।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी समस्या का समाधान उससे डर कर भाग जाने से नहीं , बल्कि उस समस्या का डटकर मुकाबला करने से ही हो सकता है।
कहानी -2
ईमानदारी का फल
Motivational Story Short
एक गांव में एक लकड़हारा रहता था जो प्रतिदिन जंगल में जाकर सूखी लकड़ियां काट कर लाता और पास के बाजार में जाकर उनको बेच देता था। जिससे उसके घर परिवार का भरण पोषण आसानी से हो जाता था। लकड़हारा दिन भर मेहनत से काम करता और रात भर आराम से संतोष की नींद सोता था।
एक दिन लकड़हारा रोज की तरह ही जंगल में गया और सूखी लकड़ियां काटने लगा। लकड़ी काटते काटते अचानक लकड़हारे की कुल्हाड़ी पास में बहने वाली नदी में गिर गई। लकड़हारा यह देखकर काफी दुखी हुआ और दौड़कर कुल्हाड़ी लेने नदी की तरफ चल पड़ा।
नदी काफी गहरी थी। लेकिन उसने फिर भी नदी में कई बार डुबकी लगाकर कुल्हाड़ी को ढूंढने का प्रयास किया लेकिन उसे कुल्हाड़ी कहीं नहीं मिली। परेशान होकर वह नदी के किनारे एक जगह पर बैठ गया।
इतने में अचानक वहां एक देवदूत पहुंचा। उसने लकड़हारे से उसके दुखी होने का कारण पूछा तो लकड़हारे ने सारी बात बताई और बोला “बिना कुल्हाड़ी के अब मैं अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करूंगा। यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है”।
देवदूत ने कहा “चिंता मत करो। मैं तुम्हें तुम्हारी कुल्हाड़ी ला कर देता हूं”। इतना कहकर देवदूत ने नदी में डुबकी लगाई और थोड़ी देर बाद वह सोने की कुल्हाड़ी हाथ में लिए हुए बाहर निकल आया। उसने लकड़हारे से पूछा “क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है”। लकड़हारे ने कहा “नहीं , यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है”।
देवदूत ने फिर से पानी में डुबकी लगाई और इस बार वह चांदी की कुल्हाड़ी हाथ में लेकर पानी से बाहर निकला। उसने फिर लकड़हारे से पूछा “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है”। लकड़हारे ने जवाब दिया “नहीं , यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है”।
अब तीसरी बार फिर देवदूत ने नदी में डुबकी लगाई और इस बार वह लोहे की कुल्हाड़ी हाथ में लेकर पानी से बाहर निकला। और लकड़हारे से पूछने लगा “क्या , यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है”। लकड़हारा ख़ुशी से चिल्लाया और बोला “हां , यही मेरी कुल्हाड़ी है। कृपा कर आप मुझे इसे दे दीजिए”।
देवदूत लकड़हारे की इमानदारी से काफी प्रभावित हुआ। उसने लकड़हारे को लोहे की कुल्हाड़ी के साथ साथ सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी उपहार स्वरूप भेंट कर दी।
Moral of the Story
ईमानदारी व्यक्ति का सबसे सर्वोत्तम गुण है। ईमानदार व्यक्ति के पास धन-संपत्ति और सम्मान खुद ब खुद चले आते हैं ।
Motivational Story Short : छोटी छोटी मगर प्रेरणादायक कहानियों
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